Uttar Pradesh

Barabanki

95/11

Saheb Prasad - Complainant(s)

Versus

J.E., M.V.V.N.L. etc. - Opp.Party(s)

Pankaj Nigam & Others

25 Mar 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       24.06.2011

अंतिम सुनवाई की तिथि            17.03.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  25.03.2023

परिवाद संख्याः 95/2011

 

साहेब प्रसाद बालिग पुत्र राम समुझ निवासी ग्राम टिकरा पोस्ट-खेवराजपुर  जिला-बाराबंकी।

द्वारा-श्री पंकज निगम, अधिवक्ता

श्री अशुवेन्द्र मोहन जायसवाल, अधिवक्ता

बनाम

1.         मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 स्टेशन रोड घोसियाना बाराबंकी द्वारा अधिशाषी अभियन्ता।

2.         मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 रामसनेही घाट जनपद-बाराबंकी द्वारा अधिशाषी अभियन्ता।

3.         उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा जिलाधिकारी, बाराबंकी।

द्वारा-श्री रवि शुक्ला, अधिवक्ता

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री पंकज निगम, अधिवक्ता

             विपक्षी सं0-01 व 02 की ओर से-श्री रवि शुक्ला, अधिवक्ता

            विपक्षी सं0-03 की ओर से-कोई नहीं

द्वारा-संजय खरे, अध्यक्ष

निर्णय

            परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्व धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर परिवादी का विद्युत कनेक्शन तत्काल जोड़ने तथा सीलिंग प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने तथा कनेक्शन सं0-070916 में दिखाये गये कथित बकाया को निरस्त करने, आर0 सी0 वापस करने तथा संग्रह व्यय की धनराशि विपक्षी संख्या-1 व 02 से वसूल करने व मानसिक, आर्थिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति रू0 50,000/- एवं वाद व्यय व अधिवक्ता शुल्क रू0 15,000/-दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।

            परिवादी का कथन है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या-01 के यहाँ ग्रामीण अंचल में विद्युत कनेक्शन हेतु औपचारिकतायें पूर्ण करते हुये रू0 3,00/-रसीद संख्या-7 पुस्तक सं0-528325 दिनांक 12.06.1998 को जमा किया था। परिवादी के घर के पास विद्युत का खम्भ गाड़ा गया जिसका कुछ लोगों द्वारा विवाद करने पर खम्भा गाड़ने के बाद उसमे विद्युत सप्लाई नहीं खींची गई। परिवादी विपक्षी संख्या-01 का बराबर चक्कर लगाता रहा। परिवादी माह जनवरी-2001 में विपक्षी के कार्यालय गया तो बताया गया कि कनेक्शन हो पाना संभव नहीं है। चूँकि इस्टीमेट की धनराशि रू0 300/-थी इस लिये परिवादी ने उसे वापस लेना उचित नहीं समझा। रामसनेहीघाट से आने जाने में परिवादी का पूरा दिन खराब हो जाता है। परिवादी को एक बिल विपक्षी से प्राप्त हुआ जिसको लेकर उसने विपक्षी संख्या-01 से मिला तो विपक्षी संख्या-01 ने भूल स्वीकार करते हुये मौखिक रूप से बिल को वापस लेकर निरस्त करने के लिये कहा गया। परिवादी के यहाँ विपक्षी संख्या-03 का कर्मचारी अमीन आये और संग्रह व्यय की माँग करने लगे। परिवादी ने अमीन से कहा कि जब उसके यहाँ विद्युत कनेक्शन लगा ही नहीं तो बिल कैसा इस पर अमीन ने कहा कि परिवादी को आर0 सी0 धनराशि मय संग्रह व्यय जमा करना पड़ेगा। परिवादी के यहाँ आज भी विद्युत कनेक्शन नहीं लगा है। विपक्षीगण द्वारा बिना विद्युत कनेक्शन बिल भेजे जाने व आर0 सी0 भेजने से परिवादी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

            परिवादी ने सूची से रू0 300/-जमा करने की रसीद की छाया प्रति दाखिल किया गया।

           विपक्षी संख्या-01 व 02 द्वारा वादोत्तर दाखिल करते हुये परिवाद के कथन को असत्य एवं निराधार कहा है। विपक्षी संख्या-01 द्वारा परिवादी को कितने रूपये का बकाया की नोटिस भेजी गई या अमीन कितने रूपयो की वसूली हेतु परिवादी के पास गये और क्या 11 वर्षो में आज तक तहसीलदार व अमीन द्वारा परिवादी से विद्युत बकाये की वसूली न किया जाना संभव नहीं है। जानबूझकर झूठा वाद योजित किया गया है। परिवाद पत्र की धारा-10 में परिवादी का कनेक्शन सं0-RG/4/3824/070916 बिना बकाया जमा किये जाने निरस्त किये जाने की मांग तथा आर. सी. वापस करने का अनुरोध किया गया है। जब तक परिवादी अपने पूर्व बकाये जमा नहीं करता तब तक नया व पुराने विद्युत कनेक्शन की पी0 डी0 नहीं करा लेता उसे नया विद्युत कनेक्शन नहीं दिया जा सकता। परिवादी द्वारा 11 वर्षो तक मुकदमे को निस्तारण हेतु टाला गया। परिवादी के प्रार्थना पत्र दिनांक 22.01.2016 पर न्यायालय द्वारा कमिश्नर नियुक्त किया गया उसके बावजूद दिनांक 22.01.2016 से 24.05.2018 तक कमीशन नहीं कराया गया। परिवाद में कोई बल नहीं है अतः निरस्त किये जाने की याचना की गई है।

            विपक्षी संख्या-03 द्वारा जवाबदावा दाखिल करते हुये कहा है कि वर्तमान परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। उत्तरदाता मुकदमा में आवश्यक पक्षकार नहीं है। विपक्षी संख्या-03 के विरूद्व परिवाद खारिज किये जाने की याचना की गई है।

            परिवादी ने साक्ष्य शपथपत्र दाखिल किया है।

            परिवादी द्वारा लिखित बहस दाखिल की गई है।

            विपक्षी संख्या-01, 02 द्वारा लिखित बहस दाखिल की गई है।

            उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना तथा पत्रावली पर प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों/अभिलेखों का गहन परिशीलन किया।

           परिवादी का परिवाद पत्र में कथन है कि उसने दिनांक 12.06.1998 को समस्त औपचारिकतायें पूरी करते हुये ग्रामीण अंचल में विद्युत कनेक्शन हेतु रू0 300/-इस्टीमेट धनराशि जमा कराई परन्तु विपक्षीजन ने विद्युत कनेक्शन नहीं दिया। परिवादी ने परिवाद के अंत में विद्युत कनेक्शन के संबंध में निम्न लिखित तीन अनुतोष माँगे हैः-

1. विपक्षी संख्या-01 व 02 को निर्देशित किया जाय कि परिवादी के यहाँ विद्युत कनेक्शन तत्काल जोड़े तथा  

    सीलिंग प्रमाण पत्र उपलब्ध करायें।

2. विपक्षी संख्या-01 व 02 को यह भी निर्देशित किया जाय कि बुक संख्या-3824 कनेक्शन संख्या-070916 में

    दिखाये जा रहे कथित बकाया विद्युत बिल निरस्त किया जाय।

3. विपक्षी संख्या-03 को निर्देशित किया जाय कि कथित आर0 सी0 को विपक्षी संख्या-01 व 02 को वापस भेज

    दें और संग्रह व्यय की धनराशि विपक्षी संख्या-01 व 02 से वसूल करें।

              परिवादी का परिवाद पत्र में यह भी कथन है कि विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा परिवादी के घर के पास विद्युत का खम्भा गाड़ा गया। कुछ लोगों द्वारा विवाद करने पर उसमे विद्युत लाईन नहीं खीचीं गयी, जिससे परिवादी को विद्युत आपूर्ति नहीं हो सकती। विद्युत विभाग के काफी चक्कर लगाने के बाद भी विद्युत कनेक्शन नहीं मिला। परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में अभिलेखीय साक्ष्य में केवल उ0 प्र0 रा0 विद्युत परिषद में परिवादी साहेब प्रसाद के नाम से विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने हेतु रू0 300/-दिनांक 12.06.1998 को जमा करने की रसीद की छाया प्रति दाखिल की है। वर्तमान परिवाद पत्र दिनांक 24.06.2011 को प्रस्तुत किया गया है। वर्ष 1998 में नये विद्युत कनेक्शन के लिये पैसा जमा करने के पश्चात् वर्ष-2011 तक यदि कोई विद्युत कनेक्शन परिवादी को नहीं मिला तो उसके संबंध में परिवादी ने कोई लिखित नोटिस विद्युत विभाग को क्यों नहीं दी, इसका कोई स्पष्टीकरण साक्ष्य में नहीं अंकित है। विपक्षी द्वारा विद्युत कनेक्शन न देने पर विपक्षी को कोई लिखित नोटिस आदि देने के संबंध में नोटिस की कोई प्रति आदि भी साक्ष्य में प्रस्तुत नहीं की गई है। परिवादी के अनुतोष प्रस्तर के अनुसार विद्युत कनेक्शन संख्या-070916 के बकाया विद्युत बिल व उसके आधार पर वसूली हेतु परिवादी के विरूद्व वसूली प्रमाण पत्र जारी हुआ है। परिवादी ने कनेक्शन संख्या-070916 परिवादी के नाम से न होने का कोई भी अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। यह तथ्य परिवादी को ही सिद्व करना है कि जिस विद्युत कनेक्शन संख्या-070916 के बकाया विद्युत बिल के आधार पर वसूली प्रमाण पत्र परिवादी के नाम से जारी हुआ, उक्त विद्युत कनेक्शन परिवादी के नाम से नहीं था, इस तथ्य को सिद्व करने के लिये परिवादी ने कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है।

          परिवादी का यह कथन है कि उसने नये विद्युत कनेक्शन के लिये दिनांक 12.06.1998 को विपक्षी संख्या-01 के कार्यालय में सारी औपचारिकतायें पूरी करते हुये रू0 300/-इस्टीमेट की धनराशि जमा कराई। विद्युत पोल भी गाड़ा गया। परन्तु विद्युत लाइन नहीं खींचे जाने के कारण उसे विद्युत कनेक्शन नहीं मिला। परिवाद पत्र दायर करने के साथ परिवादी ने एडवोकेट कमिश्नर के माध्यम से मौका मुआयना कराने, कमीशन आख्या तलब करने की याचना की थी। परिवादी का उक्त प्रार्थना पत्र दिनांक 25.06.2011 के आदेश से स्वीकार हुआ। कमीशन करने के लिये आयुक्त को रू0 300/-फीस की देयता होना आदेश में अंकित किया गया। श्री दीपक जैन, एडवोकेट को अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया गया है। कोई भी अधिवक्ता आयुक्त द्वारा मौका मुआयना करके कमीशन आख्या प्रस्तुत नहीं की गई है। परिवादी ने उक्त आदेश होने के पश्चात कोई भी ऐसी सूचना या प्रार्थना पत्र न्यायालय में नहीं दिया कि नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त कमीशन कार्यवाही करने न जा रहे हो या परिवादी द्वारा समस्त पैरवी की जा चुकी है। कमीशन आख्या से यह तथ्य स्पष्ट हो सकता था कि मौके पर विद्युत लाइन खींचीं गई या नहीं? या परिवादी के घर में कोई विद्युत कनेक्शन दिया गया है या नहीं? परिवादी ने वाद लम्बन के दौरान उक्त आदेश के अनुपालन में कमीशन कार्यवाही कराये जाने पर कोई बल भी नहीं दिया है। ऐसी स्थिति में पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि परिवादी के घर विद्युत कनेक्शन देने हेतु विपक्षीगण ने विद्युत लाइन न खीचीं हो, या कोई विद्युत कनेक्श नही न दिया गया हो।

            परिवादी ने परिवाद पत्र या अपने साक्ष्य में यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि कितने रूपये की वसूली हेतु आर0 सी0 जारी की गई। जारी आर0 सी0 की कोई प्रति भी परिवादी की ओर से साक्ष्य में प्रस्तुत नहीं की गई है।

            यह स्पष्ट विधिक स्थिति है कि जब तक परिवादी अपने कनेक्शन के पूर्व बकाये को जमा नहीं कर देता तब तक पुराना कनेक्शन नहीं जोड़ा जा सकता। पूर्व बकाया जमा होने के पश्चात ही पुराना कनेक्शन पी0डी0 कराने पर नया विद्युत कनेक्शन दिया जा सकता है।

            विद्युत बकाये के सम्बन्ध में जारी वसूली प्रमाण पत्र के संबंध में भी विधिक स्थिति स्पष्ट है कि विद्युत का बकाया जरिए वसूली प्रमाण पत्र लगान की तरह वसूली जाता है। उक्त वसूली जिला कलेक्टर के माध्यम से की जाती है जिस पर पूर्व जमींदारी विनाश अधिनियम 1950 की धारा-287 तथा नवीन उ0 प्र0 राजस्व संहिता 2006 की धारा-203 के प्राविधान लागू होते है, जिसके अनुसार वसूली प्रमाण पत्र के आधार पर पहले धनराशि जमा करनी होगी, उसके बाद ही उसे सक्षम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। वर्तमान मामले में परिवादी द्वारा वसूली प्रमाण पत्र के सम्बन्ध में कोई धनराशि जमा करने का भी साक्ष्य नहीं है।

            प्रस्तुत मामले में त्रिवेणी कोल्ड स्टोरेज प्रा0 लि0 बनाम नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी, 2012 एन सी जे 193 (एन सी) में प्रतिपादित सिद्वान्त No relief can be allowed if the facts are not proved with sufficient evidence लागू होता है।

            उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी अपने साक्ष्य से यह सिद्व करने में असफल रहे है कि उनके द्वारा दिनांक 12.06.1998 को नये विद्युत कनेक्शन हेतु विपक्षी के कार्यालय में रू0 300/-जमा करने के पश्चात कोई नया कनेक्शन नहीं दिया गया। परिवादी यह भी सिद्व करने में असफल रहे है कि जिस विद्युत कनेक्शन संख्या-070916 के बकाया विद्युत बिल का वसूली प्रमाण पत्र परिवादी के नाम से जारी हुआ, उक्त विद्युत कनेक्शन परिवादी के नाम का नहीं था।

            उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि परिवादी अपना परिवाद सिद्व करने में असफल रहा है। अतः परिवादी, परिवाद पत्र में अंकित किसी अनुतोष को प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।

            तदनुसार परिवाद निरस्त किये किया जाने योग्य है।

आदेश

परिवाद संख्या-95/2011 निरस्त किया जाता है।

(0 एस0 के0 त्रिपाठी)     (मीना सिंह)             (संजय खरे)

       सदस्य                      सदस्य                    अध्यक्ष

यह निर्णय आज दिनांक को आयोग के अध्यक्ष एंव सदस्य द्वारा खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(0 एस0 के0 त्रिपाठी)     (मीना सिंह)             (संजय खरे)

     सदस्य                          सदस्य                    अध्यक्ष

दिनांक 25.03.2023

 

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