Uttar Pradesh

StateCommission

A/1998/726

M/s H M T Ltd - Complainant(s)

Versus

J S Pandey - Opp.Party(s)

R K Mishra

16 Feb 1998

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1998/726
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/s H M T Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. J S Pandey
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. JUSTICE Virendra Singh PRESIDENT
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary MEMBER
 HON'ABLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज् उपभोक्ता  विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ।

                                सुरक्षित

          अपील संख्‍या-726/1998 

 

M/s. H.M.T. Ltd., Agricultural Machinery Group, Tractor Marketing Division: Servicing Department : SCO, 34, Madhya Marg, Sector 7-C, Chandigarh- 160019 through Managing Director M/s. H.M.T. Ltd., Agricultural Machinery Group , Tractor Marketing Division : Servicing Department : SCO, 34, Madhya Marg, Sector 7-C, Chandigarh.

 

                                                                                 …..APPELLANT.

                                         VERSUS

  1. Jata Shanker Pandey S/o Sri Ram Nath Panday, resident of Lachchapur, Post Khochwa, Pargana Kaswar Raja, District Varanasi.
  2. U.P. State Agro Industrial Corporation Ltd., Divisional Office Lahartrara Garden, Varanasi through Divisional Engineer, U.P. State Agro Industrial Corporation Ltd., Divisional Office Lahartara Garden, Varanasi.
  3. Service Engineer, U.P. Agro Industrial Corporation Ltd., Divisional Office Lahartara Garden, Varanasi through Divisional Engineer, U.P. State Agro Industrial Corporation Ltd., Divisional Office Lahartara Garden, Varanasi.

                                                                        …….RESPONDE                                                                          

समक्ष:-

1 मा0 न्‍यायमूर्ति श्री वीरेन्‍द्र सिंह अध्‍यक्ष।

2-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी सदस्‍य।

3-मा0 श्रीमती बाल कुमारी सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित। विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0 के0 मिश्रा।

प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित।  विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0 के0 रावत।

दिनांक-01-01-2015

         मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

   निर्णय

          अपीलकर्ता/विपक्षी संख्‍या-3 ने प्रस्‍तुत अपील प्रत्‍यर्थी गण जटा शंकर एवं अन्‍य के विरूद्ध परिवाद संख्‍या-293/1995 जटा शंकर बनाम यू0 पी0 स्‍टेट एग्रो इन्‍डस्ट्रियल कारपोरेशन एवं अन्‍य में पारित आदेश दिनांक 20-02-1998 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है जिसमें कि निम्‍न आदेश पारित है।

     “ दावा वादी स्‍वीकार करके आदेश दिया जाता है कि विपक्षी नं0-3 परिवादी को बेचे गये ट्रैक्‍टर को वापस लेकर उसके बदले उनको उसी मेक का दूसरा ट्रैक्‍टर बिना कोई अतिरिक्‍त दाम लिये तीन माह के अन्‍दर दे देवें। इसके अतिरिक्‍त आर्थिक नुकसान की भरपायी हेतु विपक्षीगण परिवादी को मु0 15 प्रतिशत (पन्‍द्रह प्रतिशत) वादकालीन एवं भविष्‍यगामी ब्‍याज भी

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मूलधन पर उसी अवधि के भीतर अदा करें तथा मु0 1,07,000/-(एक लाख सात हजार रूपये) बैंक ऋण पर मु0 15 प्रतिशत (पन्‍द्रह प्रतिशत) वार्षिक ब्‍याज भी वे लोग परिवादी को अदा करें ताकि परिवादी अपने कर्ज के एवज में बैंक को सूद अदा कर सकें।“

     उपरोक्‍त वर्णित आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी द्वारा यह अपील योजित की गयी है।

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी ने एक एच0 एम0 टी0 1811 ट्रैक्‍टर जिसका किट नं0-2731 तथा चेचिस नं0-02739 है, दिनांक 31/03/1994 को विपक्षी नं0-1 से मु0- 1,18,500/-रूपये में क्रय किया। इस राशि में से मु0- 1,07,000/-रूपया उन्‍होंने ग्रामीण बैंक भैसा मिर्जापुर से मु0-15 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज देने की शर्त पर ऋण लिया था। उसी समय उन्‍होंने मु0-32,000/-रू0 में ट्राली भी लिया था। ट्रैक्‍टर का पम्‍प कम्‍पनी से ही खराब था जिसकी जानकारी ट्रैक्‍टर खरीदने के समय हो ही नहीं सकती थी और न प्रतिवादी संख्‍या-1 और 2 ने इसकी जानकारी ही उस समय उनको दी। ट्रैक्‍टर के बैटरी सिस्‍टम और मीटर में भी खराबी थी। जब ट्रैक्‍टर से काम लिया जाना शुरू हुआ तो उसके पम्‍प के खराबी के कारण मोविल चेम्‍पर में डीजल आने लगा और उसके स्‍टार्ट होने में भी खराबी थी। पहले से कोई जानकारी न होने के कारण परिवादी ने इसकी सूचना विपक्षी नं0-1 को दिया तो उन्‍होंने विपक्षी नं0-2 से ट्रैक्‍टर के यांत्रिक दोष के बारे में जॉंच कराया और नदेसर वाराणसी में भेजवाकर ट्रैक्‍टर की मरम्‍मत करवायी, लेकिन वह खराबी नहीं ठीक हुई। इसी तरह बार-बार शिकायत करने पर दो बार विपक्षी नं0-2 ने खराबी दूर करने हेतु प्रयत्‍न किया परन्‍तु कोई सुधार नहीं हुआ। इस पर परिवादी ने विपक्षी नं0-3 कम्‍पनी को शिकायत भेजा इस पर उनको सूचना दी गयी कि दिनांक 03-03-1995 को कम्‍पनी के प्रतिनिधि ट्रैक्‍टर की जांच करेंगे इसलिये उसे लेकर सेवा केन्‍द्र पर आवें। बड़ी परेशानी उठाकर किसी तरह ट्रैक्‍टर को खीचवाकर सेवा केन्‍द्र में विपक्षी नं0-2 के यहॉं भेजवाया और शिकायत करने पर उन्‍होंने कहा कि कम्‍पनी ने जैसी सूचना दी थी वह परिवादी को दे दी गयी अगर वे मिस्‍त्री भी नहीं भेजवा सके तो वे क्‍या कर सकते हैं। परिवादी ने लगातार परेशान रहते हुए एक पत्र मार्च-21 और दूसरा पत्र मार्च-22 सन् 1995 से एग्रो सेवा के अभियन्‍ता को शिकायत की गयी तो कम्‍पनी की तरफ से कहलवाया गया कि दिनांक 11-03-1995 को ट्रैक्‍टर लेकर सेवा केन्‍द्र पर उपस्थित हो। पम्‍प की मरम्‍मत की गयी, ट्रैक्‍टर लेकर जब वादी घर पहुँचे तो उसने फिर काम करना बन्‍द कर दिया और खराबी ज्‍यों का त्‍यों रह गया इसके कारण उनको बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा और आर्थिक कष्‍ट भी उठाना

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पड़ा। उन्‍होंने उपसम चाहा कि ट्रैक्‍टर की कीमत मु0-1,18,500/-रूपया मय 15 प्रतिशत वादकालीन एवं भविष्‍यगामी ब्‍याज के साथ मु0-2,00,000/-रूपया क्षतिपूर्ति के रूप में दिलायी जाय।

     अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रतिवाद पत्र करते हुए यह कहा कि यह कहना गलत है कि ट्रैक्‍टर और उसमें लगी पम्‍प शुरू से ही खराब थी। दिनांक 31-03-1994 को खरीदने के बाबत ट्रैक्‍टर की प्रथम शिकायत 7 माह बाद दिनांक 24-10-1994 को पम्‍प में खराबी के बाबत की गयी जिससे उस पम्‍प के निर्माता के यहां भेजवाकर ठीक करवाया गया। चूंकि पम्‍प के निर्माता माइको वास कम्‍पनी है इसलिये कोई शिकायत मिलने पर उनसे ठीक करवाया जाता है। विपक्षी नं0-2 केवल उस निर्माता कम्‍पनी के अधिकृत डीलर है। उसके बाद कोई भी शिकायत परिवादी ने विपक्षियों के यहां नहीं की। बैट्री सिस्‍टम और मीटर में कोई खराबी नहीं थी उस पर हाइड्रोलिक लिफ्ट तथा ट्रैक्‍टर के तेल खपत के बारे में की गयी शिकायत के संबंध में चंडीगढ़ से कम्‍पनी ने डिप्‍टी जनरल मैंनेजर के पास ट्रैक्‍टर सेवा केन्‍द्र में लाये जाने हेतु परिवादी को सूचना दी गयी। फिर कम्‍पनी के सेवा इंजीनियर ने अपने पत्र दिनांक 14-03-1995 के द्वारा विपक्षी नं0-1 को परिवादी को ट्रैक्‍टर दिनांक 27-03-1995 को पुन: सेवा केन्‍द्र पर ले जाने हेतु निर्देश दिया गया उसी ट्रैक्‍टर की विधिवत सर्विस की गयी तथा इंजन का वाल्‍व बदलकर नया वाल्‍व हेड गैसकेट, पिस्‍टन, रिंग और सिलेंडर हेड वाल्‍व की सीट बदल दिया गया। स्‍वयं परिवादी ने ट्रैक्‍टर के संतोषजनक कार्य करने का प्रमाण पत्र देकर उसे तीन घण्‍टा चलवाकर चेक कर लिया फिर किसी खराबी के बारे में परिवादी ने सूचना दी तो फिर उनको दिनांक 03-03-1995 को सेवा केन्‍द्र पर ट्रैक्‍टर बनाये जाने हेतु निर्देश दिया गया परन्‍तु उस दिन ईद का अवकाश घोषित हो गया। पुन: ट्रैक्‍टर दिनांक 29-03-1995 को ठीक कर दिया गया। वारंटी अवधि के भीतर चार बार सर्विस मुफ्त की गयी और वह अब ठीक ढंग से काम कर रहा है। परिवादी उस ट्रैक्‍टर से व्‍यवसाय करते हैं इसलिये वे उपभोक्‍ता नहीं हैं।

     अपने अभिकथनों की पुष्टि में पक्षदय ने शपथपत्र दाखिल किये तथा विपक्षी नं0-3 ने 8 कागजात भी दाखिल किये जो ट्रैक्‍टर की खराबी के संबंध में किये गये पत्राचार है। 

     अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क दिया कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने अधिकृत डीलर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 से दिनांक 31-03-1994 को प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर 88,500/-रू0 में लिया था जिसमें कि उसे 30,000/-रू0 की धनराशि की सब्सिडी का लाभ दिया गया था और वह सही कंडीशन में था किन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी संख्‍या-1 ने विद्वान जिला मंच के समक्ष यह

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गलत तथ्‍य प्रस्‍तुत किया है कि उसने उपरोक्‍त ट्रैक्‍टर 1,18,500/-रू0 का क्रय किया था।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि दिनांक 24-10-1994 के प्रत्‍यर्थी/परिवादी संख्‍या-1 ने प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर को बिना किसी शिकायत के 7 माह चलाया और प्रथम बार जब वह अचानक दिनांक 24-10-1994 को उसके फीवल इंजेक्‍शन पम्‍प में दोष आया जिसको माइको कम्‍पनी द्वारा बनाया गया था उस दोष का निवारण माइको कम्‍पनी के अधिकृत डीलर मैसर्स आटो एक्‍पर्ट अंधरापुर नादेश्‍वर वाराणसी द्वारा किया गया, इस संबंध में जॉब कार्ड की प्रति भी दाखिल की गयी है। जब परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने हाइड्रोलिक लिफ्ट एवं फ्यूल के अत्‍यधिक एक्सिस कन्‍जमशन के बारे में शिकायत की तो उसके बाद प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 के द्वारा दिनांक 27-03-1995 को सर्विस सेन्‍टर में उस दोष का निराकरण किया गया इसके जॉब कार्ड की फोटो प्रति भी जो कि माइको कम्‍पनी के डीलर द्वारा दी गयी है वह दाखिल की गयी है। दिनांक 29-03-1995 को परिवादी/प्रत्‍यर्थी के ड्राईवर/भाई के द्वारा यह पत्र अपने लेख में सर्विस मैंनेजर एच0 एम0 टी0 चण्‍डीगढ़ को दिया गया है कि दिनांक 27-03-95 को ट्रैक्‍टर चेक किया गया और जो भी सामान की आवश्‍यकता थी उसे बदल दिया, टैक्‍टर को 3 घण्‍टे चलाकर चेक किया गया अब उसका ट्रैक्‍टर ठीक है जिससे वह पूर्णतया संतुष्‍ट है यह पत्र दिनांक 29-03-95 केवला शंकर पाण्‍डेय द्वारा दिया गया है। अपीलार्थी के द्वारा परिवादी/प्रत्‍यर्थी को फ्री सर्विसेज प्रदान की गयी थी और सभी शिकायतों को दिनांक 24-10-1994 एवं दिनांक 27-10-1994 को दूर की गयी।

      अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा यह टेक्‍नीकल रिपोर्ट के द्वारा यह सिद्ध नहीं किया गया है कि ट्रैक्‍टर में कोई निर्माण दोष था अत: ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच का आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्वान जिला मंच द्वारा समस्‍त तथ्‍यों की विवेचना करते हुए विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली में उपलब्‍ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया। परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा जब भी उनका ट्रैक्‍टर खराब हुआ है तो उसे अपीलार्थी द्वारा सही कराया गया है और विभिन्‍न तिथियों पर सही कराने का जॉब कार्ड की प्रति भी अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत की गयी है। जॉब कार्ड मैसर्स आटो एक्‍सपर्ट के जॉब कार्ड की फोटो प्रति दिनांक 25-10-1994 एवं दिनांक 28-03-95 पत्रावली में दाखिल किये गये हैं तथा केवला शंकर पाण्‍डेय द्वारा पत्र दिनांक 29-03-95 की फोटो प्रति दाखिल की

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गयी है जिसमें कि स्‍पष्‍ट रूप से यह कहा गया है कि दिनांक 27-03-95 को ट्रैक्‍टर चेक किया गया और जो सामान की आवश्‍यकता थी उसको बदल दिया गया तथा ट्रैक्‍टर को 3 घण्‍टे चलाकर चेक किया गया उनका ट्रैक्‍टर ठीक है जिससे वह पूर्णतया संतुष्‍ट है अत: ऐसी परिस्थिति में हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचते हैं कि जब कभी प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर में कोई खराबी आयी है तो उसकी मरम्‍मत की गयी एवं चूंकि किसी सामान के बदले जाने की आवश्‍यकता थी तो उसे भी बदल दिया गया है जहां तक निर्माण दोष का प्रश्‍न है इस सम्‍बन्‍ध में कोई टेक्‍नीकल रिपोर्ट प्रस्‍तुत नहीं की गयी है अत: ऐसी परिस्थिति में यह नहीं माना जा सकता है कि प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर में कोई निर्माण दोष था।

अत: उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है एवं प्रश्‍नगत विद्वान जिला मंच द्वारा पारित किया गया निर्णय निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।  

                     आदेश

      अपील स्‍वीकार की जाती है। परिवाद संख्‍या-293/1995 जटा शंकर बनाम यू0 पी0 स्‍टेट एग्रो इन्‍डस्ट्रियल कारपोरेशन एवं अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20-02-1998 निरस्‍त किया जाता है।

वाद व्‍यय पक्षकार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

     इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।  

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति वीरेन्‍द्र सिंह)    (अशोक कुमार चौधरी)        (बाल कुमारी)

      अध्‍यक्ष                     सदस्‍य                      सदस्‍य

 मनीराम आशु0

 कोर्ट- 1  

 
 
[HON'ABLE MR. JUSTICE Virendra Singh]
PRESIDENT
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
MEMBER
 
[HON'ABLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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