Uttar Pradesh

Barabanki

CC/192/2018

Mohd. Aaresh Qadari - Complainant(s)

Versus

J.E., Sharda Sahayak Sinchai Vibhag & Others - Opp.Party(s)

S.J. Qadari

31 Jan 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि          10.12.2018

अंतिम सुनवाई की तिथि                   16.01.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  31.01.2023

परिवाद संख्याः 192/2018

मो0 आरेश कादरी आयु करीब 27 साल पुत्र श्री यार मोहम्मद कादरी नि0-कादरी मंजिल लखपेड़ाबाग कालोनी थाना-कोतवाली नगर, परगना व तहसील-नवाबगंज जनपद-बाराबंकी।

द्वारा-श्री एस0 जे0 कादरी, अधिवक्ता

श्री पंकज निगम, अधिवक्ता

 

बनाम

1.            श्रीमान् अधिशाषी अभियन्ता, बाढ़ कार्य खण्ड, बाराबंकी।

2.            श्रीमान् मुख्य अभियन्ता, शारदा सहायक सिंचाई विभाग, उ0 प्र0 सिंचाई भवन तेली बाग, लखनऊ।

3.            श्रीमान् प्रधानाचार्य राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, बाराबंकी।

द्वारा-श्री सुनील कुमार मौर्य, ए.डी.जी.सी. सिविल

 

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय श्री एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री पंकज निगम, श्री एस0 जे0 कादरी, अधिवक्ता

         विपक्षीगण की ओर से-श्री सुनील कुमार मौर्य, ए.डी.जी.सी., सिविल

द्वारा-श्री संजय खरे, अध्यक्ष

निर्णय

                परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्व दिनांक 10.12.2018 को धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर परिवादी का एक वर्ष का बकाया स्टाईपेन्ड रू0 67,740/- परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से 12: ब्याज सहित भुगतान की तिथि तक तथा विपक्षी संख्या-01 व 02 से मो0 आरेश कादरी के नाम से दो वर्ष का एस0 सी0 पी0 टी0 प्रशिक्षु प्रमाण पत्र तथा शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 1,50,000/- एवं अधिवक्ता शुल्क के रूप में रू0 11,000/- दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है।

                संक्षेप में परिवादी ने अपने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन किया है कि उसने विपक्षीगण के विभाग में वरिष्ठ स्टाफ अधिकारी (शा0 सहा0 कृते मुख्य अभियन्ता (शा0 सहा0) गंगा सिचाई भवन तेलीबाग लखनऊ के पत्रांक 38/शा0सहा0अनु0/ड्राफ्टमैन (सिविल) दिनांक 11.01.2016 के संदर्भ में कार्यालय अधिशाषी अभियन्ता बाढ़ कार्य खण्ड-बाराबंकी में दो वर्ष का प्रशिक्षण (एस0सी0वी0टी0 पाठ्यक्रम) प्राप्त किया था। परिवादी जनवरी 2016 से जनवरी 2018 तक जिसमे उसको प्रथम वर्ष रू0 4,940.00 एवं द्वितीय वर्ष रू0 5,645.00 प्रतिमाह की दर से स्टाईपेन्ड मिलना था। परिवादी द्वारा दो वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त किया गया परन्तु उसे एक वर्ष का ही स्टाईपेन्ड मिला, शेष एक साल का स्टाईपेन्ड व प्रशिक्षण प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। उक्त के लिये परिवादी बार-बार विभाग के चक्कर लगाता रहा लेकिन विपक्षीजन द्वारा बराबर हीला हवाला करके टाला जाता रहा। न तो द्वितीय वर्ष का स्टाईपेन्ड दिया गया और न दो वर्ष का प्रशिक्षण प्रमाण पत्र ही दिया गया। उक्त दौड़-धूप, आने जाने में परिवादी का रू0 1,50,000/-व्यय हुआ। विवश होकर परिवादी ने जरिये अधिवक्ता दिनांक 30.10.2018 को विपक्षीजन को इस आशय का नोटिस दिया कि नोटिस प्राप्त करने के तीस दिन के अंदर एक साल का स्टाईपेन्ड मु0 67,740/-व प्रशिक्षण प्रामाण पत्र देवे परन्तु विपक्षीगण ने न ही परिवादी को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र दिया गया और न ही नोटिस का कोई जबाब दिया गया। विपक्षीगण के उक्त कृत्य से परिवादी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

              परिवादी के तरफ से दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची से (1) आधार कार्ड की छाया प्रति (2) पत्र दिनांकित 11.01.2016 की छाया प्रति (3) पत्र दिनांक 18.01.2016 की छाया प्रति (4) नोटिस प्रेषित करने की मूल रजिस्ट्री रसीद (5) नोटिस दिनांक 30.10.2018 की छाया प्रति दाखिल किया है।

               प्रकरण की जांच के संबंध में विपक्षी संख्या-01 द्वारा दिनांक 01.02.2019 के तीन अभिलेख दाखिल किये गये है।

              विपक्षी संख्या-01 व 02 द्वारा वादोत्तर दाखिल करते हुये कहा गया है कि मो0 आदेश कादरी का अप्रेन्टिस प्रशिक्षण हेतु प्रार्थना पत्र, उत्तर प्रदेश सरकार प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय, उ0 प्र0 श्रम विभाग के पत्र दिनांक 22.08.2018 के माध्यम से मुख्य अभियन्ता शारदा सहायक गंगा सिचाई भवन, तेलीबाग लखनऊ को प्रेषित किया गया था जो मुख्य अभियन्ता शारदा सहायक गंगा सिचाई भवन तेलीबाग लखनऊ के पत्र दिनांक 11.01.2016 द्वारा अधिशासी अभियन्ता बाढ़ कार्य खण्ड बाराबंकी को शिशिक्षु अधिनियम 1961 में निहित प्राविधानों के अनुसार कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया, जिसके अनुपालन में अधिशासी अभियन्ता बाढ़ खण्ड बाराबंकी के ज्ञाप दिनांक 18.01.2016 द्वारा इनको दो वर्ष का प्रशिक्षण सम्बन्धी आदेश जारी किये गये थे तथा तत्समय प्रधानाचार्य राजकीय औद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थान, बाराबंकी के पत्र दिनांक 31.08.2016 द्वारा यह अवगत कराने पर कि एन0 सी0 वी0 टी0 पाठ्यक्रम एक वर्ष ही अनुमन्य है, के क्रम में उक्त ज्ञाप दिनांक 18.01.2016 में आंशिक संशोधन करते हुये प्रशिक्षण अवधि एक वर्ष प्रशिक्षण पूर्ण होने की तिथि 17.01.2017 का अंकन ज्ञाप दिनांक 18.10.2016 में कर दिया गया था, जिसकी प्रति परिवादी को पृष्ठांकित है। परिवादी का प्रस्तर-01 का कहना असत्य है। परिवादी को दिनांक 18.10.2016 में प्रशिक्षण पूर्ण होने की तिथि 17.01.2017 के अनुसार भुगतान किया जा चुका है। न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के अनुसार याची द्वारा प्रस्तर-2 में अंकित की गयी धनराशि अकुशल/कुशल/अद्र्वकुशल मजदूरी हेतु है जबकि परिवादी अप्रेन्टिस प्रशिक्षु है। प्रशिक्षु और मजदूर में अंतर है। उक्त में यह प्राविधानिक है कि बांध, तटबन्ध के निर्माण और अनुरक्षण सिंचाई परियोजनाओं कुआं और तालाबों की खुदाई सम्बन्धित कार्य है जबकि प्रशिक्षुओं से कार्यालय में ही कार्य लिया जाता है। श्रम और रोजगार मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 23.12.2014 के अनुसार प्रशिक्षु अभ्यर्थियों (तकनीकी व्यावसायिक शिक्षु) हेतु प्रतिमाह रू0 2,758/-नियमानुसार देय है। अनियमित भुगतान के संबंध में तत्कालीन अधिशासी अभियन्ता ने ज्ञाप दिनांक 27.03.2017 द्वारा जांच कमेटी गठित की है जिसमे सहायक अभियन्ता तृतीय बाढ, बाराबंकी को नामित किया गया था। उनके द्वारा दिनांक 26.02.2019 को कर्मचारियों को स्थिति स्पष्ट करने हेतु पत्र प्रेषित किया गया है। प्रश्नगत प्रकरण के क्रम में पूर्व में दो अन्य प्रशिक्षुओं द्वारा मा0 सूचना आयुक्त के समक्ष अपील संख्या एस/6/217/ए/2018 (पंजीकरण सं0 ए-78123) शावेज मसूद बनाम जन सूचना अधिकारी एवं अपील संख्या एस-6/225/ए/2018 (पंजीकरण सं0 ए-78142) अबरार अहमद बनाम जन सूचना अधिकारी योजित की गयी है जिसमे निर्धारित तिथि 02.04.2019 को इस खण्ड के प्रतिनिधि द्वारा मा0 आयोग की पत्रावली पर अंडर टेकिंग दी गई है कि जांच कार्यवाही प्रक्रियाधीन है जिसमे दो माह का समय लगने की संभावना है, जिसकी सूचना अभ्यर्थियों को दिनांक 18.01.2018 को प्रेषित की जा चुकी है। प्रधानाचार्य राजकीय औद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थान बाराबंकी के पत्र दिनांक 31.08.2016 के अनुसार एन0 सी0 वी0 टी0 पाठ्यक्रम एक वर्ष ही अनुमन्यता के संबंध में अवगत कराया था तथा तद्नुसार दिनांक 18.01.2016 द्वारा इनके प्रकरण में सम्बन्धित आदेश जारी कर दिये गये थे। अभ्यर्थियों को कान्ट्रेक्ट ए0 पी0 पी0 फार्म भरने के उपरान्त ही राजकीय औद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थान बाराबंकी से रजिस्ट्रेशन प्राप्त होने के उपरान्त प्रमाण पत्र निर्गत किये जाने की कार्यवाही की जाती है। मो0 आरेश कादरी का राजकीय औद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थान बाराबंकी से रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र प्राप्त हो जाने पर श्री महेश कुमार, वरि0 सहायक द्वारा प्रमाण पत्र निर्गत करने की कार्यवाही की गई। प्रकरण में लापरवाही सिद्व होने पर अनुशासनिक कार्यवाही संपादित की जायेगी। परिवादी ने प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु कार्यालय में सम्पर्क स्थापित नहीं किया। परिवादी की नोटिस दिनांक 30.10.2018 को प्राप्त हुई थी किन्तु जांच प्रक्रियाधीन होने के कारण नोटिस का जबाब नहीं दिया जा सका। जहां तक रू0 67,740/-स्टाईपेन्ड का प्रश्न है अधिसूचना दिनांक 23.12.2014 के अनुसार प्रशिक्षु अभ्यर्थियों (तकनीकी व्यवायिक शिक्षु) हेतु प्रतिमाह रू0 2,758.00 ही नियमानुसार देय है। मो0 आरेश कादरी को देय धनराशि से अधिक धनराशि का भुगतान खण्ड द्वारा किया जा चुका है। परिवादी द्वारा प्रश्नगत परिवाद राज्य सरकार के अधीन विपक्षी संख्या-01 व 02 के विरूद्व प्रस्तुत किया गया है जो उ0 प्र0 सरकार के अधिकारी है उनको वाद प्रस्तुत करने से पूर्व धारा-80 व्यवहार प्रक्रिया संहिता की नोटिस दिया जाना अनिवार्य है। नोटिस देने के उपरान्त 60 दिन का इंतजार किये बिना परिवाद प्रस्तुत किया गया है। परिवादी लाभार्थी है और विपक्षीगण का उपभोक्ता नहीं है। विपक्षीजन द्वारा दी गई सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। अतः परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की याचना की गई है। विपक्षी संख्या-01 व 02 द्वारा वादोत्तर के समर्थन में शपथपत्र योजित किया गया है।

               विपक्षी संख्या-01 द्वारा सूची के साथ अन्य प्रशिक्षुओं के प्रमाण पत्र की छाया प्रतियाँ दाखिल की है।

             विपक्षी संख्या-03 द्वारा वादोत्तर योजित करते हुये कहा है कि परिवाद पत्र की धारा-01 ता 09 उससे सम्बन्धित नहीं है। विशेष वक्तव्य में कहा गया है कि परिवादी द्वारा जरिये अधिवक्ता विपक्षी संख्या-03 को सूचना वाद पत्र में अंकित कथनों के आधार पर दिया था परन्तु सम्पूर्ण सूचना में विपक्षी संख्या-03 के सम्बन्ध में ऐसा कोई कथन नहीं था जिसके जबाब दिये जाने की कोई आवश्यकता रही। इस कारण प्रश्नगत सूचना का कोई जबाब नहीं दिया गया। परिवादी ने नियमानुसार विपक्षी संख्या-03 के संस्थान में ड्राफ्टमैन सिविल की शिक्षा ग्रहण किया और परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-03 के संस्थान में शिक्षा ग्रहण किये जाने के संबंध में नियमानुसार जो भी प्रपत्र संस्थान की ओर से दिये जाने चाहिये, विधि अनुसार उसे प्रदत्त कर दिये गये। संस्थान से परिवादी का कोई कार्य व्यवहार शेष नहीं है। वाद पत्र में विपक्षी संख्या-03 के संबध में कोई तथ्य नहीं किये है। विपक्षी संख्या-03 पूर्णतया औपचारिक पक्षकार मुकदमा है और परिवादी द्वारा जानबूझकर दूषित मानसिकता से विपक्षी संख्या-03 को गलत तौर से विधि विपरीत ढंग से पक्षकार मुकदमा बना दिया गया है जिसके कारण विपक्षी संख्या-03 को अकारण वाद की पैरवी करनी पड़ रही है। उपरोक्त परिस्थिति में विपक्षी संख्या-03 के विरूद्व परिवाद निरस्त किये जाने की याचना की गई है। वादोत्तर के समर्थन में विपक्षी संख्या-03 द्वारा शपथपत्र योजित किया गया है।

             विपक्षी संख्या-03 द्वारा सूची दिनांक 04.06.2018 से प्रशिक्षण संविदा, पत्र दिनांक 11.01.2016, कार्यालय ज्ञाप दिनांक 18.01.2016, प्रधानाचार्य का पत्र दिनांक 08.03.2019 व 03.10.2019 दाखिल किया है।

             विपक्षीगण द्वारा सूची दिनांक 13.06.2019 द्वारा प्रमाण पत्र दिनांक 12.06.2019 की छाया प्रति मय रजिस्ट्री रसीद, प्रधानाचार्य का पत्र दिनांक 15.03.2016 दाखिल किया है।

                विपक्षी द्वारा जनवरी-2016 से अप्रैल-2017 तक हाजिरी रजिस्टर की प्रति दाखिल की है।

                परिवादी द्वारा साक्ष्य शपथपत्र दिनांक 29.07.2019 को दाखिल किया गया।

               विपक्षीगण द्वारा शपथपत्र साक्ष्य दिनांक 06.09.2019 को दाखिल किया गया। विपक्षी संख्या-01 व 02 द्वारा सूची के माध्यम से 11 प्रपत्र दाखिल किये गये जिनमे (1) पत्र दिनांक 18.01.2016 की छाया प्रति (2) पत्र दिनांक 31.08.2016 की छाया प्रति (3) ज्ञाप दिनांक 18.10.2016 की छाया प्रति (4) श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 23.12.2014 की छाया प्रति (5) उच्च शिक्षा विभाग का पत्र दिनांक 21.01.2015 की छाया प्रति (6) अप्रेन्टिस एक्ट 1961 के पैरा अपेन्डिक्स-1(2) की छाया प्रति (7) बाराबंकी का पत्र दिनांक 31.10.2017 की छाया प्रति (8) पत्र दिनांक 12.06.2019 की छाया प्रति (9) आरेश कादरी का प्रशिक्षण के समय प्रस्तुत शपथपत्र की छाया प्रति (10) आरेश कादरी का प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय उ0 प्र0 श्रम विभाग के प्रपत्र दिनांक 22.07.2015 की छाया प्रति (11) अन्य प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण प्रमाण की छाया प्रति दाखिल किया है। विपक्षीगण द्वारा प्रशिक्षण अवधि के दौरान उपस्थिति की पंजिका की छाया प्रति दाखिल किया गया है।

                 परिवादी द्वारा लिखित बहस दिनांक 11.04.2022 को दाखिल किया है।

                 विपक्षीगण द्वारा लिखित बहस दाखिल की गई है।

                 उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन किया।

                वर्तमान प्रकरण में परिवादी पक्ष का तर्क है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या-01 के कार्यालय में दो वर्ष का एस.सी.वी.टी. पाठ्यक्रम का अप्रेन्टिस प्रशिक्षण प्राप्त किया। जिसमे से प्रथम वर्ष का स्टाईपेन्ड व प्रमाण पत्र मिला है। द्वितीय वर्ष का न तो प्रमाण पत्र और न ही स्टाईपेन्ड दिया गया है। परिवादी पक्ष का तर्क है कि विपक्षी संख्या-01 द्वारा प्रमाण पत्र दिये जाने के संबंध में परिवादी विपक्षी संख्या-01 द्वारा प्रशिक्षण की प्रदान की गई सेवाओं के संबंध में प्रमाण पत्र जारी करने के बिन्दु पर उपभोक्ता की श्रेणी में आता है।

                विपक्षी का तर्क है कि परिवादी ने एन. सी. वी. टी. पाठ्यक्रम के अंतर्गत एक वर्ष का अप्रेन्टिस विपक्षी संख्या-01 के कार्यालय में किया। एक वर्ष का प्रमाण पत्र तथा स्टाईपेन्ड परिवादी को दिया जा चुका है। विपक्षी का तर्क है कि परिवादी लाभार्थी मात्र है, उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। विपक्षी का यह भी तर्क है कि परिवादी ने अप्रेन्टिस करने के लिये किसी प्रकार के धन/प्रतिफल का भुगतान नहीं किया है।

                जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवाद दाखिल करने के लिये सर्वप्रथम परिवादी का उपभोक्ता होना आवश्यक है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ता की परिभाषा में अंकित है कि परिवादी द्वारा कोई सेवा प्रतिफल देकर प्राप्त किया जाना आवश्यक है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में सेवा की परिभाषा में निःशुल्क सेवा या व्यक्तिगत सेवा नहीं आती है।

                वर्तमान प्रकरण में परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-01 के कार्यालय में अप्रेन्टिस करने के लिये या विपक्षी संख्या-01 से अप्रेन्टिस रूपी सेवा प्राप्त करने के लिये किसी प्रकार के प्रतिफल का भुगतान किये जाने का कोई साक्ष्य नहीं है। बिना प्रतिफल (निःशुल्क) के अप्रेन्टिस का कोर्स उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में सेवा की श्रेणी में भी नहीं माना जा सकता है।

                वर्तमान प्रकरण में विपक्षी संख्या-01 द्वारा कराया गया अप्रेन्टिस के कोर्स के संबंध में विपक्षी संख्या-01 को न तो सेवा प्रदाता माना जा सकता है और न ही परिवादी को उपभोक्ता माना जा सकता है। अप्रेन्टिस कोर्स निःशुल्क कराये जाने के कारण ऐसी सेवा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत दी गई परिभाषा में सेवा नहीं है। यह तथ्य भी ध्यान देने योग्य है कि अप्रेन्टिस अधिनियम-1961 के प्राविधानों में दी गई स्कीम के अंतर्गत अप्रेन्टिस केवल लाभार्थी है। विपक्षी संख्या-01 के कार्यालय से परिवादी द्वारा अप्रेन्टिस की निःशुल्क ट्रेनिंग प्राप्त की गई है। अतः परिवादी अप्रेन्टिस अधिनियम-1961 के अंतर्गत शिशिक्षु मात्र है, श्रमिक नहीं है। अप्रेन्टिस अधिनियम-1961 में अप्रेन्टिस के रूप में निःशुल्क प्रशिक्षण दिलाने में स्कीम उसके पूर्व के तकनीकी अध्ययन के संबंध में व्यवसायिक प्रशिक्षण के उद्देश्य से अधिनियम के प्राविधानों के अधीन कल्याणकारी प्रशिक्षण मात्र है। अप्रेन्टिस किसी प्रकार की सेवा को भाड़े पर लेने या प्रतिफल देकर सेवा का उपभोग नहीं करना है अतः वर्तमान प्रकरण में परिवादी अप्रेन्टिस के रूप में उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। अतः अप्रेन्टिस का कोर्स कराये जाने या उसके संबंध में स्टाईपेन्ड दिये जाने या उसके संबंध में प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। अतः जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष वर्तमान परिवाद, परिवादी के उपभोक्ता न होने के कारण पोषणीय नहीं है।

                परिवादी को अप्रेन्टिस के रूप में अपनी शिकायतों के संबंध में अनुतोष पाने के लिये अप्रेन्टिस अधिनियम-1961 की धारा-20 के प्राविधानों का अनुसरण करना  चाहिये। धारा-20 में यह स्पष्ट प्राविधान है कि अप्रेन्टिस के संबंध में कोई विवाद उत्पन्न होने पर उक्त विवाद अप्रेन्टिस सलाहकार को संदर्भित किया जायेगा। अप्रेन्टिस सलाहकार के निर्णय से असंतुष्ट व्यक्ति तीस दिन की अवधि के अंतर्गत अप्रेन्टिस काउन्सिल के समक्ष अपील कर सकता है। अपील न किये जाने पर अप्रेन्टिस सलाहकार का निर्णय अंतिम होगा। जिससे स्पष्ट है कि अप्रेन्टिस के संबंध में किसी भी प्रकार के विवाद को अप्रेन्टिस सलाहकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिये। अप्रेन्टिस सलाहकार की नियुक्ति अप्रेन्टिस अधिनियम 1961 के प्राविधानों के अधीन की जाती है। इसी प्रकार इसी अधिनियम के प्राविधान के तहत बनायी गई अप्रेन्टिस काउन्सिल के समक्ष अप्रेन्टिस सलाहकार के निर्णय के विरूद्व अपील भी की जाती है। वर्तमान प्रकरण में अप्रेन्टिसशिप की अवधि, द्वितीय वर्ष के स्टाईपेन्ड तथा द्वितीय वर्ष के प्रमाण पत्र न दिये जाने का विवाद है। अतः इस विवाद को विधि अनुसार अप्रेन्टिस अधिनियम-1961 के अधीन नियुक्त अप्रेन्टिस सलाहकार के समक्ष प्रस्तुत किये जाने पर सुनवाई का क्षेत्राधिकार है।

                उपरोक्त विवेचन से वर्तमान परिवाद के परिवादी का उपभोक्ता की श्रेणी में न होने के आधार पर परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। अतः क्षेत्राधिकार के बिन्दु पर परिवादी का तर्क बलहीन है।

                परिवादी ने परिवाद पत्र के अंत में अनुतोष प्रस्तर में परिवादी के द्वितीय वर्ष का स्टाईपेन्ड मय ब्याज तथा विपक्षी संख्या-01 व 02 से परिवादी के नाम से दो वर्ष का एस.सी.वी.टी. प्रशिक्षु प्रमाण पत्र दिलाये जाने की याचना की है। परिवादी का कथन है कि उसे दो वर्ष के अप्रेन्टिस कोर्स का पत्र दिनांकित 18.01.2016 को जारी हुआ जिसके आधार पर परिवादी ने दो वर्ष की ट्रेनिंग की है। उक्त पत्र में तयशुदा प्रथम वर्ष का स्टाईपेन्ड मिलना कहा है द्वितीय वर्ष का स्टाईपेन्ड न दिया जाना कहा है। इसी प्रकार केवल एक वर्ष का प्रमाण पत्र जारी किया जाना कहा है द्वितीय वर्ष का प्रमाण पत्र न प्राप्त होना कहा है। विपक्षी का कथन है कि अधिशासी अभियन्ता, बाढ़ खंड, बाराबंकी के ज्ञाप दिनांकित 18.01.2016 द्वारा लिपिकीय त्रुटि से दो वर्ष के प्रशिक्षण संबंधी आदेश जारी किये गये थे। तत्कालीन प्रधानाचार्य , राजकीय औद्यौगिक प्रशिक्षण केन्द्र के पत्र दिनांकित 31.08.2016 द्वारा एन. सी. वी. टी. का पाठयक्रम एक वर्ष का होने के आधार पर ज्ञाप दिनांकित 18.01.2016 में आंशिक संशोधन करते हुये एक वर्ष प्रशिक्षण पूर्ण होने की तिथि 17.01.2017 के अंकन ज्ञाप दिनांकित 18.01.2016 में कर दिया गया। उभय पक्षों के उपरोक्त तर्को के संबंध में साक्ष्य के अवलोकन किये जाने से स्पष्ट है कि अधिशासी अभियन्ता बाढ़ कार्य खंड, बाराबंकी के ज्ञाप दिनांकित 18.01.2016 में परिवादी को दो वर्ष के ड्राफ्टमैन (सिविल) का अप्रेन्टिस करने हेतु कला अनुभाग से संबद्व किये जाने का अंकन किया गया, जिसमे दो वर्ष के अलग-अलग स्टाईपेन्ड दिये जाने का वर्णन है। प्रधानाचार्य राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बाराबंकी के पत्र दिनांकित 31.08.2016 में यह अंकित है कि व्यवसाय ड्राफ्टमैन सिविल की शिशिक्षु अवधि एन. सी. वी. टी. पाठ्यक्रम एक वर्ष तथा एस. सी. वी. टी. पाठ्यक्रम दो वर्ष हेतु अनुमन्य होना अंकित है। अधिशाषी अभियन्ता, बाढ़ कार्य खंड, बाराबंकी के पत्रांक 2151 दिनांक 18.10.2016 में यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि प्रधानाचार्य राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, बाराबंकी के पत्र दिनांकित 31.08.2016 द्वारा अवगत कराये जाने पर पूर्व पत्र में प्रशिक्षण की दी गई अवधि का सुधार करते हुये जारी किया गया जिसमे परिवादी के पाठ्यक्रम  की अनुमन्य अवधि एक वर्ष दिनांक 18.01.2016 से 17.01.2017 तक अंकित की गई है और इस सीमा तक पूर्व के ज्ञाप को संशोधित किया जाना अंकित किया गया है। परिवादी के नाम दिनांक 12.06.2016 को जारी प्रमाण पत्र भी दिनांक 18.01.2016 से 17.01.2017 तक एक वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त किये जाने से संबंधित जारी किया गया है। अवधि की उक्त त्रुटि को इसी ज्ञाप से अन्य प्रशिक्षुओं के संबंध में भी संशोधित कर अंकित किया गया है। परिवादी की अप्रेन्टिस शिप ट्रेनिंग के संबंध में निष्पादित संविदा प्रपत्र में भी ड्राफ्टमैन सिविल ट्रेड एक वर्ष की अप्रेन्टिस शिप ट्रेनिंग दिनांक 18.01.2016 से 17.01.2017 अंकित है। उपरोक्त प्रपत्रों तथा संबंधित संपुष्टिकारक मौखिक साक्ष्य से स्पष्ट है कि परिवादी के नाम ड्राफ्टमैन सिविल में दो वर्ष की अवधि की अप्रेन्टिस शिप ट्रेनिंग करने का आदेश विपक्षी संख्या-01 के कार्यालय से त्रुटिवश जारी हुआ है जिसके संबंध में प्रधानाचार्य राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, बाराबंकी द्वारा इंगित किये जाने पर विपक्षी संख्या-01 द्वारा अवधि संशोधन पत्रांक 2151 दिनांकित 18.10.2016 में परिवादी के अप्रेन्टिस शिप प्रशिक्षण की अवधि एक वर्ष संशोधित कर दी गई। यह संशोधन आदेश परिवादी के द्वारा प्रथम वर्ष की अप्रेन्टिस करने के दौरान ही दिनांक 18.10.2016 को जारी किया गया है। परिवादी के अप्रेन्टिस शिप ट्रेनिंग संविदा प्रपत्र में भी एक वर्ष हेतु ड्राफ्टमैन सिविल ट्रेड में अप्रेन्टिस शिप ट्रेनिंग दिये जाने का उल्लेख है। दो वर्ष के अप्रेन्टिस शिप ट्रेनिंग के लिये कोई संशोधित संविदा प्रपत्र निष्पादित होने या जारी होने का कोई साक्ष्य नहीं है। विपक्षी का तर्क है कि अप्रेन्टिस शिप संविदा में एक वर्ष की अवधि त्रुटिवश अंकित की गई है। इस संबंध में अप्रेन्टिस शिप संविदा की प्रस्तुत प्रति के अवलोकन से स्पष्ट है कि संविदा की अवधि एक वर्ष और संविदाकाल दिनांक 18.01.2016 से 17.01.2017 तक का होना अंकित है। इस प्रकार अप्रेन्टिस शिप संविदा एक वर्ष की होना और उसकी अवधि की दिनांक के अवलोकन से विदित है कि परिवादी के अप्रेन्टिस की संविदा एक वर्ष के लिये निष्पादित की गई। अप्रेन्टिस शिप संविदा पर परिवादी, उसके अभिभावक, विपक्षी संख्या-01 अधिशासी अभियन्ता, श्योर्टी  तथा दो साक्षियों के हस्ताक्षर है और अंत में अप्रेन्टिस शिप सलाहकार के भी हस्ताक्षर है। परिवादी द्वारा अप्रेन्टिस संविदा में अवधि की बताई जा रही त्रुटि के संबंध में धारा-4 (4-ए) अप्रेन्टिस अधिनियम के अनुसार अप्रेन्टिस शिप सलाहकार के समक्ष नियत अवधि में कोई आपत्ति आदि प्रस्तुत करने का भी साक्ष्य नहीं है। अतः अप्रेन्टिस संविदा के अनुसार भी परिवादी की विपक्षी संख्या-01 के कार्यालय में ड्राफ्टमैन सिविल के ट्रेड में अप्रेन्टिस के रूप में प्रशिक्षण की अवधि एक वर्ष होने की पुष्टि होती है। अतः इस बिन्दु पर परिवादी का तर्क बलहीन है।

                परिवादी का तर्क है कि उसके द्वारा विपक्षी संख्या-01 के कार्यालय में दूसरे वर्ष भी प्रशिक्षण प्राप्त किया गया है। अतः परिवादी को दूसरे वर्ष का प्रमाण पत्र तथा स्टाईपेन्ड दिलाने की भी याचना की गई है। दूसरे वर्ष भी प्रशिक्षण प्राप्त किये जाने के संबंध में तलबशुदा हाजिरी रजिस्टर की दाखिल प्रति के अवलोकन से विदित है कि यह हाजिरी रजिस्टर जनवरी 2016 से अप्रैल 2017 तक का है। पूर्व के विवेचन से स्पष्ट है कि परिवादी की अप्रेन्टिस के रूप में प्रशिक्षण अवधि दिनांक 18.01.2016 से 17.01.2017 तक ही थी। दिनांक 18.01.2017 से लेकर 17.01.2018 तक पूरे वर्ष परिवादी द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किये जाने का कोई भी अभिलेखीय साक्ष्य नहीं है। हाजिरी रजिस्टर में दिनांक 18.01.2017 से लेकर 30 अप्रैल 2017 तक ही परिवादी का हस्ताक्षर है जिससे स्पष्ट है कि दिनांक 01.05.2017 से लेकर 17 जनवरी 2018 तक की शेष अवधि का प्रशिक्षण अप्रेन्टिस के रूप में प्राप्त किया जाना पुष्ट नहीं होता है ऐसी स्थिति में परिवादी के इस तर्क की भी साक्ष्य से पुष्टि न होने के कारण परिवादी का इस बिन्दु पर तर्क भी बलहीन है।

उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी की विपक्षी संख्या-01 के कार्यालय में अप्रेन्टिस शिप प्रशिक्षण की अवधि एन. सी. वी. टी. पाठ्यक्रम में एक वर्ष की होना सिद्व हुआ है। अतः विपक्षी संख्या-01 द्वारा परिवादी को एक वर्ष का एन. सी. वी. टी. का प्रमाण पत्र तथा एक वर्ष का स्टाईपेन्ड दिया जाना सही है।

                उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में याचित अनुतोष विधि अनुसार स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।

आदेश

परिवाद संख्या-192/2018 निरस्त किया जाता है।

(डा0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

       सदस्य                     सदस्य             अध्यक्ष

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(डा0 एस0 के0 त्रिपाठी)        (मीना सिंह)          (संजय खरे)

       सदस्य                        सदस्य             अध्यक्ष

दिनांक 31.01.2023

 

 

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