Rajasthan

Churu

668/2011

NATHU RAM - Complainant(s)

Versus

J.V.V.N.L. rajgarh - Opp.Party(s)

SANJAY SIHAG

15 Oct 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 668/2011
 
1. NATHU RAM
VPO BAS MAMRAJ NUHARD RAJGARH CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री संजय सिहाग अधिवक्ता उपस्थित।  अप्रार्थीगण की ओर से श्री सुर्य प्रकाश अधिवक्ता उपस्थित। पक्षकारान की बहस सुनी गई। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण से एक विद्युत कनेक्शन जिसके खाता संख्या 2306-0197-8 10 एच.पी. का ले रखा है। प्रार्थी अप्रार्थीगण द्वारा जारी बिलों का समय-समय पर भुगतान करता रहा है। प्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अप्रार्थीगण ने जुलाई 2009 में मनमाने तरीके से विधि विरूद्ध प्रार्थी का उक्त विद्युत सम्बंध 10 एच.पी. के स्थान पर 22.50 एच.पी. कर दिया व पूर्व में जारी बिलों से 50 प्रतिशत बिल राशि बढ़ा कर बिल जारी किये गये। प्रार्थी ने अप्रार्थीगण के यहां अनेक बार उक्त लोड़ के सम्बंध में विरोध किया व प्रार्थी के मीटर की जांच करवाने का निवेदन किया। परन्तु अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के निवेदन पर कोई गौर नहीं किया और बिल यथावत 22.50 एच.पी. लोड़ से ही जारी करते रहे। अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी के मीटर की जांच किये बगैर प्रार्थी को अधिक लोड़ के बिल जारी करना अप्रार्थीगण का सेवादोष है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यह दिया कि प्रार्थी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता नहीं है क्योंकि प्रश्नगत विद्युत सम्बंध प्रार्थी के नाम से नहीं है। यह भी तर्क दिया कि प्रार्थी का विद्युत भार 10 एच.पी. से 15 एच.पी. व 15 एच.पी. से 22.50 एच.पी. बाद जांच ही बढ़ाया गया था। प्रार्थी के यहां स्थापित विद्युत मीटर की जांच करने पर प्रार्थी का विद्युत भार मौके पर 22.50 पाया गया। इसलिए प्रार्थी का यह तर्क मानने योग्य नहीं है कि अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी के मीटर की बिना जांच किये ही विद्युत भार बढ़ा दिया गया। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।

           प्रार्थी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, बिल की प्रति दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये है। अप्रार्थीगण की ओर से भागीरथ सहायक अभियन्ता का शपथ-पत्र, सर्वेयर रिपोर्ट की प्रति दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार से है।

           हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में अप्रार्थीगण अधिवक्ता का मुख्य तर्क यही रहा है कि प्रार्थी अप्रार्थीगण विभाग का उपभोक्ता नहीं है क्योंकि प्रश्नगत विद्युत खाता संख्या 2306-0197-8 प्रार्थी के नाम से नहीं है। प्रार्थी ने उक्त विद्युत कनेक्शन अपने नाम से परिवर्तन करने हेतु कोई प्रार्थना-पत्र भी नहीं दिया। प्रार्थी व अप्रार्थीगण विभाग के मध्य कोई संविदा नहीं हुई। प्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि चूंकि प्रार्थी के पिता के स्र्वगवास के बाद प्रार्थी ही प्रश्नगत विद्युत सम्बंध का उपभोग करता आ रहा है और बिलों का भुगतान करता आ रहा है इसलिए प्रार्थी अप्रार्थीगण विभाग का उपभोक्ता है। उक्त सम्बंध में हम माननीय राष्ट्रीय आयेाग के न्यायिक दृष्टान्त 3 सी.पी.जे. 2012 पेज 65 एन.सी. नीलम छाबड़ा बनाम उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम का उल्लेख कर रहे है। उक्त न्यायिक दृष्टान्त में विद्युत सम्बंध प्रार्थी की बजाय प्रार्थी के पिता के नाम से था। हालांकि प्रार्थी ने विद्युत सम्बंध अपने नाम से करने हेतु प्रार्थना-पत्र विद्युत विभाग में दिया गया था जिस तथ्य को अप्रार्थीगण विभाग ने भी स्वीकृत किया था। परन्तु विद्युत सम्बंध प्रार्थी के नाम से परिवर्तन नहीं हुआ था इसलिए माननीय राष्ट्रीय ने प्रार्थी को उपभोक्ता नहीं माना। उक्त न्यायिक दृष्टान्त के तथ्य वर्तमान परिवाद के तथ्यों से पूर्णत चस्पा होते है। वर्तमान प्रकरण में भी विद्युत सम्बंध प्रार्थी के बजाय उसके पिता के नाम से है और प्रार्थी ने विद्युत परिवर्तन हेतु कोई प्रार्थना-पत्र भी अप्रार्थीगण विभाग में नहीं दिया। इसलिए मंच की राय में प्रार्थी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (1) डी के अनुसार अप्रार्थीगण का उपभोक्ता नहीं है। प्रार्थी का परिवाद उक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी के दृष्टीगत खारिज किये जाने योग्य है।

           अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। पक्षकारान प्रकरण व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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