Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/79/2019

SHYAM DULARI - Complainant(s)

Versus

INTREPID FINANCE - Opp.Party(s)

SHUBH KARAN SINGH

26 Dec 2022

ORDER

-1-

परिवाद संo                                            मामले का शीर्षक-                        उद्घोषणा की तिथि

79 सन् 2019                  “परिवादिनी के ऋण जोखिम बीमा धनराशि                     26.12.2022

                                        का विपक्षी द्वारा भुगतान न करने से हुई

                                            क्षतिपूर्ति दिलाए जाने सम्बन्धी वाद”

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संस्थित करने की तिथि 04.07.2019

अंतिम सुनवाई की तिथि 17.12.2022

उद्घोषणा की तिथि 26.12.2022

परिवाद संख्या 79 सन् 2019

     श्यामदुलारी पत्नी गुड्डू, साकिन मौजा- फरीदपुर, पोस्ट-     रसूलपुर नन्दलाल, तहसील- सगड़ी, जनपद- आजमगढ़।  

(जरिएः परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता

श्री शुभकरन सिंह)

  •  

बनाम

इन्ट्रेपिड फाईनेन्स एण्ड लीजिंग प्राoलिo, शाखा- जीयनपुर, जनपद- आजमगढ़ द्वारा शाखा प्रबन्धक।

  •  

कोरमः-

     भगवती प्रसाद सक्सेना “अध्यक्ष”, गगन कुमार गुप्ता “सदस्य” तथा सुश्री प्रतिष्ठा वर्मा “सदस्या”

सुनवाई की अंतिम तिथि पर उपस्थितः- परिवादिनी स्वयं तथा परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता।

माo अध्यक्ष, श्री भगवती प्रसाद सक्सेना द्वारा उद्घोषित

     निर्णय

  1. परिवादिनी की ओर से यह परिवाद विपक्षी से बीमित धनराशि 25,000/- (पच्चीस हजार रुपए मात्र) 18% ब्याज सहित तथा विपक्षी द्वारा कारित परिवादिनी को मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षति हेतु 50,000/- (पचास हजार रुपए मात्र) दिलाए जाने हेतु योजित किया गया है।
  2. संक्षेप में परिवाद के अभिवचन निम्नवत हैं :-

परिवादिनी ने अपने पति गुड्डू के साथ दिनांक 21.07.2016 को विपक्षी से समूह ऋण 25,000/- (पच्चीस

-2-

हजार रुपए मात्र) लिया था। ऋण वितरण के समय विपक्षी ने परिवादिनी व परिवादिनी के पति का बीमा 25,000/- (पच्चीस हजार रुपए मात्र) का किया था। जिसकी किश्त 306/- (तीन सौ छः रुपए मात्र) थी। उक्त किश्त परिवादिनी ने जमा भी कर दिया था। केवल 02 किश्त शेष रह गयी थी। इसी बीच परिवादिनी के पति गुड्डू की दिनांक 11.01.2018 को मृत्यु हो गयी। इस प्रकार परिवादिनी बीमा धनराशि 25,000/- (पच्चीस हजार रुपए मात्र) प्राप्त करने की अधिकारिणी है। परिवादिनी ने विपक्षी से निवेदन किया कि वह परिवादिनी को बीमित धनराशि 25,000/- (पच्चीस हजार रुपए मात्र) अदा कर दें तो विपक्षी ने परिवादिनी को काफी दौड़ाया, हैरान-परेशान किया। लेकिन विपक्षी ने उक्त बीमित धनराशि अदा नहीं किया। इसके पश्चात् परिवादिनी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी को दिनांक 06.02.2019 को कानूनी नोटिस दिया जिसे विपक्षी ने दिनांक 07.02.2019 को प्राप्त भी किया। लेकिन विपक्षी ने उसका भी कोई उत्तर नहीं दिया। विपक्षी द्वारा  जान-बूझकर माह जनवरी 2018 के अन्तिम सप्ताह में परिवादिनी को बीमित धनराशि 25,000/- (पच्चीस हजार रुपए मात्र) देने से मना कर दिया गया। जिससे मजबूर होकर परिवादिनी द्वारा विपक्षी से बीमित धनराशि 25,000/- (पच्चीस हजार रुपए मात्र) 18% ब्याज सहित व उनके द्वारा कारित मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति 50,000/- (पचास हजार रुपए मात्र) वसूलने हेतु यह वाद योजित किया गया है।

  1. विपक्षी को पंजीकृत डॉक द्वारा दिनांक 30.11.2019 को नोटिस जारी की गयी जो इस टिप्पणी के साथ कि ‘पता नहीं चला’ वापस प्राप्त हुई। जिसके बाद दिनांक 06.02.2020 को पुनः पंजीकृत डॉक द्वारा नोटिस जारी की गयी। जो इस टिप्पणी के साथ कि ‘यह ऑफिस बन्द हो गयी है अब यहां कोई नहीं रहता है’ वापस प्राप्त है। इसके पश्चात् दिनांक 26 दिसम्बर, 2021 को दैनिक मान्यवर समाचार पत्र में प्रकाशन से नोटिस जारी की गयी। इस क्रम में विपक्षी के उपस्थित न होने के कारण दिनांक 28.12.2021 को तामीला पर्याप्त करते हुए विपक्षी की अनुपस्थिति के कारण दिनांक 03.03.2022 को वाद उनके विरुद्ध एकपक्षीय रूप से संचालित किया गया है।
  2.  
  3. परिवादिनी की ओर से अभिलेख 6ग/1 ऋण जोखिम बीमा रसीद की छायाप्रति तथा अभिलेख 6ग/2 मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति तथा अपने अभिवचनों के समर्थन में 4ग/1ता4ग/2 मुख्य परीक्षण शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
  4. परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। चूंकि परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र तथा उसके समर्थन में प्रस्तुत शपथ पत्र एवं प्रलेखीय साक्ष्य का कोई खण्डन नहीं किया गया है। इसलिए परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र तथा उसके समर्थन में प्रस्तुत शपथ पत्र एवं प्रलेखीय साक्ष्य अखण्डित हैं। अतः परिवाद विपक्षी के विरुद्ध एकपक्षीय रूप से स्वीकार होने योग्य है।
  5.  
  6. परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को ऋण से सम्बन्धित बीमित धनराशि 25,000/- (पच्चीस हजार रुपए मात्र) 09% वार्षिक ब्याज सहित वाद योजित करने की तिथि से, तथा 10,000/- (दस हजार रुपए मात्र) मानसिक, शारीरिक, आर्थिक एवं वाद व्यय हेतु समस्त धनराशि एक माह में अदा करें।  अन्यथा, परिवादिनी जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ के माध्यम से वसूलने की अधिकारिणी होंगी।

आशुलिपिक/डी.एम.ए. से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की कन्फोनेट प्रक्रिया के अन्तर्गत बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

भगवती प्रसाद सक्सेना, “अध्यक्ष”

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग आजमगढ़।

गगन कुमार गुप्ता, “सदस्य”

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग आजमगढ़।

सुश्री प्रतिष्ठा वर्मा, “सदस्या”

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग आजमगढ़।

उद्घोषणा की तिथिः- 26.12.2022                                       

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