Kanaram Raigre filed a consumer case on 11 Feb 2015 against J.V.V.N.L. Jaipur. in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/1301/2013 and the judgment uploaded on 17 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-1301/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1232/2011)
श्री कानाराम रैगर पुत्र श्री रामदेव रैगर, उम्र 80 वर्ष, निवासी- ग्राम पोस्ट मेहला, तहसील दुदु, जिला जयपुर (राजस्थान) ।
परिवादी
बनाम
01. सहायक अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, कार्यालय बगरू, जिला जयपुर ।
02. अधिशासी अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, कार्यालय बगरू, जिला जयपुर ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री विषाल भारद्वाज, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री शरद धाभाई, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः-11.02.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 19.08.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षीगण से एक विद्युत कनेक्शन ले रखा हैं और उसका विद्युत मीटर दो माह पूर्व विपक्षीगण ने बदल दिया था । उस मीटर का नम्बर 927335 था और उसमें 183 यूनिट आ रही थी । विपक्षीगण ने दिनांक 01.08.2010 से दिनंाक 26.05.2011 तक की अवधि में परिवादी को औसत विद्युत उपभोग के बिल जारी किये । जब परिवादी ने विपक्षीगण से वास्तविक विद्युत उपभोग के आधार पर बिल जारी नहीं करने के संबंध में जानकारी चाही तो विपक्षीगण ने परिवादी को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके । इसके बाद विपक्षीगण ने दिनंाक 29.06.2010 को परिवादी को 14,336/-रूपये का बिल भेजा जिसमें विद्युत उपभोग 3681 यूनिट था जबकि परिवादी के बिल में 183 यूनिट ही नजर आ रही थी ।
इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादी को माह जून,2010 का त्रुटिपूर्ण बिल जारी करके सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 16 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी के परिसर में पूर्व में मीटर नम्बर 4944537 लगा हुआ था, जो अगस्त,2010 में 1349 रीडिंग तक चला था और उसका डिस्पले आउट हो गया था इस कारण उसकी रीडिंग बन्द हो गई । इसलिए परिवादी को माह अगस्त,2010 से जून,2011 तक के वि़द्युत बिल औसत विद्युत उपभोग के आधार पर जारी किये गये । तदुपरान्त परिवादी के उक्त मीटर को मीटर चैन्ज आॅर्डर संख्या 7471/09 की पालना में दिनांक 16.05.2011 को मीटर नम्बर 927335 से बदल दिया गया । और पूर्व के मीटर की रीडिंग एच.एच.टी. मषीन से लेने पर 5419 यूनिट आई थी । इसी पुराने मीटर से परिवादी को 1349 यूनिट की बिलिंग की जा चुकी थी । इसलिए परिवादी को जवाब के मद संख्या 4 में अंकित तथ्यों के आधार पर मात्र 3651 यूनिट का बिल वैधानिक रूप से जारी किया गया था । इस बिल में कोई त्रुटि नहीं हैं। अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री कानाराम रैगर ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 13 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री महेश कुमार खण्डेलवाल एवं श्री महेश कृपाल शर्मा के शपथ पत्र एवं कुल 02 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने परिवाद के मद संख्या 13 में माह जून,2010 का बिल 14,336/-रूपये का भेजना अंकित किया हैं । जबकि परिवादी की ओर से जून,2010 के बिल की प्रति प्रस्तुत नहीं की गई हैं । यह बिल केवल 383/-रूपये की राषि से संबंध रखता हैं । इसलिए परिवादी द्वारा अंकित परिवाद के तथ्य व प्रस्तुत किये गये बिल में विरोधाभास हैं । अलबत्ता परिवादी द्वारा अगस्त,2011 का जो बिल 14,336/-रूपये का प्रस्तुत किया गया है वह मीटर संख्या 927335 से संबंध रखता हैं । इसमें वर्तमान पठन 183 यूनिट और गत पठन ’0’ यूनिट बताते हुए कुल उपभोग 3681 यूनिट बताई गई है । इस संबंध में विपक्षीगण ने अपन जवाब के मद संख्या 3, 4 और 6 में सभी परिस्थितियों को स्पष्ट करते हुए बताया है कि परिवादी का पूर्व का मीटर संख्या 4944537 दिनंाक 16.05.2011 को बदल दिया गया था । उसके बाद मीटर संख्या 927335 लगाया गया था । जिसकी प्दपजपंस त्मंकपदह ’0’ थी तथा बाद की रीडिंग 183 यूनिट थी । इसलिए 183 यूनिट के विद्युत उपभोग के साथ-साथ पूर्व के मीटर संख्या 4944537 का डिस्पले आउट होने पर एच.एच.टी. मषीन से रीडिंग लेने पर 5419 यूनिट रीडिंग अंकित की गई थी । जिसमें से औसत विद्युत उपभोग के बिलों का भाग, जो 1951 यूनिट था, को कम करने पर परिवादी से 3,468 यूनिट का विद्युत बिल चार्ज किया जाना शेष था । इसमें नये मीटर की रीडिंग 183 यूनिट जोड़ने पर परिवादी को 3681 यूनिट का बिल भेजा है, जो त्रुटिपूर्ण हैं । साथ ही विपक्षीगण ने यह तथ्य भी स्पष्ट किया है कि यह बिल पूर्व के मीटर नम्बर 4944537 व नये मीटर नम्बर 927335 दोनों के माध्यम से परिवादी द्वारा किये गये विद्युत उपभोग की यूनिट्स बताता हैं ।
अतः उपरोक्त तथ्य जो विपक्षीगण ने अपने जवाब में अंकित किये हैं उनके अनुरूप सभी परिस्थितियों को स्पष्ट नहीं करके परिवादी को 3681 यूनिट का बिल भेजा हैं बल्कि स्वयं विपक्षीगण द्वारा जवाब में अंकित तथ्य के अनुसार परिवादी को 3651 यूनिट उपभोग का बिल भेजा जाना चाहिये था । इसलिए निष्चित रूप से विपक्षीगण ने परिवादी का माह अगस्त,2011 का बिल त्रुटिपूर्ण तरीके से तैयार करके भेजा हैं जो विपक्षीगण का सेवादोष हैं और इस सेवादोष के आधार पर अब परिवादी अगस्त,2011 के बिल के पेटे जमा करवाई गई राषि को विपक्षीगण द्वारा जारी किये जाने वाले संशोधित बिल में समायोजित कराने का अधिकारी हैं । परिवादी को विपक्षीगण के इस सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 3,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये दिलाये जाने के आदेश दिये जाते हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि परिवादी विपक्षीगण से अगस्त,2011 के बिल के पेटे जमा करवाई गई राषि को विपक्षीगण द्वारा जारी किये जाने वाले संषोधित बिल में समायोजित कराने का अधिकारी हैं । परिवादी को विपक्षीगण के उपरोक्त सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 3,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये दिलाये जाने के आदेश दिये जाते हैं ।
विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेष के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेंगे ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 11.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.