जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 193/2015
आत्माराम पुत्र श्री षिवदेवराम, जाति-माली, निवासी-कृशि उपज मण्डी रोड, रामद्वारा के पास, कुचेरा, तहसील-मूण्डवा, जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. इन्टेक्स टेक्नोलोजिस इण्डिया लिमिटेड जरिये पंजीकृत एवं प्रधान कार्यालय, डी-18/2, ओखला फेस- द्वितीय, नई दिल्ली-110020
2. हनुमन्त मोबाईल सेन्टर एण्ड फोटो स्टेट जरिये प्रोपराइटर/मालिक, बस स्टेण्ड कुचेरा, तहसील-मूण्डवा, जिला-नागौर।
3. इन्टेक्स हेल्पिंग हेण्ड सर्विसेज जरिये प्रोपराइटर/मालिक, पुराना बस स्टेण्ड के पास, नागौर षहर, तहसील व जिला नागौर।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री षिवचन्द पारीक, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. अप्रार्थीगण की ओर से कोई नहीं।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे ष दिनांक 05.04.2016
1. यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 2 से, अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा निर्मित एक मोबाइल हेण्डसेट माॅडल इन्टेक्स एक्वा स्टाईल प्रो दिनांक 07.01.2015 को जरिये बिल संख्या 1115, दिनांक 07.01.2015 को 6,000/- रूपये देकर खरीद किया। इस दौरान अप्रार्थी संख्या 2 ने अवगत कराया कि वर्तमान में इन्टेक्स ब्रान्ड के मोबाइल सेट बेहतर क्वालिटी के एवं सर्विस देने वाले हैं तथा इन पर कम्पनी की ओर एक वर्श की वारंटी भी दी जा रही हैै। लेकिन प्रारम्भ से ही इस मोबाइल के टच स्क्रीन ने काम करना बंद कर दिया तथा काॅल इनकमिंग के वक्त काॅल रिसिव करते ही मोबाइल आॅफ हो जाता।। इस पर परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 2 को षिकायत की तो उसने बताया मोबाइल में लगातार यह समस्या आ रही है तो अप्रार्थी संख्या 3 कम्पनी के नागौर स्थित अधिकृत सर्विस सेंटर में चैक करवायें। मोबाइल सेट में यह समस्या लगातार रहने पर परिवादी अप्रार्थी संख्या 3 सर्विस सेंटर गया तथा वहां समस्या से अवगत कराया तो अप्रार्थी संख्या 3 ने मोबाइल सेट जमा कर लिया तथा कहा कि एक दो दिन में मोबाइल ठीक कर दिया जाएगा। परिवादी एक दो दिन बाद अप्रार्थी संख्या 3 के पास मोबाइल लेने गया तो अप्रार्थी संख्या 3 ने अवगत कराया कि मोबाइल रिपेयरिंग के लिए भिजवाया गया है, आने पर दे दिया जाएगा। इसके बाद भी परिवादी लगातार अप्रार्थी संख्या 3 के यहां चक्कर काटता रहा मगर उसे मोबाइल नहीं लौटाया गया उल्टे यह कहा कि कोई आपका ही मोबाइल खराब नहीं हुआ है बहुत से मोबाइल खराब होते रहते हैं। कम्पनी मोबाइल को रिपेयर/रिप्लेस करके भेजेगी तो लौटा देंगे। इस तरह परिवादी को न तो मोबाइल रिपेयर करके दिया गया और न ही रिप्लेस करके दिया गया। यहां तक कि संतोशजनक जवाब तक नहीं दिया गया। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी एवं अनफेयर टेªड प्रेक्टिस की परिभाशा में आता है। अतः परिवादी को विवादित मोबाइल दुरूस्त कर दिलाया जाये। मोबाइल के दुरूस्त न होने की स्थिति में नया मोबाइल अथवा उसकी बिल राषि मय वाद पत्र में अंकित अनुतोश के साथ दिलायी जावे।
2. अप्रार्थीगण की ओर से बावजूद तामिल कोई भी उपस्थित नहीं आया और न ही जवाब प्रस्तुत किया।
3. परिवादी की ओर से अपना षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात प्रस्तुत किये गये। अप्रार्थीगण की ओर से कोई साक्ष्य मौखिक या दस्तावेज प्रस्तुत नहीं की गई।
4. बहस अंतिम योग्य अधिवक्ता पक्षकारान सुनी गई। अभिलेख का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
5. परिवादी द्वारा प्रस्तुत षपथ-पत्र एव ंक्रय बिल की प्रति से यह स्पश्ट है कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 2 से दिनांक 07.01.2015 को इन्टेक्स एक्वा स्टाईल प्रो मोबाइल राषि 6,000/- रूपये में खरीद किया। अप्रार्थी संख्या 1 इस मोबाइल के निर्माता है एवं अप्रार्थी संख्या 3, अप्रार्थी संख्या 1 का सेवा केन्द्र है। इस प्रकार परिवादी तीनों अप्रार्थीगण का उपभोक्ता होना पाया जाता है।
6. ऐसा कोई अभिकथन या साक्ष्य अप्रार्थीगण की ओर से नहीं है कि मोबाइल की वारंटी अवधि एक वर्श नहीं हो। अतः परिवादी के अभिकथन एवं साक्ष्य, जिसका लेषमात्र भी खण्डन अप्रार्थीगण की ओर से नहीं है, से प्रमाणित है कि परिवादी द्वारा क्रय किये गये मोबाइल में परिवाद में अंकितानुसार त्रुटियां मोबाइल खरीदने के कुछ दिन पष्चात् ही चालू हो गई। अप्रार्थी संख्या 3 सर्विस सेंटर द्वारा जारी रसीद दिनांक 07.07.2015 अभिलेख पर है जिसके अनुसार मोबाइल में क्रमषः टच स्क्रीन काम नहीं करना, डिस्प्ले की समस्या एवं स्वीच आॅन-आॅफ की समस्या है। जिससे यह स्पश्ट हो रहा है कि अप्रार्थीगण द्वारा विक्रित मोबाइल विनिर्माण दोश से ग्रस्त था। अप्रार्थी संख्या दो के निर्देषानुसार मोबाइल को सर्विस सेंटर अप्रार्थी संख्या 3 के यहां जमा कराने के बावजूद न तो रिपेयर किया गया और न ही उसकी जगह दूसरा मोबाइल दिया।। अतः अप्रार्थीगण ने परिवादी को दोशयुक्त मोबाइल विक्रय किया व मोबाइल के दोशयुक्त होने के बावजूद ने तो रिपेयर किया और न ही मोबाइल रिप्लेस किया। जो अप्रार्थीगण का अनुचित सेवा व्यवहार एवं सेवा में कमी है। अतः परिवाद परिवादी विरूद्ध अप्रार्थीगण स्वीकार किये जाने योग्य होना पाया जाता है।
आदेश
7. परिणामतः परिवाद परिवादी विरूद्ध अप्रार्थीगण एकल-एकल एवं संयुक्त तौर पर स्वीकार कर आदेष है किः- अप्रार्थीगण, परिवादी को उसका मोबाइल पूर्णतः ठीक कर वापिस प्रदान करें तथा यदि यह मोबाइल दुरूस्त होने योग्य नहीं हो तो परिवादी को उसके स्थान पर उसी माॅडल/कीमत का नया हेण्डसेट प्रदान करें तथा यह भी संभव न हो तो अप्रार्थीगण परिवादी को उसके मोबाइल की बिल राषि 6,000/- रूपये मय ब्याज 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण दर से परिवाद-पत्र प्रस्तुत करने की दिनांक 28.08.2015 से अदा करें। यह भी आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, परिवादी को मानसिक संताप एवं वाद परिव्यय निमित कुल 2,500/- रूपये अदा करें।
8. निर्णय व आदेष आज दिनांक 05.04.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय अपराध है।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य। सदस्य अध्यक्ष सदस्या