Lal Chand Paliwal filed a consumer case on 25 Mar 2015 against J.V.V.N.L. Jaipur in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/1549/2012 and the judgment uploaded on 08 May 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-1549/2012 (पुराना परिवाद संख्या 988/2010)
श्री लालचन्द पालीवाल पुत्र श्री बालजी पालीवाल, उम्र 60 वर्ष, निवासी- प्लाॅट संख्या 350, अशोकपुरा, रोड नम्बर 1, अजमेर रोड, जिला जयपुर (राजस्थान) ।
परिवादी
बनाम
01. सहायक अभियन्ता, चैमूं हाऊस, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, जिला जयपुर ।
02. चैयरमेन, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, ज्योति नगर, विद्युत भवन, जयपुर जरिये मैनेजिंग डायरेक्टर ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री भूपेन्द्र भारद्वाज/श्री महेश गौत्तम एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री शंकरलाल, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः-25.03.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 04.10.2010 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षीगण से एक घरेलु विद्युत कनेक्शन ले रखा हैं । इस विद्युत कनेक्शन के संबंध में माह जनवरी,2010 में विपक्षीगण ने कोई विद्युत बिल नहीं भेजा । फिर बाद में फरवरी,2010 में परिवादी को उक्त विद्युत कनेक्शन का बिल प्राप्त हुआ जिसमें बिल जारी करने की दिनंाक 09.03.2010 तथा बिल भुगतान की दिनंाक 22.03.2010 थी । इसमें विपक्षीगण ने पिछले माह की विद्युत राशि भी जोड़ दी थी । परिवादी ने दिनंाक 22.07.2010 को 3,531/-रूपये विपक्षीगण के यहां जमा करवा दिये । परन्तु विपक्षीगण ने माह जून,2010 का बिल 4,118.9ृ0 रूपये का भेजा और विपक्षीगण ने परिवादी से कहा कि यह अतिरिक्त राशि जमा करानी पड़ेगी । जिसके संबंध में परिवादी ने 250/-रूपये की रसीद कटवाकर विपक्षीगण के पास आवेदन प्रस्तुत किया तो विपक्षीगण ने कोई भी कार्यवाही नहीं की और परिवादी को केवल मात्र 50 प्रतिशत राशि जमा कराने का आदेश देते हुए डुप्लीकेट बिल जारी कर दिया तथा अगस्त,2010 के बिल परिवादी को 2,141.89 रूपये पिछली बकाया के रूप में बताये तथा नाजायज रूप से परिवादी का विद्युत संबंध विच्छेद कर दिया । जो विपक्षीगण की घोर-लापरवाही और सेवादोष का परिचायक हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 12 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी ने परिवाद में तथ्यों को जान-बूझकर छिपाया हैं । वास्तव में अक्टूबर,2009 के बिल में परिवादी के मीटर की रीडिंग 3290 यूनिट थी और दिसम्बर,2009 में परिवादी का विद्युत मीटर बन्द पाया गया था । इसलिए अक्टूबर,2009 की रीडिंग 3290 यूनिट के बाद औसत विद्युत बिल की गणना की गई और परिवादी को 3531/-रूपये का विद्युत बिल भेजा गया । जिसकी राशि परिवादी को दिनंाक 22.03.2010 तक जमा करानी थी । परिवादी ने उक्त राशि जमा नहीं कराई तो दिनंाक 26.03.2010 को उसका विद्युत कनेक्शन काट दिया गया । इसके बाद परिवादी ने विद्युत कनेक्शन को पुनः चालू करवाने का कोई आवेदन विपक्षीगण के पास नहीं दिया और अपने विद्युत कनेक्शन को बिना विपक्षीगण की अनुमति के चालू करके विद्युत का दुरूपयोग किया । जिसके संबंध में परिवादी को 4,118.80 रूपये का जून,2010 का बिल भेजा गया । जिसके संबंध में परिवादी ने दिनांक 22.07.2010 को विपक्षीगण के पास आवेदन किया तो विपक्षीगण ने विवादित राशि का 50 प्रतिशत जमा कराने के आदेश परिवादी को दिये । यह आदेश सब-डिवीजनल लेबल सेटलमेन्ट कमेटी द्वारा दिया गया। जिसमें विपक्षीगण की कोई त्रुटि नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री लालचन्द पालीवाल ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 10 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री के.एल.पटेल का शपथ पत्र एवं प्रदर्श-1 से प्रदर्श-4 दस्तावेज प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में विपक्षीगण ने परिवादी को फरवरी,2010 का बिल 3,531.68 रूपये का दिनंाक 09.03.2010 को जारी किया था । यह राशि परिवादी को दिनंाक 22.03.2010 तक जमा करवानी थी । लेकिन स्वयं परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज के अनुसार यह राशि परिवादी ने दिनंाक 27.03.2010 को जमा करवाई । इस प्रकार बिल जमा कराने की दिनांक, जो 22.03.2010 थी, वह निकल चुकी थी और विपक्षीगण ने परिवादी का विद्युत कनेक्शन बिल जमा कराने की दिनंाक 22.03.2010 निकल जाने के कारण दिनंाक 26.03.2010 को काट दिया था । इस प्रकार परिवादी ने जब निश्चित समयावधि में विद्युत बिल जमा नहीं करवाया तो नियमानुसार विपक्षीगण ने परिवादी का विद्युत कनेक्शन काट दिया । इसके बाद विपक्षीगण के अनुसार परिवादी ने उक्त विद्युत संबंध विच्छेद के बाद भी विद्युत का उपयोग व उपभोग किया । जिसके चार्ज के रूप में परिवादी से 4,119/-रूपये वसूल किये जाने थे । और इस संबंध में परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध समझौता समिति में आवेदन लेकर आया तो समझौता समिति ने परिवादी को विद्युत दुरूपयोग चार्ज की राशि 4,119/-रूपये को 50 प्रतिशत करने के ओदश पारित कर दियं । यह तथ्य प्रदर्श-1 दस्तावेज से प्रमाणित हैं ।
इसलिए प्रथमतः विपक्षीगण ने परिवादी का विद्युत कनेक्शन विद्युत बिल की राशि समय पर जमा नहीं कराने के आधार पर काटा था और बाद में परिवादी द्वारा विद्युत का जो दुरूपयोग किया गया उसका विद्युत बिल परिवादी को 4,119/-रूपये का भेजा गया तो उसके संबंध में परिवादी ने विपक्षीगण की समझौता समिति में आवेदन दिया । जिसके निर्णय की प्रति प्रदर्श-1 विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत की गई हैं । और इसके अनुसार अब उक्त चार्ज राशि 4,119/-रूपये का 50 प्रतिशत परिवादी से वसूल करने के आदेश प्रदान किये गये हैं । विपक्षीगण की समझौता समिति की इस व्यवस्था में भी किसी भी प्रकार का कोई दोष नजर नहीं आता हैं क्योंकि परिवादी द्वारा विद्युत कनेक्शन कटने के बाद भी विद्युत का दुरूपयोग करना विपक्षीगण ने बताया हैं । इस तथ्य का खण्डन परिवादी के स्तर पर युक्तियुक्त रूप से नहीं किया गया है ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी परिवाद के मद संख्या 12 (क) लगायत (घ) में वर्णित कोई भी अनुतोष विपक्षीगण से प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं क्योंकि विपक्षीगण का कोई भी सेवादोष प्रमाणित नहीं हैं । इसलिए परिवाद, परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध अस्वीकार किया जाता हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 25.03.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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