(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-761/2012
(जिला उपभोक्ता आयोग, बागपत द्वारा परिवाद संख्या-148/2011 में पारित निणय/आदेश दिनांक 11.1.2012 के विरूद्ध)
दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0, 135 सोतीगंज, बेगम ब्रिज रोड, मेरठ, जिला मेरठ द्वारा मैनेजर।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
जे.वी.जी. इलेक्ट्रिकल्स द्वारा प्रोपराइटर गजराज उर्फ नरेश पुत्र श्री मान सिंह, दुकान रोड, बागपत, जिला बागपत।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आई.पी.एस. चड्ढा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल।
दिनांक: 27.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-148/2011, जे.बी.जी. इलेक्ट्रिकल्स बनाम दि न्यू इंडिया इं0कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, बागपत द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 11.1.2012 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन 2,12,438/-रू0 बीमा क्लेम एक माह के अंदर अदा करने का आदेश पारित किया है। एक माह के अंदर यह राशि अदा नहीं करने पर 09 प्रतिशत ब्याज भी अदा करने के लिए आदेशित किया है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने अपने व्यापार की सुरक्षा के लिए अंकन 3,15,000/-रू0 की राशि का बीमा कराया था, जो दिनांक 4.11.2009 से दिनांक 3.11.2010 तक की अवधि के लिए वैध था। यह बीमा चोरी तथा आग से सुरक्षा के लिए था। दिनांक 6.1.2010 की रात्रि में अज्ञात चोरों द्वारा दुकान का ताला तोड़कर दुकान का सामान चोरी कर लिया गया, जिसकी रिपोर्ट दिनांक 7.1.2010 को संबंधित थाने में धारा 457, 380 आईपीसी के तहत दर्ज कराई तथा बीमा कंपनी को इसकी सूचना दी गई। चोरी गए सामान का कुल मूल्य अंकन 3,50,000/-रू0 था। बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया। सर्वेयर को स्टाक, अवशेष माल तथा चोरी गए माल का विवरण दिया गया। पुलिस द्वारा विवेचना में चोरी होने के तथ्य की पुष्टि की, परन्तु चोरी का पता न चल पाने की अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई।
3. बीमा कंपनी का कथन है कि घटना की रिपोर्ट 18 घंटे देरी से लिखाई गई है। केवल खरीदारी के पर्चे प्रस्तुत किए गए हैं। स्टाक का विवरण नहीं दिया गया है।
4. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी उपभोक्ता है तथा उसकी दुकान में चोरी की घटना घटित हुई है और अंकन 1,94,438/-रू0 तक की कीमत का सामान चोरी होना आंका है। तदनुसार उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
5. उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा बीमा क्लेम सुनिश्चित करने के लिए वांछित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। अवार्ड अत्यधिक उच्च दर से दिलाया गया है और क्षति का आंकलन साक्ष्य पर आधारित नहीं है।
7. विद्वान जिला आयोग द्वारा क्षति का आंकलन साक्ष्य की व्याख्या करने के पश्चात पारित किया गया है तथा स्पष्ट निष्कर्ष दिया है कि अंकन 3,87,438/-रू0 का स्टाक दिनांक 15.12.2008 से दिनांक 27.12.2009 की अवधि के मध्य मौजूद रहा है। यह सही है कि बिक्री का विवरण परिवादी द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया। 33 बैट्रियां दिनांक 10.12.2010 से दिनांक 26.12.2010 तक अर्थात् घटना से एक माह पहले क्रय की गई। विद्वान जिला आयोग द्वारा इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान लिया जाना उचित नहीं था कि सर्दियों के मौसम में बैट्री कम बिकती हैं, इसलिए 33 बैट्रियों की सही संख्या दर्शाई गई है। 33 बैट्रियों में से एक माह के अंदर एक भी बैट्री का न बिकना, इस तथ्य का सबूत नहीं है कि सर्दियों में बैट्री नहीं बिकती। इस प्रकार स्टाक में से विक्रय का सही आंकलन विद्वान जिला आयोग द्वारा नहीं किया गया। विद्वान जिला आयोग ने केवल अनुमानित विक्रय अंकन 1,50,000/-रू0 माना है तथा यह भी माना है कि परिवादी ने अंकन 40,000/-रू0 का स्टाक चोरी होने के बाद भी उपलब्ध होना स्वीकार किया है। इस प्रकार अंकन 1,50,000/-रू0 का विक्रय अनुमान के आधार पर मानना उचित नहीं है। यदि कुल स्टाक 3,87,438/-रू0 का है तब विक्रय केवल 1,50,000/-रू0 का माना जाना उचित नहीं है, अपितु विक्रय का प्रतिशत 1,50,000/-रू0 के स्थान पर अंकन 2,00,000/-रू0 की राशि से सुनिश्चित किया जाना चाहिए था, क्योंकि परिवादी द्वारा वास्तविक विक्रय मूल्य साबित नहीं किया गया है, इसलिए अंकन 3,87,438/-रू0 से न्यूनतम अंकन 2,00,000/-रू0 का विक्रय हो जाना माना जाना उचित है। इस प्रकार अंकन 3,87,438/-रू0 में से अंकन 2,00,000/-रू0 के विक्रय के पश्चात अवशेष माल अंकन 1,87,438/-रू0 बचता है तथा अंकन 40,000/-रू0 माल का बचा होना स्वंय परिवादी ने स्वीकार किया है। इस प्रकार क्षतिपूर्ति की कुल राशि अंकन 1,47,438/-रू0 बनती है। अत: क्षतिपूर्ति की राशि उपरोक्तानुसार संशोधित होने योग्य है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11.01.2012 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को क्षतिपूर्ति की राशि अंकन 147438/-रूपये देय होगी तथा इस राशि पर ब्याज 09 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत की दर से देय होगा। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
दिनांक 27.06.2024
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2