आदेश
1. संक्षेप में परिवादी का कथन है कि दिनांक 02.03.2010 को उसने श्यामा ट्रेडिंग सेण्टर से एक माइक्रोमैक्स मोबाइल 1600 रु० में ख़रीदा जिसका नगद भुगतान किया और दुकानदार से रसीद प्राप्त किया। मोबाइल का मॉडल-XII4/MET सं०- 910002003965824 सीरियल नंबर 910002003965832 है। उक्त मोबाइल 3 महीने बाद ही ख़राब हो गया।
2. परिवादी का यह भी कथन है की मोबाइल काम नहीं करने के कारण प्रो० कृष्णा टेलीकॉम से आग्रह किया तो प्रो० कृष्णा टेलीकॉम के निर्देश पर माइक्रोमैक्स मोबाइल के कंपनी के सर्विस सेण्टर वर्कशॉप प्रो० ईशान इंटरप्राइजेज आयकर चौक, दरभंगा को दिनांक 13.07.2010 को प्रश्नगत मोबाइल के मरम्मति के लिए दिया जिसकी रसीद भी ईशान इंटरप्राइजेज द्वारा दिया गया लगभग 3 माह बाद ईशान इंटरप्राइजेज ने आवेदक को सूचित किया कि मोबाइल में आयी खराबी को दूर करना संभव नहीं है, इसलिए आवेदक को पुराना मोबाइल बदलकर नया मोबाइल दिया जायेगा। दिनांक 25.10.2010 को आवेदक से मोबाइल सेट लेकर पाबती रसीद दिया गया। दिनांक 25.10.2010 से आवेदक 3 माह तक ईशान इंटरप्राइजेज का चक्कर लगता रहा तथा नया मोबाइल सेट देने का अनुरोध करता रहा है। दिनांक 20.01.2011 को ईशान इंटरप्राइजेज ने आवेदक के पिता के समक्ष अपने कार्यालय से अपमानित करके भगा दिया तथा नया सेट देने या मरम्मत करने से इंकार कर दिया।
3. आवेदक का यह भी कथन है कि उसने दिनांक 25.01.2011 को विपक्षीगण को वकालतन नोटिस दिया। विपक्षी द्वारा ख़राब मोबाइल सेट को बदलने तथा मरम्मत करने से इंकार करने तथा दुर्व्यवहार के कारण आवेदक को अत्यधिक मानसिक एवं आर्थिक क्षति हुआ।
अतः अनुरोध है कि विपक्षीगण से मोबाइल कि कीमत 1600 रु० एवं मानसिक प्रताड़ना के लिए 25000 रु० हर्जाने के रूप में मुकदमा खर्च 2000 रु० कुल 28600 परिवादी को दिलाने की कृपा करें।
4. विपक्षी सं०-2 ने एक आवेदन फोरम को दिनांक 15.10.2011 को इस आशय का दिया कि प्रो० कृष्णा टेलीकॉम दरभंगा प्रत्येक मोबाइल कंपनी का प्राधिकृत विक्रय केंद्र है तथा कंपनी ने अपने ग्राहक को सेवा प्रदान करने के लिए स्वयं सेवा केंद्र बनाया है। प्रो० कृष्णा टेलीकॉम दरभंगा का काम सही कैश मेमो देने के आलावा और कुछ नहीं है। हैंडसेट पैक खोलने और उसके 24 घंटा के अंदर खराबी आने की स्थिति में विक्रय केंद्र से करवाई की जाती है। मामले में प्रो० कृष्णा टेलीकॉम दरभंगा द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं किया गया।
5. विपक्षी-1 का यह भी कथन है कि प्राधिकृत सर्विस सेण्टर ईशान इंटरप्राइजेज से बात किया तो उन्होंने बताया कि आवेदक का शिकायत निराधार है। उसका मोबाइल सर्विस सेण्टर में बनाकर रखा हुआ है। परिवादी द्वारा किये गए शिकायत पत्र में जो नंबर दिया गया उससे संपर्क नहीं हो पाता है।
6. विपक्षी सं०-1 ईशान इंटरप्राइजेज ने भी इस फोरम को एक पत्र लिखकर सूचित किया कि दिनांक 13.07.2010 को XII4IMEI नंबर-(i) 910002003965824 (ii) 910002003965832 का मोबाइल सर्विस आया जिसका जॉब नंबर 1080 द्वारा ठीक करके कस्टमर को 2 दिन के भीतर दे दिया। पुनः यह मोबाइल दिनांक 25.10.2010 को सर्विस सेण्टर बनवाने के लिए आया लेकिन मदरबोर्ड ख़राब रहने के कारण दिनांक 02.10.2011 को जॉब आर्डर नंबर 2951 के द्वारा उक्त मोबाइल को सर्विस सेण्टर पटना भेजा गया दिनांक 03.11.2010 को मदरबोर्ड बदलकर जिसका IMEI No. (i) 910002002481583 (ii) 910002002481591 है, वापस सर्विस सेण्टर आया तो ग्राहक को सूचित किया गया। ग्राहक की लड़की से संपर्क हुआ, उसने कहा पापा जाकर ले आएंगे उसके पापा आए
और नया सेट की मांग करने लगा। शिकायतकर्ता द्वारा लाया गया यह आरोप निराधार है। विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं किया गया। अपितु विपक्षीगण को परेशान एवं नया मोबाइल के लिए परिवादी ने झूठा एवं मनगढंत केस किया है। मामले में विपक्षीगण द्वारा कोई पैरवी नहीं किया जा रहा है।
7. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना एवं अभिलेख का अवलोकन किया। इस विषय पर कोई विवाद नहीं है कि शिकायतकर्ता ने विपक्षी-2 प्रो० कृष्णा टेलीकॉम दरभंगा से माइक्रोमैक्स मोबाइल ख़रीदा कि नहीं, शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए शपथ पर व्यान एवं प्रदर्श-1, प्रदर्श-2 तथा प्रदर्श-3 से इस बात कि पुष्टि हो जाती है कि शिकायतकर्ता दीपक प्रकाश ने दिनांक 02.03.2010 को प्रश्नगत मोबाइल प्रो० कृष्णा टेलीकॉम, श्यामा ट्रेडिंग सेण्टर से 1600 रु० में ख़रीदा था। शिकायतकर्ता के शपथ पर व्यान तथा शिकायतकर्ता द्वारा दाखिल प्रदर्श-2 कस्टमर जॉब कार्ड प्रदर्श-3 DOA सर्टिफिकेट को देखने से स्पष्ट है कि प्रश्नगत मोबाइल ख़राब हो गया था। उसके मरम्मति हेतु शिकायतकर्ता ने प्रो० कृष्णा टेलीकॉम श्यामा ट्रेडिंग दरभंगा से संपर्क किया तो उसने ईशान इंटरप्राइजेज जो कि माइक्रोमैक्स मोबाइल के अधिकृत सेवा केंद्र है, के पास भेजा दिया जहाँ पर ईशान इंटरप्राइजेज द्वारा शिकायतकर्ता के मोबाइल को जमा करा लिया गया। ईशान इंटरप्राइजेज द्वारा इस फोरम को लिखे गए पत्रों से भी इस बात कि पुष्टि होती है कि प्रश्नगत मोबाइल ख़राब हो गया था। उसमें हार्डवेयर का प्रॉब्लम था, उसका मदरबोर्ड ख़राब था, जिसे विपक्षी-1 प्रो० ईशान इंटरप्राइजेज ने जमा करा लिया तथा मरम्मति के लिए पटना सर्विस सेण्टर भेजा प्रश्नगत मोबाइल पटना से मरम्मत होकर आने के बाद विपक्षी-1 प्रो० ईशान इंटरप्राइजेज के प्रतिष्ठान में है। इस प्रकार से शिकायतकर्ता के द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्य एवं विपक्षीगण के द्वारा इस फोरम को लिखे गए पत्र से स्पष्ट हो जाता है कि प्रश्नगत मोबाइल का मालिक शिकायकर्ता था। उसने प्रश्नगत मोबाइल विपक्षी-2 से खरीद किया, जो खरीदने के कुछ ही माह बाद ख़राब हो गया वह उसे विक्रेता प्रतिष्ठान के पास लेकर गया। जहाँ से विक्रेता प्रतिष्ठान ने शिकायतकर्ता को प्राधिकृत सेवा सेण्टर भेजा। जो कि विपक्षी-1 ईशान इंटरप्राइजेज आयकर चौक, दरभंगा है।इस विषय पर भी कोई विरोधाभाष नहीं है कि विपक्षी-1 द्वारा प्रश्नगत मोबाइल को लिया नहीं गया, अपितु उसके स्वयं के व्यान से स्पष्ट है कि उसने प्रश्नगत मोबाइल मरम्मति हेतु पटना सर्विस सेण्टर भेजा। उक्त मोबाइल शिकायतकर्ता को नहीं मिला। यह बात भी विपक्षी-1 द्वारा लिखित पत्र से साबित हो जाता है।
उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि परिवादी ने विपक्षी-2 के प्रतिष्ठान से माइक्रोमैक्स मोबाइल 1600 रु० में ख़रीदा जो कुछ ही माह बाद ख़राब हो गया। शिकायतकर्ता ने उक्त मोबाइल को विपक्षी-2 के कहने पर विपक्षी-1 के प्रतिष्ठान में जाकर को मरम्मति हेतु हस्तगत कर दिया जो कि आजतक मरम्मत कराकर शिकायतकर्ता को प्राप्त नहीं कराया गया। विपक्षी-1 का यह कथन कि शिकायतकर्ता की लड़की से उसकी बात हुई और शिकायतकर्ता को उसकी लड़की ने बताया था कि मोबाइल बन कर आ गया है। लेकिन शिकायतकर्ता ने उक्त मोबाइल को प्राप्त करने का कोई प्रयास नहीं किया एवं नया मोबाइल प्राप्त करने के लिए यह केस कर दिया। इस विषय पर विपक्षी-1 का कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं है। सन-2010 का यह मामला है तब से लेकर आजतक शिकायतकर्ता उक्त मोबाइल को लेकर परेशान है। ऐसी स्थिति में यह फोरम विपक्षी को यह आदेश देता है कि वह शिकायतकर्ता को माइक्रोमैक्स मोबाइल की कीमत 1600 रु० तथा 10000 रु० शिकायतकर्ता को पहुंची मानसिक एवं अर्थी क्षति के लिए और वाद खर्चा 2000 रु० कुल 13600 रु० की धनराशि का भुगतान परिवादी को इस आदेश के पारित होने के 2 माह के अंदर शिकायतकर्ता को कर दें। ऐसा नहीं करने पर उपरोक्त धनराशि विधिक प्रक्रिया द्वारा वसूला जायेगा।