Rajasthan

Churu

522/2011

SMT PARMA DEVI - Complainant(s)

Versus

J.V.V.N.L. RAJALDESAR RATANGARH CHURU - Opp.Party(s)

Dhanna Ram saini

11 Nov 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 522/2011
 
1. SMT PARMA DEVI
VPO KUA GARAM POST ALASAR RATANGARH CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


प्रार्थीया की ओर से श्री धन्नाराम सैनी अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थीगण की ओर से मनीष भारद्वाज अधिवक्ता उपस्थित। प्रार्थीया अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों केा दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थीया ने अप्रार्थीगण से एक विद्युत खाता संख्या 2404-397 प्राप्त किया हुआ है। उक्त कनेक्शन प्रार्थीया ने अपने कृषि कुआ हेतु लिया हुआ है। अप्रार्थीगण द्वारा जारी होने वाले बिल प्रार्थीया के कुए पर उपलब्ध नहीं करवाये जाते इसलिए प्रार्थीया स्वंय ही अप्रार्थीगण के यहां कार्यालय में जाकर बिल जमा करवाती है। दिनांक 06.01.2010 को प्रार्थीया ने 70,000 रूपये अप्रार्थीगण के यहां जमा करवाये। दिनांक 25.03.2010 को अप्रार्थीगण वसूली अभियान के तहत प्रार्थीया के यहां कुआ पर आकर प्रार्थीया की ओर 30,450 रूपये बकाया बताये। प्रार्थीया ने उक्त राशि हेतु अप्रार्थीगण के कर्मचारीयों को दिनांक 26.03.2010 को जमा करवाने का निवेदन किया। परन्तु अप्रार्थीगण के कर्मचारी जबरन प्रार्थीया के विद्युत कनेक्शन काटने पर उतारू थे। प्रार्थीया के निवेदन के बावजूद अप्रार्थीगण ने ट्रांसफार्मर उतार दिया और विद्युत कनेक्शन काट दिया जिस पर प्रार्थीया मजबूरन अप्रार्थीगण के सहायक अभियनता व कनिष्ठ अभियन्ता को नकद 30,450 रूपये जमा करवा दिये और प्रार्थीया को रशीद दूसरे दिन कार्यालय से प्राप्त करने का कहा। प्रार्थीया के पति ने अप्रार्थीगण के कार्यालय में जाकर उक्त रसीद ली व कनेक्शन जोड़ने का निवेदन किया तो अप्रार्थीगण के यहां कार्यरत आदूराम मेघवाल सहायक अभियन्ता ने रिकनेक्शन फीस व 3,000 रूपये की अवैद्य मांग की। जिस पर प्रार्थीया के पति ने दिनांक 26.03.2010 को ही सुबह जाकर रिकनेक्शन फीस जमा करवा दी उसके बावजूद भी प्रार्थीया का विद्युत सम्बंध नहीं जोड़ा गया। प्रार्थीया अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि बार-बार निवेदन करने के बावजूद जब प्रार्थीया का विद्युत सम्बंध नहीं जोड़ा गया तो प्रार्थीया ने इस मंच के समक्ष एक परिवाद संख्या 60/2010 पेश किया जिसमें अप्रार्थीगण को प्रार्थीया का विद्युत कनेक्शन जोड़ने का निर्देश दिया। उसके बावजूद प्रार्थीया का कनेक्शन दिनांक 08.04.2010
को देरीना से जोड़ा गया। प्रार्थीया अधिवक्ता ने यह भी
तर्क दिया कि अप्रार्थीगण की लापरवाही व मनमर्जी के
चलते कनेक्शन काटने से प्रार्थीया के यहां लगी। फसल
पानी के अभाव मे ं खराब हो गयी। अप्रार्थीगण का उक्त
कृत्य सेवादोष है। इसलिए प्रार्थीया अधिवक्ता ने फसल मे ं
हुई नुकसानी हेतु 2,50,000 रूपये मय ब्याज, मानसिक
प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की।
अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थीया अधिवक्ता के
तर्कों का विरोध करते हुए यह तर्क दिया कि प्रार्थीया का
यह तर्क अस्वीकार है कि प्रार्थीया की ओर कोई बकाया
ना हो। दिनांक 25.03.2010 को अप्रार्थीगण निगम के
कनिष्ठ अभियन्ता महेन्द्र कुमार मीणा, वायर मैन आदूराम
मेघवाल, जीप चालक भवंरलाल नाई निगम की बकाया
हेतु प्रार्थीया के यहां कुंऐ पर गये व प्रार्थीया का बकाया
जमा करवाने हेतु निवेदन किया। परन्तु प्रार्थीया व उसके
देवर भगवानाराम ने अपनी ओर कोई बकाया नहीं होने
का कथन करते हुए निगम के कर्मचारी आदूराम मेघवाल
के साथ गाली गलोच शुरू करते हुए मारपीट शुरू कर
दी। जिस पर अप्रार्थीगण निगम प्रार्थीया के देवर के
विरूद्ध पुलिस थाना राजलदेसर में एक शिकायत की
जिस पर पुलिस थाना अधिकारी ने प्रार्थीया के देवर के
विरूद्ध प्रथम सूचना रिपेार्ट 29/2010 दर्ज कर ली।
प्रार्थीया ने उक्त मुकदमा से बचने हेतु तुरन्त ही निगम के
राजलदेसर कार्यालय मंे जाकर बकाया राशि जमा करवा
कर रसीद प्राप्त कर ली। प्रार्थीया ने आदूराम मेघवाल के
विरूद्ध 3,000 रूपये की अनुचित मांग केवल परिवाद को
आधार देने हेतु किया है। प्रार्थीया ने केवल पुलिस की
कार्यवाही से बचने हेतु अपनी ओर बकाया राशि व
रिकनेक्शन फीस अप्रार्थी निगम में जमा करवायी है।
प्रार्थीया ने अपनी फसल की नुकसानी के सम्बंध में केाई
दस्तावेज पेश नहीं किया। नुकसानी हेतु विस्तृत साक्ष्य की
आवश्यक की होती है जिसका संक्षिप्त प्रक्रिया से पता
लगाना सम्भव नहीं है इसलिए परिवाद इस मंच के
क्षैत्राधिकार का नहीं है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज
करने का तर्क दिया।
प्रार्थीया की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, मंच के आदेश की प्रति दिनांक 07.04.2011, बिल माह 12/09, 25.03.2010, जमाबन्दी, गिरदावरी व रसीद दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की है। पक्षकारान की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया।
हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यह दिया है कि चूंकि प्रार्थीया ने परिवाद में मुख्य अनुतोष अपनी फसल की नुकसानी के सम्बध्ंा में चाहा है। परन्तु प्रार्थीया ने अपनी फसल की नुकसानी के सम्बंध में कोई दस्तावेज पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं किया। वैसे भी नुकसानी हेतु विस्तृत साक्ष्य की आवश्यकता होती है जबकि मंच में संक्षिप्त प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसलिए इस मंच का यह परिवाद सुनने का क्षैत्राधिकार नहीं है। प्रार्थीया अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया। वर्तमान प्रकरण में यह स्वीकृत तथ्य है कि दिनांक 25.03.2010 को प्रार्थीया की ओर अप्रार्थीगण निगम का 30,450 रूपये बकाया था। उक्त बकाया की वसूली हेतु अप्रार्थीगण निगम के कर्मचारीयों द्वारा वसूली अभियान के तहत प्रार्थीया के कुएं पर गये तो प्रार्थीया के देवर व अप्रार्थीगण निगम के कर्मचारीयों के मध्य मारपीट व गाली-गलोच हेतु मुकदमा पुलिस थाना राजलदेसर में दर्ज होना भी स्वीकृत तथ्य है। वर्तमान प्रकरण में विवादक बिन्दु यह है कि प्रार्थीया की फसल अप्रार्थीगण की लापरवाही व सेवादोष के कारण खराब हुई है? चूंकि उक्त प्रकरण को सिद्ध करने हेतु यह भी ज्ञात करना आवश्यक है कि दिनांक 25.03.2010 को प्रार्थीया के देवर व अप्रार्थीगण निगम के कर्मचारीयों के मध्य मारपीट व गाली-गलोच क्यों हुई, इसमें दोषी कौन था। इसके अतिरिक्त प्रार्थीया ने अपने खेत में क्या-क्या फसल बीजान्त की है? उस समय फसल की स्थिति क्या थी? प्रार्थीया द्वारा केवल दिनांक 26.03.2010 की गिरदावरी पेश की है जबकि फसल की नुकसानी हेतु गिरदावरी माह अप्रैल की आवश्यक थी। फसल की नुकसानी हेतु पटवारी की भी साक्ष्य आवश्यक है व मारपीट हेतु जो मुकदमा दर्ज हुआ, जिसमें पुलिस द्वारा क्या-क्या साक्ष्य एकत्रित किया गया उक्त पत्रावली भी नुकसानी के निस्तारण हेतु आवश्यक है। वैसे भी शुद्ध रूप से नुकसानी हेतु या रिक्वरी हेतु परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। उपरोक्त कारणों के दृष्टिगत प्रार्थीया के फसल की नुकसानी हेतु विस्तृत साक्ष्य की आवश्यकता होगी जबकि मंच के द्वारा प्रकरण का निस्तारण संक्षिप्त प्रक्रिया के द्वारा किया जाता है। यदि विस्तृत साक्ष्य के माध्यम से प्रार्थीया की नुकसानी के तथ्य का निस्तारण किया जायेगा तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत संक्षिप्त प्रक्रिया से प्रकरणों का निस्तारण करने का उदेश्य का विफल होगा। इसलिए मंच की राय में प्रार्थीया का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध क्षैत्राधिकार के अभाव में खारिज किये जाने योग्य है। अतः प्रार्थीया का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध क्षैत्राधिकार के अभाव में खारिज किया जाता है। पक्षकारान प्रकरण व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे। प्रार्थीया अपने प्रकरण को सक्षम सिविल न्यायालय में प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र है। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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