Rajasthan

Jaisalmer

CC/13/15

SUMAR RAM - Complainant(s)

Versus

INDUSTAND BANK LTD.AND OTHERS - Opp.Party(s)

K.P.SINGH

10 Apr 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/13/15
 
1. SUMAR RAM
Jaisalmer
...........Complainant(s)
Versus
1. INDUSTAND BANK LTD.AND OTHERS
Jaisalmer
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA PRESIDENT
  SANTOSH VYAS MEMBER
  MANOHAR SINGH NARAWAT MEMBER
 
For the Complainant:K.P.SINGH, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)

1. अध्यक्ष    ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्य    ः श्री मनोहर सिंह नारावत ।    
3. सदस्या  : श्रीमती संतोष व्यास ।        
    
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 13.03.2015
मूल परिवाद संख्या:- 13/2015


सुमारराम पु़त्र श्री बगताराम जाति भील
निवासी दरबारी का गाॅव तहसील व जिला जैसलमेर ।                                                    ............परिवादी

बनाम


1. शाखा प्रबन्धक महोदय,
  प्दकनेसदक इंदा सजकण् ठतंदबी व्ििपबम ैीपअ तवंक श्रंपेंसउमतए त्ंर
2. मण्डलीय प्रबन्धक महोदय,
  प्दकनेसदक इंदा सजकण् 310ए डवकपए ठवउइंल डवजवते ब्पतबसम रवकीचनतण्त्ंरण्
3. महाप्रबन्धक महोदय,
  प्दकनेसदक इंदा सजकण् व्ििपबम न्उतंव ब्वउउमतपबंस ब्वउचसमग 2दक थ्सववतए ।.1ध्।.2ए च्ीण्छवण् 2368049ए 2368343


                            ............. अप्रार्थीगण


प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थित/-
1.    श्री किषनप्रताप सिंह अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2.    अप्रार्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नही ।


ः- निर्णय -ः            दिनांक: 29.04.2015


1.    परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी मूल रूप से दरबारी गाॅव का निवासी है परिवादी ने अप्रार्थीगण बैक से टैम्पों नम्बर आर जे 15 पीए 0673 इंजन नम्बर 95जे28798 व चेसिस नम्बर पी9एच4029926 जरिये क्रय एग्रीमेन्ट दिनांक 19.09.2009 से क्रय किया। उक्त वाहन टेम्पांे अप्रार्थीगण बैक के हाॅईपाॅथिकेसन था परिवादी ने अप्रार्थीगण बैक को क्रय राषि मय ब्याज अदायगी करने पर उसकी एनओसी अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी को दिनांक 21.04.2011 को दी गई व साथ ही हाॅईपोथिकेसन हटाने हैतु 35 नम्बर फार्म भी अप्रार्थीगण ने जारी किया जिस के आधार पर वाहन की आरसी मे हाॅईपोथिकेसन भी हटा दिया गया परिवादी द्वारा एसबीबीजे जैसलमेर से हाॅम लोन हैतु दिसम्बर 2014 मे आवेदन किया तो एसबीबीजे जैसलमेर न्योडयूज प्रमाण पत्र इन्डसलेण्ड बैक से लाने का कहा जिस पर परिवादी ने अप्रार्थी सं. 1 व 2 से न्योडूज प्रमाण पत्र लेने बाबत् सम्पर्क किया तो अप्रार्थी सं. 1 ने दिनांक 09.03.2015 को एक स्टेटमेन्ट देकर 25481 रू बकाया जमा कराने पर ही नौ-डयूज जारी करने की बात कही जिससे वाद हैतुक जैसलमेर मे ही उत्पन्न हुआ अप्रार्थीगण नौ-डयूज नही देने के कारण परिवादी को होम लोन नही मिल सका अप्रार्थीगण बैक का यह कृत्य सेवा दोष की श्रेणी मे आता है। तथा साथ ही करीब चार माह तक परिवादी द्वारा अप्रार्थीगण के यहा बार-बार चक्कर लगाने के बावजूद सन्तोष जनक जवाब नही दिया तथा नौ-डयूज प्रमाण पत्र जारी न करके परिवादी को मानसिक,षारीरिक व आर्थिक परेषानी हुई उसके पैटे 80,000 रू व परिवाद व्यय 10000 रू दिलाये जाने का निवेदन किया।
2. अप्रार्थीगण को जरिये रजिस्टर्ड नोटिस तलब किया गया उनको नोटिस प्राप्त होने के बावजूद भी उनकी ओर से कोई उपस्थित नही जिस कारण उनके विरूद्व एकतरफा कार्यवाही की गई।
   3.    हमने विद्वान परिवादी अभिभाषक की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषक परिवादी द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1.    क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2.    क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3.    अनुतोष क्या होगा ?


6.बिन्दु संख्या 1:-जिसे साबित करने का संम्पूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने अप्रार्थीगण बैक से दिनांक 19.09.2009 के जरिये क्रय एग्रीमेन्ट टैम्पों नम्बर आर जे 15 पीए 0673 क्रय किया था। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आती है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।

 6.    बिन्दु संख्या 2:-    जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? परिवादी ने अपने परिवाद व सषपथ ब्यानांे मे यह प्रकट किया है कि परिवादी ने अप्रार्थीगण बैक से वाहन क्रय एर्गीमेन्ट दिनांक 19.09.2009 से वाहन टैम्पों न. आरजे 15 पीए 0673 खरीद किया था जो अप्रार्थीगण बैक के हाॅईपोथिकेसन था जिसकी सम्पर्ण क्रय राषि मय ब्याज अप्रार्थीगण बैक मे जमा कराने पर अप्रार्थीगण बैक द्वारा दिनांक 21.04.2011 को एनओसी जारी की गई थी। तथा वाहन का हाॅईपोथिकेसन हटाने हैतु फार्म नम्बर 35 भी अप्रार्थीगण ने हस्ताक्षर करके परिवादी को दिए थे जिसके आधार पर परिवादी ने वाहन की आरसी मे हाॅईपोथिकेसन हटा दिया था परिवादी द्वारा एसबीबीजे जैसलमेर से दिसम्बर 2014 मे होम लोन हैतु आवेदन किया तो एसबीबीजे जैसलमेर नौ-डयूज प्रमाण पत्र इनडेसलेण्ड बैक से लाने का कहा जिस पर परिवादी ने अप्रार्थी सं. 1 व 2 से सम्पर्क किया तो अप्रार्थी सं. 1 ने दिनांक 09.03.2015 को एक स्टेटमेन्ट देकर 25400 रू जमा कराने पर ही नौ-डयूज प्रमाण पत्र जारी करने की बात कही। परिवादी द्वारा लगातार चार माह तक अप्रार्थीगण के कार्यालय मे  बार-बार चक्कर लगाने के बावजूद नौ-डयूज प्रमाण पत्र जारी नही कर सेवा दोष कारित किया है तथा साथ ही मानसिक आर्थिक व शारीरिक हर्जाना परिवाद व्यय की कुल राषि 90,000 रू दिलाये जाने व अप्रार्थीगण बैक से नौ-डयूज दिलाये जाने का निवेदन किया।
6.  उक्त साक्ष्य का कोई खण्डन अप्रार्थीगण ने उपस्थित होकर नही किया तथा दिनांक 21.04.2011 को अप्रार्थी बैक की तरफ से परिवहन अधिकारी जैसलमेर को नौ-आब्जैक्सन प्रमाण-पत्र भेजा गया तथा साथ ही फार्म नं.35 भेजकर हाईपोथिकेसन र्टमिनेट करने का भी कथन किया गया। नौ-आब्जेक्सन प्रमाण-पत्र व फार्म सं. 35 हाईपोथिकेसन हटाने के सम्बध मे उसी स्थिति मे जारी किया जाता है जब कोई राषि बकाया नही होती है तथा अप्रार्थीगण के 25481 रू बकाया हो। इस बाबत् कोई स्टेटमेंट या दस्तावेज पेष नही किया गया है जबकि उनको उपस्थित होने का पूर्ण मौका दिया गया था तो ऐसी स्थिति मे परिवादी पर कोई राषि उक्त ऋ़ण पेटे बकाया नही है इस प्रकार अप्रार्थीगण बैक ने परिवादी द्वारा लिये जाने वाले होम लोन के सम्बध मे नौ-डयूज जारी नही कर सेवा दोष कारित किया है।
    
फलतः बिन्दु संख्या 2 अप्रार्थीगण के विरूद्व निस्तारित किया जाता है ।
10.    बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2  अप्रार्थीगण के विरूद्व  निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य  है । जो स्वीकार किया जाकर अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी के एसबीबीजे जैसलमेर के होम लोन लेने बाबत् नौ-डयूज देने के सम्बध मे बार-बार चक्कर कटवाए जिस कारण परिवादी को मानसिक पेटे 2000 रू व परिवाद व्यय 1000 रू दिलाये जाना उचित है साथ ही अप्रार्थीगण बैक से नौ-डयूज प्रमाण पत्र दिलाया जाना उचित है।

ः-ः आदेश:-ः

        परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व एक पक्षीय स्वीकार किया जाकर अप्रार्थीगण बैक को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी को एसबीबीजे जैसलमेर होम लोन लेने बाबत् नौ-डयूज प्र्रमाण पत्र दो माह के भीतर जारी करे तथा साथ ही मानसिक हर्जाना पेटे रू 2,000/- रूपये दो हजार मात्र  एवं परिवाद व्यय पेटे रू 1000/- रूपये एक हजार मात्र 2 माह के भीतर भीतर आदेष की दिनांक से अदा करे ।


     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।


    आदेश आज दिनांक 29.04.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

 

 
 
[JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA]
PRESIDENT
 
[ SANTOSH VYAS]
MEMBER
 
[ MANOHAR SINGH NARAWAT]
MEMBER

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