Uttar Pradesh

StateCommission

A/2135/2015

Prahalad mouriya - Complainant(s)

Versus

J P Cement - Opp.Party(s)

Anil Kumar Mishra

02 Apr 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2135/2015
( Date of Filing : 12 Oct 2015 )
(Arisen out of Order Dated 04/09/2015 in Case No. c/67/2014 of District Basti)
 
1. Prahalad mouriya
Basti
UP
...........Appellant(s)
Versus
1. J P Cement
Rewan
MP
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 02 Apr 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-2135/2015

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, बस्‍ती द्वारा परिवाद संख्‍या 67/2014 में पारित निर्णय दिनांक 04.09.2015 के विरूद्ध)

प्रहलाद मौर्या पुत्र स्‍व0 श्री राम खेलावान मौर्या, ग्राम बेहार पोस्‍ट

कप्‍तानगंज, जिला बस्‍ती।                       .......अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्

1.मैनेजिंग डायरेक्‍टर जे.पी. सीमेन्‍ट, जय प्रकाश एसोसिएट,

जे.पी. नगर, रीवा, एम.पी.

2. आदर्श बिल्डिंग मटेरियल, रखिया तिराहा पोस्‍ट कप्‍तानगंज

जिला बस्‍ती यूपी द्वारा प्रोपेराइटर।             ......प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

1. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

2. मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित      : श्री अनिल कुमार मिश्रा, विद्वान

                               अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0 1 की ओर से उपस्थित  : श्री अजय विक्रम सिंह, विद्वान

                                अधिवक्‍ता।

दिनांक 03.05.2019

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

     यह अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम बस्‍ती द्वारा परिवाद संख्‍या 67/14 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दि. 04.09.2015 के विरूद्ध योजित की गई है।

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपने मकान के निर्माण हेतु 102 बोरी सीमेन्‍ट क्रय करने हेतु प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 के अधिकृत डीलर प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 से संपर्क किया और उसके द्वारा प्रेरित किए जाने पर जी.पी. सीमेन्‍ट की खरीददारी की। उक्‍त जे.पी. सीमेन्‍ट के प्रयोग से 15 दिन बाद ही सीमेन्‍ट मौरंग, बालू गिट्टी व ईंट पकड़ नहीं होने के कारण टूट कर गिर रहा था और धीरे-धीरे परिवादी

 

-2-

द्वारा निर्माण कराया गया मकान क्षतिग्रस्‍त हो गया, जिससे परिवादी की लगभग 3 लाख रूपये की क्षति हुई। परिवादी की यह क्षति प्रत्‍यर्थीगण द्वारा खराब गुणवत्‍ता की सीमेन्‍ट की आपूर्ति किए जाने के कारण हुई। परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 को पंजीकृत पत्र आवश्‍यक कार्यवाही किए जाने हेतु प्रेषित किए गए, किंतु कोई कार्यवाही नहीं की गई। परिवादी द्वारा पुन: 17.04.2014 को प्रत्‍यर्थीगण को पंजीकृत डाक से सूचित किया गया तथा परिवादी को हुई क्षति की जानकारी दी गई, किंतु प्रत्‍यर्थीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई, अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष तीस लाख रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाए जाने तथा रू. 50000/- के रूप में परिवादी को हुई मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक प्रताड़ना के कारण दिलाए जाने हेतु योजित किया गया।

     प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 द्वारा पृथक प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 के कथनानुसार प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 के अधिकृत सीमेन्‍ट विक्रेता अथवा सब डीलर नहीं है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 द्वारा प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 को जे.पी. सीमेन्‍ट बेचने के लिए अधिकृत नहीं किया गया। प्रतयर्थी संख्‍या 1 का यह भी कथन है कि परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 से जे.पी. सीमेन्‍ट खरीदा गया अथवा नहीं इसे सिद्ध करने का भार परिवादी पर है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 का यह भी कथन है कि सीमेन्‍ट, मौरंग, बालू, गिट्टी, ईंट के उचित अनुपात में प्रयोग न किए जाने अथवा असावधानीपूर्वक निर्माण कराए जाने पर निर्माण में खराबी आना संभव है।

     प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 ने अपीलकर्ता/परिवादी को सीमेन्‍ट बेचने के तथ्‍य से इंकार नहीं किया। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 के कथनानुसार परिवादी द्वारा यह

 

-3-

कहने पर की वह उसे जे.पी. सीमेन्‍ट से छत लगवाना चाहते हैं और उसके पास पैसा नहीं है, एक महीने के अंदर पैसा दे दिया जाएगा। परिवादी को पड़ोस का होने के नाते विश्‍वास करके सीमेन्‍ट, मौरंग, बालू, सरिया उसने उसे दिया। परिवादी ने उसे कुछ पैसा दिया और रू. 45000/- बकया कर दिया। एक माह व्‍यतीत हो जाने पर प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 ने अपने बकाए की मांग की तो परिवादी ने आनाकानी की। उसके द्वारा दबाव बनाने पर उसे नोटिस भिजवा दी। परिवादी द्वारा कराए गए निर्माण में कोई कमी है और न ही सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता में कोई कमी थी।

     जिला मंच ने आपूर्ति की गई सीमेन्‍ट को दोषपूर्ण नहीं माना, बल्कि यह मत व्‍यक्‍त किया कि आपूर्ति की गई सीमेन्‍ट की लंबी अवधि तक प्रयोग न किए जाने के कारण हवा लगने तथा नमी के कारण सीमेन्‍ट का खराब होना अस्‍वाभाविक नहीं है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 का यह भी कथन है कि उसकी किसी विशेषज्ञ साक्ष्‍य के अभाव में आपूर्ति की गई सीमेन्‍ट को दोषपूर्ण नहीं माना जा सकता। तदनुसार परिवादी का परिवाद जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा निरस्‍त कर दिया। इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गई।      

हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनिल कुमार मिश्रा तथा प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अजय विक्रम सिंह के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 की ओर से नोटिस की तामीला के बावजूद कोई तर्क प्रस्‍तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।

अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते

 

-4-

हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है। जिला मंच द्वारा इस तथ्‍य पर ध्‍यान नहीं दिया गया कि अपीलकर्ता ने अपने कथन के समर्थन में सिविल इंजीनियर सिंचाई विभाग की विशेषज्ञ आख्‍या तथा मिस्‍त्री की साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की है। इस साक्ष्‍य के विरूद्ध प्रत्‍यर्थीगण द्वारा कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गई। जिला मंच द्वारा यह गलत निर्णीत किया गया कि सीमेन्‍ट का उपयोग अत्‍यधिक विलम्‍ब से किया गया, ज‍बकि परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत की गई साक्ष्‍य से यह स्‍पष्‍ट है कि सीमेन्‍ट का उपयोग दि. 07.02.14 से 06.03.14 के मध्‍य किया गया तथा सीमेन्‍ट के उपयोग के 15 दिन के अंदर ही निर्माण क्षतिग्रस्‍त हो गया। तदोपरांत निरंतर परिवादी प्रत्‍यर्थीगण से पत्राचार करता रहा, किंतु कोई कार्यवाही नहीं की गई। परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में विशेषज्ञ द्वारा निर्माण कार्य की तथा सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता की जांच कराई, जबकि प्रत्‍यर्थीगण द्वारा कोई अन्‍यथा विशेषज्ञ आख्‍या  प्रस्‍तुत नहीं की गई, किंतु जिला मंच द्वारा इस तथ्‍य पर ध्‍यान नहीं दिया गया।

     प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 आदर्श बिल्डिंग मटेरियल रखिया तिराहा, कप्‍तानगंज, बस्‍ती अपीलकर्ता के अधिकृत डीलर नहीं है और न ही जे.पी. सीमेन्‍ट के संग्रहकर्ता हैं। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 ने वर्ष 2013-14 के लिए जिला बस्‍ती के अधिकृत डीलर एवं संग्रहकर्ताओं की सूची प्रस्‍तुत की। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत बिक्री रसीद के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 द्वारा जारी किए गए कैश मेमो दिनांकित‍ 01.03.14 में मात्र 100 बोरे सीमेन्‍ट बेचा जाना दर्शित है, यह सीमेन्‍ट किस ब्रान्‍ड की है यह दर्शित नहीं है।

 

 

-5-

     उल्‍लेखनीय है कि जिला मंच के समक्ष प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 द्वारा प्रस्‍तुत किया गया प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों तथा प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 द्वारा प्रस्‍तुत की गई साक्ष्‍य के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 यह स्‍वीकार करता है कि उसने परिवादी को 100 बोरी जे.पी. सीमेन्‍ट विक्रय की थी। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 का यह भी कथन है कि वह जे.पी. सीमेन्‍ट का अधिकृत डीलर है, किंतु प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 ने इस आयोग के समक्ष जनपद बस्‍ती के जे.पी. सीमेन्‍ट के सभी अधिकृत डीलरों की सूची प्रस्‍तुत की है, जिसमें आदर्श बिल्डिंग मटेरियल जे.पी. सीमेन्‍ट के डीलर दर्शित नहीं है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 का यह स्‍पष्‍ट कथन है कि प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 उसके अधिकृत डीलर नहीं है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 द्वारा जिला मंच के समक्ष कोई ऐसा साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गई जिससे यह प्रमाणित हो कि वस्‍तुत: प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 जे.पी. सीमेन्‍ट के अधिकृत डीलर है। अपीलीय स्‍तर पर नोटिस की तामीला के बावजूद प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 द्वारा प्रश्‍नगत सीमेन्‍ट की बिक्री के संबंध में परिवादी के पक्ष में निर्विवाद रूप से जो रसीद दिनांकित 01.03.14 जारी की गई है, जिसकी फोटोप्रति अपील मेमो के साथ दाखिल है, में यह उल्लिखित नहीं है कि विक्रय की गई सीमेन्‍ट वस्‍तुत: जे.पी. सीमेन्‍ट है। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 द्वारा अपीलकर्ता/परिवादी को जे.पी. सीमेन्‍ट के नाम से जो सीमेन्‍ट बेची गई, वस्‍तुत: वह प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 जे.पी. कंपनी द्वारा अधिकृत रूप से निर्मित सीमेन्‍ट थी, प्रमाणित नहीं है। यह तथ्‍य स्‍वत: यह प्रमाणित करता है कि प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 द्वारा अनुचित व्‍यापार पद्धति कारित करते हुए जे.पी. सीमेन्‍ट के नाम से किंतु अधिकृत जे.पी. सीमेन्‍ट की बिक्री 

 

-6-

प्रत्‍यर्थी/अपीलकर्ता को नहीं की गई। ऐसी परिस्थिति में विक्रय की गई सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता मानक के अनुसार उपयुक्‍त श्रेणी का न होना अस्‍वाभाविक नहीं माना जा सकता।

     प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि जिला मंच ने परिवादी द्वारा क्रय की गई सीमेन्‍ट का उपयोग क्रय किए जाने की तिथि से लंबी अवधि तक उपयोग न किया जाना माना है तथा इसका आधार प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रयोग की गई सीमेन्‍ट की गुणवत्‍ता के संदर्भ में श्री भगवान दत्‍त चौधरी सेवानिवृत्‍त सहायक अभियंता सिंचाई अभियंता सिविल सिंचाई विभाग, उ0प्र0 के द्वारा प्रस्‍तुत आख्‍या दिनांकित 31.01.15 को माना है। जिला मंच का यह निष्‍कर्ष हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण है। परिवादी ने निर्विवाद रूप से सीमेन्‍ट फरवरी 2014 तथा मार्च 2014 के मध्‍य क्रय की जानी अभिकथित की है। परिवाद के अभिकथनों के अनुसार सीमेन्‍ट क्रय किए जाने की ति‍थि से 15 दिन के अंदर ही इसका उपयोग परिवादी द्वारा किया गया। इस सीमेन्‍ट के उपयोग से किया गया निर्माण त्रुटिपूर्ण पाए जाने पर परिवादी ने इसकी शिकायत पत्र द्वारा परिवाद के विपक्षीगण से की। विपक्षी संख्‍या 1 को प्रेषित पत्र दिनांकित 31.03.14 की फोटोप्रति अपील मेमो के साथ दाखिल की गई है। दि. 19.04.14 को अपीलकर्ता ने बेची गई सीमेन्‍ट को त्रुटिपूर्ण बताते हुए अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विधिक नोटिस दि. 19.04.14 को विपक्षीगण को प्रेषित की। ऐसी परिस्थिति में जिला मंच का यह निष्‍कर्ष उचित नहीं माना जा सकता कि क्रय की गई सीमेन्‍ट का उपयोग जनवरी 2015 में किया गया। वस्‍तुत: क्रय की गई सीमेन्‍ट के उपयोग से किए गए निर्माण का निरीक्षण दि. 31.03.15 को सेवानिवृत्‍त सहायक अभियंता भगवान दत्‍त चौधरी द्वारा किया गया,

 

-7-

जिन्‍होंने अपनी निरीक्षण आख में प्रयोग की गई सीमेन्‍ट को क्षमता के अनुरूप नहीं पाया। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 द्वारा विक्रय की गई सीमेन्‍ट के जी.पी. ब्रान्‍ड की सीमेन्‍ट होना तथा बेची गई सीमेन्‍ट के त्रुटिरहित होने के संदर्भ में जिला मंच के समक्ष कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गई है। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 द्वारा अपीलकर्ता/परिवादी के साथ सेवा में त्रुटि की गई तथा अनुचित व्‍यापार प्रथा कारित की गई, अत: परिवादी प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 से सीमेन्‍ट का मूल्‍य प्राप्‍त करने का अधिकारी है। जहां तक प्रश्‍नगत सीमेन्‍ट के उपयोग द्वारा परिवादी को हुई क्षति का प्रश्‍न है, इस संबंध में परिवादी द्वारा कोई साक्ष्‍य जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गई, मात्र परिवाद के अभिकथनों के आधार पर स्‍वत: यह प्रमाणित नहीं माना जा सकता कि वस्‍तुत: परिवादी को तीन लाख रूपये की क्षति प्रश्‍नगत सीमेन्‍ट के उपयोग के कारण हुई। ऐसी परिस्थिति में परिवादी को सीमेन्‍ट का मूल्‍य रू. 25000/- एवं मानसिक, शारीरिक तथा आर्थिक वेदना के मद में अधिकतम रू. 25000/- दिलाया जाना न्‍यायसंगत होगा। जहां तक प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 के इस कथन का प्रश्‍न है कि सीमेन्‍ट के मूल्‍य का पूर्ण भुगतान परिवादी द्वारा नहीं किया गया, इस संदर्भ में कोई विश्‍वसनीय साक्ष्‍य प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गई। यदि कोई धनराशि बकाया होती तो इस संदर्भ में उल्‍लेख सीमेन्‍ट बिक्री की रसीद पर होता, किंतु ऐसा कोई उल्‍लेख सीमेन्‍ट बिक्री की रसीद पर अंकित नहीं है न ही कथित बकाए की वसूली हेतु कोई कार्यवाही परिवाद योजित किए जाने से पूर्व किया जाना प्रमाणित है, अत: इस संदर्भ में प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 का कथन विश्‍वसनीय नहीं माना जा सकता। प्रश्‍नगत सीमेन्‍ट वस्‍तुत: जे.पी. ब्रान्‍ड की सीमेन्‍ट होना प्रमाणित नहीं है, अत: प्रत्‍यर्थी संख्‍या

 

-8-

1 के विरूद्ध कोई अनुतोष प्रदान किए जाने का कोई औचित्‍य नहीं है। परिवाद प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 के विरूद्ध निरस्‍त किए जाने योग्‍य है। अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 को निर्देशित किया जाता है कि निर्णय की प्रमाणित प्रति प्राप्‍त किए जाने की तिथि से एक माह के अंदर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को रू. 25000/- प्रश्‍नगत सीमेन्‍ट का मूल्‍य तथा रू. 25000/- क्षतिपूर्ति के रूप में कुल रू. 50000/- प्रमाणित प्रति प्राप्‍त किए जाने की तिथि से एक माह के अंदर भुगतान करें। इस धनराशि पर अपीलकर्ता/परिवादी प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 से परिवाद योजित किए जाने की तिथि से संपूर्ण धनराशि की अदायगी तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज प्राप्‍त करने का भी अधिकारी होगा। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 को यह भी निर्देशित किया जाता है कि निर्धारित अवधि में अपीलकर्ता/परिवादी को रू. 5000/- वाद व्‍यय के रूप में भी अदा करें।

     उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाए।

 

 

       (उदय शंकर अवस्‍थी)                        (गोवर्धन यादव)                                                                                                                                                पीठासीन सदस्‍य                               सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

  कोर्ट-2

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.