Rajasthan

Pali

CC/116/2014

BASANT KUMAR - Complainant(s)

Versus

J.V.V.N.L. - Opp.Party(s)

RUPESH BISHA

25 May 2015

ORDER

CONSUMER PROTECTION FORUM, PALI
RAJASTHAN
 
Complaint Case No. CC/116/2014
 
1. BASANT KUMAR
SUMERPUR
...........Complainant(s)
Versus
1. J.V.V.N.L.
SUMERPUR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SURESH CHAND SHARMA PRESIDENT
 HON'BLE MR. DINESH CHATURVEDI MEMBER
 HON'BLE MRS. JYOTI SHRIWASTAV MEMBER
 
For the Complainant:
Case Stage Of Disposed Off
 
For the Opp. Party:
Case Stage Of Disposed Off
 
ORDER

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,पाली(राजस्थान)

परिवाद संख्या सी.सी./ 116/2014

 

बसन्तकुमार पुत्र श्री मूलाजी जाति सुथार निवासीबसन्त इंजिनियरिंग वक्र्स, जालौर चै।राहा,

पाली रोड , तहसील सुमेरपुर  जिला पाली (राजस्थान)।

 

परिवादी

बनाम

 

1-सहायक अभियन्ता (ओ एण्डएम.सुमेरपुर) जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, तहसील सुमेरपुर जिला पाली (राज.)।

2-अधीक्षण अभियन्ता, जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, तहसील पाली जिला पाली  (राजस्थान)

 

अप्रार्थीगण

 

दिनांक 25- 05-2015

निर्णय

 

                      परिवादी ने यह परिवाद प्रार्थना पत्र प्ेाषकर बताया है परिवादी ने अपनी दुकान पर व्यपारिक विद्युत कनेक्षन ले रखा है जिसके वर्तमान खाता सं0 2302/0164 है । परिवादी उक्त कनेक्षन का उपयोग व उपभोग कर रहा है तथा विद्युत षुल्क भी नियमित रूप से अप्रार्थी विभाग को अदा करता रहा है । परिवादी का विद्युत खर्च औसतन 400 यूनिट प्रतिबिल रहा है। अप्रार्थी द्वारा माह अगस्त में जारी विद्युत बिल परिवादी को प्राप्त हुआ जिसमें कुल उपभोग यूनिट 9010 दर्षायी गई थी। परिवादी ने मीटर की जाॅच अप्रार्थीगण की विजिलेन्स टीम के द्वारा दिनांक 28-4-2014 को करवाई जिसमें मीटर एकदम सही पाया गया एवं उक्त मीटर में रीड्रिग 39616 थी। परिवादी का मीटर खराब हो जाने के कारण तीव्र गति से चलने लगा और तीव्रता से चलने लगा इसी कारण से परिवादी की दुकान पर लगा मीटर खराब होकर बंद हो गया । परिवादी ने व्यक्तिगत उपस्थित हेाकर अप्रार्थीगण से निवेदन किया कि उसे जो बिल जारी किया गया है वह गलत है एवं वह अपनी दुकान पर विद्युत का इतना उपभोग नहीं करता है जिससे कि उसका 2.5 माह का बिल 9.010 यूनिट आ जाये वह तो मीटर में खराबी हो जाने के कारण गलती से इतना उपभोग दर्षा रहा है । इस पर अप्रार्थी सं0 एक ने परिवादी को कहा कि आपने मीटर की रीडिग लेने वाले कर्मचारी को रूपये देकर रीडिग कम नोट करवाई है। परिवादी ने अप्रार्थी को निवेदन किया कि अप्रैल में विभाग की विजिलेन्स टीम के द्वारा मीटर की जाॅच की गई थी एवं मीटर को सही पाया गया था तो अप्रार्थी सं0 एक ने कहा कि आपने विजिलेन्स टीम से मिलीभगत कर ली होगी जिससे उन्होने आपके मीटर को सही बताया हैं। परिवादी दिनांक 22-9-2014 को अप्रार्थी सं0 2 के कार्यालय मे उपस्थित हुआ एवं लिखित में षिकायत का निस्ताकरण करने का आग्रह किया तेा अप्रार्थी सं0 दो ने कहा कि आपकी समस्या का निस्तारण सुमेरपुर में होगा तथा परिवादी की षिकायती को स्वीकार नहीं की । परिवादी ने पार्ट पेमेन्ट के रूप में 18000/-का भुगतान उधार रूपये लेकर किया है। जिससे परिवादी का विद्युत संबंध विच्छेद नहीं हो । अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जावे। अपने परिवाद के समर्थन में अपना षपथपत्र पेष किया है। ं

2’-     इसका जवाब पेषकर बताया है कि परिवादी अप्रार्थीगण का नियमित उपभोक्ता है तथा औसतन 400 यूनिट की बात गलत होने से अस्वीकार है । परिवादी ने एक निष्चित अवधि के दौरान विद्युत उपभोग अधिक करने से 901.0 यूनिट दर्षाया है । उसी के अनुसार विद्युत उपभोग का बिल जारी किया गया है । परिवादी का मीटर वक्त चैकिंग सही पाया गया, लेकिन जितना युनिट निकला उतना तक सही है, उसके बाद बंद हुआ है । परिवादी दिनांक 22-9-2014 को पाली स्थित कार्यालय में नहीं मिला न ही कोई लिखित षिकायत अप्रार्थीगण को की है। अप्रार्थीगण द्वारा जारी सही व उचित विद्युत उपभोग का बिल जारी किया गया है तथा सही युनिट मीटर दर्षाकर 9010 यूनिट सही निकले है जिसकी बकाया पेटे रूपये 68490/-है। वर्तमान में यह राषि आज भी बकाया है उसमें से 18000/-रूपये पार्ट पेमेन्ट करना व षेष राषि का भुगतान नहीं कर विद्युत विभाग को नुकसान पहुॅचाया जा रहा है जो उचित नहीं है । उक्त रिपोर्ट के अनुसार मीटर नं0 2170110 मेक आई.एम. टाईप 0क्यू-6 एमपेयर 10-20रीडिग 49730 रीडिग फीगर पाये गये जो कि टेस्ट रिपोर्ट नं059/024दिनांक 29-11-2014 है । मीटर स्टाॅप बाद में डिफेक्टिव पाया गया है । मीटर का रोटर डिस्क जाम था जिसकी वजह से मीटर डिफेक्टिव पाया गया है । परिवादी ने बकाया राषि आज दिन तक जमा नहीं कराई है । परिवादी ने मनगडन्त तथ्यो पर परिवाद पेष किया है जो खारिज फरमाया जावे।

3-      बहस अंतिम सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया ।

4-      परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के चरण सं0 एक में परिवादी की दुकान पर लगा हुआ विद्युत कनेक्षन व्यपारिक विद्युत कनेक्षन के रूप में हेोना बताया गया है । इसके अतिरिक्त अप्रार्थी द्वारा विद्युत उपभोग के विप्रत्र जून, 2014 के अनुसार उक्त विद्युत कनेक्षन बसन्त इंजीनियरिंग के नाम से है। इस प्रकार परिवाद में उल्लेखित तथ्यो से एवं विद्युत बिल से स्पष्ट है कि परिवादी ने व्यपारिक विद्युत कनेक्षन के संबंध में मीटर खराब होने से बिल अधिक होने का परिवाद प्रस्तुत किया हैै।

6-      माननीय उच्चतम न्यायालय ने न्यायिक दृष्टान्त 2013 डी.एन.जे.(एस.सी.) पेज806 यू.पी.पाॅवर कारपोरेषन व अन्य बनाम अनीष अहमद के मामले में यह स्पष्ट व्यवस्था दी है कि व्यपारिक प्रतिष्ठानो पर लिये हुये विद्युत कनेक्षन के संबंध में उत्पन्न विवाद होने पर परिवादी को उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं माना जावेगा और इस प्रकार माननीय उच्चतम न्यायालय ने व्यपारिक प्रतिष्ठानो पर लगे हुये विद्युत कनेक्षन के संबंध में उत्पन्न हुये विवादेा पर परिवादी को उपभोक्ता ना मानकर परिवादी के परिवाद को खारिज करने की व्यवस्था दी है ।

7-      हस्तगत प्रकरण में भी परिवादी के व्यपारिक प्रतिष्ठान पर लगे हुये विद्युत कनेक्षन में लगे हुये विद्युत मीटर में खराबी होने के संबंध में अप्रार्थीगण के विरूद्व परिवाद प्रस्तुत किया है। उक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोषनी में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(डी) के तहत उपभोक्ता की श्रेणी में होना नहीं पाया जाता है। अतः चूॅकि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं पाया गया है। इसलिये परिवादी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।

 

          

                        

 

 
 
[HON'BLE MR. SURESH CHAND SHARMA]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. DINESH CHATURVEDI]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. JYOTI SHRIWASTAV]
MEMBER

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