जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 292/2015
अकबर छींपा पुत्र श्री असगर छींपा, जाति-मुसलमान, निवासी-जायल, तहसील-जायल, जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. इन्टेक्स टेक्नोलोजी इण्डिया लि., डी-18/2, ओकला इण्ड. एरिया फेस- द्वितीय, नई दिल्ली-110020
2. कस्टमर केयर सेल, इन्टेक्स टेक्नोलोजी इण्डिया लि., डी-18/2, ओकला इण्ड. एरिया फेस- द्वितीय, नई दिल्ली-110020
3. इन्टेक्स हेल्प लाइन एण्ड सर्विस, आपोजिट पुराना पावर हाउस के पास, स्टेषन रोड, नागौर (राज.)
4. श्री ष्याम गैस सर्विस एण्ड मोबाइल सेंटर, जायल, जिला-नागौर (राज.)।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री रामेष्वर लाल, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. अप्रार्थीगण की ओर से कोई नहीं।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे ष दिनांक 26.07.2016
1. यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 4 श्री ष्याम गैस सर्विस एण्ड मोबाइल सेंटर, जायल से अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा निर्मित एक मोबाइल हेण्डसेट माॅडल इन्टेक्स एक्वा एक्सट्रेमी जरिये बिल संख्या 997, दिनांक 23.01.2015 को 10,800/- रूपये देकर खरीद किया। इस दौरान अप्रार्थीगण की ओर से उक्त मोबाइल पर खरीद से 12 माह की वारंटी भी दी गई एवं इस हेतु मोबाइल की पैकिंग में वारंटी कार्ड भी उपलब्ध करवाया गया। लेकिन परिवादी द्वारा खरीदे गये इस मोबाइल में टच स्क्रीन की खराबी (टच नाॅट वर्किंग) थी। टच स्क्रीन के काम नहीं करने पर परिवादी उक्त मोबाइल को लेकर दिनांक 06.07.2015 को कम्पनी के सर्विस सेंटर अप्रार्थी संख्या 3 के पास गया तथा वहां मोबाइल दिखाया। जहां अप्रार्थी संख्या 3 की ओर से उक्त मोबाइल में उत्पादकता दोश बताते हुए फोन वारंटी अवधि में होने व वारंटी में कवर होना मानते हुए दोश दुरूस्त करने हेतु उसी दिन फोन अपने पास ले लिया तथा परिवादी को इस बाबत् जाॅब षीट दिनांक 06.07.2015 जारी कर दी गई। उक्त जाॅब षीट के मुताबिक कम्पनी की ओर से उक्त मोबाइल सात दिन में ठीक कर लौटाना था मगर अप्रार्थी की ओर से सात दिन तो दूर आज दिन तक परिवादी को मोबाइल ठीक करके नहीं लौटाया गया। इस अवधि में परिवादी की ओर से बार-बार अप्रार्थी से सम्पर्क किया गया मगर उसे कोई संतोशजनक जवाब तक नहीं दिया जा रहा है। इस अवधि में परिवादी का मोबाइल बंद रहने से उसे अत्यधिक मानसिक परेषानी का सामना करना पड रहा है और सर्विस सेंटर के बार-बार चक्कर लगाकर परेषान हो चुका है। जिसके लिए वह क्षतिपूर्ति पाने का भी हकदार है। अप्रार्थीगण की ओर से परिवादी को बार-बार चक्कर कटाकर कोई राहत प्रदान नहीं की गई है। इस पर परिवादी की ओर से दिनांक 18.08.2015 को अपने अधिवक्ता के मार्फत अप्रार्थीगण को नोटिस भी दिया गया। जिस पर भी अप्रार्थीगण की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया और ना ही मोबाइल लौटाया गया। इसके चलते परिवादी को मंच में परिवाद पेष करना पडा। अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार कर अप्रार्थीगण को आदेष प्रदान किया जावे कि वे परिवादी को उसका मोबाइल को सही व दुरूस्त कर लौटायें। परिवादी को मोबाइल जाॅब कार्ड जारी होने के सात दिन की अवधि के बाद से प्रतिदिन 5,00/- रूपये की दर से हर्जाना राषि मोबाइल लौटाने की तारीख तक दिलाये जावें। इसके अलावा परिवाद में अंकितानुसार अनुतोश परिवादी को दिलाये जावे।
2. अप्रार्थीगण की ओर से बावजूद तामिल कोई भी उपस्थित नहीं आया और न ही जवाब प्रस्तुत किया।
3. परिवादी की ओर से अपना षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात प्रस्तुत किये गये। अप्रार्थीगण की ओर से कोई साक्ष्य मौखिक या दस्तावेज प्रस्तुत नहीं की गई।
4. बहस अंतिम सुनी गई। अभिलेख का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। परिवादी की ओर अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही अपने अधिवक्ता के जरिये दिया नोटिस प्रदर्ष 1, पोस्टल रसीदें प्रदर्ष 2 से 4, मोबाइल क्रय करने का बिल प्रदर्ष 5, डिस्ट्रीब्यूटर उमेष इलेक्ट्राॅनिक्स का बिल प्रदर्ष 6 एवं नागौर स्थित सर्विस सेंटर से जारी जाॅब षीट प्रदर्ष 7 की फोटो प्रतियां पेष की गई है।
5. परिवादी द्वारा प्रस्तुत षपथ-पत्र एव ंक्रय बिल की प्रति से यह स्पश्ट है कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 4 से दिनांक 23.01.2015 को एक इन्टेक्स एक्वा एक्सट्रेमी मोबाईल राषि 10,800/- रूपये देकर खरीद किया। अप्रार्थी संख्या 1 इस मोबाइल के निर्माता एवं अप्रार्थी संख्या 2 इसी का सेवा केन्द्र है तथा अप्रार्थी संख्या 3, निर्माता कम्पनी का नागौर स्थित सर्विस सेंटर एवं हेल्प लाईन सेंटर है। ऐसी स्थिति में स्पश्ट है कि परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता रहा है एवं प्रार्थी का मामला उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में आता है।
6. ऐसा कोई अभिकथन या साक्ष्य अप्रार्थीगण की ओर से नहीं है कि मोबाइल की वारंटी अवधि एक वर्श नहीं हो। अतः परिवादी के अभिकथन एवं साक्ष्य, जिसका लेषमात्र भी खण्डन अप्रार्थीगण की ओर से नहीं है, से प्रमाणित है कि परिवादी द्वारा क्रय किये गये मोबाइल में परिवाद में अंकितानुसार त्रुटियां मोबाइल खरीदने के बाद चालू हो गई। अप्रार्थी संख्या 3 सर्विस सेंटर द्वारा जारी रसीद दिनांक 06.07.2015 अभिलेख पर है जिसके अनुसार मोबाइल में टच नाॅट वर्किंग की समस्या है। जिससे यह स्पश्ट हो रहा है कि अप्रार्थीगण द्वारा विक्रित मोबाइल विनिर्माण दोश से ग्रस्त था। अप्रार्थी संख्या 3 की ओर से जारी जाॅब षीट के मुताबिक उक्त मोबाइल सात दिन में ठीक कर लौटाना था मगर अप्रार्थी की ओर से सात दिन तो दूर आज दिन तक परिवादी को मोबाइल ठीक करके नहीं लौटाया गया। जिस पर परिवादी की ओर से अपने अधिवक्ता के जरिये नोटिस भी देना पडा और अंततः मंच में आना पडा। इस तरह अप्रार्थीगण की ओर से परिवादी को दोशयुक्त मोबाइल विक्रय किया व मोबाइल के दोशयुक्त होने के बावजूद ने तो रिपेयर किया गया और न ही उसके स्थान पर नया मोबाइल दिया गया। ऐसी स्थिति में स्पश्ट है कि अप्रार्थीगण वारंटी नियमों अनुसार परिवादी को सेवा प्रदान करने में असफल रहे हैं जो कि निष्चिय ही अप्रार्थीगण का अनुचित सेवा व्यवहार एवं सेवा दोश रहा है।
7. पत्रावली के अवलोकन पर यह भी स्पश्ट है कि परिवादी द्वारा अप्रार्थी संख्या 4 से यह मोबाइल ग्राम-जायल, जिला-नागौर से क्रय किया गया तथा खराब होने पर उसे कम्पनी के नागौर स्थित अधिकृत सर्विस सेंटर अप्रार्थी संख्या 3 के वहां लेकर आना पडा, जो कि जिला मुख्यालय पर स्थित है। जहां अप्रार्थी संख्या 3 की ओर से उक्त मोबाइल में उत्पादकता दोश बताते हुए फोन वारंटी अवधि में होने व वारंटी में कवर होना मानते हुए दोश दुरूस्त करने हेतु उसी दिन फोन अपने पास ले लिया तथा परिवादी को जाॅब षीट जारी कर सात दिन में ठीक करके लौटाने का बोला। मगर अप्रार्थी की ओर से सात दिन तो दूर आज दिन तक परिवादी को मोबाइल ठीक करके नहीं लौटाया गया। इस अवधि में परिवादी का मोबाइल बंद रहने से उसे अत्यधिक परेषानी का सामना करना पडा और सर्विस सेंटर के बार-बार चक्कर लगाने पडे। जिससे परिवादी को आर्थिक नुकसान होने के साथ-साथ मानसिक रूप से भी परेषान होना पडा। यह भी स्पश्ट है कि बार-बार चक्कर काटने के बावजूद अप्रार्थीगण द्वारा मोबाइल ठीक नहीं करने एवं खराब मोबाइल के बदले नया मोबाइल नहीं देने की स्थिति में ही परिवादी को यह परिवाद पेष करना पडा। ऐसी स्थिति में अप्रार्थीगण द्वारा किये गये सेवा दोश के कारण परिवाद को हुई मानसिक एवं आर्थिक परेषानी की पूर्ति किये जाने के साथ-साथ परिवाद व्यय दिलाया जाना भी न्यायोचित होगा
आदेश
8. परिणामतः परिवादी अकबर छींपा द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद धारा-12 अन्तर्गत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का स्वीकार कर आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण परिवादी के विवादित मोबाइल की रिपेयरिंग कर दुरूस्त हालत में उसे प्रदान करें, अप्रार्थीगण की ओर से जिस दिन मोबाइल रिपेयरिंग कर परिवादी को सौंपा जाएगा, उसी दिन से पुनः वारंटी प्रारम्भ होगी। यदि मोबाइल रिपेयरिंग करने लायक नहीं हो तो अप्रार्थीगण, परिवादी को विवादित मोबाइल के बदले इसी माॅडल/कीमत का इसी कम्पनी द्वारा निर्मित नया मोबाइल हेण्डसेट प्रदान करे, जिसकी वारंटी अवधि नया मोबाइल प्रदान करने की दिनांक से होगी। यह भी स्पश्ट किया जाता है कि यदि इसी कम्पनी द्वारा निर्मित इसी माॅडल/कीमत का मोबाइल हेण्डसेट उपलब्ध नहीं हो तो अप्रार्थीगण परिवादी को उसके मोबाइल की बिल राषि 10,800/- रूपये प्रदान करंेगे तथा इस राषि पर आवेदन पेष करने की दिनांक 15.12.2015 से 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज भी प्रदान करें। यह भी आदेष दिया जाता है कि परिवादी को हुई आर्थिक व मानसिक परेषानी पेटे अप्रार्थीगण परिवादी को 2,500/- रूपये बतौर क्षतिपूर्ति अदा करने के साथ ही 2,500/- रूपये परिवाद व्यय के भी अदा करें। आदेष की पालना एक माह में की जावे।
9. आदेष आज दिनांक 26.07.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने अथवा दोनों से दण्डनीय अपराध है।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल। ।राजलक्ष्मी आचार्य। सदस्य अध्यक्ष सदस्या