Rajasthan

Churu

43/2014

KISHANA RAM - Complainant(s)

Versus

J.V.V.N.L. RAJALDESHAR RATANGARH CHURU - Opp.Party(s)

NARENDRA SINGH

28 Oct 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 43/2014
 
1. KISHANA RAM
VPO SINKARALI RATANGARH CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री नरेन्द्र सिंह अधिवक्ता उपस्थित।  अप्रार्थी की ओर से श्री सांवरमल स्वामी अधिवक्ता उपस्थित। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों केा दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण से अपने खेत में कृषि श्रेणी का एक विद्युत कनेक्शन जिसका खाता संख्या 1924-2306-0769 30 एच.पी. का ले रखा है। परन्तु प्रार्थी ने अपने कृषि कुआ पर 20 एच.पी. की मोटर लगा रखी है। 20 एच.पी. से अधिक भार का उपयोग प्रार्थी ने नहीं किया। फिर भी अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के यहां बिना विद्युत भार चैक किये गलत रूप से 20 के बजाय 48 एच.पी. लोड के हिसाब से बिल भिजवाये जा रहे है। आगे प्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण से बार-बार लोड चैक करवाने का निवेदन किया व प्रार्थी के यहां स्वीकृत लोड 30 एच.पी. के स्थान पर 20 एच.पी. करने का निवेदन किया। परन्तु अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के निवेदन पर कोई गौर नहीं किया और प्रार्थी को लगातार 48 एच.पी. का विद्युत भार के हिसाब से विद्युत बिल भेजे जा रहे है। फरवरी माह 2010 का बिल भी प्रार्थी को 48 एच.पी. के अनुसार ही भेजा गया। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यही दिया कि वास्तव में प्रार्थी के यहां विद्युत भार की जांच दिनांक 04.10.2010 को की गयी थी जिसमें प्रार्थी का विद्युत भार 48 एच.पी. पाया गया और वर्ष 2010 से ही प्रार्थी को विद्युत भार 48 एच.पी. के हिसाब से विपत्र भिजवाये जा रहे है। प्रार्थी का यदि विद्युत भार 20 एच.पी. था तो उसके द्वारा प्रार्थना-पत्र देकर नियमानुसार विद्युत भार कम किया जा सकता था। प्रार्थी लगातार वर्ष 2010 से ही 48 एच.पी. विद्युत भार के हिसाब से अप्रार्थीगण के यहां बिल जमा करवा रहा है। इसलिए प्रार्थी पर यहां विबंधन का सिद्धान्त लागु होता है। अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी के प्रकरण में कोई सेवादोष नहीं किया गया। प्रार्थी की ओर आज भी लाखों रूपये बकाया है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।

           प्रार्थी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, बिलों की प्रतियां दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थीगण की ओर से रामकिशन मीणा सहायकत अभियन्ता का शपथ-पत्र, जांच रिपोर्ट दिनांक 04.10.10, 02.12.14, 24.03.15, मीटर रिडिंग कार्ड, प्रार्थना-पत्र, आवेदन-पत्र दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। पक्षकारान की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।

           हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी का विद्युत सम्बंध आवेदन के समय 30 एच.पी. का होना, प्रार्थी द्वारा दिनांक 21.02.2014 को अपना विद्युत सम्बंध 48 एच.पी. से 20 एच.पी. करवाने बाबत आवेदन-पत्र पेश करना स्वीकृत तथ्य है। विवादक बिन्दु केवल यह है कि प्रार्थी का प्रश्नगत खाता संख्या पर विद्युत भार 20 एच.पी. है। प्रार्थी का विद्युत भार 20 एच.पी. है इस तथ्य को साबित करने का भार प्रार्थी पर है। परन्तु प्रार्थी ने अपने परिवाद के सम्बंध में ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह साबित हो कि प्रार्थी के यहां स्थापित विद्युत खाता संख्या पर विद्युत भार 20 एच.पी. हो जबकि इसके विपरित अप्रार्थीगण ने जांच रिपोर्ट व स्वंय प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना-पत्र से यह साबित किया है कि प्रार्थी के यहां दिनांक 04.10.2010 को विद्युत भार 48 एच.पी., जांच रिपोर्ट दिनांक 23.03.2014, 02.12.2014 व 18.03.2014 को विद्युत भार लगभग 33 एच.पी. था। प्रार्थी स्वंय द्वारा अप्रार्थीगण के यहां एक प्रार्थना-पत्र दिनांक 21.02.2014 को पेश किया गया था जिसमें प्रार्थी स्वंय ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि उसके यहां विद्युत लोड 48 एच.पी. है। जबकि मोटर 20 एच.पी. की है जिसे प्रार्थी लोड कम करवाना चाहता है। प्रार्थी के उक्त प्रार्थना-पत्र व संलग्न आवेदन-पत्र से स्पष्ट है कि प्रार्थी के यहां 20 एच.पी. का विद्युत भार कभी नहीं रहा। प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत आवेदन-पत्र पर जांच करने पर भी सहायक अभियन्ता द्वारा दिनांक 18.03.2014 को जो रिपोर्ट पेश की गयी है उसमें भी विद्युत भार 33 एच.पी. पाया गया है। प्रार्थी ने वर्ष 2010 से लगातार 48 एच.पी. के हिसाब से अपने विपत्र भी जमा करवाये है इसलिए हम अप्रार्थीगण अधिवक्ता के उक्त तर्कों से सहमत है कि प्रार्थी पर विबंधन का सिद्धान्त लागू होता है। इसलिए प्रार्थी वर्ष 2010 से फरवरी 2014 तक जारी बिलों में किसी प्रकार का संशोधन या विवाद लाने का अधिकारी नहीं है। परन्तु अप्रार्थीगण के सहायक अभियन्ता की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि प्रार्थी के यहां उसके द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना-पत्र के बाद विद्युत भार की जांच करने पर विद्युत भार 33 एच.पी. पाया गया था जिससे यह तथ्य साबित है कि प्रार्थी के यहां फरवरी में विद्युत भार 48 एच.पी. नहीं था इसलिए इस प्रकरण में प्रार्थी का विद्युत भार फरवरी 2010 से अप्रार्थीगण की रिपोर्ट के अनुसार कम किया जाना उचित है। चूंकि वर्तमान में प्रार्थी का विद्युत भार कितना है इसकि जांच रिपोर्ट पत्रावली पर नहीं है इसलिए इस प्रकरण में मंच की राय में अप्रार्थीगण को निम्न निर्देश दिया जाना न्यायोचित है।

           अतः अप्रार्थीगण को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी को फरवरी 2014 से आदेश की दिनांक तक विद्युत भार 33 एच.पी. मानते हुए संशोधित बिल जारी करेंगे व प्रार्थी के यहां स्थापित मीटर पर विद्युत भार की पुनः जांच करेंगे और भविष्य में उसी जांच के अनुरूप बिल जारी करेंगे। अप्रार्थीगण उक्त आदेश की पालना आदेश की दिनांक से 2 माह के अन्दर-अन्दर करेगा। पक्षकारान प्रकरण व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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