(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-207/2006
M/S Sighet & Gaikwad Building No-111-A/425
Versus
Irfan Warsi R/O 81/67A, Dhankutti & other
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री एम0एच0 खान, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :26.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-157/2005, इरफान वारसी बनाम मे0 कायनेटिक इंजीनियरिंग व अन्य में विद्वान जिला आयोग कानपुर नगर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 02.12.2005 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर बल देने के लिए अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। केवल प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी द्वारा क्रय की गयी वाहन मे नियमित त्रुटि बने रहने के कारण वाहन का मूल्य अंकन 53,500/-रू0 वापस लौटाने का आदेश पारित किया है। परिवादी का कथन है कि विक्रय करते समय एवरेज 53.8 किमी प्रति लीटर बताया गया था। परिवादी ने उक्त गाड़ी 15 दिन तक चलायी तो उसका एवरेज 20-22 किमी प्रति लीटर की दर से अधिक नहीं पाया और गाड़ी के एवरेज में कोई सुधार नहीं हुआ। जिला उपभोक्ता आयोग ने भी यह माना गया कि चूंकि माइलेज में कोई सुधार नहीं हुआ। यह निष्कर्ष मात्र संभावना एवं कल्पना पर आधारित है। वाहन में निर्माण संबंधी दोष से संबंधित कोई साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है, इसलिए वाहन की सम्पूर्ण कीमत वापस लौटाने का आदेश देना अनुचित है, यद्यपि वाहन की मरम्मत का आदेश पारित किया जा सकता था। अत: अपील इस बिन्दु पर स्वीकार होने योग्य है कि वाहन की कीमत वापस लौटाने का आदेश रद्द किया जाए, यद्यपि त्रुटिग्रस्त वाहन की मरम्मत हेतु आदेश दिया जाना उचित प्रतीत होता है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि वाहन का मूल्य अदा करने के संबंध में पारित आदेश अपास्त किया जाता है। अपीलार्थी/विपक्षी सं0 3 को आदेशित किया जाता है कि वह त्रुटिग्रस्त वाहन की मरम्मत कराकर परिवादी को 45 दिवस में उपलब्ध करायें।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2