Smt. Prema Devi filed a consumer case on 23 Mar 2015 against J.V.V.N. Ltd. in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is cc/1225/2013 and the judgment uploaded on 06 May 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर-चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-1225/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1459/2011)
श्रीमती प्रेमा देवी पत्नी श्री कन्हैयालाल साहू, जाति लुहार, उम्र लगभग 50 वर्ष, शाॅप नम्बर 82, मुक्तानन्द नगर, दुर्गापुरा, जयपुर ।
प्रिवादिनी
बनाम
01. जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, विद्युत भवन, ज्योति नगर, जयपुर जरिये प्रबन्ध निदेशक ।
02. सहायक अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, उपखण्ड-बी-चतुर्थ, दुर्गापुरा, जयपुर ।
03. सहायक अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, केन्द्रीय सतर्कता सैल, रामबाग, जयपुर ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादिनी की ओर से श्री कैलाशीराम गुर्जर/वीरेन्द्र गोयल, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री दिनेश हिसारिया, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः- 23.03.2015
यह परिवाद, परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 15.09.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादिनी ने विपक्षीगण से एक व्यावसायिक विद्युत कनेक्शन मुक्तानन्द नगर, जयपुर की दुकान संख्या 82 में ले रखा हैं । यह दुकान परिवादिनी के जीविकोपार्जन का एक मात्र साधन हैं । दिनंाक 15.08.2011 को परिवादिनी की दुकान में स्थापित विद्युत कनेक्शन में स्थापित विद्युत मीटर में अचानक चिंगारी निकली परन्तु कुछ देर बाद ही उक्त विद्युत मीटर पहले की तरह सही तीनों फेज पर काम करने लग गया । लेकिन मीटर में चिंगारी निकलने पर परिवादिनी को कुछ भ्रम हो गया और उसने अगले ही दिन दिनंाक 16.08.2011 को विपक्षी संख्या 2 के कार्यालय में उसके मीटर में आई खराबी की शिकायत की और संबंधित कनिष्ठ अभियन्ता को अपनी समस्याओं से अवगत करवाया । फिर विपक्षीगण के कनिष्ठ अभियन्ता ने परिवादिनी के विद्युत मीटर की जांच की तो उसमें कमी पाई गई । जिसके लिए मीटर बदलवाने की सलाह परिवादिनी को दी गई । लेकिन इन सब के विपरीत परिवादिनी पर विद्युत चोरी का आरोप लगाकर उसके विरूद्ध वी.सी.आर दिनांक 25.08.2011 को भर दी । और परिवादिनी पर 39,000/-रूपये की शास्ति लगाने तथा शास्ति जमा नहीं करवाने पर उसका विद्युत संबंध विच्छेद करने को कहा गया । इस संबंध में परिवादिनी ने विपक्षीगण से प्रार्थना की । लेकिन परिवादिनी की कोई सुनवाई नहीं की गई ।
इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादिनी से 39,000/-रूपये की अनुचित मांग करके सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादिनी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 12 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी हैं क्योंकि परिवादिनी ने 39,000/-रूपये शास्ति राशि अण्डर-प्रोटेस्ट जमा करवा दी थी ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादिनी के परिसर की केन्द्रीय सतर्कता दल ने दिनंाक 25.08.2011 को जांच करके परिवादिनी द्वारा विद्युत चोरी करना पाया था और उसके विरूद्ध धारा 135 विद्युत अधिनियम में कार्यवाही आरम्भ की गई थी । परिवादिनी पर 39,000/-रूपये का जुर्माना लगाया गया और उसे नियमानुसार नोटिस जारी किया गया था । इसलिए परिवादिनी के विरूद्ध उक्त समस्त कार्यवाही करके विपक्षीगण ने कोई सेवादोष कारित नहीं किया है । अतः परिवाद, परिवादिनी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादिनी श्रीमती प्रेमा देवी ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 14 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री बी.एल.जाट एवं श्री अभय गुप्ता के शपथ पत्र एवं एक पृष्ट दस्तावेज प्रस्तुत किया गया ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादिनी के परिसर में स्थापित विद्युत कनेक्शन के संबंध में दिनांक 25.08.2011 को विद्युत चोरी के संबंध में सतर्कता जांच प्रतिवेदन तैयार किया गया था और उसकी शास्ति के रूप में 39,000/-रूपये की राशि परिवादिनी से वसूल किये जाने के आदेश दिये गये थे । क्योंकि मौके पर आयरन वैल्डिंग की इस दुकान में परिवादिनी द्वारा मीटर को बाईपास करके विद्युत चोरी करना पाया गया था । इस विद्युत चोरी की वी.सी.आर बनाये जाने से पूर्व दिनंाक 16.08.2011 को विपक्षी संख्या 2 सहायक अभियन्ता ने परिवादिनी के विद्युत मीटर की जांच की हो, इस संबंध में कोई दस्तावेजी साक्ष्य परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत नहीं की गई हैं जबकि उसके द्वारा परिवाद के मद संख्या 4 एवं 5 में ऐसा कथन अंकित किया गया है । इसलिए परिवादिनी का यह कथन माने जाने योग्य नहीं हैं कि विपक्षी संख्या 2 सहायक अभियन्ता ने दिनंाक 16.08.2011 को परिवादिनी के विद्युत कनेक्शन की जांच करके उससे किये जा रहे विद्युत उपभोग को सही माना था और परिवादिनी के परिसर में स्थापित विद्युत मीटर की कमियों को दूर करने का आश्वासन परिवादिनी का दिया गया था ।
अतः सभी परिस्थितियों को देखते हुए कुल मिलाकर यह प्रकरण परिवादिनी द्वारा अपने परिसर में लगाये गये विद्युत कनेक्शन का दुरूपयोग करने और वि़़द्युत चोरी करने का मामला सामने आता हैं और इस संबंध में विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी पर शास्ति के रूप में जो 39,000/-रूपये की राशि वसूली योग्य पाई हैं वह हमारे विनम्र मत में सही हैं क्योंकि इसकी गणना विपक्षीगण ने वी.सी.आर. रिपोर्ट के अनुसार नियमानुसार की है और इस राशि को नोटिस दिये जाने के बाद परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के कार्यालय में जमा भी करवा दिया गया हैं । इसलिए हमारे विनम्र मत में विपक्षीगण का कोई सेवादोष परिवादिनी के विरूद्ध वी.सी.आर. भरने और उससे 39,000/-रूपये की वसूली किये जाने को लेकर सिद्ध नहीं होता हैं । अतः परिवादिनी विपक्षीगण के विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं पाई जाती हैं और परिवाद, परिवादिनी अस्वीकार किया जाता हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादिनी विपक्षीगण के विरूद्ध निरस्त किया जाता है ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 23.03.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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