मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1446/2008
मै0 जैन प्रापर्टी डीलर, जगनेर रोड, धनौली, आगरा तथा तीन अन्य।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम्
श्री जे.पी. गुप्ता पुत्र श्री बी.डी. गुप्ता, निवासी करवा गली, लोहामण्डी आगरा।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से : श्री वी0एस0 बिसारिया, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक: 14.03.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-505/1995, जे0पी0 गुप्ता बनाम मै0 जैन प्रापर्टी डीलर्स तथा तीन अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.03.2008 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया है कि वह परिवादी द्वारा जमा की गई राशि अंकन 25,500/- रूपये 09 प्रतिशत ब्याज सहित वापस लौटाई जाए साथ ही अंकन 1500/- रूपये 03 माह के अन्दर वापस करने का भी आदेश दिया गया।
2. परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने एक प्लाट प्राप्त करने के लिए विपक्षीगण के पास अंकन 25,500/- रूपये जमा कराए बाद में ज्ञात हुआ कि विपक्षीगण के पास प्रभुकुंज योजना में कोई जमीन नही है, इसलिए परिवादी ने जमा राशि वापस लौटाने का
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अनुरोध किया, परन्तु विपक्षीगण द्वारा धनराशि वापस नहीं लौटाई, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षीगण का कथन है कि आवास विकास परिषद द्वारा स्वीकृत नक्शा दिखाने के उपरान्त भूखण्ड का आवंटन किया गया था। सम्पूर्ण राशि जमा करने के पश्चात विक्रय पत्र निष्पादित होना था, परन्तु परिवादी ने बकाया राशि अदा नहीं की, जबकि विपक्षीगण भूमि का बैनामा करने के लिए तैयार हैं।
4. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि यथार्थ में प्रभुकुंज कालोनी में विपक्षीगण के पास कोई भूमि नहीं है, जिसका बैनामा परिवादी को किया जा सके, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जमा धनराशि वापस लौटाने का आदेश दिया गया।
5. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि परिवादी स्वंय डिफाल्टर था, वह स्वच्छ मन-मस्तिष्क के साथ उपभोक्ता मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है।
6. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हैं। अत: केवल अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गई तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि स्वंय परिवादी ने प्लाट के शेष मूल्य का भुगतान नहीं किया, परन्तु अपील के ज्ञापन में यह उल्लेख नहीं है कि परिवादी को विक्रय की जाने वाली भूमि विपक्षीगण के पास प्रभुकुंज योजना में उपलब्ध थी। यदि यथार्थ में यह भूमि उपलब्ध थी तब अपील के ज्ञापन में इस तथ्य का स्पष्ट उल्लेख
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किया जाता। चूंकि अपील के ज्ञापन में इस तथ्य का कोई उल्लेख नहीं है कि उनके पास परिवादी को विक्रय करने के लिए पर्याप्त भूमि मौजूद नहीं है, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय में हस्तक्षेप करने का कोई आधार प्रतीत नहीं होता है, परन्तु विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज अदा करने का आदेश उचित प्रतीत नहीं होता है। ब्याज की राशि 06 प्रतिशत सुनिश्चित करना विधिसम्मत है। अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 04.03.2008 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को देय ब्याज 09 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष देय होगा। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2