Rajasthan

Jaipur-IV

CC/1907/2012

Mohan Lal Jangir - Complainant(s)

Versus

J.V.V.N.L. Jaipur - Opp.Party(s)

Naresh Kumar Sharma & Other

23 Mar 2015

ORDER

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                            पीठासीन अधिकारी
                           डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                          डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
                         श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-1907/2012 (पुराना परिवाद संख्या 336/2010)

श्री मोहनलाल जांगिड़ पुत्र श्री रामसहाय, जाति खाती, निवासी- मु0पो0बिदारा, तहसील शाहपुरा, जिला जयपुर (राजस्थान) । 
परिवादी
बनाम
01. अधीक्षण अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, कार्यालय शाहपुरा, जिला जयपुर ।
02. सहायक अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, कार्यालय शाहपुरा, जिला जयपुर ।
03. कनिष्ठ अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, कार्यालय शाहपुरा, जिला जयपुर ।
विपक्षीगण

उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री नरेश कुमार शर्मा/श्री कृष्ण कान्त, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री कुमुद सिंह, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः-23.03.2015

यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 22.03.2010 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षीगण से एक विद्युत कनेक्शन ले रखा हैं । जिसका बिल विपक्षीगण ने माह अक्टूबर,2009 में औसत विद्युत उपभोग के आधार पर भेजा था और इसमें गत पठन 430 यूनिट एवं वर्तमान पठन 430 यूनिट अंकित था । इसके बाद विपक्षीगण ने दिनंाक 16.10.2009 को परिवादी के विद्युत मीटर संख्या 08240850 में रीडिंग स्पष्ट नहीं आने के आधार पर जांच के लिए भेजा । जिस पर डिस्प्ले साफ नहीं होने की जांच रिपोर्ट आईं । लेकिन विपक्षीगण ने परिवादी का विद्युत मीटर बदलने की चेष्टा नहीं की । और परिवादी को औसत विद्युत उपभोग का बिल माह दिसम्बर,2009 व फरवरी,2010 में भेजा । जो विपक्षीगण का सेवादोष हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 10 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में सभी तथ्यों से इन्कार करते हुए कथन किया गया है कि परिवादी का विद्युत मीटर बन्द था इसलिए उसे औसत विद्युत उपभोग के बिल जारी किये गये थे । इसमें विपक्षीगण का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री मोहनलाल जांगिड़ ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 14 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री सुरेश चन्द महावर का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया ।  
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
परिवादी की ओर से निम्न न्याय सिद्धान्त पेश किये गयेः-
01ण् 1995 क्छश्र 33
02ण् 2008 ;1द्ध ॅस्ब् ;ैब्द्ध 194
03ण् 1996 ;1द्ध ॅस्ब् 137
04ण् 2010 ;1द्ध ैब्ब् 53
05ण् 2001 ॅस्ब् ;व्ब्द्ध 607
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी को विपक्षीगण द्वारा जो विद्युत बिल माह अक्टूबर,2009, दिसम्बर,2009 एवं फरवरी,2010 के भेजे गये हैं उन सब में गत पठन 430 यूनिट एवं वर्तमान पठन 430 यूनिट अंकित हैं । इसलिए उक्त तीनों विद्युत बिल ज्मतउे - ब्वदकपजपवदे वित ैनचचसल व िम्समबजतपबपजल.2004 के नियम  27 ;1द्ध ;पद्धए जो निम्नानुसार है, के अनुरूप विपक्षीगण ने परिवादी से विद्युत बिल वसूल किये हैंः-
त्नसम 27 ;1द्ध ;पद्ध रू.
।सस बवदेनउमते मगबमचज ेमंेवदंस पदकनेजतपंस ंदक ंहतपबनसजनतंस बवदेनउमतेण्
ज्ीम बवदेनउचजपवद व िमसमबजतपबपजल ेींसस इम ंेेनउमक ंे जीम ेंउम ंे तमबवतकमक इल बवततमबज उमजमत वित जीम बवततमेचवदकपदह चमतपवक व िजीम चतमअपवने लमंत वत जीम ंअमतंहम उवदजीसल बवदेनउचजपवद व िजीम चतमअपवने ेपग उवदजीेए ूीपबीमअमत पे ीपहीमतण्
जहां तक इसी प्रकरण में मंच द्वारा दिये गये अंतरिम आदेश दिनांकित       12.05.2010 की अवहेलना करने का प्रश्न हैं इस बारे में विस्तृत आदेश अवमानना याचिका संख्या 124/2012 में पृथक से दिया जा रहा हैं ।
जो न्याय सिद्धान्त परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये हैं उनका कोई उपयोग परिवादी के हितों की पालनार्थ किया जाना सम्भव नहीं हैं क्योंकि परिवादी को विपक्षीगण की ओर से जो बिल भेजे गये हैं वे स्वयं में ही इस बात का प्रतीक और प्रमाण हैं कि परिवादी का विद्युत मीटर चालू नहीं था और इसलिए उसको ज्मतउे - ब्वदकपजपवदे वित ैनचचसल व िम्समबजतपबपजल.2004 के नियम  27 ;1द्ध ;पद्ध के अनुरूप विद्युत बिल भेजे गये थे ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर विपक्षीगण द्वारा परिवादी को भेजे गये माह दिसम्बर,2009 एवं फरवरी,2010 के बिल, जो औसत विद्युत उपभोग के आधार पर भेजे गये हैं, वेे नियमों के अनुरूप हैं और इनको भेजकर विपक्षीगण ने परिवादी के विरूद्ध कोई सेवादोष कारित नहीं किया हैं । इसलिए परिवाद, परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध अस्वीकार किया जाता हैं ।
    आदेश
 अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।

अनिल रूंगटा       डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य                         सदस्या                                    अध्यक्ष


निर्णय आज दिनांक 23.03.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।


अनिल रूंगटा       डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य                        सदस्या                          अध्यक्ष

 

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