राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 2936/2016
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0- 778/2010 में पारित आदेश दि0 24.10.2016 के विरूद्ध)
Indusind bank Ltd. Branch office 113/120, Swaroop nagar, in front of Motijeel gate, Kanpur nagar-208002, Registered office 2401, General Thimaiya road, cantonment, Pune State office Saran chamber-II, Park road, Hazratganj, Lucknow Through it’s Manager Legal.
………Appellant
Versus
Ishratullah S/o Late Shamiullah, R/o- H.No-30-A, Meerpur cannt, Post-Meerpur, Kanpur nagar.
………….. Respondent
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री बृजेन्द्र चौधरी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री एखलाक अली,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 11.06.2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 778/2010 इसरत उल्लाह बनाम Indusind bank Ltd. में जिला फोरम, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 24.10.2016 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद विपक्षी के विरुद्ध एकपक्षीय रूप से आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
“परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध एकपक्षीय व आंशिक रूप से इस आशय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अन्दर विपक्षी, परिवादी को वाहन सं0- UP-77N-2670 की एन0ओ0सी0/अनापत्ति प्रमाण उपलब्ध कराये तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।“
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी Indusind bank Ltd. ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी और प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एखलाक अली उपस्थित आये हैं।
हमने उभयपक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्य और विधि के विरुद्ध है। प्रत्यर्थी/परिवादी के जिम्मा अपीलार्थी के ऋण की धनराशि अभी अवशेष है। अत: जिला फोरम ने जो अपीलार्थी/बैंक को प्रत्यर्थी/परिवादी को उसके वाहन का एन0ओ0सी0 प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने का आदेश दिया है वह उचित नहीं है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी के विरुद्ध एकपक्षीय रूप से उसकी अनुपस्थिति में पारित किया गया है जिससे अपीलार्थी को अपना पक्ष जिला फोरम के समक्ष रखने का अवसर नहीं मिला है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी पर नोटिस का तामीला नहीं हुआ है। इस कारण अपीलार्थी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हो सका है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने अपीलार्थी/बैंक को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजा है, फिर भी वह जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध एकपक्षीय रूप से कार्यवाही कर जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह उचित है। इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
हमने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश्ा से स्पष्ट है कि जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी ने अपना लिखित कथन व साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है, अत: जिला फोरम ने एकपक्षीय रूप से परिवाद पत्र के कथन व परिवादी के साक्ष्य पर विचार करने के उपरांत आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है।
परिवाद पत्र में कथित तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए पक्षों के बीच वास्तविक विवाद प्रश्नगत ऋण की धनराशि के भुगतान के सम्बन्ध में है और जिला फोरम के समक्ष प्रश्नगत ऋण के भुगतान के सम्बन्ध में प्रत्यर्थी/परिवादी के ऋण खाते का स्टेटमेंट प्रस्तुत नहीं किया गया है जो कि परिवाद के निर्णय हेतु आवश्यक है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत हम इस मत के हैं कि अपीलार्थी/बैंक को जिला फोरम के समक्ष अपना लिखित कथन और प्रत्यर्थी/परिवादी के ऋण खाते का स्टेटमेंट प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाना आवश्यक है। चूंकि अपीलार्थी/बैंक को जिला फोरम ने रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजा है, फिर भी अपीलार्थी/बैंक जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है जिससे जिला फोरम को एकपक्षीय रूप से उसके विरुद्ध कार्यवाही करनी पड़ी है। ऐसी स्थिति में हम यह उचित और आवश्यक पाते हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी की क्षतिपूर्ति हेतु उसे 7500/-रू0 हर्जा दिलाया जाना उचित है और हर्जे की इस धनराशि की अदायगी की शर्त पर जिला फोरम का आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया जाना उचित है कि जिला फोरम अपीलार्थी/बैंक को अपना लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर देकर उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर दे और पुन: विधि के अनुसार निर्णय व आदेश पारित करे।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है। जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को 7500/-रू0 हर्जा अदा करने पर अपास्त किया जाता है और पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम अपीलार्थी/बैंक को इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन के अन्दर अपना लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर देगा और उसके बाद उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देगा तथा विधि के अनुसार निर्णय और आदेश यथाशीघ्र तीन महीने के अन्दर पारित करेगा। उभयपक्ष जिला फोरम के समक्ष दि0 23.07.2018 को उपस्थित हों।
हाजिरी हेतु निश्चित उपरोक्त तिथि से 30 दिन का समय अपीलार्थी/बैंक को लिखित कथन प्रस्तुत करने हेतु दिया जायेगा और किसी भी दशा में यह समय बढ़ाया नहीं जायेगा।
अपीलार्थी/बैंक जिला फोरम के समक्ष हाजिरी हेतु निश्चित तिथि पर उपस्थित होकर 7500/-रू0 हर्जे की उपरोक्त धनराशि या तो प्रत्यर्थी/परिवादी अथवा उसके विद्वान अधिवक्ता को अदा करेगा या जिला फोरम के समक्ष जमा करेगा। यदि इस तिथि पर यह धनराशि अपीलार्थी/बैंक द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को या उसके विद्वान अधिवक्त को अदा नहीं की जाती है अथवा जिला फोरम में जमा नहीं की जाती है तो ऐसी स्थिति में यह आदेश निष्प्रभावी माना जायेगा।
अपीलार्थी द्वारा धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रेषित की जाती है कि जिला फोरम अपीलार्थी द्वारा हर्जे की उपरोक्त धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करने अथवा जिला फोरम में जमा करने के बाद यह धनराशि अपीलार्थी/बैंक को वापस करेगा, परन्तु यदि निश्चित तिथि पर अपीलार्थी/बैंक प्रत्यर्थी/परिवादी को देय उपरोक्त हर्जा की धनराशि अदा नहीं करता है अथवा जिला फोरम में जमा नहीं करता है तो धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा इस धनराशि का निस्तारण जिला फोरम आक्षेपित निर्णय और आदेश के अनुसार करेगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (गोवर्धन यादव)
अध्यक्ष सदस्य
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1