Rajvir Yadav filed a consumer case on 10 Feb 2015 against J.V.V.N.L. Jaipur in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is cc/28/2013 and the judgment uploaded on 16 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-28/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1202/2011)
श्री राजवीर यादव पुत्र श्री विष्म्भर यादव, निवासी- 11/1326, मालवीय नगर, जयपुर (राजस्थान) ।
परिवादी
बनाम
01. जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिये चैयरमेन, ज्योति नगर, जयपुर ।
02. जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिये सहायक अभियन्ता, मालवीय नगर, जयपुर ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री महावीर सिंह राठौड़/श्री पंकज सिंह, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री संजय शर्मा, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः-10.02.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 17.08.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षीगण से एक घरेलू विद्युत कनेक्षन ले रखा हैं, जिसका खाता संख्या 2105-0104 हैं । विपक्षीगण ने परिवादी को दिनंाक 10.06.2011 का विद्युत बिल औसत के आधार पर 4,363/-रूपये का दिया क्योंकि परिवादी के परिसर पर लगे विद्युत मीटर में रीडिंग पढ़ने में नहीं आ रही थी । इस पर परिवादी ने दिनंाक 19.07.2011 को विपक्षी संख्या 2 को उसके परिसर में स्थापित मीटर खराब होने के तथ्य से अवगत कराते हुए उससे मीटर बदलने का निवेदन किया । लेकिन विपक्षीगण ने परिवादी के परिसर में लगे विद्युत मीटर को नहीं बदला और दिनांक 07.08.2011 को औसत के आधार पर 4,419/-रूपये का बिल दे दिया । जो विपक्षीगण का सेवादोष है और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 11 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में परिवादी को उक्त घरेलू विद्युत कनेक्षन जारी किया जाना स्वीकार किया गया हैं । परिवादी के परिसर पर स्थापित विवादित विद्युत मीटर संख्या 9225181 पर डिस्पले प्लेट पर रीडिंग नहीं दिखने के कारण अर्थात् डिस्पले आउट होने के कारण बिल माह अगस्त,2011 में वास्तविक पठन दर्ज नहीं किया जा सका था । इसलिए अगस्त,2011 का बिल विद्युत निगम के टम्र्स एण्ड कण्डीषन आॅफ सप्लाई,2004 के प्रावधानों के अनुसार औसत के आधार पर 1080 यूनिट का 4,419/-रूपये का नियत भुगतान तिथी तक नियमानुसार जारी किया गया । विवादित विद्युत मीटर को दिनंाक 01.11.2011 को परिवर्तित कर नया विद्युत मीटर संख्या 6904937 जीरों रीडिंग पर परिवादी के परिसर पर स्थापित कर दिया गया हैं । इसके बाद दिसम्बर,2011 का बिल परिवादी को नये विद्युत मीटर में दिनंाक 01.11.2011 से दिनंाक 01.12.2011 तक अंकित रीडिंग 193 यूनिट एवं पुराने विद्युत मीटर में दिनंाक 01.10.2011 से 31.10.2011 तक अंकित रीडिंग 288 यूनिट (जिसका मूल्यांकन औसत आधार पर किया गया है) कुल उपभोग 481 यूनिट का नियमानुसार प्रेषित किया गया है तथा परिवादी द्वारा पिछले बिल की बकाया राषि 3,156/-रूपये सहित कुल राषि 5,159/-रूपये का नियत तिथी तक जारी किया गया है । जिसे परिवादी ने बिना किसी विरोध के पूर्ण संतुष्ट होकर जमा करवा दिया हैं । अतः वर्तमान में परिवादी/उपभोक्ता का कोई विवाद शेष नहीं रह गया हैं । इसलिए परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री राजवीर यादव ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 04 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री नवीन जैन, श्री सुनील कुमार बंसल एवं श्री ओ.पी.आकड़ के शपथ पत्र एवं प्रदर्ष आर-1 से प्रदर्ष आर-7 दस्तावेज कुल 10 पृष्ठों में प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में विपक्षीगण की ओर से परिवादी को जून,2011 में 1059 यूनिट विद्युत उपभोग का 4,363/-रूपये का बिल दिया गया था । जिससे व्यथित होकर परिवादी ने दिनंाक 19.07.2011 को विपक्षी संख्या 2 के कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत किया कि उसके मीटर को सही करवाया जाये । इसके बाद परिवादी को अगस्त,2011 का बिल वर्तमान पठन ’0’ तथा गत पठन ’0’ बताते हुए 1080 यूनिट विद्युत उपभोग के आधार पर जारी किया गया । विपक्षीगण के अनुसार परिवादी को यह विद्युत बिल औसत विद्युत उपभोग की गणना करके दिया गया है । इसलिए उनके द्वारा अगस्त,2011 का बिल जारी करने में कोई त्रुटि नहीं की गई हैं । इसके बाद दिनांक 01.11.2011 को परिवादी का विद्युत मीटर बदल दिया गया और इस संदर्भ में पूर्व में मीटर चैन्ज आॅर्डर दिनांक 19.07.2011 को जारी कर दिया गया था । इस संबंध में समस्त परिस्थितियों का विस्तृत विवरण जवाब के मद संख्या 4, 6 एवं विषेष विवरण के मद संख्या 5 में उपलब्ध हैं । इस गणना की पुष्टि विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत मीटर चैन्ज आॅर्डर प्रदर्ष आर-3 दिनांकित 19.07.2011, प्रदर्ष आर-4 बिल, प्रदर्ष आर-5ए एवं 5बी, प्रदर्ष आर-6 एवं प्रदर्ष आर-7 आदि से होती हैं । अंत में परिवादी को संषोधित बिल दिसम्बर,2011 जारी किया गया हैं । इसलिए विपक्षीगण के स्तर पर परिवादी को किसी भी प्रकार की त्रुटिपूर्ण सेवा उसे बिल अगस्त,2011 जारी करने में की गई हो, यह सिद्ध नहीं हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किये जाने योग्य नहीं हैं और अस्वीकार किया जाता हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 10.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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