( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 140/2020
सहारा क्यू शाप यूनिक प्रोडक्टस रेन्ज लि0, सहारा इण्डिया भवन-1, कपूरथला काम्प्लेक्स, अलीगंज, लखनऊ द्वारा जनरल मैनेजर/डायरेक्टर व एक अन्य
बनाम्
ईश्वरदत्त तिवारी पुत्र स्व0 श्री राम लाल तिवारी
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री सुभम श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री दिलीप सिंह।
दिनांक : 21-12-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
प्रस्तुत अपील वर्ष 2020 से इस न्यायालय के सम्मुख सुनवाई हेतु लम्बित है। आज अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री शुभम श्रीवास्तव उपस्थित आए जब कि प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री दिलीप सिंह उपस्थित आए। उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति
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अवलोकन करने के पश्चात अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर किया जा रहा है।
परिवाद संख्या-151/2019 ईश्वरदत्त तिवारी बनाम महाप्रबन्धक /निदेशक, सहारा इण्डिया कम्पनी व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, सीतापुर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21-12-2019 के विरूद्ध प्रस्तुत अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्नलिखित निर्णय एवं आदेश पारित किया है।
‘’ परिवादी का उपभोक्ता परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण इस आशय से स्वीकार किया जाता है कि जमा राशि की परिपक्वता राशि रू0 22,60,000/-रू0 में पूर्व में दिनांक 17-11-2014 को अदा की गयी राशि रू0 3,25,000/-रू0 समायोजित करने के उपरान्त शेष राशि दिनांक 08-01-2019 से 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित एवं वाद व्यय राशि रू0 5,000/- दो माह की अवधि में परिवादी को अदा की जाए। ‘’
विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत अपील योजित की गयी है।
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अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षीगण की उपरोक्त कम्पनी में क्यू शाप प्लान एच के तहत रू0 10,00,000/- जमा किया जिसके तहत विपक्षीगण की कम्पनी द्वारा दो सर्टीफिकेट अलग-अलग दिनांकित 08-01-2013 को जारी किये गये, जिसके परिपक्व होने की समयावधि 06 वर्ष यानी दिनांक 08-01-2019 थी तथा जो सर्टीफिकेट में भी अंकित है। परिवादी की उक्त धनराशि बतौर अमानत विपक्षी के पास है जिसे लाभ/ब्याज सहित प्राप्त करने का परिवादी अधिकारी है। परिवादी ने जब अपनी उपरोक्त जमा धनराशि की वास्तविक स्थिति की जानकारी हेतु विपक्षी संख्या-2 के कार्यालय सीतापुर में सम्पर्क किया और लिखित प्रार्थना पत्र दिया तब कार्यालय द्वारा जानकारी दी गयी कि उक्त दोनों कस्टमर आई0डी0 नम्बर पर दिनांक 02-04-2013 को मु0 3,75,000/-रू0 के अलग-अलग दो सिक्योर्ड लोन डिमाण्ड ड्राफ्ट बनवाये गये है यानी कुल 7,50,000/-रू0 लोन लिया जा चुका है। लोन की जानकारी होने पर परिवाद अचम्भित एवं आश्चर्यचकित हो गया क्योंकि कस्टमर आई0डी0 पर परिवादी ने कभी भी लोन नहीं लिया है। परिवादी ने सहारा क्यू शाप प्लान एच का मय ब्याज कुल धनराशि का भुगतान करने की मांग की जिसे विपक्षीगण द्वारा परिवादी को अदा नहीं किया गया जो कि विपक्षीगण के स्तर से सेवा में कमी है। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
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विपक्षीगण की ओर से आपत्ति कागज संख्या-25 दाखिल करते हुए कथन किया गया कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद आधारहीन एवं बेबुनियादी है तथा गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद योजित किया गया है। परिवादी को दिनांक 21-02-2014 को तथाकथित फर्जी लोन की जानकारी हो गयी थी किन्तु परिवादी द्वारा परिवाद जुलाई, 2019 में दाखिल किया गया है जो कि समयावधि से बाधित है और उक्त स्कीम के नियम व शर्तों के अनुसार किसी भी प्रकार का ब्याज देय नहीं है। उनकी ओर से सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है।
विद्धान जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त विपक्षीगण के स्तर से सेवा में कमी पाते हुए परिवाद स्वीकार करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा जो निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है वह साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है अत: अपील स्वीकार करते हुए विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त किया जावे।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा जो निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है वह साक्ष्य एवं विधि के अनुसार है अत: अपील निरस्त करते हुए विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जावे।
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उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने व अधिवक्तागण की सहमति के पश्चात मेरे द्वारा यह पाया जाता है कि जिला आयोग का निर्णय विधि अनुसार पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है तथा विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है साथ ही विपक्षीगण सहारा इण्डिया कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को रू0 15,00,000/- की धनराशि दिनांक 15-01-2024 तक प्रथम किश्त के रूप में उपलब्ध करायेंगे और शेष बची धनराशि दिनांक 20-02-2024 तक दूसरी किश्त के रूप में परिवादी को अदा करेंगे।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1