Uttar Pradesh

StateCommission

A/2000/564

M/S Ashok Leyland Finance Ltd. - Complainant(s)

Versus

Ishwari Prasad Arya - Opp.Party(s)

Adeel Ahmad

18 Aug 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2000/564
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/S Ashok Leyland Finance Ltd.
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ishwari Prasad Arya
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 18 Aug 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-५६४/२०००

(जिला मंच, बदायूँ द्वारा परिवाद सं0-१९६/१९९७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक   १४-१०-१९९९ के विरूद्ध)

१. मै0 अशोक लीलेण्‍ड फाइनेंस लि0, रजिस्‍टर्ड आफिस-८६, चेम्‍पीयर्स रोड, सुदर्शन बिल्डिंग चेन्‍नई-६००६१८ द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

२. जनरल मैनेजर मै0 अशोक लीलेण्‍ड फाइनेंस लि0, भगेरिया हाउस, ४३ कम्‍युनिटी सेण्‍टर न्‍यू फ्रैण्‍ड्स कालोनी, नई दिल्‍ली-१००६५.

३. अजीत कुमार सिंह एरिया मैनेजर, मै0 अशोक लीलेण्‍ड फाइनेंस लि0, ४११ चिन्‍तल्‍स हाउस, १६ स्‍टेशन रोड, लखनऊ।

४. मनोज चन्‍द्र गुप्‍ता, एरिया मैनेजर, मै0 अशोक लीलेण्‍ड फाइनेंस लि0, द्वारा विवेक आटोमोबाइल्‍स, सरदार बलवंत सिंह रोड, बरेली।

                                          .............  अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।

बनाम्

ईश्‍वरी प्रसाद आर्या पुत्र श्री सीताराम आर्या, ३७३, आर्या भवन, मोहल्‍ला सोठा सिटी व जिला बदायूँ।                                .............         प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

अपील सं0-१६८/२०००

(जिला मंच, बदायूँ द्वारा परिवाद सं0-१९६/१९९७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक   १४-१०-१९९९ के विरूद्ध)

ईश्‍वरी प्रसाद आर्या पुत्र श्री सीताराम आर्या, ३७३, आर्या भवन, मोहल्‍ला सोठा सिटी व जिला बदायूँ।                                     .............  अपीलार्थी/परिवादी।

बनाम्

१. मै0 अशोक लीलेण्‍ड फाइनेंस लि0, रजिस्‍टर्ड आफिस-८६, चेम्‍पीयर्स रोड, सुदर्शन बिल्डिंग चेन्‍नई-६००६१८ द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

२. जनरल मैनेजर मै0 अशोक लीलेण्‍ड फाइनेंस लि0, भगेरिया हाउस, ४३ कम्‍युनिटी सेण्‍टर न्‍यू फ्रैण्‍ड्स कालोनी, नई दिल्‍ली-१००६५.

३. अजीत कुमार सिंह एरिया मैनेजर, मै0 अशोक लीलेण्‍ड फाइनेंस लि0, ४११ चिन्‍तल्‍स हाउस, १६ स्‍टेशन रोड, लखनऊ।

४. मनोज चन्‍द्र गुप्‍ता, एरिया मैनेजर, मै0 अशोक लीलेण्‍ड फाइनेंस लि0, द्वारा विवेक आटोमोबाइल्‍स, सरदार बलवंत सिंह रोड, बरेली।

५. मै0 टी0वी0ए0 आयंगर एण्‍ड सन्‍स लि0, रजिस्‍टर्ड आफिस टी0वी0एस0 बिल्डिंग,   ७८-वेस्‍ट वेली स्‍ट्रीट, पोस्‍टबॉक्‍स नं.-२१ मदुरई-६२५००१ द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर/जनरल।

 

                                         .............     प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण।

 

समक्ष:-

१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२. मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

 

 

 

 

 

 

-२-

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित     :- श्री अदील अहमद विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित   :- कोई नहीं।

 

दिनांक : २५-०८-२०१७.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपीलें, जिला मंच, बदायूँ द्वारा परिवाद सं0-१९६/१९९७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-१०-१९९९ के विरूद्ध योजित की गयी है।

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार अशोक लीलेण्‍ड के निर्मित चेसिस/इंजन को मै0 अशोक लीलेण्‍ड फाइनेंस लि0 तथा उसके क्षेत्रीय एजेन्सियों द्वारा वित्‍तीय सहायता प्रदान की जाती है तथा मै0 टी0वी0एस0 आयंगर एण्‍ड सन्‍स लि0 के माध्‍यम से ग्राहकों को बदायूँ जनपद में बेचने का कार्य किया जाता है। परिवादी को बस बनवाने हेतु चेसिस की आवश्‍यकता था। मार्च १९९६ में मै0 अशोक लीलेण्‍ड फाइनेंस लि0 के अधिकृत प्रतिनिधि परिवादी के निवास पर आये। अशोक लीलेण्‍ड मेक चेसिस १/१७ हिनों इंजन सहित मॉडल १९९६ का विक्रय मूल्‍य ४,६४,९४७/- रू० बताया गया जिसे परिवादी खरीदने के लिए राजी हो गया। परिवादी ने ६५,०००/- रू० बैंक ड्राफ्ट के माध्‍यम से अदा किया। दिनांक २९-०६-१९९६ को अनुबन्‍ध का फर्जी अभिलेख तैयार करके पुराना १९९५ का मॉडल १/१७ चीता दिनांक ०६-०७-१९९६ को परिवादी को दिया गया। इस चेसिस की कीमत ४,०३,०००/- रू० थी। अपीलार्थीग्‍ण ने परिवादी के साथ धोखा-धड़ी करके ६१,९४७/- रू० अधिक कीमत बसूली की जिसकी शिकायत परिवादी द्वारा की गई। परिवादी ने अपनी बस डीलक्‍स-वीडीओ कोच मय पर्दे, टेप रिकार्डर, घड़ी, मन्दिर आदि सहित बनवाई। दिनांक ०८-११-१९९६ तक सेल लैटर, फार्म २० व ३४ अपीलार्थीगण ने नहीं दिए जिसके कारण दिनांक २६-०९-१९९६ से ०८-११-१९९६ तक बस का रजिस्‍ट्रेशन रूका रहा। पुराने मॉडल का चेसिस देने तथा अधिक कीमत बसूलने की शिकायत परिवादी द्वारा की गई, किन्‍तु कोई सुनवाई नहीं हुई, बल्कि परिवादी की बस दिनांक २९-११-१९९६ को बस खींच कर ले गये। बाद में परिवादी द्वारा ४,६७,११९/- रू०

 

 

 

 

-३-

जमा करने पर उसकी बस लौटाई गई। कुल २,४९,९६८/- रू० ५० पैसा की बसूली हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।

      अपीलार्थीगण द्वारा जिला मंच के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया। अत: अपीलार्थीगण के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एक तरफा की गई।

विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा निम्‍नलिखित आदेश पारित किया :-

‘’ विपक्षीगण परिवादी को मॉडल की कीमत का अन्‍तर ६१,९४७/- रू० तथा वाद व्‍यय के रूप में २००/- रू० इस आदेश के एक माह के अन्‍दर अदा करेंगे। ‘’ 

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थीगण द्वारा अपील सं0-५६४/२००० योजित की गई तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा एवार्ड की गई धनराशि में बढ़ोत्‍तरी हेतु अपील सं0-१६८/२००० योजित की गई। दोनों अपीलों का निस्‍तारण साथ-साथ एक ही निर्णय द्वारा किया जा रहा है। अपील सं0-५६४/२००० अग्रणी होगी।

हमने अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अदील अहमद के तर्क सुने तथा दोनों पत्रावलियों का अवलोकन किया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रत्‍यर्थी की ओर से आपत्ति प्रस्‍तुत की गई।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा मुख्‍य रूप से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी एक अधिवक्‍ता है और उन्‍होंने बस का चेसिस ट्रान्‍सपोर्ट के व्‍यवसाय हेतु क्रय किया था। इस प्रकार प्रश्‍नगत बस व्‍यावसायिक उपयोग हेतु क्रय की गई। ऐसी परिस्थिति में प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-२(१)(डी)(i) के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत परिभाषित उपभोक्‍ता न होने के कारण परिवाद उपभोक्‍ता मंच के समक्ष पोषणीय नहीं था। प्रश्‍नगत निर्णय क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित किए जाने के कारण अपास्‍त किए जाने योग्‍य है।

यद्यपि यह तर्क अपीलीय स्‍तर पर सर्वप्रथम प्रस्‍तुत किया जा रहा है किन्‍तु क्षेत्राधिकार से सम्‍बन्धित होने के कारण हमारे विचार से इस स्‍तर पर भी यह अपील प्रस्‍तुत की जा सकती है।

पत्रावलियों के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवाद के अभिकथनों में     

 

 

-४-

प्रत्‍यर्थी/परिवादी का अभिकथन नहीं है कि प्रश्‍नगत वाहन आजीविका संचालन हेतु     क्रय किया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा आई0पी0 आर्या एण्‍ड सन्‍स एसोसिएट्स द्वारा जारी किये गये पत्रों की प्रतियॉं पत्रावलियों में उपलब्‍ध हैं जिसमें श्री आई0पी0 आर्या को चीफ मैनेजिंग प्रौपराइटर दर्शित किया गया है तथा उस पर उनका कार्य कन्‍सल्‍टेण्‍ट्स लॉ, इण्‍डस्ट्रीज, एग्रीकल्‍चर एण्‍ड ट्रान्‍सपोर्ट्स दर्शित है। अत: अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है कि प्रश्‍नगत वाहन आजीविका के संचालन हेतु नहीं क्रय किया गया, बल्कि परिवहन के व्‍यवसाय हेतु क्रय किया गया।

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-२(१)(डी)(i) के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता को परिभाषित किया गया है। इस धारा के अनुसार –

‘’ २(१)(घ)(i)- ऐसे किसी प्रतिफल के लिए जिसका संदाय कर दिया गया है या वचन दिया गया है या भागत: संदाय किया गया और भागत: वचन दिया गया है, या किसी आस्‍थगित संदाय की पद्धति के अधीन किसी माल का क्रय करता है, इसके अन्‍तर्गत ऐसे किसी व्‍यक्ति से भिन्‍न ऐसे माल का कोई प्रयोगकर्ता भी है ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया है या भागत: संदाय किया गया है या भागत: वचन दिया गया है या आस्‍थगित संदाय की पद्धति के अधीन माल क्रय करता है जब ऐसा प्रयोग ऐसे व्‍यक्ति के अनुमोदन से किया जाता है, लेकिन इसके अन्‍तर्गत कोई ऐसा व्‍यक्ति नहीं है जो ऐसे माल को पुन: विक्रय या किसी वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए अभिप्राप्‍त करता है। ‘’  

उपरोक्‍त विधिक स्थिति के आलोक में प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्‍ता नहीं माना जा सकता। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से परिवाद जिला मंच के समक्ष पोषणीय नहीं था। जिला मंच द्वारा पारित आदेश क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित होने के कारण अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। तद्नुसार अपील सं0-५६४/२००० स्‍वीकार किए जाने तथा अपील सं0-१६८/२००० निरस्‍त किए जाने योग्‍य हैं।

आदेश

      अपील सं0-५६४/२००० स्‍वीकार की जाती है तथा अपील सं0-१६८/२००० निरस्‍त की जाती है। जिला मंच, बदायूँ द्वारा परिवाद सं0-१९६/१९९७ में पारित निर्णय एवं आदेश

 

 

-५-

दिनांक १४-१०-१९९९ परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

      इन दोनों अपीलों का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

इस निर्णय की मूल प्रति अपील सं0-५६४/२००० में रखी जाय तथा एक प्रमाणित प्रतिलिपि अपील सं0-१६८/२००० में रखी जाय।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिल नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

 

                                              (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                 (बाल कुमारी)

                                                    सदस्‍य

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-२.

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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