Ram Babu Mali filed a consumer case on 19 Feb 2015 against J.V.V.N.L. Jaipur in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/762/2013 and the judgment uploaded on 16 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-762/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1497/2011)
श्री रामबाबू माली पुत्र श्री गोपाल उर्फ श्री रामगोपाल माली, आयु लगभग 31 वर्ष, ग्राम बोरई, मालियों की ढाणी, पोस्ट पड़ासली, तहसील बस्सी, जिला जयपुर (राजस्थान) ।
परिवादी
बनाम
01. जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, विद्युत भवन, विधान सभा के पास, जयपुर जरिये मुख्य प्रबन्धक ।
02. जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, उपखण्ड बस्सी, जिला जयपुर जरिये सहायक अभियन्ता ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री बाबूलाल शर्मा, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री शरद धाभाई, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः-19.02.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 12.10.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षीगण से एक घरेलु विद्युत कनेक्शन ले रखा हैं । जिसका खाता संख्या 24110203 है और उस पर मीटर संख्या 184537 लगा हुआ है । परिवादी उक्त मीटर के बिलों का भुगतान अविलम्ब करता आ रहा है । विपक्षीगण ने दिनंाक 26.08.2011 को अचानक ही परिवादी को मीटर संख्या 6338437 अंकित करते हुए नियत भुगतान तिथी तक 17,711/-रूपये का बिल भेजा । जबकि इससे पूर्व के समस्त बिल विपक्षीगण द्वारा मीटर नम्बर 184537 के तहत के जारी किये गये थे और परिवादी का विद्युत उपभोग कभी 370/-रूपये से 400/-रूपये से अधिक का नहीं आया था । उक्त विवादित बिल को परिवादी द्वारा विपक्षीगण से लिखित एवं मौखिक निवेदन करने तथा विधिक नोटिस दिनंाकित 23.09.2011 दिलाने के बावजूद विपक्षीगण ने दुरूस्त नहीं किया । जो विपक्षीगण का सेवादोष हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 13 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में परिवादी को उक्त घरेलू विद्युत कनेक्शन जारी करने का तथ्य स्वीकार किया गया है । परिवादी के परिसर पर पहले मीटर नम्बर 184537 के खराब होने पर उसे मीटर चेन्ज आॅर्डर संख्या 23840/44 दिनंाकित 25.11.2010 के द्वारा बदलकर उसके स्थान पर नया मीटर संख्या 6338437 लगा दिया गया था । किन्तु कनिष्ठ अभियन्ता से रिपोर्ट देरी से प्राप्त होने के कारण कम्प्यूटर में मीटर संख्या व मीटर की रीडिंग अगस्त,2011 में दर्ज की गई । मीटर संख्या 6338437 में अगस्त,2011 तक 4,947 यूनिट दर्ज हो चुकी थी । जिसमें दिसम्बर,2010 से जून,2011 के चार औसत बिलों की रीडिंग ( 100 ग 4 त्र 400 यूनिट) समायोजित करते हुए परिवादी को माह अगस्त,2011 का बिल 4,547 यूनिट (4,947-400) का 18,347/-रूपये का नियमानुसार भेजा गया हैं । इसमें विपक्षीगण का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री रामबाबू माली ने स्वयं का शपथ पत्र एवं प्रदर्श-1 से प्रदर्श-13 दस्तावेज कुल 27 पृष्ठों में प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री एम.एल.मीणा एवं श्री रमेश चन्द मीणा के शपथ पत्र एवं प्रदर्श आर-1 एवं प्रदर्श आर-2 दस्तावेज 3 पृष्ठों में प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
परिवादी एवं विपक्षीगण दोनों की ओर से लिखित बहस प्रस्तुत की गई ।
परिवादी की ओर से निम्न न्याय सिद्धान्त पेश किये गयेः-
01ण् प्प् ;2012द्ध ब्च्श्र 165
02ण् प्प् ;2012द्ध ब्च्श्र 166
प्रस्तुत प्रकरण में विपक्षीगण ने परिवादी को जो बिल दिसम्बर,2010 से जून,2011 की अवधि में जारी किये हैं उनमें निश्चित रूप से मीटर संख्या 184537 अंकित हैं । जबकि विपक्षीगण द्वारा दिये गये जवाब के अनुसार परिवादी के परिसर में लगा हुआ मीटर संख्या 184537 दिनंाक 25.11.2010 को ही हटा दिया गया था और उसके स्थान पर मीटर संख्या 6338437 लगा दिया गया था । लेकिन त्रुटिवश विपक्षीगण ने पुराना मीटर नम्बर अंकित करते हुए उक्त अवधि के बिल जारी किये हैं । परिवादी को जो अगस्त,2011 का बिल जारी किया गया है चूंकि वह विद्युत बिल परिवादी द्वारा किये गये वास्तविक उपभोग से संबंध रखता हैं इसलिए इस बिल को निरस्त किये जाने का कोई कारण हमारे समक्ष जाहिर नहीं होता हैं । यद्यपि विपक्षीगण ने गलत मीटर नम्बर दर्ज करके परिवादी को दिसम्बर,2010 से जून,2011 के बिल जारी किये हैं इसलिए सभी परिस्थितियों को देखते हुए विपक्षीगण द्वारा गलत मीटर नम्बर बिल में अंकित करना उनका सेवादोष दर्शाता हैं । क्योंकि अगस्त,2011 के बिल की राशि 17,711/-रूपये परिवादी से विपक्षीगण ने माह दिसम्बर,2010 से जून,2011 की अवधि में भेजे गये चार बिलों के माध्यम से नहीं करके उसके स्थान पर इस सारे विद्युत उपभोग की गणना एक बार में करके बिल अगस्त,2011 भेजा हैं । जिससे परिवादी को उक्त राशि एकमुश्त जमा कराने की एकाएक जिम्मेदारी बनी हैं ।
अतः विपक्षीगण ने परिवादी को माह अगस्त,2011 का एकमुश्त राशि भुगतान का बिल भेजकर सेवादोष कारित किया हैं । इससे परिवादी को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये अर्थात् कुल 7,500/-रूपये सभी परिस्थितियों को देखते हुए न्याय हित में दिलाये जाने के आदेश दिये जाते हैं ।
परिवादी की ओर से जो न्याय सिद्धान्त पेश किये गये हैं उनके तथ्य प्रस्तुत प्रकरण से सुसंगता नहीं रखते हैं अतः उनके पृथक से विवचेन की आवश्यकता नहीं हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी आंशिक रूप से स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि परिवादी विपक्षीगण से उनके उपरोक्त सेवादोष से स्वयं को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षपिपूर्ति के रूप में 5,000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये अर्थात् कुल 7,500/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेंगे ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 19.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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