राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2747/2016
श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि0 ...........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
इरफान अली खान पुत्र अब्दुल गिलानी खां निवासी ग्राम एण्ड
पोस्ट पदारथपुर थाना बिथरी, चैनपुर जिला बरेली, यू0पी0।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
अपील संख्या-2619/2016
इंडियाबुल्स फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0 ...........अपीलार्थी
बनाम
इरफान अली खान पुत्र अब्दुल गिलानी खां निवासी ग्राम एण्ड
पोस्ट पदारथपुर थाना बिथरी, चैनपुर जिला बरेली व दो अन्य।
.........प्रत्यर्थीगण/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0 2 की ओर से उपस्थित : श्री मनु दीक्षित के सहयोगी श्री
सौरभ सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 06.04.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 92/2013 इरफान अली बनाम श्रीराम जनरल इं0कं0लि0 व एक अन्य में पारित निर्णय व आदेश दि. 27.09.2016 के विरूद्ध अपील संख्या 2747/2016 श्री राम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि0 द्वारा प्रस्तुत की गई है, जबकि अपील संख्या 2619/2016 इंडियाबुल फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0 द्वारा प्रस्तुत की गई है। सभी
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पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार ट्रक संख्या यूपी 25 ए.टी./7709 का बीमा अंकन रू. 2297000/- मूल्य के लिए था। दि. 29.09.2012 को विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से कराया गया था। यह बीमा पालिसी 29.09.2012 से 28.09.2013 तक प्रभावी थी। यह वाहन दि. 10.12.2012 को 08 बजे जिला मुजफ्फरपुर बिहार में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस घटना की सूचना थाना मोतीपुर जिला मुजफ्फरपुर बिहार में दी गई तथा बीमा कंपनी को भी सूचना दी गई। बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया। क्षतिग्रस्त ट्रक को बरेली में खींचकर लाया गया। बबलू मोटर्स वर्क द्वारा अंकन रू. 2053950/- का अनुमानित खर्च बताया गया। यह अनुमानित बिल विपक्षीगण के कार्यालय में जमा किया गया। सर्वेयर द्वारा क्षतिग्रस्त ट्रक का निरीक्षण किया गया, रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें ट्रक पूर्ण क्षतिग्रस्त होना बताया गया। विपक्षीगण द्वारा क्लेम का निस्तारण नहीं किया गया, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षीगण का कथन है कि वाहन दुर्घटना के पश्चात भी मरम्मत योग्य था। सर्वेयर द्वारा भी मरम्मत योग्य बताया गया। सर्वेयर द्वारा अंकन रू. 853360/- की क्षति का आंकलन करते हुए भुगतान की संस्तुति की गई थी। वाहन खुलवाकर मरम्मत कराए जाने के लिए तथा अंतिम आंकलन कराने के लिए परिवादी को अनेक पत्र लिखे गए, परन्तु कोई जवाब नहीं दिया गया। दि. 20.06.2013 को 07 दिन के अंदर मरम्मत कराने के लिए पत्र लिखा गया, अन्यथा
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चेतावनी दी गई क्लेम फाइल बंद कर दी जाएगी, परन्तु परिवादी द्वारा द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया गया, इसलिए बीमा क्लेम अदा नहीं किया गया।
4. विपक्षी संख्या 3 एवं 4 का कथन है कि अंकन रू. 2063400/- की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। परिवादी पर ऋण बकाया है, इस लिए ट्रक का स्वामित्व विपक्षी संख्या 3 एवं 4 का है तथा वे ही बीमा क्लेम राशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत हैं।
6. सभी पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि संपूर्ण हानि के आधार पर रू. 1679000/- तथा रू. 20000/- मानसिक प्रताड़ना के मद में एक माह के अंदर अदा करें, इसके पश्चात 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देय होगा।
5. इस निर्णय व आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपीलों पर बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि सर्वेयर द्वारा क्षति का आंकलन किया गया है, उसके अनुसार ही क्षतिपूर्ति की राशि देय है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा जो राशि निर्धारित की है वह साक्ष्य पर आधारित नहीं है। स्वयं परिवादी ने ट्रक को खुलवाकर मरम्मत कराने का कोई प्रयास नहीं किया गया, इसलिए परिवादी बीमा कंपनी से अधिक धन ऐंठना चाहता है। अपील संख्या 2619/2016 के अपीलार्थीगण का तर्क है कि उनके द्वारा वाहन क्रय करने हेतु वित्तीय सहायता दी है, परिवादी द्वारा ऋण की अदायगी नहीं की गई, इसलिए जो भी क्लेम प्राप्त होगा उन्हें अदा किया जाए।
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6. बीमा कंपनी द्वारा प्रस्तुत की गई अपील के निस्तारण के लिए मुख्य विचारणीय बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या संपूर्ण क्षति के आधार पर बीमा क्लेम अदा करने का आदेश देना विधिसम्मत है। अपील संख्या 2619/2016 के निस्तारण के लिए विनिश्चयात्मक बिन्दु यह है कि ऋण प्रदाता कंपनी बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए अधिकृत है ?
7. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि ट्रक संपूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो चुका था, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय विधिसम्मत है। सर्वेयर द्वारा केवल रू. 853360/- की क्षति का आंकलन किया गया है। जिला उपभोक्ता मंच ने अपने निर्णय में बबलू मोटर्स वर्क्स द्वारा दिए गए स्टीमेट को विचार में लिया है, इसलिए वाहन की मरम्मत कराए जाने का औचित्य नहीं पाया गया है। तदनुसार आवश्यक कटौती के अनुसार रू. 167900/- अदा करने का आदेश दिया है। यह निर्णय जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष प्रस्तुत की गई साक्ष्य पर आधारित है। चूंकि सर्वेयर द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट अधूरी है, वाहन के खुलने के पश्चात ही वास्तविक क्षति का आंकलन किया जा सकता है, इसलिए इस रिपोर्ट के आधार पर क्षतिपूर्ति सुनिश्चित करना उचित नहीं है। क्षतिपूर्ति पर जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित आदेश पुष्ट किए जाने योग्य है, सिवाए इसके कि इस राशि पर 09 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देय होगा। चूंकि परिवादी द्वारा इंडियाबुल फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0 से ऋण प्राप्त किया गया है, जिस राशि की अदायगी नहीं की गई है, इसलिए क्लेम की राशि पर प्रथम
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अधिकार इंडियाबुल फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0 का है, अत: अपील संख्या 2619/2016 स्वीकार होने योग्य है।
8. बीमा कंपनी की ओर से नजीर सुरेश कुमार शर्मा 3(2021 सीपीजे 79 एन.सी. प्रस्तुत की गई है, जिसमें सर्वेयर द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर क्षतिपूर्ति के आदेश को उचित माना है, परन्तु चूंकि परिवादी द्वारा गैराज के स्टीमेट के दस्तावेज प्रस्तुत किए गए, जबकि इस नजीर में सर्वे रिपोर्ट के विरूद्ध कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई थी, इसलिए सर्वे रिपोर्ट को क्षतिपूर्ति के आंकलन के लिए मुख्य दस्तावेज मान लिया गया था, जबकि प्रस्तुत केस में गैराज का स्टीमेट मौजूद है, जिसकी प्रति बीमा कंपनी को भी क्लेम प्रस्तुत करते समय उपलब्ध कराई गई थी, इसलिए इस नजीर का कोई लाभ बीमा कंपनी को प्रदान नहीं किया जा सकता। अपील संख्या 2747/2016 खारिज होने योग्य है।
आदेश
9. अपील संख्या 2747/2016 खारिज की जाती है तथा अपील संख्या 2619/2016 स्वीकार की जाती है। बीमा कंपनी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में देय राशि पर देय तिथि से 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष के ब्याज के साथ इंडियाबुल फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0 को प्राप्त कराए। इंडियाबुल फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0 इस राशि को प्राप्त करने के पश्चात सर्वप्रथम अपने ऋण राशि को समायोजन करें और यदि कोई राशि अवशेष बचती हो तब उस राशि का भुगतान परिवादी को किया जाए।
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इस निर्णय की एक प्रति अपील संख्या 2619/2016 में भी रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह) सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2