Har Sahay Yadav filed a consumer case on 04 Mar 2015 against J.V.V.N.L. Jaipur. in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/06/2012 and the judgment uploaded on 17 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-06/2012(पुराना परिवाद संख्या 175/2009)
श्री हरसहाय यादव पुत्र स्वर्गीय श्री प्रभुराम यादव, उम्र 30 वर्ष, जाति यादव, निवासी-ग्राम कंवरपुरा, चूना वाली ढाणी, कुजोता, तहसील कोठपुतली, जिला जयपुर (राजस्थान) ।
परिवादी
बनाम
01. अध्यक्ष/सचिव, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, ज्योति नगर, विद्युत भवन, जयपुर ।
02. सहायक अभियन्ता (प.व.स.), जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, पावटा, जिला जयपुर ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री गोपाल शास्त्री, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री रामकुमार सिंह, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः-04.03.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 02.02.2009 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने घरेलू विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने के लिए विपक्षी संख्या 2 के यहां मय आवश्यक दस्तावेज आवेदन किया और डिमाण्ड नोट राशि 65,000/-रूपये भी दिनांक 15.09.2004 को विपक्षी संख्या 2 के यहां नकद जमा करवा दी । लेकिन इसके बावजूद विपक्षीगण ने परिवादी को यह परिवाद प्रस्तुत करने की दिनंाक तक विद्युत कनेक्शन जारी कर विद्युत सेवा उपलब्ध नहीं करवाई । इस कारण से परिवादी को अंधकार में जीवन यापन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा हैं । जो विपक्षीगण का अनुचित व्यापार व्यवहार एवं सेवादोष हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 16 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 2 के कार्यालय में विद्युत कनेक्शन के लिए आवेदन नहीं किया गया । बल्कि परिवादी के पिता श्री प्रभुराम द्वारा ग्राम कुजोता खसरा नम्बर 413 के लिए विद्युत कनेक्शन हेतु आवेदन किया गया था । परिवादी के पिता के आवेदन पर विपक्षी संख्या 2 द्वारा मांग पत्र संख्या 719 दिनंाक 05.06.2003 को 75,454/-रूपये का जारी किया गया था । जिसे परिवादी के पिता ने जमा नहीं करवाया तो दिनांक 21.07.2003 को उसे नोटिस दिया गया । लेकिन इसके बाद भी निर्धारित अवधि 30 दिवस में मांग पत्र की राशि जमा नहीं करवाई गई तो आवेदन निरस्त कर दिया गया । इसके बाद परिवादी के पिता द्वारा दिनंाक 10.11.2003 को री-ओपन फीस जमा करवाकर कनेक्शन हेतु कार्यवाही के लिए आवेदन किया गया तो विपक्षी संख्या 2 ने मांग पत्र संख्या 351 दिनंाक 15.05.2004 को 66,485/-रूपये का जारी किया गया, जिसे भी परिवादी के पिता ने जमा नहीं करवाया । इसके बाद तीसरा मांग पत्र दिनंाक 18.08.2004 को 58,300/-रूपये का जारी किया गया । जिसे भी परिवादी के पिता द्वारा दिनंाक 10.09.2004 तक जमा नहीं करवाने पर उसके पिता का आवेदन निरस्त कर दिया ।
इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा परिवादी के पिता को वर्ष 2003 से 2004 तक लगातार मांग पत्र जारी किये जाने के बावजूद उसके द्वारा मांग पत्र की राशि जमा नहीं करवाने के कारण परिवादी के पिता का आवेदन निरस्त कर दिया गया । इसमें विपक्षीगण का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री हरसहाय यादव ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 04 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री प्रभुदयाल सैनी का शपथ पत्र एवं प्रदर्श ए-1 से प्रदर्श ए-5 दस्तावेज प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी के अनुसार उसने डिमाण्ड नोटिस एस्टीमेट की राशि 65,000/-रूपये दिनंाक 15.09.2004 को विपक्षी संख्या 2 के कार्यालय में नकद जमा करवा दी । लेकिन अपने इस कथन की पुष्टि में परिवादी की ओर से उक्त राशि जमा करवाने की कोई रसीद आदि प्रस्तुत नहीं की गई हैं । इसलिए यह प्रमाणित नहीं हैं कि परिवादी ने विपक्षीगण के कार्यालय में विपक्षीगण द्वारा जारी डिमाण्ड नोटिस दिनंाकित 14.07.2004 के क्रम में चाही गई राशि विपक्षीगण के कार्यालय में जमा करवा दी थी । इसके विपरीत विपक्षीगण द्वारा जवाब के मद संख्या 3 मंें अंकित किये गये तथ्यों के अनुसार विपक्षीगण ने परिवादी के पिता को पहला डिमाण्ड नोटिस दिनंाक 05.06.2003 को 75,454/-रूपये का, दूसरा डिमाण्ड नोटिस दिनांक 15.05.2004 को 66,485/-रूपये का एवं तीसरा डिमाण्ड नोटिस दिनंाक 18.08.2004 को 58,300/-रूपये का इसी विद्युत कनेक्शन के लिए जारी किया था । जिसे भी परिवादी के पिता ने जमा नहीं करवाया । इसलिए जब तक परिवादी डिमाण्ड नोटिस की राशि विपक्षीगण के कार्यालय में जमा नहीं करवा देें तक तक परिवादी को विद्युत कनेक्शन दिलाया जाना कैसे सम्भव हो सकता हैं ?
अतः डिमाण्ड नोटिस के अनुरूप परिवादी द्वारा राशि जमा नहीं करवाये जाने के कारण परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने का अनुतोष प्राप्त करने का किसी भी प्रकार से अधिकारी नहीं ठहरता हैं । इसलिए परिवाद, परिवादी स्वीकार किये जाने योग्य नहीं पाया जाता हैं और अस्वीकार किया जाता हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 04.03.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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