सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0,लखनऊ।
अपील सं0- 1133/2015
टाटा मोटर्स फाइनेंस लि0 84/105, जुगल भवन, जी0टी0 रोड़, अफीम कोठी चौराहा, कानपुर-208003
अपीलार्थी
बनाम
इरफान खान पुत्र अहकाम खान साकिन दलले नगर पोस्ट मुरादगंज परगना व जिला औरैया
प्रत्यर्थी
समक्ष:-
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
मा0 श्री विकास सक्सेना सदस्य
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता : श्री राजेश चडढा
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता : श्री आलोक कुमार सिंह
दिनांक :-25.07.2023
मा0 विकास सक्सेना सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- यह अपील विद्वान जिला फोरम औरैया द्वारा परिवाद सं0-81/2014 इरफान खान बनाम टाटा माटर्स फाइनेंस कं0 लि0 में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 09-01-2015 के विरूद्ध योजित की गयी है जिसके माध्यम से विद्वान जिला फोरम द्वारा परिवादी को धनराशि 453120/-रू0 विपक्षी सं0-1 टाटा मोटर्स फाइनेंस लि0 से मय 7 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज दिलाये जाने का निर्णय एवं आदेश पारित किया।
- परिवादी का कथन परिवाद पत्र में इस प्रकार आया कि परिवादी का प्रश्नगत वाहन परिवादी ने विपक्षी सं0-1 से ऋण लेकर क्रय किया था तथा यह वाहन विपक्षी सं0-2 आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कं0 से बीमित था । यह ट्रक दिनांक 2-3-2012 को पुरैना मध्य प्रदेश से सरसों का तेल लेकर नेवादा बिहार गया। रात 11-00 बजे थाना बरही जिला हजीराबाद क्षेत्र में बदमाशों ने इस ट्रक को लूट लिया जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 5-3-2012 को दर्ज करायी गयी इसमें पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाया थी। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार उसने बीमा कं0 से बीमा का क्लेम मांगा। बीमा कं0 ने रू0 1835000/-रू0 विपक्षी सं0-1 टाटा मोटर्स फाइनेंसर को जरिये चेक प्रदान कर दिया। जब कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने 1413000/-रू0 का ऋण लिया था। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार उसने ट्रक की बाडी बदलवायी, जिसके लिये उसे रू0 438120/- मिलना चाहिये। इस आधार पर उक्त धनराशि के लिये परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया।
- परिवाद के स्तर पर विपक्षी सं0-2 बीमा कर्ता का प्रति उत्तर प्रस्तुत हुआ जिसमें उसने यह कथन किया कि जिला फोरम को सुनवाई का अधिकार नही है। इसके अतिरिक्त घटना की सूचना बीमा कं0 को भी नही दी गयी थी, इसके अतिरिक्त दावा स्वीकृत होने पर धनराशि का भुगतान फाइनेंसर को किया जाता है, जो बीमाकर्ता ने किया है। अत: बीमाकर्ता का कोई उत्तरदायित्व नही है। विपक्षी सं0-1 टाटा मोटर्स फाइनेंसर को नोटिस की तामिली होने के पश्चात उसकी अनुपस्थिति में परिवाद एकपक्षीय रूप से पारित करते हुये धनराशि 453120/-रू0 मय 7 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज दिलाये जाने हेतु निर्णय पारित किया गया। इसी से व्यथित होकरयह अपील प्रस्तुत की गयी है।
- अपील में अपीलकर्ता फाइनेंसर द्वारा मुख्य रूप से यह तथ्य लिया गया है कि अपील कर्ता को कोई नोटिस प्राप्त नही हुई थी तथा उसके विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय रूप से गलत प्रकार से निस्तारित किया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा फाइनेंसर को समय से ऋण की मासिक किस्त अदा नही की गयी थी तथा केवल एक किस्त प्रदान की गयी थी जिस कारण प्रत्यर्थी/परिवादी के विरूद्ध कुल 1960455/-रू0 दिनांक 8-7-2013 को बकाया था जब कि स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार बीमाकृत वाहन की राशि 1803500/-रू0 का भुगतान ही अपीलार्थी फाइनेंस को किया गया था और उस स्थिति में रू0 110235/- इस धनराशि के अतिरिक्त प्रत्यर्थी/परिवादी पर बकाया था, जो प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से अपीलार्थी फाइनेंसर को दिया जाना कहा है। अत: जो धनराशि 453120/-रू0 अपीलार्थी के विरूद्ध जिला फोरम ने किया है वह गलत है एवं प्रश्नगत निर्णय अपास्त होने योग्य है।
- अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चडढ़ा व प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री आलोक कुमार सिंह के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया गया। उपरोक्त आधार पर इस पीठ के निष्कर्ष निम्नलिखित प्रकार से हैं :-
‘’परिवाद विपक्षी सं0 एक के विरूद्ध 453120/- रूपया की वसूली हेतु स्वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि 02.04.2014 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा। विपक्षीगण उक्त धनराशि परिवादी को निर्णय के एक माह में अदा करें।‘’
- स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी की स्वीकारोक्ति के अनुसार परिवादी, अपीलार्थी टाटा मोटर्स लि0 से रू0 1413000/- की धनराशि का ऋण लिया था, जिसकी संविदा की धनराशि 1904723/-रू0 थी। इस संबंध में अपीलार्थी टाटा मोटर्स फाइनेंसर की ओर प्रस्तुत की गयी संविदा विवरण दिनांक 28-5-2015 की प्रतिलिपि अभिलेख पर प्रस्तुत की गयी है, जिसमें उक्त धनराशि दर्शायी गयी है, जिससे स्पष्ट होता है कि वाहन के लिये गये ऋण के संबंध में ब्याज को सम्मिलित करते हुये कुल धनराशि 1904723/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी ऋणी के द्वारा फाइनेंसर टाटा मोटर्स फाइनेंस का था। इस दस्तावेज का खण्डन प्रत्यर्थी द्वारा नही किया गया। यहॉं यह स्वाभाविक भी है कि ऋणी द्वारा ली गयी धनराशि के साथ-साथ व्याज की धनराशि भी प्रत्यर्थी/परिवादी ऋणी द्वारा देय होगी, जिसके संबंध में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कोई स्पष्टीकरण नही दिया गया है। स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा यह कथन स्वीकार किया गया है कि बीमाकर्ता जो वर्तमान में अपील के स्तर पर अनुपस्थित है, के द्वारा रू0 1803500/-रू0 ही ऋण दाता /अपीलकर्ता को प्रदान किया गया है।
- स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलकर्ता से ऋण लेना स्वीकार किया है। उक्त ऋण की संविदा की प्रतिलिपि अभिलेख पर है।
- मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा वाहन का स्वामी फाइनेंसर होता है जब तक कि ऋण की अदायगी फाइनेंसर को नही हो जाता है। इस सम्बंध में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय मेसर्स कृष्णा फूड एण्ड बेकर्स प्रति राजेन्द्र कुमार साहनी प्रकाशित ए0 आइ0 आर0 2009 एस0सी0 पृष्ठ 1000 का उल्लेख करना प्रासंगिक है। इस निर्णय में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा धारा 38 बीमा अधिनियम को विश्लेषित करते हुये यह दिया कि यदि वाहन के क्रय किये जाने में वाहन या फाइनेंसर ऋण दाता के पक्ष में हायर पर्चेज अथवा हाइपोटेनिक किया गया है तो वाहन की क्षति होने पर बीमा की धनराशि सीधे ऋण दाता को देय होगी विद्वान जिला फोरम ने बीमा की धनराशि जो फाइनेंसर को दी गयी है उसमें वह कथित रूप से अधिक प्रदान की गयी धनराशि को वापस करने का निर्णय दिया गया है जब कि विक्रेता द्वारा व्याज सहित धनराशि अधिक इस संबंध में दी गयी है। अत: यह नही कहा जा सकता कि बीमा की धनराशि गलत रूप से फाइनेंसर को दे दी गयी है। स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी ने भी इस तथ्य को स्वीकार करते हुये अतिरिक्त धनराशि की मांग परिवाद में की है जो उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि फाइनेंसर को अतिरिक्त धनराशि प्राप्त नही हुई है बल्कि व्याज सहित अधिक धनराशि बकाया थी। अत: विद्वान जिला फोरम के अतिरिक्त रूपया दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है अत: प्रश्नगत निर्णय अपास्त होने योग्य है। अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत निर्णय व आदेश दिनांक 09.1.2015 अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपील में वाद व्यय स्वयं वहन करेगें।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाय।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाडट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह) सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-2
निरंजन लाल, वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2