Rajasthan

Churu

24/2012

PURNMAL - Complainant(s)

Versus

J.V.V.N.L. CHURU - Opp.Party(s)

NARENDRA SINGH

20 Jan 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 24/2012
 
1. PURNMAL
VPO BINASAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री नरेन्द्र सिंह राठौड़ अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थी की ओर से श्री मनीष भारद्वाज अधिवक्ता उपस्थित। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण विभाग से एक विद्युत सम्बंध जिसका खाता संख्या 2209-0107-4 लिया हुआ है। अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी को माह दिसम्बर 2011, अक्टुबर 2011, अगस्त 2011 व फरवरी 2011 के विवादित बिल प्रेषित किये। जिसकी शिकायत प्रार्थी ने अप्रार्थीगण से की परन्तु अप्रार्थीगण ने उक्त बिलों को दुरूस्त किये बगैर माह दिसम्बर 2011 के बिल में पिछले बिलों की बकाया राशि 26837.08 रूपये मय सरचार्ज बिना किसी जांच व सुनवाई के गलत आधार पर अंकित कर प्रार्थी को बिल जारी किया जबकि प्रार्थी ने दिनंाक 17.06.2011 को अप्रार्थीगण के यहां अपने मीटर की जांच हेतु नकद 35 रूपये अदा कर मीटर की जांच करवाने का निवेदन किया। परन्तु अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के मीटर की जांच नहीं करवाई। अप्रार्थीगण द्वारा बिना विद्युत मीटर की जांच किये अप्रार्थीगण को गलत आधार पर विद्युत विपत्र जारी किये। अप्रार्थीगण को उक्त कृत्य सेवादोष की श्रेणी में आता है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार कर माह दिसम्बर 2011 में बकाया राशि निरस्त करते हुए मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि चूंकि अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के प्रार्थना-पत्र पर कार्यवाही करते हुए माह अगस्त 2011 से दिसम्बर 2012 तक के जारी बिलों की राशि को संशोधित कर अन्तर राशि 38614.70 रूपये क्रेडिट कर प्रार्थी को माह फरवरी 2013 का बिल जारी किया गया। इस प्रकार उक्त राशि क्रेडिट होने पर प्रार्थी का परिवाद निस्फल हो चूका हैं। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि प्रार्थी की ओर माह जून 2011 से दिसम्बर 2014 तक की अवधि का वास्तविक उपभोग राशि 26859 रूपये बकाया विभाग की निकलती है। उक्त आधारों पर अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
प्रार्थी की ओर से परिवाद के समर्थन मे ं स्वंय
का शपथ-पत्र, बिल माह अक्टुबर 2010 से दिसम्बर 2011
की फोटो प्रति, रसीद दिनांक 17.06.2011 की प्रति
दस्तावेजी साक्ष्य के रूप मे ं प्रस्तुत की है। अप्रार्थीगण की
ओर से प्रार्थी का प्रार्थना-पत्र दिनांक 24.12.2012,
कार्यालय की नोटशीट, मीटर रिपोर्ट कार्ड व खाते की
प्रति दस्तावेजी साक्ष्य के रूप मे ं प्रस्तुत की है। पत्रावली
का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया। मंच का निष्कर्ष इस
प्रकार है।
हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया।
अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यही
दिया कि प्रार्थी का परिवाद विवादित राशि क्रेडिट करने
के आधार पर निस्फल हो चूका है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता
द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन किया। प्रार्थना-पत्र
जो कि दिनांक 24.12.12 का है जो प्रार्थी द्वारा अप्रार्थीगण
विभाग को अपने विद्युत बिलों को ठीक करने के सम्बंध में
दिये गये है। अप्रार्थीगण विभाग द्वारा प्रस्तुत नोटशीट का
अवलोकन किया गया। उक्त नोटशीट के अवलोकन से
स्पष्ट है कि अप्रार्थीगण विभाग द्वारा प्रार्थी को जारी
विवादित बिलों को दुरूस्त करने हुए माह अगस्त 2011 से
दिसम्बर 2012 तक के बिलों में कुल 38614.62 रूपये की
छुट्ट प्रदान करने हुए उक्त राशि बिल माह फरवरी 2013
में क्रेडिट कर दी। उक्त दस्तावेजों के अनुसार स्पष्ट है
कि प्रार्थी द्वारा वांछित अनुतोष अप्रार्थीगण विभाग द्वारा
दिया जा चूका है। प्रार्थी के विद्युत खाता का अवलोकन
करने पर यह भी स्पष्ट है कि प्रार्थी की ओर विभाग का
आज भी विभाग का 25,944 रूपये बकाया निकलता है जो
अप्रार्थीगण विभाग प्रार्थी से प्राप्त करने का अधिकारी है।
अप्रार्थीगण अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों व दिये गये
तर्कों के दृष्टिगत अप्रार्थीगण विभाग का वर्तमान परिवाद
में कोई सेवादोष प्रकट नहीं होता इसलिए प्रार्थी का
परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य
है।
अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध
अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पत्रावली फैसला
शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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