जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
परिवाद संख्या- 546/2011
शेराराम पुत्र श्री सुरजाराम जाति जांगीड निवासी ग्राम जनाउ मिठी तहसील (सादुलपुर) राजगढ जिला चूरू
......प्रार्थी
बनाम
1. जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (सादुलपुर) राजगढ जिला चूरू
2. जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड चूरू जरिये अधिक्षण अभियन्ता
3. जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जोधुपर जरिये प्रबंधक
......अप्रार्थीगण
दिनांक- 10.02.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1. श्री राजेन्द्र राजपुरोहित एडवोकेट - प्रार्थी की ओर से
2. श्री सांवरमल स्वामी एडवोकेट - अप्रार्थीगण की ओर से
1. प्रार्थी ने अपना परिवाद पेश कर बताया कि प्रार्थी गरीब ग्रामीण कृषि मजदूरी पेषा व्यक्ति है जिसने अप्रार्थीगण से विद्युत सम्बंध घरेलू श्रेणी का प्राप्ति हेतु दिनांक 14.06.2010 को जरिये रसीद क्रमांक 25 जो 200/- रू दो सौ मात्र जमा करवा कर विधिवत अप्रार्थी सं. 1 को आवेदन किया था। प्रार्थी द्वारा आवेदित स्थान पर पाॅच विद्युत सम्बंध आज भी स्थित व अप्रार्थीगण के जारी सुदा मौका पर मौजूद है। जिसके चलते प्रार्थी का भी विद्युत सम्बंध स्थापित होना था जिस हेतु गरीब अषिक्षित प्रार्थी लगातार अप्रार्थीगण के यहाॅ चक्कर लगाता रहा जिस पर अप्रार्थी संख्या 1 व 2 द्वारा प्रार्थी को षिघ्र ही विद्युत सम्बंन्ध स्थापित करने को कहा जाता रहा व मकान की मांग पर विद्युत सम्बंध देय है व इसकी राषि का मांग पत्र षिघ्र ही प्रेषित कर दिया जावेगा। अप्रार्थी द्वारा काफी निवेदन कने पर प्रार्थी को डिमाण्ड नोटिस (मांग पत्र) समस्त जाॅच प्रक्रिया पुरी करने के बाद जारी किया गयाय जिसकी राषि 37000/-रू प्रार्थी द्वारा दिनांक 07.12.2010 को जरिये रसीद सं. 82 पुस्तक सं. 4374 द्वारा 3700रू जमा करवा दिये और प्रार्थी के निवेदन पर षिघ्र ही विद्युत सम्बंध जारी करने का आष्वासन दिया गया। प्रार्थी अप्रार्थीगण के विद्युत सम्बंध जारी करने हेतु नियमित चक्कर लगाता रहा जिस पर अप्रार्थी के सी.सी.बाबू जो नये घरेलू विद्युत सम्बंध की डिलींग करता है के द्वारा अनुचित राषि की मांग की गई लेकिन प्रार्थी गरीब इमानदार व भ्रष्टाचार के विरूद्ध होने से उक्त राषि देने से इन्कार हो गया जिसमे प्रार्थी का विद्युत सम्बंध आज तक नही किया गया। प्रार्थी गरीब व्यक्ति है अप्रार्थी लापरवाही के चलते विद्युत जैसी जीवन की मूल भूत व आवष्यक सुविधा से वंचित रह रहा है व उक्त सुविधा अन्यत्र से प्राप्त भी नही कर सकता व प्रार्थी के बाद व पूर्व आवेदन किये गये लोगो के विद्युत सम्बंध जारी किये जा चूके है व प्रार्थी के आवेदित स्थान पर कई विद्युत सम्बंध जारी नही करना गम्भीर सेवा दोष व अस्वच्छ व्यापार है। प्रार्थी के अधिक जोर देने पर अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी के विद्युत सम्बंध न कर दिनांक 25.01.2011 को गलत कारण लगा कर वहाॅ पर कनेक्षन दिये गये है लेकिन प्रार्थी के कनेक्सन साध्य नही है। प्रार्थी को विद्युत सम्बंध देने से इन्कार कर दिया जबकि प्रार्थी के आवेदित स्थान पर पांच कनेक्सन पूर्व से जारी है व चार कनेक्सन अप्रार्थी होना मानते है। लेकिन गरीब प्रार्थी के गलत रूप से बिना किसी वाजिब कारण के प्रार्थी की गरीबी का फायदा उठाकर प्रार्थी के पास अनुचित राषि देने को न होने व न देने पर कनेक्शन जारी नही करना गम्भीरतम सेवादोष व अस्वच्छ व्यापार है। प्रार्थी ने कनेक्शन बाबत विधिक नोटिस भी अप्रार्थीगण को प्रेषित करवाया था। उसके बावजूद भी प्रार्थी के विद्युत सम्बंध स्थापित नहीं किया गया अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवादोष है इसलिए प्रार्थी ने विद्युत सम्बंध दिलाने, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय दिलाने की मांग की है।
2. अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश किया कि प्रार्थी ने विद्युत कनेक्शन हेतु आवेदन किया था तथा ग्राम पंचायत की अनापति प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया जिसमें नक्शा भी संलग्न है। लेकिन प्रार्थी अपना विद्युत कनेक्शन खेत में करवाया चाहता है जो कि राज्य सरकार के नियमों के अनुसार आबादी क्षैत्र से दूर है तथा आबादी भूमि में नियमन भी नहीं करवाया हुआ है। नियमों के विपरीत विद्युत कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है न ही तहसीलदार का अनापति प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया है। अगर प्रार्थी को नियमों के विपरीत कनेक्शन दिया जाता है तो अन्य उपभोक्ताओं की लम्बी लाईन शुरू हो जायेगी जिनकी मांगों की पूर्ति करना संभव नहीं है। उक्त स्थान पर 5 केवीए का ट्रांसफार्मर है जो कि प्रार्थी के परिसर से 315 मीटर दूर है 5 केवीए के ट्रांसफार्मर पर पहले से ही चार-पांच कनेक्शन दिये हुए है उससे ज्यादा कनेक्शन नहीं दिये जा सकते है न ही वह जगह ज्यादा कनेक्शन देने के लिए तकनिकी रूप से फीजीबल है अगर ज्यादा कनेक्शन दिये जाते है तो विद्युत भार बढ़ने से ट्रांसफार्मर जल सकता है इससे ज्यादा केवीए का ट्रांसफार्मर तकनीकी रूप से रखा नहीं जा सकता है। प्रार्थी को कोई विद्युत कनेक्शन स्थापित नहीं किया है। प्रार्थी को जमा राशि वापिस लौटा दी जा रही है। प्रार्थी, अप्रार्थी निगम का उपभोक्ता नहीं होने से परिवाद कानूनन चलने योग्य नहीं है इस कारण प्रार्थी किसी भी प्रकार के अनुतोष का हकदार नहीं है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने की मांग की।
3. प्रार्थी ने अपने परिवाद में स्वंय का शपथ-पत्र, फाईल जमा करवाने की रसीद, डिमान्ड नेाटिस व रसीद, राशि वापिस लौटाने का पत्र, विद्युत सम्बंध अन्य लोगों के, प्रार्थना-पत्र, फोटो प्रति नोटिस, ए.डी., ग्राम पंचायत का पत्र दिनांक 03.05.2012 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप मंे प्रस्तुत किया है। अप्रार्थीगण की ओर से भागीरथ का शपथ-पत्र, पत्र दिनांक 25.01.2011, जे.ई.एन. रिपोर्ट, डिमाण्ड नोटिस, प्रार्थी का शपथ-पत्र व आवेदन पत्र, एन.ओ.सी. ग्राम पंचायत, स्टाम्प, ए.ई.एन. पत्र दिनांक 06.03.2012, 05.03.2012, एस.सी.ओ., रिवाईज आॅफ आॅर्डर, तकमीना, एस्टीमेट, पत्र एस.सी. दिनांक 14.01.2013, तथ्यात्मक रिपोर्ट शिकायत बाबत दस्तावेजी साक्ष्य के रूप मंे प्रस्तुत किया है।
4. पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
5. प्रार्थी अधिववक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने दिनांक 14.06.2010 को विधि विरूद्ध रूप से अप्रार्थीगण के यहां घरेलू श्रेणी के विद्युत कनेक्शन हेतु आवेदन किया था जिस स्थान पर प्रार्थी ने अपने विद्युत सम्बंध की मांग की वहां पर आज भी 5 विद्युत सम्बंध स्थित है। प्रार्थी का विद्युत सम्बंध भी उक्त स्थान पर ही होना था। परन्तु अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी के बार-बार निवेदन करने के बावजूद भी उक्त स्थान पर विद्युत सम्बंध नहीं किया जा रहा। जबकि अन्य लोगों को विद्युत सम्बंध जारी किये गये है। प्रार्थी आज भी अप्रार्थीगण की लापरवाही व हटधर्मिता के कारण मूल-भूत सुविधा से वंचित है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यह दिया कि प्रार्थी ने जिस स्थान पर विद्युत सम्बंध आवेदन किया था। वह ग्राम पंचायत की भूमि में न होकर खेत की भूमि है जबकि प्रार्थी ने ग्राम पंचायत से नक्शा अपने घर का बनवाया है। राज्य सरकार के नियमों के अनुसार आबादी से दूर बिना भूमि में नियमन के कनेक्शन प्राप्त नहीं दिया जा सकता। जिस स्थान पर प्रार्थी विद्युत सम्बंध चाहता है। उस स्थान पर 5 के.वी. का ट्रांसफार्मर है जिस पर पहले से ही पांच कनेक्शन विद्यमान है। यदि और अधिक कनेक्शन दिये जाते है तो विद्युत भार बढ़ने से ट्रांसफार्मर जल सकता है अर्थात् तकनीकी रूप से प्रार्थी द्वारा आवेदित स्थान पर विद्युत सम्बंध फिजिबल नहीं है। इसलिए दिनांक 25.01.2011 को पत्र द्वारा प्रार्थी का कनेक्शन तकनीकी रूप से नहीं दिये जाने के आधार पर उसके द्वारा जमा करवायी गयी राशि वापिस प्राप्ति हेतु नोटिस दिया गया था। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि अप्रार्थीगण विभाग ने प्रार्थी के प्रकरण पर लोक अदालत की भावना से सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए अन्य स्थान रतनाराम रेगर के खेत में स्थापित 5 के.वी. ट्रांसफार्मर से कनेक्शन देना चाहा तो प्रार्थी व प्रार्थी के परिवार के सदस्यों ने अपनी जिद के चलते कनेक्शन लेने से इन्कार कर दिया। अप्रार्थीगण का कोई सेवादोष नहीं है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
6. हमने उभय पक्षों केे तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में विवादक बिन्दु यह है कि क्या अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी को विद्युत सम्बंध आवेदित स्थान पर न देकर सेवादोष किया है? प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में तर्क दिया कि अप्रार्थीगण विभाग के जे.ई.एन. के पत्र दिनांक 25.01.2011 के अनुसार प्रार्थी द्वारा आवेदित स्थान पर विद्युत कनेक्शन दिया जा सकता था परन्तु अप्रार्थीगण विभाग प्रार्थी की हटधर्मिता के कारण विद्युत सम्बंध नहीं देना चाह रहे है। प्रार्थी अधिवक्ता ने इस सम्बंध में अप्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत जे.ई.एन. के पत्र व शपथ-पत्र की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। जे.ई.एन. के पत्र दिनांक 25.01.2011 जो कि प्रार्थी को जारी किया हुआ था जिसमें यह अंकित किया गया है कि 5 के.वी. टी.पी. पर चार कनेक्शन से ज्यादा कनेक्शन नहीं दिये जा सकते। इसलिए प्रार्थी द्वारा आवेदित विद्युत कनेक्शन निरस्त किया जाता है और राशि प्रार्थी को वापिस लौटायी जाती है। इसी प्रकार अप्रार्थीगण विभाग के सहायक अभियन्ता भागीरथ द्वारा जो शपथ-पत्र दिया गया है उसकी चरण संख्या 4 में यह अंकित किया है कि प्रार्थी जहां विद्युत सम्बंध करवाना चाहता है वहां पर 5 के.वी.ए. का ट्रांसफार्मर 315 मीटर दूर है उस पर पहले से ही 5 विद्युत कनेक्शन है इससे ज्यादा विद्युत कनेक्शन तकनीकी रूप से दिये जाने सम्भव नहीं है। प्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त दस्तावेजों के आधार पर तर्क दिया कि अप्रार्थीगण विभाग के सहायक अभियन्ता द्वारा विरोधाभाषी कथन किये है जिससे यह साबित है कि प्रार्थी द्वारा आवेदित स्थान पर 4 विद्युत कनेक्शन स्थापित थे और 5 वां भी प्रार्थी को दिया जा सकता था। परन्तु अप्रार्थीगण ने अपनी हटधर्मिता व नाजायज राशि की वसूली हेतु प्रार्थी को विद्युत कनेक्शन नहीं दिया। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवादोष है। उक्त आधारों पर परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया।
7. अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि वास्तव में प्रार्थी जहां विद्युत सम्बंध चाहता था। वहां पर पहले से ही 5 विद्युत सम्बंध स्थापित थे। अपनी बहस के समर्थन में अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान तथ्यात्मक रिपोर्ट की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया। उक्त रिपोर्ट में प्रार्थी द्वारा आवेदित स्थान पर प्रार्थी से पूर्व आवेदनकर्ताओं के नाम व विवरण दिये हुये है। जिसमें आवेदक का नाम, मांग पत्र, एस.सी.ओ. जारी करने की तिथी व पुराना कनेक्शन का विवरण दिया हुआ है। उक्त तथ्यात्मक रिपोर्ट में प्रार्थी का नम्बर क्रम संख्या 6 में दर्शाया हुआ है। उक्त तथ्यात्मक रिपोर्ट के अवलोकन से स्पष्ट है कि प्रार्थी द्वारा आवेदित स्थान पर पांच विद्युत कनेक्शन नोरंगराम, मोहरसिंह, लालचन्द, बन्टी, मोहरसिंह पुत्र श्री अर्जुनराम को विद्युत सम्बंध प्रार्थी से पूर्व वर्ष 2009 में दिये गये आवेदन के माध्यम से जुलाई 2010 को दिये जा चूके थे। प्रार्थी ने अपना आवेदन दिनांक 14.06.2010 को पेश किया था जिसमें डिमाण्ड नोटिस दिनांक 07.12.2010 को जारी किया गया था। उक्त तथ्यात्मक रिपोर्ट से स्पष्ट है कि प्रार्थी द्वारा आवेदित स्थान पर पहले से ही 5 कनेक्शन स्थापित थे और तकनीकी व फिजिबल्टी के अनुसार 5 से ज्यादा कनेक्शन नहीं दिये जा सकते। इसी प्रकार स्वंय प्रार्थी ने भी अपने परिवाद की चरण संख्या 2 व 6 में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि प्रार्थी ने जहां से विद्युत सम्बंध की मांग की है। वहां पर पहले से ही 5 कनेक्शन स्थापित है। इसके अतिरिक्त प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत अपने आवेदन पत्र में ऐसा कोई स्थान का उल्लेख नहीं किया हुआ है जहां से प्रार्थी ने विद्युत सम्बंध की मांग की हो। प्रार्थी केवल अप्रार्थीगण की भूल से लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है जबकि प्रार्थी ने अपने परिवाद के समर्थन में ऐसा कोई दस्तावेज व साक्ष्य पेश नहीं किया जिससे यह साबित हो कि अप्रार्थीगण ने प्रार्थी को विद्युत सम्बंध देने में जानबूझ कर व हटधर्मिता का कार्य किया हुआ हो। वैसे भी बड़े आश्चर्य की बात है कि प्रार्थी किसी विशेष स्थान पर विद्युत सम्बंध प्राप्त करने की अपनी जिद पर अड़ा हुआ है। अप्रार्थीगण विभाग प्रार्थी के प्रकरण पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुऐ उसे अन्य स्थान से विद्युत सम्बंध देना चाह रहे थे इस सम्बंध में अप्रार्थीगण विभाग के ठेकेदार मै. रविन्द्र इन्टरप्राईजेज के द्वारा प्रार्थी को कनेक्शन देने बाबत आवश्यक कार्यवाही भी शुरू कर दी थी। सहायक अभियन्ता के पत्र दिनांक 06.03.2013 के अवलोकन से यह तथ्य सामने आया है कि अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के यहां विद्युत सम्बंध स्थापित हेतु अधिशाषी अभियन्ता से संशोधित स्वीकृति प्राप्त कर दिनांक 02.03.2013 को कार्य आदेश संख्या 100/6206 जारी किया गया जिसकी पालना में मैसर्स रविन्द्र इन्टरप्राईजेज व निगम के कर्मचारी ने रतनाराम रेगर के खेत में स्थापित 5 के.वी. ट्रांसफार्मर से दो पी.सी.सी. पोल खड़े कर दिये उसके बाद प्रार्थी व उसके परिवार के सदस्यों ने विरोध करते हुए आगे का कार्य नहीं करने दिया। उक्त कार्यवाही हेतु अप्रार्थीगण ने संडरी जोब आॅर्डर, अधिशाषी अभियन्ता की स्वीकृति, तकनीकी अस्टीमेट, नक्शा आदि दस्तावेज प्रस्तुत किये है। अप्रार्थीगण के उक्त दस्तावेजों से स्पष्ट है कि अप्रार्थीगण ने प्रार्थी को विद्युत सम्बंध देने हेतु काफी प्रयास किया है परन्तु प्रार्थी बिना वजह अपनी जिद पर अड़ा हुआ है। इस मंच द्वारा वर्तमान प्रकरण को दिनांक 10.04.2014 की लोग अदालत में रखा गया था ताकि विवाद का निस्तारण हो। परन्तु लोक अदालत के दौरान प्रार्थी को मंच के द्वारा समझाया गया कि उसे अन्य स्थान रतनाराम रेगर के खेत में स्थापित 5 के.वी. ट्रांसफार्मर से कनेक्शन अप्रार्थीगण विभाग द्वारा दिया जा रहा है परन्तु प्रार्थी अपना विद्युत सम्बंध आवेदित स्थान पर ही लेने हेतु अड़ा रहा। प्रार्थी के आचरण से लगता है कि प्रार्थी वर्तमान प्रकरण में केवल अनावश्यक जिद पर अड़ा हुआ है। अप्रार्थीगण के द्वारा प्रस्तुत उक्त दस्तावेजों के अवलोकन से स्पष्ट है कि अप्रार्थीगण विभाग प्रार्थी को विद्युत कनेक्शन देना चाहते है परन्तु स्वंय प्रार्थी ही अनावश्यक रूप से अपनी जिद पर अड़ा हुआ है। प्रार्थी का प्रकरण सदभाविक प्रतीत नहीं होता। अप्रार्थीगण का कोई दोष नहीं है इसलिए मंच की राय में इस प्रकरण का निम्नानुसार निस्तारण किया जाता है।
अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध अस्वीकार किया जाता है परन्तु प्रकरण के तथ्यों व परिस्थितियों के दृष्टिगत अप्रार्थीगण को यह निर्देश दिया जाता है यदि प्रार्थी अप्रार्थीगण के यहां इस आशय का शपथ-पत्र प्रस्तुत करे कि अप्रार्थीगण नियमानुसार जिस स्थान से विद्युत सम्बंध देगें उसी स्थान से व बिना किसी बाधा के विद्युत सम्बंध प्राप्त करेगा तो प्रार्थी को विद्युत कनेक्शन प्रदान कर दिया जावे। पक्षकारान प्रकरण व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे।
सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 10.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर
सदस्य सदस्या अध्यक्ष