Krishan Kumar Sharma filed a consumer case on 16 Feb 2015 against J.V.V.N.L. Jaipur in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/178/2014 and the judgment uploaded on 16 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-178/2014 (पुराना परिवाद संख्या 263/2013)
श्री कृष्ण कुमार शर्मा पुत्र स्वर्गीय श्री मातादीन शर्मा, आयु 40 वर्ष, निवासी- ग्राम पावटा, पेट्रोल पम्प के पास, एन.एच.8, तहसील कोठपुतली, जिला जयपुर ।
परिवादी
बनाम
01. सहायक अभियन्ता ;व् - डद्धए जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, ग्राम पावटा, तहसील कोठपुतली, जिला जयपुर ।
02. अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, हैड आॅफिस- विद्युत भवन, ज्योति नगर, जयपुर ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री विष्णुदत्त जोशी, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री राजीव मित्तल, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः- 16.02.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 27.02.2013 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने अपने जीवनयापन के लिए एक दुकान बैल्डिंग वर्क शाॅप, एन.एच.8, ग्राम पावटा, तहसील कोठपुतली, जिला जयपुर में स्थापित कर रखी हैं । इस दुकान पर परिवादी ने विपक्षी से एक एन.डी.एस. खाता संख्या 15080291 ले रखा हैं । जिस पर विपक्षीगण ने परिवादी पर 72,074/-रूपये बकाया बताये थे और विपक्षीगण इस राशि की परिवादी से अवैध वसूली करना चाहते हैं । इस संदर्भ में विपक्षीगण ने परिवादी द्वारा उक्त राशि जमा नहीं कराने पर दिनांक 25.02.2013 को परिवादी का विद्युत कनेक्शन काट दिया । जो उक्त राशि विपक्षीगण की ओर से परिवादी द्वारा बकाया बताई गई थी, उसकी गणना भी विपक्षीगण द्वारा गलत रूप से की गई हैं । इसलिए परिवादी ने इस संदर्भ में विपक्षीगण को दिनंाक 11.02.2013 को कानूनी नोटिस भी दिया था । लेकिन विपक्षीगण द्वारा इस पर भी कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई ।
इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादी पर 72,074/-रूपये बकाया निकालकर और उसका विद्युत कनेक्शन विच्छेदित करके सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 15 में अंकितसभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी ने कभी भी विद्युत उपभोग के बिलों का समय पर भुगतान नहीं किया । इसलिए उस पर 73,730/-रूपये की राशि बकाया हो गई थी । इसके संबंध में विपक्षीगण ने परिवादी को नोटिस दिया लेकिन फिर भी परिवादी ने यह राशि जमा नहीं करवाई । परिवादी के खाते का स्टेटमेन्ट मार्च,2005 से मार्च,2013 प्रस्तुत किया जा रहा है, जो स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है कि परिवादी ने बकाया राशि जमा नहीं करवाई हैं । परिवादी के परिसर में दिनंाक 20.09.2005 को वी.सी.आर भरी गई थी । जिसकी 9,000/-रूपये की राशि परिवादी को जमा कराने के लिए कहा गया था और यह राशि भी परिवादी ने जमा नहीं कराई । फिर परिवादी ने इस बाबत् सिविल न्यायाधीश (क.ख.), कोठपुतली, जिला जयपुर में सिविल वाद प्रस्तुत किया था, जो भी न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया । इसलिए परिवादी पर विपक्षीगण की राशि वाजिब रूप से बकाया हैं । इस कारण उसका विद्युत कनेक्शन त्मेजवतम किया जाना सम्भव नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री कृष्ण कुमार शर्मा ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 25 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री प्रहलाद बैरवा का शपथ पत्र एवं कुल 14 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
विपक्षीगण की ओर से निम्न न्याय सिद्धान्त पेश किये गयेः-
01ण् प्प् ;2011द्ध ब्च्श्र 18 ;छब्द्ध
02ण् प्ट ;2011द्ध ब्च्श्र 333 ;छब्द्ध
03ण् प्ट ;2013द्ध ब्च्श्र 571 ;छब्द्ध
प्रस्तुत प्रकरण में विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुुत लेजर प्रति के अनुसार परिवादी पर मार्च,2013 में विपक्षीगण के कुल 73,730.30 रूपये बकाया बताये गये हैं और पूर्व की अन्य बकाया राशि का भी उल्लेख इसमें हैं । परिवादी ने पूर्व में विपक्षीगण के विरूद्ध एक सिविल वाद सिविल न्यायाधीश (क.ख.), कोठपुतली, जिला जयपुर में प्रस्तुत किया था, जिसमें वह हार गया था । इसलिए उस समय की बकाया राशि के साथ-साथ अन्य बकाया राशि परिवादी से विपक्षीगण द्वारा वसूल की जा रही हैं । और इस संबंध में परिवादी को जनवरी,2013 में 72,074/-रूपये का बिल भेजा गया था । जिसे जमा कराने की कोई रसीद आदि परिवादी की ओर से प्रस्तुत नहीं की गई हैं । परिवादी यह भी बताने में सक्षम नहीं रहा है कि विपक्षीगण द्वारा वसूल की जाने वाली राशि की गणना किस प्रकार से अनियमित और अवैधानिक हैं । परिवादी ने अपने परिवाद में चूंकि अपने जीवन-यापन के लिए विद्युत कनेक्शन लेना बताया हैं इसलिए विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्त प्प् ;2011द्ध ब्च्श्र 18 ;छब्द्ध में उद्रत न्याय सिद्धान्त का प्रयोग परिवादी के विरूद्ध किया जाना सम्भव नहीं हैं । और हमारे विनम्र मत में परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता हैं, यह तथ्य सिद्ध हैं । परन्तु परिवादी से विपक्षीगण द्वारा कोई अवैध वसूली की जा रही हो, यह तथ्य प्रमाणित नहीं हैं ।
अतः पर्याप्त और युक्तियुक्त तथ्यों के अभाव में परिवादी विपक्षीगण का कोई सेवादोष सिद्ध करने में सफल नहीं हो सका हैं । इसलिए परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं और परिवाद, परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 16.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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