Rajasthan

Churu

181/2012

SATYAPAL SINGH - Complainant(s)

Versus

J.V.V.N.L. CHURU - Opp.Party(s)

SOBHA SINGH

01 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 181/2012
 
1. SATYAPAL SINGH
C-87 AGRSEN NAGAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
परिवाद संख्या- 181/2012
सत्यपालसिंह पुत्र श्री सुलतानसिंह जाति राजपूत निवासी सी-87 अग्रसेन नगर चूरू (राजस्थान)
......प्रार्थी
बनाम
1. सहायक अभियन्ता (वितरण) जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, चूरू (राज)
2. चैयरमैन जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, पाॅवर हाउस के पास जोधपुर (राज.)
......अप्रार्थीगण
दिनांक- 29.01.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1. श्री शोभाग सिंह एडवोकेट - प्रार्थी की ओर से
2. श्री सूर्यप्रकाश शर्मा एडवोकेट - अप्रार्थीगण की ओर से
1. प्रार्थी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि प्रार्थी उतरवादी से एक घरेलू विद्युत कनेक्शन जरिये खाता संख्या 2120-55 के ले रखा हैं। प्रार्थी के घर के बाहरी दीवार पर रास्ते की तरफ उतरवादी ने विद्युत मीटर सं. 415527 स्थापित कर रखा है। प्रार्थी ने नियमित रूप से विद्युत उपभोग का बिल चुकाता रहता है एवं विद्युत का कोई विपत्र बकाया नही है एवं प्रार्थी के परिसर के बाहर रास्ते पर मीटर लगा होने के कारण प्रार्थी की मीटर के सम्बंध मे कोई जिम्मेवारी नही बनती है। दिनांक 14.06.2011 को विद्युत विभाग द्वारा प्रार्थी की गैरमौजूदगी मे मीटर उतार कर ले गये एवं दूसरा मीटर स्थापित कर दिया एवं मीटर की जाॅच करना बताया गया है जबकि प्रार्थी के घर पर कोई जाॅच नही की गई सिर्फ मीटर उतार कर ले गये और नया मीटर लगा दिया गया था। जब मीटर जाॅच 14.06.2011 को ही कर ली गई थी तो मीटर उसी दिन क्यो नही बदला गया। आठ माह बाद मीटर बदलकर वसूली निकालने का क्या औचित्य है।
2. प्रार्थी के घर के बाहर स्थापित मीटर संख्या 415527 जिस वक्त उतारा गया था उस वक्त मीटर की सील सही पाई गई थी इसलिए अगर मीटर धीमा चलता है तो प्राथी की कोई जिम्मेवारी नही है क्योकि मीटर विद्युत विभाग द्वारा लगाया गया था। मीटरकी जाॅच रिपोर्ट मे सील बगैरह सही होना लिखा है इसलिए अगर सील सही लगी हुई है तो फिर मीटर के धीमें चलने के सम्बंध
में उपभोक्त को किस आधार पर जिम्मेवार ठहराया जा सकता है इस लिये
विभाग द्वारा प्रार्थी उपभोक्ता के विरूद्ध निकाली गई ऐवरेज राषि 6653.55
रूपये एकदम गलत रूप से निकाली गई है। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य
सेवादोष है इसलिए प्रार्थी ने निकाली गई वूसली राशि 6,653.55 रूपये निरस्त
करने, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है।
3. अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश किया कि प्रार्थी को
अपना विवाद पहले समझोता समिति के समक्ष रखकर स्टेच्यूटरी रेमेडी नही की
फस्र्ट रेमेडी अवेल किये बिना निगम के खिलाफ कोई परिवाद नहीं किया जा
सकता है। प्रार्थी का प्रकरण विजिलेन्स दिनांक 27.02.2012 एवं वी.सी.आर. की
राषि व वी. सी. आर. निरस्त करवाने बाबत पेष किया गया है जो विद्युत चोरी
वी सी आर कम्पाउडैबल नही होने के कारण माननीय मंच के क्षेत्राधिकार का
नहीं है खारिज किये जाने योग्य है। प्रार्थी विद्युत आपूर्ति सेवा के सम्बध मे
नहीं प्रार्थी निगम से लगातार विद्युत आपुर्ति प्राप्त करना आ रहा है इसलिए
विद्युत आपूर्ति अधिनियम 25 बी0 के अनुसार राषि का भुगतान कराये बिना
प्रार्थी निगम के खिलाफ कानूनन कार्यवाही करने का अधिकारी नहीं है इसलिए
वाद चलने योग्य नही है। निगम एक लिमिटेड कम्पनी है जिसमें पब्लिक मनी
लगी हुई है उपभोक्ता का दायित्व है कि निगम के बकाया विद्युत बिल के
भुगतान को अगर विपत्र मनी रोकता है तो पब्लिक मनी रूक जावेगी आमजन
को मुकदमा करने का बढावा मिलेगा।
4. आगे अप्रार्थीगण ने जवाब दिया कि उतरवादीगण की विजिलेन्स दल द्वारा
प्रार्थी के आवास पर जांच विद्युत मीटर की प्रार्थी व गवाह की उपस्थ्तिि मे
हीटर लाॅड पर निष्पक्ष सही जाॅच की तो विद्युत मीटर दौराने जाॅच धीमा पाये
जाने के कारण विजिन्स अधिकारी द्वारा मौके पर प्रार्थी के नाम से वी सी आर
गवाह व प्राथी की उपस्थिति मे भरी है प्रार्थी का विद्युत मीटर धीमा पाये जाने
के कारण विजिलेन्स अधिकारी द्वारा प्रार्थी का विद्युत मीटर उतार कर उसके
स्थान पर नया विद्युत मीटर स्थापित किया गया उतारे गये मीटर को जाॅच
हेतु लेबोरेट्री में जाॅच हेतु भेजा गया मीटर जाॅच लेबोरेट्री मे प्रार्थी का विद्युत
मीटर लैब में जाॅच 84.44 प्रतिषत धीमा चलता पाया गया जिस पर
उतरवादीगण द्वारा प्रार्थी का े विद्युत नियमानुसार मीटर मे ं दर्ज पूर्व के 6माह के
उपभोग के अन्तर उपभोग राषि का निर्धारण किया गया जो राषि 6653.55रू
है उतरवादीगण द्वारा विद्युत अधिनियम के अन्तर्गत मीटर धीमा चलते पाया
जाने के कारण अन्तर उपभोग की राषि का निर्धारण की सूचना दी गई जो
जरिये नोटिस 02/21.04.2012 को दी गई है उक्त नोटिस के साथ प्रार्थी की
वी सी आर सीट व मीटर लैब की जाॅच रिर्पोट भिजवाई गई है प्रार्थीको अपना
पक्ष रखने का समुचित अवसर दिया गया है उतरवादीगण द्वारा प्रार्थी के साथ
विद्युत अधिनियम के अन्तर्गत प्रक्रिया अपनाई है विद्युत वी सी आर के मामले
के लिए विषेष न्यायालय का प्रावधान है संक्षिप्त विचारण के जरिये विद्युत वी
सी आर की राषि व वी सी आर निरस्त नहीं की जा सकती है प्रार्थी निर्धारण के खिलाफ प्रार्थी को धारा 127 विद्युत अधिनियम के तहत अपीललेट आॅथोरिटी में निर्धारण की अवधी के तीस दिवस में अपील करनी चाहिए थी। प्रार्थी ने कोई अपील नही की है माननीय मंच उक्त निर्धारण व वी सी आर को निरस्त नही कर सकता न ही माननीय मंच अपीलेट आॅथोरिटी है प्रार्थी ने गलत व मनगढत तथ्य दर्ज कर रासस्व राषि न चुकाने की नीयत से परिवाद पेष किया है जो परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
5. प्रार्थी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, बिल की प्रति, नोटिस दिनांक 02.04.2012, वी.सी.आर. की प्रति दिनांक 27.02.2012, लैब रिपोर्ट दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी के खाता विवरण, जांच रिपोर्ट, नोटिस की प्रति, रिडिंग चार्ट की प्रति, मीटर जांच रिपोर्ट दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है।
6. पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
7. प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण विभाग से एक विद्युत कनेक्शन संख्या 2120-55 ले रखा है जिसका कोई विपत्र बकाया नहीं है। मीटर बाहर होने के कारण मीटर के सम्बंध में प्रार्थी का कोई उत्तरदायित्व नहीं है दिनांक 14.06.2011 को विद्युत विभाग द्वारा प्रार्थी की गैरमौजूदगी में मीटर उतार लिया गया व नया मीटर स्थापित कर दिया गया। अप्रार्थीगण विभाग द्वारा प्रार्थी को उतारे गये मीटर की जांच लैब रिपोर्ट में करवाने के आधार पर ऐवरेज राशि 6,653.55 रूपये जमा करवाने के सम्बंध में नोटिस दिया गया जो विधि विरूद्ध है। प्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रार्थी के मीटर की जांच अप्रार्थीगण द्वारा मौके पर नहीं की गयी। यदि मीटर धीरे चलता है तो इसमें प्रार्थी का कोई दोष नहीं है। जांच रिपोर्ट में मीटर के साथ छेड़-छाड़ की कोई रिपोर्ट नहीं है। अगर मीटर अपने स्तर पर ही धीरे चलता है ता उसके लिये प्रार्थी को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए अप्रार्थीगण विभाग द्वारा निकाली गयी राशि विधि विरूद्ध व अवैध होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है। उक्त आधार पर परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य आधार यही लिया कि प्रार्थी का प्रकरण दिनांक 27.02.2012 को अप्रार्थी विभाग द्वारा भरी गयी वी.सी.आर. की राशि बाबत है और वी.सी.आर. की राशि को निरस्त करने हेतु परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। प्रार्थी को अप्रार्थीगण विभाग द्वारा जारी नोटिस के विरूद्ध धारा 127 विद्युत अधिनियम के तहत अपील आॅथोरिटी में अपील पेश करनी चाहिए क्योंकि प्रार्थी के यहां स्थापित मीटर की जांच करने पर मीटर 84.44 प्रतिशत धीमा चलता पाया गया जिस पर अप्रार्थीगण द्वारा नियमानुसार 6 माह के उपभोग के अन्तर की उपभोग राशि का निर्धारण किया गया जो राशि 6,653.55 रूपये वसूली योग्य
बनना पायी गयी जिसका नोटिस प्रार्थी को जारी किया गया। यह भी तर्क दिया कि प्रार्थी का मीटर बदलने पर नये मीटर की रिडिंग 980 व 600 दर्ज हुई है। इससे स्पष्ट है कि प्रार्थी का मीटर धीरे चलता था जो विद्युत चोरी का अपराध है। इसलिए परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
8. हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने मुख्य तर्क यही दिया कि प्रार्थी का परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने बहस के दौरान इस मंच का ध्यान सतर्कता जांच प्रतिवेदन दिनांक 27.02.2012 व नोटिस दिनांक 02.04.2012 की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। जांच प्रतिवेदन जो कि दिनांक 27.02.2012 को प्रार्थी के यहां स्थापित मीटर के सम्बंध में है। उक्त जांच रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने यह अंकित किया कि प्रार्थी के परिसर पर लगे मीटर का लोड़ चैक करने पर मीटर धीरे चलता पाया गया व पूर्व में भी रिपोर्ट के अनुसार मीटर धीरे चलना पाया गया था। एम.डब्लू.एम. 03/464 के अनुसार मीटर बदला गया। बदले हुए मीटर की लैब रिपोर्ट भेज कर आगे कार्यवाही की जावे। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने उक्त जांच रिपोर्ट के आधार पर तर्क दिया कि प्रार्थी का मीटर जांच रिपोर्ट में भेजा गया। जांच रिपोर्ट में प्रार्थी का मीटर 84.44 प्रतिशत धीमा चलना पाया गया जिसका नियमानुसार अन्तर के उपभोग की राशि का निर्धारण किया जाकर कुल वसूल योग्य राशि 6,653.55 रूपये बनना पायी जिस हेतु प्रार्थी को दिनांक 02.04.2012 को नोटिस मय सतर्कता जांच रिपोर्ट व मीटर लैब टेस्ट रिपोर्ट सहित भेजकर जमा करवाने का निवेदन किया गया। प्रार्थी ने उक्त राशि अप्रार्थीगण विभाग में जमा नहीं करवायी। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रार्थी के प्रकरण का विद्युत अधिनियम की धारा 126 के तहत निर्धारण किया गया है जिसके विरूद्ध प्रार्थी विद्युत अधिनियम की धारा 127 के तहत अपील आॅथोरिटी के यहां निर्धारण की अवधि के 30 दिवस के अन्दर-अन्दर कर सकता था। इस मंच को धारा 126 के तहत निर्धारण की गयी राशि के विरूद्ध परिवाद सुनने का क्षैत्राधिकार नहीं है। प्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि स्लो मीटर के आधार पर निकाली गयी वसूली की राशि के सम्बंध में इस मंच का क्षैत्राधिकार है परन्तु मंच प्रार्थी अधिवक्ता के उक्त तर्कों से सहमत नहीं है क्योंकि माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने न्यायिक दृष्टान्त सिविल अपील संख्या 5466/2012 यू.पी. पावर निगम लिमिटेड बनाम अनीश अहमद में पैरा संख्या 30 में यह अभिनिर्धारित किया कि विद्युत का अनाधिकृत प्रयोग का धारा 126 विद्युत अधिनियम 2003 के अन्तर्गत अन्तिम एसेसमेन्ट करना अर्द्धन्यायिक निर्णय है। इसलिए ऐसा निर्णय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (1) ई0 के अन्तर्गत नहीं आता। अर्थात् ऐसा विवाद उपभोक्ता विवाद नहीं हैं। वर्तमान प्रकरण में भी प्रार्थी का मीटर जांच रिपोर्ट में
स्लो चलना पाया गया हैं जो कि विद्युत का अनाधिकृत उपयोग है जिसका अप्रार्थीगण निगम द्वारा अन्तर्गत धारा 126 के तहत अन्तिम निर्धारण किया जाकर प्रार्थी को नोटिस भिजवाया गया जिसके विरूद्ध विधि अनुसार प्रार्थी को धारा 127 विद्युत अधिनियम के अन्तर्गत अपील आॅथोरिटी के समक्ष करनी चाहिए थी। उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त के तथ्य वर्तमान प्रकरण पर पूर्णत चस्पा होते है इसलिए मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं होने के आधार पर खारिज किये जाने योग्य है।
अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पक्षकार प्रकरण का व्यय अपना-अपना वहन करेंगे। सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर सदस्य सदस्या अध्यक्ष निर्णय आज दिनांक 29.01.2013 को लिखाया जाकर सुनाया गया। सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर सदस्य सदस्या अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.