Rajasthan

Jaipur-IV

CC/90/2013

Sh Sweat Dairy - Complainant(s)

Versus

J.V.V.N.L. Jaipur - Opp.Party(s)

Shyoji Ram Kumawat

26 Nov 2014

ORDER

 

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

 

                      पीठासीन अधिकारी

      डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष

                         डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या

श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

 

परिवाद संख्या:-90/2013 (पुराना परिवाद संख्या 419/2011)

 

श्वेत डेयरी जरिये प्रोपराईटर श्री विकास कुमार पुत्र श्री जगवीरसिंह, जाति गुर्जर, उम्र 33 साल, निवासी- प्लाॅट संख्या एच-127, रीको इण्डस्ट्रीयल एरिया, किषनगढ़ रेनवाल, तहसील फुलेरा, जिला जयपुर ।  

परिवादी

बनाम

01.सहायक अभियन्ताए जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, किषनगढ़ रेनवाल,  
  तहसील फुलेरा, जिला जयपुर ।

02.जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेषक, विद्युत भवन,
  विद्युत मार्ग, ज्योति नगर, जयपुर ।

                                                        विपक्षीगण

 

उपस्थित

परिवादी की ओर से श्री श्योजीराम कुमावत, एडवोकेट

विपक्षीगण की ओर से श्री प्रषान्त कुमार शर्मा, एडवोकेट

 

निर्णय

दिनांकः- 26.11.2014

 

      यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 18.03.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-

परिवादी ने विपक्षीगण से 25 एच.पी. का एक पावर विद्युत कनेक्षन संख्या 0308-0208 दिनांक 30.10.2009 से ले रखा है । जिसके बिलों की अदायगी परिवादी द्वारा नियमित रूप से की जा रही है । विपक्षीगण ने परिवादी को माह दिसम्बर,2009 एवं जनवरी व फरवरी,2010 के बिल क्रमषः 2050, 2732 व 2430 यूनिट तथा 48 दिन, 33 दिन एवं 27 दिन के जारी किये, जिन्हें परिवादी ने जमा करवा दिया ।  इसके बाद विद्युत मीटर जल जाने पर परिवादी ने इसकी सूचना विपक्षी संख्या 1 को देकर मीटर शुल्क 3246/-रूपये दिनंाक 25.02.2010 को जमा करवा दिये । लेकिन विपक्षीगण ने परिवादी के उक्त विद्युत कनेक्षन का मीटर चेन्ज न कर उसे मार्च,2010 का मात्र 20 दिन का बिल बिना मीटर रीडिंग के 3,650 यूनिट, अप्रेल,2010 का 38 दिन का बिल 472 यूनिट एवं मई,2010 को 29 दिन का बिल 1889 यूनिट का भेजा तथा दिनांक 17.06.2010 को स्वीकृत भार से अधिक विद्युत उपभोग करने के आधार पर परिवादी के विरूद्ध झूठी वी.सी.आर. भरी और इसके आधार पर 13,456/-रूपये की मांग नाजायज रूप से की ।

इसके बाद भी विपक्षीगण ने परिवादी के परिसर में लगे विद्युत कनेक्षन का मीटर नहीं बदलकर माह जून, जुलाई एवं अगस्त,2010 के बिल परिवादी को मनमाने तौर पर भेजे और इन बिलों के जमा नहीं कराने पर विद्युत कनेक्षन विच्छेद करने की धमकी दी और परिवादी से 56,000/-रूपये की राषि जमा करवाकर उसकी षिकायत समझौता समिति में तय कर लेने बाबत् कहा । लेकिन इसके पश्चात् भी विपक्षीगण ने परिवादी की कोई सुनवाई नहीं करी और दिनांक 16.03.2011 को नियत तिथी तक 63,066/-रूपये का बिल कतई गलत रीडिंग का भेज दिया । विपक्षीगण का यह कृत्य उनका अनुचित व्यापार व्यवहार एवं सेवादोष है और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 11 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैंु ।

विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में परिवादी को उक्त विद्युत कनेक्षन जारी करने का तथ्य स्वीकार किया गया है । विपक्षीगण द्वारा परिवादी को माह दिसम्बर,2009 तथा जनवरी एवं फरवरी,2010 के बिल विद्युत उपभोग के अनुसार जारी किये गये थे, जिन्हें परिवादी द्वारा जमा भी करवा दिया गया था । परिवादी द्वारा मीटर पठन के अनुसार भेजे गये बिल माह फरवरी,2010 जमा नहीं कराने पर उसके खाते में 10,604/-रूपये की राषि बकाया हो गई । तदुपरान्त परिवादी के विद्युत कनेक्षन का मीटर जल गया और परिवादी द्वारा मीटर की कीमत 3246/-रूपये जमा कराने पर उसके यहां नया मीटर संख्या 8003196 लगा दिया गया, जिसकी प्दपजपंस त्मंकपदह 5077 यूनिट थी तथा बिलिंग माह मार्च,2010 में उक्त मीटर की रीडिंग, मीटर पठन रिपोर्ट के अनुसार 7836 यूनिट आने पर 7836-5077 त्र 2759$891 (ए.वी.जी.) त्र 3650 यूनिट उपभोग का विद्युत बिल भेजा गया एवं बिलिंग माह अप्रेल,2010 में मीटर की रीडिंग 8308 यूनिट आने पर 8308-7836 त्र 472 यूनिट उपभोग का विद्युत बिल परिवादी को भेजा गया । जिसमें परिवादी द्वारा पिछले बकाया सहित माह मार्च,2010 का विद्युत बिल मय एल.पी.एस. के 26,536/-रूपये दिनंाक 27.03.2010 को जमा करवा दिया । लेकिन माह अप्रेल,210 का विद्युत बिल परिवादी द्वारा जमा नहीं करवाया गया जिससे माह अप्रेल,2010 में परिवादी के खाते में बकाया राषि 3062/-रूपये हो गई ।

इसके बाद माह मई,2010 में उक्त मीटर की रीडिंग दिखाई नहीं देने पर परिवादी को 1889 औसत यूनिट का विद्युत बिल भेजा गया । जिसे परिवादी द्वारा जमा नहीं कराने पर उसके खाते में बकाया राषि 11,688/-रूपये हो गई । इसी प्रकार माह जून, जुलाई एवं अगस्त,2010 के बिल परिवादी को औसत यूनिट क्रमषः 2184, 2102 एवं 2058 यूनिट के भेजे गये । जिनमें से परिवादी द्वारा दिनांक             23.07.2010 को 9,803/-रूपये जमा करवाये गये तथा माह अगस्त,2010 तक परिवादी के खाते में शेष बकाया राषि 19,094/-रूपये रह गई । परिवादी को माह सितम्बर,2010 का बिल पूर्व में माह मई,2010 से अगस्त,2010 तक की औसत विद्युत यूनिटों और मीटर मेें पूर्व में दर्ज यूनिटों को समायोजित करते हुए कुल 19431 यूनिट का भेजा गया । जिसे भी परिवादी द्वारा जमा नहीं कराने पर उसके खाते में माह सितम्बर,2010 में बकाया राषि 1,01,123/-रूपये हो गई । माह अक्टूबर,2010 का बिल परिवादी को 2035 यूनिट का भेजा गया । इसके पश्चात् परिवादी की प्रार्थना पर और उसके द्वारा मीटर टेस्टिंग फीस जमा कराने पर परिवादी के परिसर में लगे हुए विद्युत मीटर की जांच कराई गई और परिवादी के परिसर पर नया विद्युत मीटर संख्या 12672 लगाया गया । जिसकी प्दपजपंस त्मंकपदह 21806 यूनिट थी ।

इसके बाद परिवादी ने दिनांक 20.10.2010 को विपक्षीगण के यहां आवेदन प्रस्तुत करके बताया कि बिल अधिक आ रहे हैं, रिकाॅर्ड की जांच करके समझौता समिति में निर्णय करे । परिवादी द्वारा समझौता समिति की राषि 250/-रूपये और उसकी ओर बकाया राषि की आधी राषि 56,000/-रूपये जमा करवाने पर परिवादी का प्रकरण समझौता समिति को भेज दिया गया । विपक्षीगण की समझौता समिति ने दिनंाक 25.02.2011 माह मई,2010 से अगस्त,2010 की मीटर रीडिंग 8,233 यूनिट की राषि समायोजित करने के निर्देष दिये । इस पर उक्त यूनिट्स की राषि की विधिवत् गणना करके परिवादी का दिनंाक 08.03.2011 को क्रेडिट दे दी गई । अब अप्रेल,2011 में परिवादी पर 69,717/-रूपये की राषि विपक्षीगण की शेष रह गई है । जो उसे नियमानुसार जमा करवानी है । विपक्षीगण ने परिवादी को विद्युत सेवा देने और बिल चार्ज करने में कोई सेवादोष कारित नहीं किया है । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।

परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री विकास कुमार ने स्वयं का शपथ पत्र एवं प्रदर्ष-1 से प्रदर्ष-18 दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री तेज सिंह भोज का शपथ पत्र एवं प्रदर्ष ए से प्रदर्ष-सी  दस्तावेज कुल 4 पृष्ठों में प्रस्तुत किये गये ।

बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।

प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध सही मीटर लगाने और उसका विद्युत कनेक्षन विच्छेद नहीं करने बाबत् अनुतोष चाहा है । विपक्षीगण द्वारा परिवादी को भेजे गये बिलों में कोई त्रुटि हो, इस संबंध में परिवादी द्वारा कोई अनुतोष नहीं चाहा गया है । इस संबंध में हमने स्वयं परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजात का अवलोकन किया । जिसके अनुसार दिनंाक 17.06.2010 को परिवादी के परिसर में विद्युत विभाग ने सतर्कता जांच प्रतिवेदन प्रदर्ष-3 तैयार किया था और यह पाया था    कि वह स्वीकृत भार से अधिक विद्युत का उपभोग कर रहा था क्यांेंकि उसका प्रतिष्ठान दूध ठण्डा करने का कार्य करता है । इस आधार पर विपक्षीगण ने परिवादी से 13,456/-रूपये की अतिरिक्त वसूली किये जाने की कार्यवाही प्रदर्ष-2 के माध्यम से की है । इसलिए इस जांच प्रतिवेदन प्रदर्ष-3 के आधार पर विपक्षीगण द्वारा परिवादी से की जा रही वसूली हमारे विनम्र मत में गलत और त्रुटिपूर्ण नहीं कही जा सकती है ।

परिवादी द्वारा जो बिल माह अगस्त,2010 से दिसम्बर,2010 एवं फरवरी,2011 के प्रस्तुत किये गये हैं उनमें से जो बिल अगस्त,2010 से अक्टूबर,2010 के संबंध में भेजे गये हैं, उनमें वर्तमान पठन व गत पठन के आधार पर विद्युत उपभोग की गणना की गई है । परन्तु बाद में अक्टूबर,2010 का प्रदर्ष-8 बिल भेजा गया है जिसमें परिवादी से 1,10,073/-रूपये की मांग की गई थी । इस बिल से व्यथित होकर परिवादी ने विपक्षीगण की समझौता समिति में आवेदन प्रस्तुत कर अपना विवाद निपटाया था और इस समझौता समिति ने मई,2010 से अगस्त,2010 के औसत विद्युत उपभोग के आधार पर बिल सत्यापित नहीं होना पाकर परिवादी को 8,233 यूनिट के विद्युत उपभोग का समायोजन करने के आदेष दिनांक 25.02.2011 को दिये थे । जिसकी रिपोर्ट प्रदर्ष-सी है । इस रिपोर्ट के आधार पर परिवादी के बिल में समायोजन नहीं किया गया हो, इस बारे में भी परिवादी ने पृथक से कोई अनुतोष नहीं चाहा है ।

इसके बाद विपक्षीगण ने परिवादी को दिनांक 16.03.2011 को जो बिल 63,066/-रूपये का दिया है वह गलत रीडिंग के आधार पर जारी किया जाना परिवादी ने कथन किया है । लेकिन परिवादी द्वारा बिल दिनांकित 16.03.2011 प्रस्तुत नहीं किया गया है और उसके अवलोकन के अभाव में यह नहीं कहा जा सकता कि परिवादी को भेजा गया उक्त बिल त्रुटिपूर्ण हैं । इसलिए उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर विपक्षीगण का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होता हैं ।

अतः जो परिस्थितियां सामने आती हैं वह यह है कि परिवादी पर विपक्षीगण के विद्युत बिल की राषि बकाया है और इस राषि को विपक्षीगण परिवादी से नियमानुसार वसूल करने का अधिकार रखते हैं । यदि वास्तव में परिवादी पर विपक्षीगण की कोई विद्युत राषि शेष नहीं है तो विपक्षीगण परिवादी का विद्युत कनेक्षन भविष्य में विच्छेदित नहीं करेंगे और यदि कोई राषि परिवादी पर विपक्षीगण की बकाया है और परिवादी बकाया राषि जमा नहीं करवाता है तो विपक्षीगण नियमानुसार परिवादी का विद्युत कनेक्षन विच्छेद करने की कार्यवाही कर सकते हैं । इसके अतिरिक्त अन्य कोई अनुतोष परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध प्राप्त करने का अधिकारी नहीं ठहरता हैं ।

आदेष

यदि परिवादी पर विपक्षीगण की कोई विद्युत राषि शेष नहीं है तो विपक्षीगण परिवादी का विद्युत कनेक्षन भविष्य में विच्छेदित नहीं करेंगे और यदि कोई राषि परिवादी पर विपक्षीगण की बकाया है और परिवादी बकाया राषि जमा नहीं करवाता है तो विपक्षीगण नियमानुसार परिवादी का विद्युत कनेक्षन विच्छेद करने की कार्यवाही कर सकते हैं । इसके अतिरिक्त अन्य कोई अनुतोष परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध प्राप्त करने का अधिकारी नहीं ठहरता हैं ।

 

अनिल रूंगटा           डाॅं0 अलका षर्मा         डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा

  सदस्य                सदस्या                     अध्यक्ष

 

 

निर्णय आज दिनांक 26.11.2014 को लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

 

 

अनिल रूंगटा           डाॅं0 अलका षर्मा         डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा

  सदस्य                सदस्या                     अध्यक्ष

 

 

 

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