Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/695

Pradeep Kumar Gupta - Complainant(s)

Versus

Infrastructure Ltd - Opp.Party(s)

Mohd Irfan & Vinod Mishra & Vaibhav Srivastava

03 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/695
( Date of Filing : 09 Apr 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Pradeep Kumar Gupta
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Infrastructure Ltd
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Sep 2024
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :-695/2012

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-294/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05/11/2011 के विरूद्ध)

Pradeep Kumar Gupta aged about 45 years S/O Sri S.C. Gupta R/O 203, Sumeru Apartments, Kaushambi, Distt-Ghaziabad

  1.                                                                          Appellant  

Versus

 

  1. M/S Nitishree Infrastructure Ltd, D-44, Sector-6, Noida, Distt-Gautam Budh Nagar,
  2. Anil Jain, Director, M/S Nitishree Infrastructure Ltd, D-44, Sector-6, Noida, Distt-Gautam Budh Nagar
  3. Ankur Jain, Director, M/S Nitishree Infrastructure Ltd, D-44, Sector-6, Noida, Distt-Gautam Budh Nagar. Second Address-B-11, Sector-5, Noida, Distt. Gautam Budh Nagar.
    •               

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री विनोद मिश्रा

प्रत्‍यर्थीगण की ओर विद्वान अधिवक्‍ता:- कोई नहीं

दिनांक:- 03.09.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           यह अपील जिला उपभोक्‍ता आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-294/2010 प्रदीप कुमार गुप्‍ता बनाम मैसर्स नितिश्री इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लि0 व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05/11/2011 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री विनोद मिश्रा के तर्क को सुना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।  
  2.               परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार विपक्षी के आवासीय योजना में नरेन्‍द्र गुप्‍ता नामक व्‍यक्ति को आवंटित प्‍लाट का क्रय परिवादी द्वारा विपक्षी की सहमति से किया गया। इस प्‍लाट का मूल्‍य 12,60,875/-रू0 था। नरेन्‍द्र गुप्‍ता द्वारा 4,76,306/-रू0 अदा कर दिया गया था। दिनांक 27.01.2007 को विपक्षी ने परिवादी के हक में आवंटन पत्र जारी कर‍ दिया। परिवादी ने उसी दिन विपक्षी को 1,03,587/-रू0 75 पैसे चेक के माध्‍यम से और 75,000/-रू0 नकद दिनांक 16.06.2008 को अदा किया, परंतु चेक अनादृत हो गया, इसलिए यह राशि भी परिवादी ने नकद अदा कर दी और 12,000/-रू0 ब्‍याज के भी अदा कर दिये। इस प्रकार परिवादी विपक्षी से 6,66,893/-रू0 अदा कर दिये थे। दिनांक 18.06.2008 को पक्षकारों के मध्‍य प्‍लाट के संबंध में अनुबंध निष्‍पादित हुआ, इस अनुबंध के अनुसार 2009 तक भूखण्‍ड का कब्‍जा दिया जाना था, परंतु दिसम्‍बर 2009 तक विपक्षी ने मौके पर कोई विकास कार्य नहीं किया। रकम वापस मांगने पर दिनांक 22.12.2009 से कार्य प्रारंभ करने को कहा गया और 22 महीने बाद कब्‍जा देने को कहा गया। प्‍लॉट की लोकेशन बदल दी गयी और नयी लोकेशन निश्चित नहीं की गयी। इन आधारों पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।
  3.          विपक्षी का कथन है कि पक्षकारों के मध्‍य दीवानी प्रकृति का विवाद है। अनेक आवंटियों ने पंजीकृत अनुबंध कर लिया है, परंतु परिवादी पंजीकरण के अनुबंध से बचना चाहता है तथा भूखण्‍ड का बकाया राशि अदा नहीं करना चाहता, जबकि विपक्षी उसी भूखण्‍ड को देने के लिए सहमत है। परिवाद को कालबाधित होने का कथन किया है। प्‍लाट देने में देरी उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा मास्‍टर प्‍लान रोड में परिवर्तन कारण हुई है, परंतु परिवादी विकल्‍प में अन्‍य भूखण्‍ड लेने के लिए सहमत नहीं हुआ और अनुबंध के अनुसार केवल 08 प्रतिशत ब्‍याज तय हुआ था।
  4.      पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता  आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि स्‍वयं परिवादी ने भूखण्‍ड की सम्‍पूर्ण कीमत अदा नहीं की है, इसलिए परिवादी के पक्ष में भूखण्‍ड का कब्‍जा नहीं दिया जा सकता, इसलिए परिवाद खारिज कर दिया गया।
  5.         अपील के ज्ञापन तथा लिखित बहस का सार यह है कि विपक्षी द्वारा समय पर कब्‍जा नहीं दिया गया, इसलिए परिवादी ने अपने द्वारा जमा राशि अंकन 6,66,893/-रू0 की मांग की, परंतु परिवादी ने यह राशि उपलब्‍ध नहीं करायी, इसलिए परिवादी अपने द्वारा जमा राशि 24 प्रतिशत की दर से प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।
  6.        परिवाद पत्र में परिवादी द्वारा मुख्‍य अनुतोष जमा राशि 24 प्रतिशत ब्‍याज के साथ प्राप्ति की मांग की गयी है, साथ ही मानसिक प्रताड़ना के मद में 1,00,000/-रू0 और परिवाद व्‍यय के रूप में 40,000/-रू0 के अनुतोष की मांग की गयी है।
  7.        लिखित कथन के अवलोकन से साबित होता है कि विपक्षी को यह तथ्‍य स्‍वीकार है कि समय पर कब्‍जा प्रदान नहीं किया जा सका, इसलिए चूंकि समय पर कब्‍जा प्रदान नहीं किया जा सका। अत: परिवादी को डिफाल्‍टर नहीं कहा जा सकता। जिला उपभोक्‍ता  आयोग ने विपक्षी की त्रुटि होने के बावजूद परिवादी को डिफाल्‍टर घोषित किया है, जो अनुचित निष्‍कर्ष है। यदि विपक्षी द्वारा समय पर कब्‍जा प्रदान करने का प्रस्‍ताव दिया जाता और तब परिवादी द्वारा अवशेष मूल्‍य अदा नहीं किया जाता तब परिवादी को डिफाल्‍टर माना जा सकता था, परंतु चूंकि स्‍वयं विपक्षी ने कभी भी कब्‍जा प्राप्‍त करने का प्रस्‍ताव परिवादी को नहीं दिया, इसलिए परिवादी डिफाल्‍टर की श्रेणी में नहीं आता है। अत: जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा इस संबंध में जो निष्‍कर्ष दिया गया है, विधि-विरूद्ध है।
  8.       परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा 6,66,893/-रू0 जमा कराये गये हैं। विपक्षी ने इस राशि के जमा होने से इंकार नहीं किया है और चूंकि विपक्षी द्वारा परिवादी को विकसित प्‍लॉट का कब्‍जा कभी भी प्रस्‍तावित नहीं किया, इसलिए परिवादी इस राशि को 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष के ब्‍याज दर के साथ वापस प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है और चूंकि परिवादी को समय पर कब्‍जा नहीं दिया गया, इसलिए मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 1,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए भी अधिकृत है तथा परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 25,000/-रू0 प्राप्‍त करने के लिए परिवादी अधिकृत है।

आदेश

   अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है। परिवाद निम्‍न प्रकार से स्‍वीकार किया जाता है:-

  1. विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा जमा राशि अंकन 6,66,893/-रू0 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष के ब्‍याज के साथ अदा करे। ब्‍याज की गणना धनराशि प्राप्‍त करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक की जायेगी।
  2. विपक्षी, परिवादी को मानसिक प्रताडऩा के मद में अंकन 1,00,000/-रू0 अदा करे। इस राशि पर तीन माह की अवधि के अंदर भुगतान करने पर कोई ब्‍याज देय नहीं होगा। तीन माह के बाद भुगतान करने पर इस राशि पर भी 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज देय होगा।
  3. अंकन 25,000/-रू0 परिवाद व्‍यय के रूप में विपक्षी, परिवादी को अदा करे। इस राशि पर तीन माह की अवधि के अंदर भुगतान करने पर कोई ब्‍याज देय नहीं होगा। तीन माह के बाद भुगतान करने पर इस राशि पर भी 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज देय होगा।

              प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

                            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

  

(सुधा उपाध्‍याय) (सुशील कुमार)

  •  

 

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0 2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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