राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-131/2018
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या 374/2007 में पारित आदेश दिनांक 05.07.2018 के विरूद्ध)
अशोक कुमार श्रीवास्तव पुत्र स्व0 राम प्यारेलाल, निवासी मोहल्ला परमानतपुर, पत्रालय कचेहरी परगना-हवेली, थाना-कोतवाली, तहसील-सदर, जिला जौनपुर
...................पुनरीक्षणकर्ता/परिवादी
बनाम
1. जे0डी0 मेमोरियल नर्सिंग होम जौनपुर, जरिए संचालक डा0 नितीश कुमार सिन्हा, स्टेशन रोड, थाना-कोतवाली, तहसील-सदर, जिला जौनपुर।
2. डा0 नितीश कुमार सिन्हा, शल्य चिकित्सक एवं व्यवस्थापक, जे0डी0 मेमोरियल नर्सिंग होम जौनपुर, स्टेशन रोड, थाना-कोतवाली, तहसील-सदर, जिला जौनपुर।
................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री मनोज मोहन,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री सर्वेश कुमार शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 13.11.2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-374/2007 अशोक कुमार बनाम जे0डी0 मेमोरियल नर्सिंग होम व अन्य में जिला फोरम, जौनपुर द्वारा पारित आदेश दिनांक 05.07.2018 के विरूद्ध यह पुनरीक्षण याचिका धारा-17 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत आयोग के
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समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित आदेश के द्वारा जिला फोरम ने पुनरीक्षणकर्ता, जो परिवाद के परिवादी हैं, की ओर से धारा-13 (4) (ii) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत अभिलेख तलब करने हेतु प्रस्तुत प्रार्थना पत्र 67ग निरस्त कर दिया है।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मनोज मोहन और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा उपस्थित आए हैं।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि आक्षेपित आदेश दिनांक 05.07.2018 जिला फोरम द्वारा पूर्व पारित आदेश दिनांक 09.11.2017 के विपरीत है।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि वांछित अभिलेख परिवाद के निर्णय हेतु आवश्यक है। अत: धारा-13 (4) (ii) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान के अन्तर्गत उक्त अभिलेख विपक्षीगण से तलब किया जाना आवश्यक है। अत: जिला फोरम ने पुनरीक्षणकर्ता द्वारा प्रस्तुत उक्त आशय का प्रार्थना पत्र 67ग अस्वीकार कर अपने क्षेत्राधिकार के प्रयोग में गम्भीर त्रुटि की है। अत: पुनरीक्षण याचिका स्वीकार कर जिला फोरम को उचित निर्देश दिया जाना आवश्यक है।
विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि आदेश
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दिनांक 09.11.2017 जिला फोरम के एक सदस्य द्वारा पारित किया गया है, जबकि जिला फोरम के कोरम के लिए आवश्यक है कि अध्यक्ष व एक अन्य सदस्य उपलब्ध हों। ऐसी स्थिति में जिला फोरम द्वारा पारित आदेश दिनांक 09.11.2017 अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है।
विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि विपक्षी ने शपथ पत्र प्रस्तुत कर जिला फोरम के समक्ष स्पष्ट रूप से कहा है कि परिवाद से सम्बन्धित मरीज के इलाज के समस्त कागजात उसे डिस्चार्ज करते हुए दे दिये गये थे। अब विपक्षी के पास उसके इलाज से सम्बन्धित कोई और अभिलेख उपलब्ध नहीं है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने पुनरीक्षणकर्ता का प्रार्थना पत्र 67ग आक्षेपित आदेश के द्वारा जो निरस्त किया है, वह उचित और विधिसम्मत है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
आदेश दिनांक 09.11.2017 की प्रमाणित प्रतिलिपि से स्पष्ट है कि इस पर मात्र एक सदस्य का हस्ताक्षर है। दो सदस्यों का हस्ताक्षर नहीं है। अत: यह आदेश कोरम के बिना पारित किया गया है, जो विधि की दृष्टि से आदेश नहीं कहा जा सकता है।
जिला फोरम ने अपने आक्षेपित आदेश में उल्लेख किया है कि वर्तमान प्रकरण में प्रतिपक्षी ट्रीटिंग डाक्टर ने अपनी जवाबदेही एवम् शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से यह अभिवचित कर दिया है कि उसने मरीज से सम्बन्धित सारे कागजात उसे डिस्चार्ज करते ही दे दिया है। अत: वांछित अभिलेख विपक्षी की अभिरक्षा में नहीं है।
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सम्पूर्ण तथ्यों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि वर्तमान पुनरीक्षण याचिका का निस्तारण इस प्रकार किया जाए कि विपक्षी उपरोक्त अभिलेख या उसकी द्वितीय प्रति अपनी अभिरक्षा में होने अथवा न होने के सम्बन्ध में स्पष्ट शपथ पत्र जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करें और उसके बाद विधि के अनुसार जिला फोरम द्वारा अग्रिम आदेश पारित किया जाए।
उपरोक्त विवेचना एवं ऊपर अंकित निष्कर्ष के आधार पर वर्तमान पुनरीक्षण याचिका इस प्रकार निस्तारित की जाती है कि विपक्षी जे0डी0 मेमोरियल नर्सिंग होम जिला फोरम के समक्ष पुनरीक्षणकर्ता/परिवादी द्वारा याचित अभिलेखों के सम्बन्ध में अपना स्पष्ट शपथ पत्र जिला फोरम के समक्ष 30 दिन के अन्दर प्रस्तुत करें कि क्या उक्त अभिलेख की द्वितीय प्रतियॉं उनके पास उपलब्ध हैं अथवा नहीं। जिला फोरम विपक्षी की ओर से शपथ पत्र प्रस्तुत किये जाने पर धारा-13 (4) (ii) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान को दृष्टिगत रखते हुए विधि के अनुसार अग्रिम कार्यवाही परिवाद की यथाशीघ्र सुनिश्चित करे और परिवाद का निस्तारण दो माह के अन्दर करे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1