Smt. Vimla Devi Agrawal filed a consumer case on 23 Feb 2015 against J.D.A. (Jaipur Development Authority), & Others Jaipur. in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/630/2013 and the judgment uploaded on 16 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-630/2013 (पुराना परिवाद संख्या 503/2011)
श्रीमती विमला देवी अग्रवाल पत्नी श्री ताराचन्द अग्रवाल, आयु 60 वर्ष, निवासी- 1306 ए, विनय पथ, अर्जुन नगर रेल्वे फाटक के पास, बरकत नगर, जयपुर ।
परिवादिनी
बनाम
01. जयपुर विकास प्राधिकरण, जयपुर जरिये आयुक्त, जवाहर लाल नेहरू मार्ग, जयपुर ।
02. सुभाष सिन्धी को-आॅपरेटिव हाऊसिंग सोसायटी लिमिटेड, ।।.1ए जय अम्बे नगर, टोंक रोड, जयपुर जरिये अध्यक्ष ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादिनी की ओर से मौहम्मद इन्दराम/मुजफ्फर अली/श्री अरूण अग्रवाल, एडवोकेट
विपक्षी संख्या 1 की ओर से श्री प्रभा अग्रवाल, एडवोकेट
विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही
निर्णय
दिनांकः-23.02.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 18.02.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादिनी एक वृद्ध घरेलू महिला हैं । उसने बड़ी मुश्किल से पैसा जोड़कर विपक्षी संख्या 2 से एक भूखण्ड उसकी सदस्यता ग्रहण करके विपक्षी संख्या 2 की योजना संख्या 12 में एक भूखण्ड संख्या 33 क्षेत्रफल 256.6 वर्ग गज आवंटित करवाया था । जब भूखण्ड के नियमन और विकास की घोषणा की गई तो परिवादिनी ने दिनंाक 23.08.1982 को जरिये चालान संख्या 213 विपक्षी संख्या 1 के पास कृषि भूमि को आबादी क्षेत्र में परिवर्तित करने के लिए राशि जमा कराई । इसके बाद विपक्षी संख्या 1 ने इस भूखण्ड को सुविधा क्षेत्र में परिवर्तित कर दिया और परिवादिनी को सुनवाई का कोई मौका नहीं दिया । विपक्षी संख्या 1 की ओर से इस संबंध में जो भूखण्डधारियों की सूची वर्ष 1986 में जारी की गई थी । उसमें पृष्ठ संख्या 28 क्रम संख्या 34 पर भखण्ड संख्या 33 के स्वामी के रूप में परिवादिनी का नाम दर्ज था । इस कारण बिना किसी यथोचित कारण के विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी के भूखण्ड को सुविधा क्षेत्र में बदल दिया हैं । जबकि परिवादिनी के आसपास के भूखण्ड संख्या 38, 39, 40 एवं 46 को पहले विपक्षी संख्या 1 सुविधा क्षेत्र में लिया था और बाद में उसे प्रदर्श-4 के माध्यम से उसे सुविधा क्षेत्र में मुक्त कर दिया हैं । जबकि विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी के भूखण्ड को सुविधा क्षेत्र से पृथक और मुक्त नहीं करके सेवादोष कारित किया हैं । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 17 के अन्तर्गत सभी अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी हैं ।
विपक्षी संख्या 1 ने अपनी उपस्थिति तो दर्ज करवाई हैं लेकिन उसकी ओर से जवाब और साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई हैं ।
विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध दिनांक 23.04.2012 को एकतरफा कार्यवाही अमल में लाने के आदेश दिये गये ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादिनी श्रीमती विमला देवी अग्रवाल ने स्वयं का शपथ पत्र प्रस्तुत करने के साथ-साथ प्रदर्श-1 से प्रदर्श-12 दस्तावेज प्रस्तुत किये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 2 से एक विवादित भूखण्ड दिनंाक 20.08.1980 को प्रदर्श-1 आवंटन पत्र के माध्यम से आवंटित करवाया था । जिसका साईट प्लान प्रदर्श-2 हैं । भूखण्ड आवंटन से पूर्व दिनंाक 10.04.1980 को परिवादिनी ने भूखण्ड संख्या 33 विपक्षी संख्या 2 की गृह निर्माण योजना संख्या 12 में क्रय करने के लिए विपक्षी संख्या 2 सोसायटी की सदस्यता ग्रहण की थी । जिसकी रसीद प्रदर्श-3 हैं । इसके बाद परिवादिनी ने उक्त भूखण्ड को कृषि भूमि से आवासीय भूमि में रूपान्तरित करवाने के लिए शुल्क दिनंाक 25.03.1982 को प्रदर्श-5 चालान के माध्यम से जमा करवाया था, जिसकी रसीद प्रदर्श-6 हैं । इसके बाद विपक्षी संख्या 2 द्वारा विपक्षी संख्या 1 को स्कीम स्ंाख्या 12, बाल नगर, करतारपुरा, जयपुर की भेजी गई सूची में भूखण्ड संख्या 33 पर परिवादिनी का नाम दर्ज हैं । इसका दस्तावेज प्रदर्श-7 हैं ।
लेकिन बाद में विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी के भूखण्ड को सुविधा क्षेत्र में अंकित कर दिया जबकि अन्य भूखण्ड संख्या 38, 39, 40 और 46 को सुविधा क्षेत्र से मुक्त कर दिया । इसके बाद परिवादिनी ने न्यायालय, उप-रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, जयपुर (शहर), जयपुर में भूखण्ड को सुविधा क्षेत्र में लेने के विषय में राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम,2001 में कार्यवाही की तो पंच निर्णय के माध्यम से उप-रजिस्ट्रार एवं पंच निर्णायक सहकारी समितियां,जयपुर (शहर), जयपुर ने अपने निर्णय दिनंाकित 08.01.2004 प्रदर्श-11 के माध्यम से दिया कि ’परिवादिनी उक्त भूखण्ड का 23 वर्षों से स्वामी के रूप में प्रयोग कर रही थी । इसलिए विपक्षी संख्या 1 द्वारा जब भूखण्ड संख्या 38, 39, 40 और 46 को सुविधा क्षेत्र से अलग कर दिया है तो केवल मात्र परिवादिनी का भूखण्ड संख्या 33 को सुविधा क्षेत्र से अलग नहीं करना विपक्षी संख्या 1 का मनमाना कृत्य प्रतीत होता हैं । अब जबकि पंच निर्णय दिनांकित 08.01.2004 प्रदर्श-11 के माध्यम से परिवादिनी के भूखण्ड संख्या 33, स्कीम नम्बर 12, बाल नगर, करतारपुरा, जयपुर को सुविधा क्षेत्र से मुक्त करने की सिफारिश कर दी गई है तब भी विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादिनी के भूखण्ड संख्या 33, योजना स्कीम नम्बर 12, बाल नगर, करतारपुरा, जयपुर को सुविधा क्षेेत्र से मुक्त करके उसका नियमन नहीं किया जाना विपक्षी संख्या 1 का सेवादोष दर्शाता हैं ।
अतः अब परिवाद, परिवादिनी स्वीकार किया जाकर विपक्षी संख्या 1 को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादिनी के भूखण्ड संख्या 33, स्कीम नम्बर 12, बाल नगर, करतारपुरा, जयपुर को सुविधा क्षेत्र की सीमा से मुक्त करके इसके संबंध में नियमन राशि प्राप्त कर लीज डीड नियमानुसार जारी करें । विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी के भूखण्ड संख्या 33, स्कीम नम्बर 12, बाल नगर, करतारपुरा, जयपुर को अब तक सुविधा क्षेत्र से पृथक नहीं करके सेवादोष कारित किया है और इस सेवादोष से परिवादिनी को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 7,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये विपक्षी संख्या 1 से दिलवाये जाने के आदेश दिये जाते हैं । विपक्षी संख्या 2 का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होने से परिवादिनी उसके विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादिनी स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि विपक्षी संख्या 1 परिवादिनी के भूखण्ड संख्या 33, स्कीम नम्बर 12, बाल नगर, करतारपुरा, जयपुर को सुविधा क्षेत्र की सीमा से मुक्त करके इसके संबंध में नियमन राशि प्राप्त कर लीज डीड नियमानुसार जारी करें । विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी के भूखण्ड संख्या 33, स्कीम नम्बर 12, बाल नगर, करतारपुरा, जयपुर को अब तक सुविधा क्षेत्र से पृथक नहीं करके सेवादोष कारित किया है और इस सेवादोष से परिवादिनी को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 7,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये विपक्षी संख्या 1 से दिलवाये जाने के आदेश दिये जाते हैं । विपक्षी संख्या 2 का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होने से परिवादिनी उसके विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं हैं ।
विपक्षी संख्या 1 को आदेश दिया जाता है कि वह उक्त समस्त राशि परिवादिनी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेगा ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 23.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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