जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
परिवाद संख्या- 176/2012
सेडूराम पुत्र श्री हुकमाराम जाति माली निवासी वार्ड नं. 26, मोहल्ला रामबास सादुलपुर जिला चूरू (राजस्थान)
......प्रार्थी
बनाम
1. सहायक अभियन्ता (षहर) जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड साुदलपुर जिला चूरू
2. जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड पावर हाउस के पास जोधपुर जरिये प्रबन्ध निदेषक
......अप्रार्थीगण
दिनांक- 09.02.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1. श्री जगदीष रावत एडवोकेट - प्रार्थी की ओर से
2. श्री विनोद दनेवा एडवोकेट - अप्रार्थीगण की ओर से
1. प्रार्थी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण से एक विद्युत घरेलू कनेक्सन ले रखा है जिसके खाता सं. 2307-0015-5 है व उपखण्ड कोड 1913 है प्रार्थी नियमित रूप से बिलो की अदायगी करता रहा है। प्रार्थी का विद्युत मीटर क्रमांक 166378 कभी खराब नही रहा जिसकी सील, अंको का दिखावा आदि समस्त सही व दुरूस्त स्थिति मे था सही व वास्तविक उपभोग दिखा रहा था जिसके आधार पर अप्राथी्रगण द्वारा भिजवाये गये समस्त बिलो की अदायगी प्रार्थी ने कर दी है। प्रार्थी ने अंतिम बिल माह फरवरी2012 की अदायगी भी कर दी है।
2. आगे प्रार्थी ने बताया कि दिनांक 26.03.2012 को अप्रार्थीगण ने दुभावनावष मात्र प्रार्थी को तंग परेषान करने के लिए बिना प्रार्थी को नोटिस दिये प्रार्थी से नाजायज राषि वसूल करने के लिए प्रार्थी का सही व दुरूस्त विद्युत मीटर उता कर ले गये व किसी अन्य व्यक्ति के विद्युत मीटर क्रमांक 680944 की वी सी आर में प्रार्थी का नाम पता अंकित करके जबरन अनपढ प्रार्थी के हस्ताक्षर करवा कर गलत व नाजायज कार्यवाही कर प्रार्थी को विद्युत उपभोग से वंचित कर दिया। प्रार्थी द्वारा बार बार समझाने पर भी प्रार्थी की कोई सुनवाई नही की व प्रार्थी से अनुचित राषि की मांग की और प्रार्थी को धमकाया कि हम आपके खिलाफ झुठा मुकदमा दर्ज कर आपको जेल भिजवा देंगे। अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी के विरूद्ध भरी गई उक्त वी सी आर नं. 2919 दिनांक 26.03.2012 में प्रार्थी के घर में चार पंखे, दो कुलर, एक फ्रिज, वाटर पम्पींग मोटर, एक प्रेस, एक टी.वी. पाॅच सी.एफ.एल. आदि उपकरण होने गलतबताये है ये सभी उपकरण किसी अन्य व्यक्ति के विद्युत मीटर क्रमांक 680944 के हो सकते है जबकि प्रार्थी के घर मे इतने विद्युत उपकरण नही है। प्रार्थी ने गर्मी का मौसम होन के कारण आगे आने वाले भयंकर गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए एवं अप्रार्थीगण द्वारा झुठे मुकदमे मे फंसाने की धमकी के डर से व अप्रार्थीगण का विद्युत वितरण में एकाधिकार होने के कारण उपरोक्त गलत वी सी आर की राषि 20497/-रू व रिकनेक्सन चार्ज 200/-रू दिनांक 31.03.2012 को जमा करवा कर विद्युत कनेक्सन प्राप्त कर लिया है। अप्रार्थीगण प्रार्थी के सही व दुरूस्त मीटर क्रमांक 166378 को दुर्भावना वष बिना प्रार्थी को नोटिस दिये उतार कर ले गये व बिना उक्त मीटर की लेबोरेट्री से जाॅच करवाये ही प्रार्थी पर मीटर से छेडछाड करने का गलत व निराधार आरोप लगाकर प्रार्थी से जबरन 20497/-रू का जुर्माना आरोपित कर वसूली कर लिया है जिसे प्रार्थी ब्याज सहित अप्रार्थीगण से प्राप्त करने का अधिकारी है। अप्रार्थीगण विद्युत वितरण के क्षेत्र मे अपना स्वयं एकाधिकार होने का बेजा फायदा उठा कर अपने मनमाना रवैये से निर्दोष उपभोक्ता/प्रार्थी के विरूद्ध किसी अन्य विद्युत मीटर की वी सी आर में प्रार्थी का नाम पता भरकर गलत व नाजायज कार्यवाही कर अनुचित राषि की मांग कर बेगुनाह प्रार्थी को डरा व धमका कर नाजायज रूप से 20497/-रू वसूल करने में सफल हो गये है अप्रार्थीगण की सेवा उपरोक्त समस्त कार्यवाही के सफल हो गये है अप्रार्थीगण की सेवा उपरोक्त समस्त कार्यवाही अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधि व गम्भीर सेवा दोष की तारिफ मे आती है। इसलिए प्रार्थी ने वी.सी.आर. की जुर्माना राशि 20697 रूपये, ब्याज सहित वापिस दिलाने, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय दिलाने की मांग की है।
3. अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश किया कि प्रार्थी के परिसर की सर्तकता दल द्वारा दिनांक 26.03.2012 को जांच करने पर पाया गया कि प्रार्थी मीटर से छेड़छाड़ कर विद्युत का अनाधिकृत उपयोग कर रहा था। जिस पर वी.सी.आर. नम्बर 2919/43 बनाई जाकर उपयोग की गई। विद्युत निर्धारण कर राशि 20497 रूपये निकाले गये। प्रार्थी द्वारा पहला अपराध होने के कारण अपनी गलती स्वीकार कर वी.सी.आर. राशि जमा करवाई गई थी। प्रार्थी के मीटर की जांच करने पर चोरी करता पाया गया था जिस पर मौके पर वी.सी.आर. बनाई गई व राशि का निर्धारण किया गया। प्रार्थी को नोटिस क्रमांक जो.वि.वि.नि.लि./स.अ./सतर्कता/एफ/प्रे. 2791 दिनांक 29.03.12 को भिजवाया जाकर वी.सी.आर. राशि जमा करवाने का लिखा गया था। प्रार्थी द्वारा वी.सी.आर. राशि जमा करवादी गई है जिस कारण प्रार्थी व अप्रार्थीगण में कोई विवाद नहीं रहा है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने की मांग की।
4. प्रार्थी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, खण्डन शपथ-पत्र, बिल की प्रति, वी.सी.आर., नोटिस, मूल लिफाफा, रसीद दिनांक 31.03.12 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थीगण की ओर से वी.सी.आर. की प्रति, राशि निर्धारण प्रपत्र नोटिस, बिल की प्रतियंा, मीटर रीडिंग रिपोर्ट, ए.ई.एन. रिपोर्ट दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये है।
5. पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
6. प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण से एक विद्युत खाता संख्या 2307-0015-5 ले रखा है जिस पर जारी होने वाले बिलों का नियमित रूप से प्रार्थी भुगतान करता रहा है। अप्रार्थी ने दिनांक 26.03.2012 को दुर्भावनावश प्रार्थी को तंग व परेशान करने के उदेश्य से बिना प्रार्थी को नोटिस दिये नाजायज राशि वसूलने हेतु प्रार्थी का मीटर उतार कर ले गये और किसी अन्य व्यक्ति के विद्युत मीटर क्रमांक 680944 की वी.सी.आर. में प्रार्थी का नाम-पता अंकित करके जबरन प्रार्थी के हस्ताक्षर करवा लिये। यह भी तर्क दिया कि अप्रार्थीगण ने उक्त गलत वी.सी.आर. के आधार पर जबरन विद्युत कनेक्शन काट दिया व प्रार्थी को झुठे मुकदमें में फंसाने के डर से वी.सी.आर. की राशि 20497 रूपये, रिकनेक्शन चार्ज के रूप में 200 रूपये जमा करवा लिये व प्रार्थी को दुबारा विद्युत सम्बंध जारी किया। अप्रार्थीगण ने बिना विधिक प्रक्रिया अपनाये किसी अन्य की वी.सी.आर. पर प्रार्थी के हस्ताक्षर करवा कर प्रार्थी का विद्युत सम्बंध काट दिया व प्रार्थी से नाजायज वी.सी.आर. की राशि 20497 रूपये जमा करवा लिये व बार-बार निवेदन करने पर उक्त राशि वापिस प्रार्थी को नहीं लौटायी अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष की श्रेणी में आता है। उक्त आधार पर परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए अपनी बहस में तर्क दिया कि वास्तव में प्रार्थी के यहां विद्युत मीटर क्रमांक 680944 ही वी.सी.आर. के समय स्थापित था जो भुलवश वी.सी.आर. में प्रार्थी का पूर्व मीटर क्रमांक अंकित हो गया। प्रार्थी को अप्रार्थीगण विभाग के द्वारा दिनांक 26.03.2012 को मौके पर मीटर से छेड़छाड़ कर अनाधिकृत विद्युत उपयोग करते हुए पाया गया था। जिस पर सतर्कता दल द्वारा प्रार्थी के विरूद्ध वी.सी.आर. नम्बर 2919/43 बनाई गई व विद्युत निर्धारण कर राशि 20497 रूपये निकाले गये। जिस हेतु प्रार्थी केा दिनांक 29.03.2012 को नोटिस भेज कर उक्त राशि जमा करवाने हेतु निवेदन किया गया। प्रार्थी ने उक्त राशि अप्रार्थीगण विभाग में बिना किसी आपत्ति के जमा करवा दी है और अपना विद्युत विच्छेद पुनः प्राप्त कर लिया है। यह भी तर्क दिया कि चूंकि प्रश्नगत प्रकरण विद्युत चोरी से सम्बंधित है इसलिए इस मंच को यह परिवाद सुनने का क्षैत्राधिकार नहीं है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
7. हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी के यहां दिनांक 26.03.2012 को वी.सी.आर. होना, प्रार्थी द्वारा उक्त वी.सी.आर. के पेटे दिनांक 31.03.2012 को 20497 रूपये जमा करवाना स्वीकृत तथ्य है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यही दिया कि चूंकि प्रकरण वी.सी.आर. से सम्बंधित है जो कि विद्युत चोरी में आता है इसलिए परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। प्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि उक्त वी.सी.आर. अप्रार्थीगण द्वारा जबरदस्ती किसी अन्य व्यक्ति के मीटर की हैं। बसह के दौरान प्रार्थी अधिवक्ता ने वी.सी.आर. दिनांक 26.03.2012 की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। यह सही है कि उक्त वी.सी.आर. में मीटर नम्बर 680944 अंकित किया हुआ है। जबकि प्रार्थी ने अपने द्वारा प्रस्तुत माह फरवरी 2012 के बिल की ओर ध्यान दिलाते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी के यहां जो विद्युत मीटर स्थापित था उसके नम्बर 166378 है। उक्त मीटर नम्बर अन्तर के आधार पर प्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि वास्तव में उक्त वी.सी.आर. किसी अन्य व्यक्ति के मीटर नम्बर की थी जो जबरदस्ती प्रार्थी पर दवाब देकर उसके विरूद्ध बनायी गयी। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस के दौरान इस मंच का ध्यान मीटर रिडिंग रिकाॅर्ड ए.ई.एन. की रिपोर्ट की ओर दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त मीटर रिडिंग रिपोर्ट में हालांकि प्रार्थी के यहां स्थापित मीटर नम्बर 680944 लिखाया गया है व पूर्व मीटर 166378 को क्रेास किया हुआ है। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस के दौरान इस तथ्य को स्वीकार किया है कि वी.सी.आर. दिनांक 26.03.2012 पर स्वंय प्रार्थी के हस्ताक्षर है। प्रार्थी व अप्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के अवलोकन से स्पष्ट है कि जो वी.सी.आर. दिनांक 26.03.2012 भरी गयी थी उसमें मीटर नम्बर के अतिरिक्त अन्य प्रविष्टियां प्रार्थी की ही है जैसे कि प्रार्थी का पूर्ण निवास स्थान का पता, खाता संख्या, स्वीकृत भार इसके अतिरिक्त अप्रार्थीगण अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत नोटिस दिनांक 29.03.12 जो कि प्रार्थी की विरूद्ध मीटर से छेड़छाड़ पर वी.सी.आर. के पेटे निकाला गया था। उसमें भी प्रार्थी का पूर्ण विवरण अंकित है। ऐसी स्थिति में यह तो सही है कि प्रार्थी के विरूद्ध दिनांक 26.03.2012 को वी.सी.आर. भरी गयी थी। प्रार्थी ने उक्त वी.सी.आर. के समय अपने आपत्ति पेश नहीं की। प्रार्थी ने यह अंकित किया है कि उससे जबरदस्ती हस्ताक्षर करवाये है जबकि प्रार्थी ने इस सम्बंध में किसी भी आॅथोरिटी, अधिकारी के समक्ष इस सम्बंध में कोई शिकायत पेश नहीं की। प्रार्थी को दिनांक 29.03.12 को जो नोटिस दिया गया। उस नोटिस के मिलने के बावजूद भी प्रार्थी ने अप्रार्थीगण के समक्ष या अन्य किसी प्राधिकारी के समक्ष कोई आपत्ति पेश नहीं की। विधि अनुसार उक्त नोटिस अप्रार्थीगण द्वारा विद्युत अधिनियम की धारा 126 के तहत जारी किया गया था। जिसके विरूद्ध
प्रार्थी को धारा 127 के अन्तर्गत अपील का अधिकार भी प्राप्त था। उसके बावजूद भी प्रार्थी ने उक्त नोटिस के विरोध में किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं की। उल्टा उक्त नोटिस में वर्णित राशि अप्रार्थी के यहां जमा करवा दी। वर्तमान प्रकरण में वास्तविक विवादक बिन्दु यह है कि क्या प्रार्थी के यहां भरी गयी वी.सी.आर. सही है या गलत। उक्त वी.सी.आर. के गलत साबित होने पर ही प्रार्थी वापिस अपने द्वारा जमा करवायी गयी राशि प्राप्त करने का अधिकारी है जिसका विचारण मंच की राय में संक्षिप्त प्रक्रिया से नहीं किया जा सकता। प्रार्थी उक्त राशि के वापसी हेतु सक्षम विशिष्ट न्यायालय या सिविल न्यायालय में ही चाराजोई कर उक्त राशि वापिस प्राप्त कर सकता है। इस मंच का वी.सी.आर. सही व गलत विवादक को निर्धारण करने का अधिकार प्राप्त नहीं है क्योंकि प्रथम दृष्टया वी.सी.आर. फर्जी प्रतीत नहीं होती। प्रार्थी ने वी.सी.आर. पर अपने हस्ताक्षर स्वीकार किये है। ऐसी स्थिति में माननीय उच्चतम न्यायालय के नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी में वी.सी.आर. के बिन्दु की जांच हेतु उपभोक्ता मचं को सक्षम अधिकार प्राप्त नहीं है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त सिविल अपील संख्या 5466/2012 यू.पी. पावर निगम लिमिटेड बनाम अनीश अहमद में यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत चोरी के अपराध से सम्बंधित प्ररकण जिला मंच के अधिकारीता में नहीं है। वर्तमान प्रकरण भी विद्युत की चोरी से सम्बंधित है। उक्त न्यायिक दृष्टान्त में पैरा संख्या 46 में यह निर्धारित किया कि । ब्वउचसंपदज ंहंपदेज जीम ंेेमेउमदज उंकम इल ंेेमेेपदह वििपबमत नदकमत ेमबजपवद 126 वत ंहंपदेज जीम वििमदबमे बवउउपजजमक नदकमत ेमबजपवदे 135 जव 140 म्समबजतपबपजल ।बजए 2003 पे दवज उंपदजंपदंइसम इमवितम ं बवदेनउमत वितनउण् वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी को अप्रार्थीगण विभाग के सतर्कता अधिकारी द्वारा विद्युत की चोरी करते हुए पाया था। इसलिए वर्तमान प्रकरण के तथ्य उक्त न्यायिक दृष्टान्त में अंकित तथ्यों के अनुसार है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी में खारिज किये जाने योग्य है।
अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पक्षकार प्रकरण का व्यय अपना-अपना वहन करेंगे। प्रार्थी अपना प्रकरण सक्षम आॅथोरिटी या सिविल न्यायालय में पेश करने हेतु स्वतन्त्र है।
सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 09.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर
सदस्य सदस्या अध्यक्ष