Mahendra Kumar filed a consumer case on 10 Feb 2015 against J.V.V.N.L. Jaipur in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/1438/2012 and the judgment uploaded on 17 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-1438/2012 (पुराना परिवाद संख्या 536/2010)
श्री महेन्द्र कुमार पुत्र श्री बद्रीप्रसाद जोशी, निवासी- ग्राम पंच पहाड़ी, तहसील कोठपुतली, जिला जयपुर (राजस्थान) ।
परिवादी
बनाम
01. जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिये अधिशासी अभियन्ता, पता ग्राम शाहपुरा, जिला जयपुर ।
02. जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिये सहायक अभियन्ता, पता- ग्राम पावटा, तहसील कोठपुतली, जिला जयपुर ।
03. कनिष्ठ अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, पता- चैकी गोवर्धनपुरा, तहसील कोठपुतली, जिला जयपुर ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री मनोज जांगिड़/श्री पंकज सिंह, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से बीना चन्द्रावत, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः-10.02.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 03.05.2010 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षीगण से एक घरेलू विद्युत कनेक्शन ले रखा हैं, जिसका खाता संख्या 18040020 हैं । विपक्षीगण द्वारा परिवादी को माह जनवरी,2010 का बिल 6,885/-रूपये का जारी किया गया था । जो सही नहीं था क्योंकि परिवादी ने वास्तव में इतना विद्युत उपयोग ही नहीं किया था । परिवादी उक्त बिल को कम करवाने का प्रयास करता रहा इसलिए वह नियत समय पर यह बिल जमा नहीं करवा सका तो विपक्षीगण ने परिवादी का विद्युत संबंध विच्छेद कर दिया । इसलिए मजबूर होकर परिवादी को जनवरी,2010 के बिल की राषि मय विलम्ब शुल्क 226.80 रूपये जमा करवानी पड़ी और तब परिवादी का विद्युत कनेक्शन चालू किया गया । इसके बाद विपक्षीगण ने परिवादी द्वारा री-कनेक्शन फीस जमा करवा देने के बावजूद भी मार्च,2010 तक उसका विद्युत कनेक्शन चालू नहीं किया तथा मार्च,2010 का बिल 335/-रूपये का गलत रूप से भेज दिया । इस संबंध में परिवादी ने विपक्षीगण को दिनंाक 18.03.2010 को कानूनी नोटिस दिया । जिसका भी विपक्षीगण ने कोई युक्तियुक्त जवाब नहीं दिया ।
इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादी को उसका विद्युत कनेक्शन विच्छेदित होने के बावजूद उसेे विद्युत कनेक्शन विच्छेदित अवधि का मार्च,2010 का विद्युत बिल भेजकर अनुचित व्यापार व्यवहार कर गम्भीर सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 10 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी ने अपने घरेलू विद्युत बिल समय पर जमा नहीं करवाये थे । इसलिए बकाया राशि को जोड़ते हुए परिवादी को 6,885/-रूपये का बिल जारी किया गया था । जो उसने जमा नहीं करवाया तो वसूली अभियान के तहत पोल से परिवादी का विद्युत कनेक्शन काट दिया गया । इसके बाद परिवादी द्वारा बकाया विद्युत राशि 6,885/-रूपये एवं पुनः कनेक्शन फीस जमा करवाने पर विपक्षीगण द्वारा दिनांक 01.02.2010 को आर.सी.ओ.नम्बर 3970/97 जारी किया गया । लेकिन जब विपक्षीगण का कर्मचारी (सीसीए) श्री राजेन्द्र जाट परिवादी का कनेक्शन चालू करने गया तो परिवादी ने ग्राम कारोली में कनेक्षन नहीं लेकर ग्राम पंचपहाड़ी वाले मकान पर कनेक्शन करवाने को कहा, जो सम्भव नहीं था । इसलिए परिवादी का विद्युत कनेक्शन पुनः स्थापित नहीं किया जा सका । अंत में मार्च,2010 में परिवादी को 335/-रूपये का बिल कनिष्ठ अभियन्ता कार्यालय से विलम्ब से सूचना प्राप्त होने के कारण जारी किया गया । जिसे सीसी एण्ड एआर नम्बर 4349/049 दिनांक 09.06.2010 के माध्यम से गलत जारी किया हुआ मानकर राशि क्रेडिट कर दी गई । क्रेडिटशीट की प्रति जवाब के साथ प्रस्तुत की गई हैं । इस प्रकार विपक्षीगण की ओर से कोई सेवादोष कारित नहीं किया गया हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री महेन्द्र कुमार ने स्वयं का शपथ पत्र एवं प्रदर्श-1 से प्रदर्श-8 दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री विजय सिंह एवं श्री डी.के.गर्ग़ के शपथ पत्र एवं 03 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने अपना विद्युत कनेक्शन प्रदर्श-1 बिल की राषि जमा नहीं होने के कारण विपक्षीगण द्वारा विच्छेदित कर देने का कथन किया हैं । लेकिन परिवादी ने प्रदर्ष-2 रसीद के माध्यम से विद्युत कनेक्शन पुनः स्थापित करने की फीस दिनांक 29.01.2010 को जमा करवा दी थी । तदुपरान्त भी विपक्षीगण ने परिवादी को मार्च,2010 में 335/-रूपये का विद्युत बिल जारी किया जबकि तब तक परिवादी का विद्युत कनेक्शन पुनः चालू ही नहीं किया गया था । इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादी द्वारा पुनः कनेक्शन फीस प्रदर्श-2 रसीद के माध्यम से दिनंाक 29.01.2010 को जमा करवा देने के बावजूद भी मार्च,2010 तक उसका विद्युत कनेक्शन पुनः स्थापित नहीं किया तथा मार्च,2010 का 335/-रूपये का विद्युत बिल परिवादी को भेज दिया । इन समस्त तथ्यों को स्वयं विपक्षीगण ने अपने जवाब में मद संख्या 4 में स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हुए दिनंाक 09.06.2010 को गलत जारी किये गये बिल की राशि क्रेडिट भी कर देना स्वीकार किया हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का विद्युत कनेक्षन विच्छेदित होने के बावजूद विपक्षीगण ने परिवादी को मार्च,2010 का 335/ -रूपये का विद्युत बिल गलत रूप से जारी करके सेवादोष कारित किया है । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी विपक्षीगण से स्वयं को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 3,500/-रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं । चूूंकि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को 335/-रूपये का क्रेडिट दे दिया गया हैं इसलिए परिवादी इस संदर्भ में विपक्षीगण से कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि परिवादी विपक्षीगण से उसे विद्युत कनेक्शन विच्छेदित अवधि का विद्युत बिल जारी करने से कारित आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 3,500/-रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं । चूूंकि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को 335/-रूपये का क्रेडिट दे दिया गया हैं इसलिए परिवादी इस संदर्भ में विपक्षीगण से कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं ।
विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेष के एक माह की अवधि में उपलब्ध करायेंगे ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 10.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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