Bholu Ram filed a consumer case on 20 Apr 2015 against J.V.V.N. Ltd. in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is cc/886/2013 and the judgment uploaded on 11 May 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-886/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1195/2011)
01. श्री भोेलू राम पुत्र श्री आनन्द
02. श्रीमती भूरी देवी पत्नी श्री भोलूराम
निवासीयान- ग्राम महेषवास वाया फुलेरा, तहसील सांभर, जिला जयपुर ।
परिवादीगण
बनाम
01ण् जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिये सचिव, विद्युत भवन, जनपथ रोड, जयपुर ।
02ण् सहायक अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, नरेणा, तहसील दुदु, जिला जयपुर ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादीगण की ओर से श्री सुरेषचन्द्र मीणा, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री शरद धाभाई, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः- 20.04.2015
यह परिवाद, परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 12.08.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादीगण ने विपक्षीगण से अपने विद्युत कनेक्षन का लोड बढ़वाने के लिए विपक्षी संख्या 2 के कार्यालय में दिनांक 29.12.2006 को 13,350/-रूपये जमा करावाये । इसके आधार पर विपक्षीगण ने परिवादीगण का विद्युत लोड 13.5 एच.पी. कर दिया और इसी के अनुरूप विपक्षीगण परिवादीगण को विद्युत बिल भेजते रहे । लेकिन परिवादीगण द्वारा विपक्षी संख्या 2 की अनाधिकृत मांगों की पूर्ति नहीं करने पर विपक्षी संख्या 2 ने परिवादीगण का उक्त विद्युत कनेक्षन विच्छेद करने की धमकी दी । इसके बाद विपक्षी संख्या 2 ने परिवादीगण के बोरिंग में लगे विद्युत कनेक्षन को अवैध बताते हुए सतर्कता जांच प्रतिवेदन भरा तथा परिवादीगण का विद्युत लोड 6ण्14 ़ 6ण्14 त्र कुल 12ण्28 एच.पी. अंकित करते हुए परिवादीगण पर 10,000/-रूपये का सतर्कता जांच प्रतिवेदन भर दिया । तदुपरान्त विपक्षीगण ने माह अप्रेल,2011 एवं जून,2011 के बिल परिवादीगण को क्रमषः 11,251/-रूपये एवं 12,495/-रूपये के भेजे । विपक्षी संख्या 2 ने परिवादीगण को बताया कि ’दिनांक 25.08.2010 को सतर्कता जांच प्रतिवेदन में अंकित राषि 10,000/-रूपये उक्त बिलों की राषि में जोड़ी गई हैं । अगर आप उक्त बिलों की राषि जमा नहींे कराओगे तो आपका विद्युत कनेक्षन विच्छेद कर दिया जायेगा ।’
इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादीगण को त्रुटिपूर्ण बिल भेजकर तथा विद्य़ुत कनेक्षन काटने की धमकी देकर सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादीगण अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 11 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने के अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया हैं कि परिवादी श्री भोलूराम तथा श्रीमती भूरी देवी के संयुक्त आवेदन पर नियमानुसार दिनांक 29.12.2006 को 13,350/-रूपये परिवादीगण के कृषि विद्युत कनेक्षन का भार 12.5 एच.पी. करने को जमा कराये गये थे और उनका संबद्ध भार 12.5 एच.पी. कर दिया गया था । इस विद्युत भार से परिवादीगण को दो कूओं को संचालित करना था । परन्तु जब परिवादीगण के विरूद्ध वी.सी.आर. भरी गई तो वहीं पर नियमानुसार दो मोटर चलते हुए पाई गई । जिनकी स्वीकृति परिवादीगण द्वारा नहीं दिखाई गई । विपक्षीगण ने परिवादीगण से कोई भी अवैधानिक मांग नहीं की । इस प्रकार दिनांक 25.08.2010 को जांच करने पर विपक्षीगण ने पाया कि परिवादीगण ने स्वीकृत भार 12.5 एच.पी. से दो बोरिंगों से 6.14 ए.पी. तथा 6.14 एच.पी. विद्युत का उपभोग किया । इसलिए परिवादीगण के विरूद्ध वी.सी.आर. भरी गई और उन्हें नोटिस भेजा गया । परिवादीगण को दो मोटर चलाने की स्वीकृति नहीं दी गई थी । इसलिए विपक्षीगण का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादीगण निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादीगण श्री भोलूराम एवं श्रीमती भूरी देवी ने स्वयं के शपथ पत्र एवं कुल 07 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये। जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री मनोज कुमार गुप्ता एवं श्री सीताराम जांगिड़ के शपथ पत्र प्रस्तुत कियेे गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
परिवादीगण की ओर से लिखित बहस प्रस्तुत की गई ।
प्रस्तुत प्रकरण मेें परिवादीगण के अनुसार उसने दिनांक 29.12.2006 को 13,350/-रूपये जमा करवाकर विपक्षीगण से 13.5 एच.पी. विद्युत भार स्वीकृत करवाया था । इस संबंध में परिवादीगण की ओर से 13,350/-रूपये की रसीद दिनांकित 29.12.2006 प्रस्तुत की गई हैं । परिवादीगण का विद्युत भार विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण को भेजे गये विद्युत बिल दिनांकित 15.04.2011 एवं 15.06.2011 में 13.5 एच.पी. दर्षाया गया हैं । इससे भी यह सिद्ध होता हैं कि परिवादीगण ने दिनांक 29.12.2006 को 13,350/-रूपये की राषि 13.5 एच.पी. का विद्युत भार स्वीकृत कराने के लिए जमा कराई थी और इसके अनुरूप विपक्षीगण ने परिवादीगण को 13.5 विद्युत भार का उपभेाग करने हेतु अधिकृत कर दिया था ।
इसके बाद विपक्षीगण ने परिवादीगण के उक्त वि़द्युत कनेक्षन का सतर्कता जांच प्रतिवेदन दिनांक 25.08.2010 को तैयार किया । जिसमें विपक्षीगण ने 6.14 एच.पी. एवं 6.14 एच.पी. की क्षमता वाली दो विद्युत मोटर्स का उपयेाग करते हुए परिवादीगण को पाया था । इस प्रकार परिवादीगण द्वारा कुल 6ण्14 ़ 6ण्14 त्र 12ण्28 एच.पी. विद्युत उपभोग करते हुए पाया गया । जबकि इसी सतर्कता जांच प्रतिवेदन में परिवादीगण का विद्युत उपभेाग का स्वीकृत भार 12.5 एच.पी. बताया गया हैं । यदि स्वयं विपक्षीगण का स्वीकृत भार भी मान लिया जावें तो भी परिवादीगण द्वारा जो विद्युत भार उपभोग में लाया जा रहा था उस स्वीकृत भार से परिवादीगण .22 एच.पी. कम विद्युत उपभोग कर रहा था । इससे भी आगे यह सुसंगत हैं कि स्वयं विपक्षीगण द्वारा जारी किये गये विद्युत बिलों में परिवादीगण को 13.5 एच.पी. विद्युत भार उपभोग करने के लिए अधिकृत माना गया हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर हमारे विनम्र मत में विपक्षीगण ने परिवादीगण को उपरोक्त सतर्कता जांच प्रतिवेदन के आधार पर 10,000/-रूपये की राषि वसूल करने की जो कार्यवाही की हैं, वह नियमानुसार नहीं हैं तथा स्वयं विपक्षीगण द्वारा सतर्कता जांच प्रतिवेदन में बताये गये तथ्यों को सही मान लिया जावें तो भी परिवादीगण द्वारा स्वीकृत भार से .22 एच.पी. कम भार सतर्कता जांच प्रतिवेदन तैयार करते समय विद्युत उपभोग परिवादीगण द्वारा किया जा रहा था । इसलिए परिवादीगण से जो 10,000/-रूपये की राषि विपक्षीगण सतर्कता जांच प्रतिवेदन दिनांकित 25.08.2010 के आधार पर वसूल करना चाहते हैं वह राषि हमारे विनम्र मत में वसूल किये जाने योग्य नहीं हैं । और परिवादीगण को इस संबंध में जारी किये गये तत्संबंधी बिल 10,000/-रूपये की सीमा तक निरस्त किया जाता हैं । विपक्षीगण ने परिवादीगण के विरूद्ध उक्त सतर्कता जांच प्रतिवेदन अनुचित आधार पर बनाकर सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादीगण को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये विपक्षीगण से दिलवाये जाने के आदेष दिये जाते हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादीगण स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता हैं कि विपक्षीगण द्वारा सतर्कता जांच प्रतिवेदन दिनंाकित 25.08.2010 की प्रषमन राषि 10,000/-रूपये शामिल करते हुए परिवादीगण को जारी किये गये तत्संबंधी बिल 10,000/-रूपये की सीमा तक निरस्त किया जाता हैं । परिवादीगण विपक्षीगण से उसके विरूद्ध अनुचित आधार पर भरे गये सतर्कता जांच प्रतिवेदन से स्वयं को कारित आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से विपक्षीगण से प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे उक्त समस्त राशि परिवादीगण के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेंगे ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 20.04.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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