Rajasthan

Jaipur-I

272/2012

KISHAN LAL - Complainant(s)

Versus

INDUSTRIAL TRAINING SANSTHAN - Opp.Party(s)

RUSTUM SEKH

17 Apr 2014

ORDER

                                                 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर

समक्ष:    श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
          श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
          श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य

परिवाद सॅंख्या: 272/2012
किशन लाल पुत्र श्री गोपाल लाल प्रजापत, उम्र 21 वर्ष, निवासी ग्राम हचूकडा, पोस्ट कुडली, तहसील फागी, जिला जयपुुर Û

                                              परिवादी
               ं     बनाम

1.    औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान जरिए अधीक्षक/प्रधानाचार्य, पता ग्राम हरसूलिया, तहसील फागी, जिला जयपुर Û
2.    श्रीमान जनरल पोस्ट मास्टर, जनरल पोस्ट आॅफिस, एम.आई.रोड़, जयपुर Û
3.    श्रीमान् पोस्ट मास्टर, पोस्ट आॅफिस, फागी, जिला जयपुर Û

              विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री रूस्तम शेख - परिवादी
श्री के.के.गर्ग - विपक्षी सॅंख्या 1
श्री बनवारी लाल गुप्ता - विपक्षी सॅंख्या 2 व 3

                             परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 08.02.12

                       आदेश     दिनांक: 13.05.2015

परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी सॅंख्या 1 के यहां आई.टी.आई. में प्रशिक्षण करने हेतु एक आवेदन दिनांक 07.07.2011 को प्रस्तुत किए जाने पर उसे बताया गया था यदि वह योग्यता रखेगा तो साक्षात्मकार हेतु पन्द्रह दिवस पूर्व लिखित में सूचित कर दिया जाएगा । परिवादी का कथन है कि वह इंतजार करता रहा परन्तु विपक्षी सॅंख्या 1 की ओर से कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई । परिवादी को विपक्षी सॅंख्या 1 के द्वारा भेजा गया पत्र विपक्षी सॅंख्या 3 के जरिए प्राप्त हुआ जो कि निर्धारित समय के विपरीत प्राप्त हुआ और जब पत्र खोला तो उसमें साक्षात्कार की दिनांक 08.08.2011 नियत थी जबकि परिवादी को उक्त पत्र 13.08.2011 को प्राप्त हुआ था । विपक्षी सॅंख्या 1 से सम्पर्क करने पर कोई सन्तुष्टिप्रद जवाब नहीं दिया गया । परिवादी का कथन है कि इस प्रकार विपक्षी सॅंख्या 1 के उक्त कृत्य के कारण परिवादी आई.टी.आई. में प्रवेश लेने से वंचित हो गया जिससे उसे अत्यधिक आर्थिक हानि व मानिसक संताप कारित हुआ । परिवादी ने दिनंाक 22.09.2011 को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस विपक्षीगण को भिजवाया गया परन्तु फिर भी कोई समाधान नहीं निकाला गया । ऐसी स्थिति में परिवादी ने मानसिक, शारीरिक वेदना, आधात, भविष्य की स्वर्णिम सम्भावनआों को पहुॅंचे आघात के लिए 1,00,000/- रूपए, दोषपूर्ण सेवाओं के लिए बतौर हर्जाना व तीन गुना फीस के कुल 89000/- रूपए, परिवाद व्यय 11000/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी सॅंख्या 1 की ओर से इस आशय का जवाब प्रस्तुत किया गया है कि प्रवेश विवरणिका के बिन्दु सॅंख्या 2.8 में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि प्रवेश की दिनांक से दो दिन पूर्व तक प्रवेश के सम्बन्ध में किसी प्रकार की सूचना आचार्य/अधीक्षक से प्राप्त नहीं होती है तो ऐसे अभ्याथर््िायों व्यक्तिगत रूप से संबंधित आचार्य/अधीक्षक से प्रवेश से एक दिन पूर्व सम्पर्क करना चाहिए। डाक से विलम्ब होने के कारण अथवा अन्य कारण से साक्षात्कार पत्र या अन्य सूचना न मिलने के सम्बन्ध में किसी प्रकार की शिकायत प्रवेश के समय या उसके पश्चात स्वीकार नहीं की जावेगी। विपक्षी का कथन है कि सभी योग्य अभ्यार्थियों को दिनांक 02.08.2011 को ही साक्षात्कार पत्र भिजवा दिए गए थे तथा अभ्यार्थी साक्षात्कार प्रक्रिया में शामिल भी हुए थे । परिवादी द्वारा विवरणीया में लिखे अनुसार साक्षात्कार की दिनांक के एक दिन पूर्व तक संस्थान में सम्पर्क नहीं किया । विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा लगाए गए आरोप का कोई औचित्य नहीं है । विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा भिजवाए गए नोटिस का जवाब उनके द्वारा दे दिया गया था । विपक्षी के अनुसार परिवादी उससे कोई क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का हकदार नहीं है अत: परिवाद पत्र खारिज किया जावे ।
विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 की ओर से इस आशय का जवाब प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी ने यह नहीं बताया है कि विपक्षी सॅंख्या 3 को साक्षात्कार का पत्र परिवादी को भिजवाने के लिए कब व किस दिनांक को दिया गया था । विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 का कथन है कि विवादित पत्र वितरण कार्यालय कूडली के लेखा कार्यालय फागी में दिनांक 13.08.2011 को प्राप्त हुआ था और वितरण हेतु उसी दिन भेज दिया गया था तथा परिवादी को दिनांक 13.08.2011 को ही पत्र प्राप्त हो गया था । पत्र में क्या अन्तर्वस्तु है इसकी जानकारी विपक्षी को नहीं थी । विपक्षी का कथन है कि उसके द्वारा कोई सेवादोष नहीं किया गया है अत: परिवाद विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 के विरूद्ध खारिज किया जावे ।
मंच द्वारा दोनो पक्षों की बहस सुनी गई, प्रस्तुत लिखित तर्को एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया । 
परिवादी का आरोप है कि उसका साक्षात्कार दिनांक 08.08.2011 को था परन्तु उसे इस साक्षात्कार के लिए जो पत्र भेजा गया वह 13.08.2011 को भेजा गया जिस कारण वह साक्षात्कार से वंचित हो गया और उसे अत्यधिक नुकसान तथा मानसिक संताप कारित हुआ जिसके लिए विपक्षीगण जिम्मेदार है।
विपक्षी सॅंख्या 1 की ओर से यह बचाव लिया गया है कि उनके द्वारा सभी योग्य अभ्यार्थियों को दिनांक 02.08.2011 को ही साक्षात्कार पत्र भिजवा दिए गए थे जिसका इन्द्राज संस्थान के डिस्पेच रजिस्टर में 239 से 493 पर दर्ज है तथा प्रवेश विवरणिका के अनुसार यदि परिवादी को पत्र नहीं मिला था तो उसे  प्रवेश की दिनांक से एक दिन पूर्व आचार्य/अधीक्षक से सम्पर्क करना चाहिए था । विपक्षी सॅंख्या 1 को मंच की राय में अपने बचाव में कहे उक्त कथन से कोई सहायता नहीं मिलती है क्योंकि जिस डिस्पेच रजिस्टर का हवाला वह दे रहा है उसे मंच के समक्ष प्रस्तुुत नहीं किया गया है ना ही प्रवेश विवरणिका प्रस्तुत की गई है जिससे यह साबित होता कि परिवादी को प्रवेश की दिनांक से एक दिन पूर्व विपक्षी के यहां सम्पर्क करना था । ऐसी स्थिति में विपक्षी द्वारा अपने बचाव में कहे कथन को स्वीकार किया जाना न्यायोचित नहीं होगा । 
जहां तक विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 का प्रश्न है परिवादी यह साबित नहीं कर सका है कि उनको वितरण के लिए पत्र किस दिनांक को प्राप्त हुआ था और निर्धारित अवधि में किस प्रकार उसका वितरण नहीं किया गया था। विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 का यह कथन सत्य प्रतीत होता है कि उनको 13.08.2011 को पत्र वितरण हेतु प्राप्त हुआ और उसी दिन उसका वितरण परिवादी को कर दिया गया था ।
उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर यही उचित प्रतीत होता है कि विपक्षी सॅंख्या 1 द्वारा दिनांक 08.08.2011 के साक्षात्कार के लिए परिवादी को दिनांक 13.08.2011 को पत्र प्रेषित किया गया जो स्पष्ट रूप से विपक्षी सॅंख्या 1 का सेवादोष है। जिससे परिवादी को मानसिक संताप होना स्वभाविक है । विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 का कोई सेवादोष साबित करने में परिवादी सफल नहीं हुआ है ।
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि  विपक्षी सॅंख्या 1 आज से एक माह की अवधि मंे परिवादी को उसे कारित मानसिक संताप व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के लिए 5,000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेगा। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे अन्यथा परिवादी उक्त क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय की राशि पर भी आदेश दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।  विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 के विरूद्ध परिवादी का परिवाद अस्वीकार किया जाता है ।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                
निर्णय आज दिनांक 13.05.2015 को लिखाकर सुनाया गया।

 

( ओ.पी.राजौरिया )   (श्रीमती सीमा शर्मा)    (राकेश कुमार माथुर)    
     सदस्य              सदस्य          अध्यक्ष      

 

 

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