Rajasthan

Churu

26/2013

NAND KISHOR - Complainant(s)

Versus

J.V.V.N.L. CHURU - Opp.Party(s)

Shiv Singh

11 Nov 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 26/2013
 
1. NAND KISHOR
VPO RATANNAGAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
परिवाद संख्या-  26/2013
नन्दकिषोर पुत्र श्री जयदेव जोशी जाति ब्राहमण निवासी रतननगर तहसील व जिला चूरू (राजस्थान)                       
..........प्रार्थी
                                 बनाम
 
1.    सहायक अभियन्ता (ग्रामीण) जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड चूरू
2.    अधिक्षण अभियन्ता जोधपुर विद्युत वितरण लिमिटेड, चूरू
                                                   .............अप्रार्थी
दिनांक- 27.02.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1.    श्री ंिषव सिंह एडवोकेट     - प्रार्थी की ओर से
2.    श्री सूर्यप्रकाष एडवोकेट     - अप्रार्थी की ओर से
 
1.    प्रार्थी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि प्रार्थी नन्दकिषोर पुत्र श्री जयदेव जाति ब्राहमण निवासी रतननगर तहसील व जिला चूरू (राजस्थान) का मूल निवासी हैं जो कि मेहनत मजदूरी कर अपने पविार का पालन पोषण करता है। परिवादी द्वारा अप्रार्थीगण से एक घरेलू विद्युत कनेक्शन ले रखा हैं जिसके वर्तमान खाता संख्या 2301-0028 है तथा वर्तमान मीटर नं. 9682403 है, ले रखा है। परिवादी द्वारा अप्रार्थीगण से ली जाने वाली विद्युत सेवाआंे के बदले सेवा शुल्क के रूप में विद्युत विपत्र नियमित रूप से जमा कवाए जाते आ रहे है। प्रार्थी द्वारा ली जाने वाली सेवाओ के बदले सेवा शुल्क अदा किये जाने के कारण से प्रार्थी एवं अप्रार्थीगण के मध्य सेवादाता एवं उपभोक्ता के सम्बंध चले आ रहें है।
2.     प्रार्थी ने आगे बताया कि प्रार्थी द्वारा अप्रार्थीगण से ली जाने वाली सेवाओ के बदले में सेवा शुल्क के रूप में विद्युत बिल नियमित रूप से जमा करवाए जाते आ रहे थे कि अप्रार्थीगण ने अपनी मनमर्जी के चलते मई 2012 का जो विद्युत बिल प्रार्थी को भेजा गया वह निराधार एवं मनंगढत रूप से 6438.15/- रूपये का भेजा गया जिस पर प्रार्थी द्वारा अप्रार्थीगण से सम्पर्क कर पूछा गया तो अप्रार्थीगण के कर्मचारीयो ने प्रार्थी को बताया कि आपका बिल पिछले बिलो के आधार पर भेजा गया है और आपके इस बिल की राषि को जमा करवाना ही होगा। इस पर प्रार्थी द्वारा अप्रार्थीगण के कर्मचारीयो को बताया गया कि मेरे पिछले बिलो के औसत बिल के आधार पर भी यदि वर्तमान बिल भेजा है तो भी मेरा बिल इतना नही बनता। प्रार्थी द्वारा बार बार बताए जाने के उपरान्त भी अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी का मई 2012 का विद्युत बिल 6438.15/-रू भेजा गया जबकि प्रार्थी द्वारा अपने घर पर किसी प्रकार का कोई ऐसा भारी विद्युत उपकरण भी काम मे नही लिया गया। जिससे प्रार्थी का विद्युत उपयोग बढे फिर भी अप्रार्थीगण द्वारा प्र्रार्थी को अकाल्पनिक बिल भेजा गया जिसे जमा करवाने मे प्रार्थी असमर्थ हो गया। जिस पर अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी से पार्ट पेमेन्ट के रूप मे उक्त विवादित बिल पेटे 3300/-रू जमा लिए गये और कहा गया कि यदि आप उक्त पार्ट पैमेन्ट जमा नही करवाओगे तो आपका विद्युत सम्ब्ंध काट दिया जावेगा। इस प्रकार अप्रार्थीगण द्वारा भेजा गया मई 2012 का विद्युत बिल काबिले निरस्तनीय है जिसे निरस्त फरमाया जावें। प्रार्थी अप्रार्थीगण द्वारा भेजे जाते रहे विवादित बिल से पूर्व के समस्त बिल अपने नियम समय पर जमा करवाता चला आ रहा है। जिसके चलते अप्रार्थीगण प्रार्थी मे किसी प्रकार का कोई बकाया नही रहा है। फिर भी अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के विवादित बिल को दुरूस्त करने से इन्कार कर दिया इसलिए प्रार्थी ने बिल माह मई 2011 में वर्णित विवादित राशि को निरस्त करनें व मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है।
3.     अप्रार्थीगण ने जवाब पेश कर बताया कि उतरवादीगण द्वारा परिवादी को विद्युत नियमानुसार सही विद्युत बिल जारी किये है। परिवादी द्वारा जो विद्युत उपभोग अपने आवास पर की हैं उसी आधार पर विद्युत बिल नियमानुसार जारी किये गये है। उतरवादीगण द्वारा परिवादी को मई 2012 में 6438.60/- रूपये का विद्युत बिल सही नियमानुसार जारी किया गया है। अॅाडिट की राशि निकाल कर सही जारी किया गया है परिवादी का विद्युत मीटर फरवरी 2011 में जून 2011 तक खराब रहने के कारण आर्डर द्वारा 1409 यूनिट की राशि छक् 4824़ म्क् 564त्र 5388 क्त् होने थे जिसमें 4824/- रू ही क्त् हुए है परिवादी के पुराने यूनिट अनुसार आडिट द्वारा 1409 यूनिट की राशि निकाली गई है उतरवादीगण द्वारा नियमानुसार बिल जारी किये गये है जिस विद्युत राशि को चुकाने का दायित्व परिवादी का है परिवादी में उतरवादीगण की राशि बकाया चल रही हैं परिवादी ने अपना विवाद पहले समझौता समक्ष रखना चाहिए था जो परिवादी ने नही रखा। परिवादी ने गलत तथ्य दर्ज कर परिवाद पेश किया है जो परिवाद मय खर्चा खारिज योग्य है।
4.     प्रार्थी की ओर से दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में स्वयं का शपथ पत्र, विवादित बिल की प्रति, प्रस्तुत की है अप्रार्थी की ओर से खाता विवरण की प्रति दस्तावेजी साक्ष्य के रूप मे प्रस्तुत की हैं।
5.     पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
6.     प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस मे परिवाद के तथ्यो को दोहराते हुए तर्क दिया कि उसके द्वारा अप्रार्थीगण से एक विद्युत सम्बंध जिसका खाता संख्या 2301-0028 लिया हुआ है। जिसमें प्रार्थी समय समय पर नियमित रूप से प्राप्त होने वाले विद्युत बिलो का भुगतान करता है। अप्रार्थीगण ने बिना प्रार्थी  को नोटिस दिये बिना आधार के मई 2012 के बिल में 4824/-रू पिछे की बकाया अंकित करते हुए बिल जारी कर दिया और उक्त राशि जबरन दबाव देकर जमा करवाने के लिए मजबूर किया गया जिस पर प्रार्थी ने मजबूरीवश विद्युत सम्बंध के कटने के डर से विवादित बिल की राशि की आधी राशि अप्रार्थी के यहा जमा करवा दी । प्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रार्थी ने विवादित बिल की आधी राशि जमा करवाने के बाद अप्रार्थीगण से बिल दुरूस्त करने हेतु बार बार निवेदन किया परन्तु अप्रार्थीगण ने न तो प्रार्थी का बिल दुरूस्त किया और न ही विवादित राशि के सम्बंध मे कोई स्पष्टीकरण दिया । अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा है । इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रार्थी अधिवक्ता के तर्को का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यह दिया कि वास्तव में प्रार्थी के यहाॅ स्थापित विद्युत मीटर फरवरी 2011 से जून 2011 तक खराब रहा था जो बाद मे आॅडीट रिपोर्ट द्वारा जाॅच करने पर खराब समय की बकाया यूनिट 1409 की राशि 4824/-रू नियमानुसार प्रार्थी को जारी बिल माह मई 2012 में अकित करते हुए प्रार्थी को जारी किया गया। उक्त राशि राजस्व लोक राशि है जिसे जमा करवाने का दायित्व प्रार्थी का है उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।  
7.     हमने उभय पक्षो के तर्को पर मनन किया वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी अधिवक्ता ने यह तर्क दिया है कि अप्रार्थीगण ने प्रार्थी को जारी बिल माह मई 2011 की विवादित राशि 4824/-रू विधि विरूद्ध अंकित की हैं। अप्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त तर्को का विरोध किया और तर्क दिया की उक्त राशि प्रार्थी का विद्युत मीटर फरवरी 2011 से जून 2011 तक खराब रहने के दौरान की राशि हैंै। प्रार्थी का विद्युत मीटर फरवरी 2011 से जून 2011 तक खराब रहा तथ्य को साबित करने का भार अप्रार्थीगण को है अप्रार्थीगण ने उक्त तथ्य को साबित करने हेतु इस मंच के समक्ष प्रार्थी के विद्युत खाता की प्रति प्रस्तुत की हैं जिसका ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया उक्त खाता विवरण के अवलोकन से यह तथ्य साबित नही हो रहा कि प्रार्थी का विद्युत मीटर फरवरी 2011 से मई 2011 तक खराब रहा हों। अप्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत खाता विवरण का प्रारम्भ जून 2011 से होता है। जबकि अप्रार्थीगण ने प्रार्थी का विद्युत मीटर फरवरी 2011 से जून 2011 तक बताया है। अप्रार्थीगण ने अपने उक्त दस्तावेज के सम्बंध में किसी भी अधिकारी का कोई भी शपथ पत्र प्रस्तुत नही किया ना ही जवाब के सम्बंध मे किसी अधिकारी का कोई शपथ पत्र प्रस्तुत किया इसलिए अप्रार्थीगण विभाग द्वारा प्रस्तुत खाता विवरण विश्वसनीय प्रतित नही होंता अप्रार्थीगण ने पत्रावली पर ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नही किया जिससे यह साबित हो कि प्रार्थी के स्थापित विद्युत मीटर फरवरी 2011 से जून 2011 के दौरान खराब रहा हों । इसके अतिरिक्त अप्रार्थीगण ने प्रार्थी की ओर मीटर खराब के दौरान आॅडीट के दौरान निकाली गई आॅडीट राशि हेतु प्रार्थी को बिना कोई नोटिस दिये सीधे ही उसके विद्युत बिल में अकित कर दिये जबकि विधि अनुसार अप्रार्थीगण को उक्त विवादित राशि वसूली हेतु नोटिस दिया जाना आवश्यक था। अप्रार्थीगण यह तथ्य सिद्ध करने में सफल रहे है कि प्रार्थी के विरूद्ध निकाली गई आॅडीट राशि नियमानुसार सही व उचित है। इसलिए मंच की राय मे अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी के विरूद्ध निकाली गई विवादित राशि 4824 /-रू सीधे बिल में अकित करना अप्रार्थीगण का सेवादोष है इसलिए प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है ।

 

             अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध आशिंक रूप से स्वीकार किया जाकर कर उसे निम्न अनुतोष मंच द्वारा दिया जा रहा है। 

(क) अप्रार्थीगण को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी के विरूद्ध माह मई 2012 के बिल में निकाली गई आॅडीट राशि 4824 /-रू व उस पर लगाये गये सभी पेनेल्टी को निरस्त करे तथा प्रार्थी द्वारा जमा करवाई गई पार्ट पेमेन्ट की राशि को उसके खाते मे समायोजित करें।

(ख) अप्रार्थीगण को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी 2500/-रू मानसिक प्रतिकर व 2500/-रू परिवाद व्यय के रूप मे अदा करें।

             अप्रार्थीगण को आदेष दिया जाता है कि वह उक्त आदेष की पालना आदेष कि दिनांक से 2 माह के अन्दर-अन्दर करेंगे।
 
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
  सदस्य                 सदस्या                     अध्यक्ष                         
    निर्णय आज दिनांक  27.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
    
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
     सदस्य                सदस्या                     अध्यक्ष     
 

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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