Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/55/2014

M/S Parth Oversease - Complainant(s)

Versus

Induslnd Bank - Opp.Party(s)

08 Jan 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/55/2014
 
1. M/S Parth Oversease
Near Akanksha Auto Mobile Opp. Morden Public School School, Delhi Road Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Induslnd Bank
Branch Office Civil Line Near Company Bagh Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षीगण को निर्देशित किया जाऐ कि वे परिवादी द्वारा बुक कराऐ गऐ 50 हजार यू0एस0 डालर के अग्रिम आदेश के निरस्‍तीकरण पत्र दिनांकित 06/9/2013 को तत्‍काल प्रभाव से वापिस लें तथा परिपक्‍वता तिथि से पूर्व निरस्‍त की गई  एफ0डी0आर0 को पुन: निर्मित कर परिवादी के खाते में दर्शाई गई  तत्‍सम्‍बन्‍धी फर्जी प्रविष्टियों को निरस्‍त करें। विकल्‍प में परिवादी ने अनुरोध किया है कि यदि फोरम की राय में उपरोक्‍त अनुतोष दिलाऐ जाने सम्‍भव न हों तो उस दशा में परिपक्‍वता तिथि अर्थत् 31/3/2014 को प्रत्‍येक यू0एस0  डालर की भारतीय मुद्रा 59.60 पैसे के अनुसार कुल राशि अंकन 29,80,000/- रूपया में से 50,000 यू0एस0 डालर को बुक कराने के समय की कीमत  राशि अंकन 28,40,000/-  रूपया   को  घटाकर   शेष  देय  राशि  1,49,000/- रूपया को परिवादी की एफ0डी0आर0 राशि अंकन 3,31,310/- रू0 में समायोजित करके अवशेष 1,91,130/- रूपये  की धनराशि 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित विपक्षीगण से परिवादी को दिलाई जाऐ। मानसिक एवं आर्थिक क्षति की मद में 1,00,000/- रूपये तथा  परिवाद व्‍यय की मद में 30,000/- रूपया परिवादी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं। 
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी अपनी आजीविका हेतु विदेशी मुद्रा बुक कराकर उसके क्रय-विक्रय करने के कार्य क्षेत्र में कार्यरत हैं। विपक्षी सं0-2 के एजेन्‍ट द्वारा मई, 2012 में परिवादी से उनके बैंक में  खाता खुलवाने तथा विदेशी मुद्रा बुक सुविधा लिमिट/ अवधि सुविधा प्राप्‍त  करने हेतु सम्‍पर्क किया गया, जिस पर परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 के यहॉं माह मई,2012 में एक चालू खाता सं0- 200007939376 खोला गया। माह  जनवरी, 2013 के प्रारम्‍भ में विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को 5 करोड़ रूपये की  विदेशी मुद्रा बुक सुविधा लिमिट स्‍वीकृत की। परिवादी तथा विपक्षीगण के मध्‍य यह भी तय हुआ कि परिवादी को यू0एस0 डालर, यूरो, जी0बी0पी0 एवं  विदेशी मुद्रा के अग्रिम बुक कराने पर बुक कराई गई विदेशी मुद्रा पर भारतीय विनिमय दर के अनुसार 10 प्रतिशत राशि फिक्‍स डिपोजिट में एक वर्ष हेतु जमा करनी होगी। इस क्रम में परिवादी द्वारा दिनांक 28/03/013 को 50 हजार यू0एस0  डालर विपक्षी सं0-2 के यहॉं बुक कराऐ गऐ। उस समय यू0एस0 डालर की भारतीय मुद्रा में विनिमय दर रू0 56.80 पैसा प्रति डालर थी। इस प्रकार परिवादी द्वारा जमा कराऐ गऐ यू0एस0 डालर की भारतीय मुद्रा में धनराशि 28,40,000/- रूपया होती थी। परिवादी द्वारा जमा कराऐ गऐ 50,000  यू0एस0 डालर की परिपक्‍वता तिथि 31/3/2014 थी। तय शर्तों के अनुसार दिनांक 06/3/2013 को 3,00,000/- रूपये की एक एफ0डी0आर0 परिवादी  के पक्ष में विपक्षीगण को बनवा दी। एफ0डी0आर0 की परिपक्‍वता तिथि 06/4/2014 थी। परिवादी का कथन है कि दिनांक 28/3/2013 को बुक कराऐ गऐ 50,000 यू0एस0 डालर की फारवर्ड  बुकिंग को दिनांक 31/03/2014 से  पूर्व निरस्‍त करने तथा 3,00,000/- रूपये की एफ0डी0आर0 को निरस्‍त करके काल्‍पनिक रूप से दर्शाई गई बकाया राशि अंकन 5,63,500/- रूपया को   समायोजित करने का विपक्षीगण को कोई अधिकार नहीं था किन्‍तु विपक्षीगण ने अनुचित व्‍यापार पद्धति अपनाते हुऐ उक्‍त कृत्‍य किऐ। परिवादी ने इसकी शिकायत  विपक्षीगण से की, किन्‍तु  उन्‍होंने इस सम्‍बन्‍ध में कुछ भी करने में अपनी अमर्थता व्‍यक्‍त की तब परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विपक्षीगण को दिनांक 30/1/2014 को कानूनी नोटिस भिजवाया। विपक्षीगण को उक्‍त नोटिस प्राप्‍त हो गया, किन्‍तु विपक्षीगण ने अनुचित व्‍यापार पद्धति अपनाते हुऐ किऐ गऐ कृत्‍यों पर परिवादी के अनुरोधानुसार कोई कार्यवाही नहीं की बल्कि गलत कथनों पर आधारित जबाव नोटिस दिनांक 11/3/2014 को परिवादी को प्रेषित किया। परिवादी के अनुसार विपक्षीगण के कृत्‍य अनुचित व्‍यापार पद्धति तो हैं ही साथ ही साथ सेवाऐं देने में कमी की श्रेणी में भी  आते हैं। परिवादी ने उपरोक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद में मांगे गऐ  अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाने की प्रार्थना की। 
  3.   परिवादी ने परिवाद के साथ परिवादी को विपक्षीगण द्वारा स्‍वीकृत की गई  क्रेडिट लिमिट के पत्र दिनांकित 20/12/2012, 50 हजार यू0एस0 डालर बुक  कराने तथा परिवादी के पक्ष में बनाई गई 3,00,000/- रूपये की एफ0डी0आर0 बनाऐ जाने सम्‍बन्‍धी बैंक के पत्र, परिवादी की फारवर्ड बुकिंग को निरस्‍त  किऐ जाने सम्‍बन्‍धी पत्र एवं परिवादी के स्‍टेटमेंट आफ एकाउन्‍ट,परिवादी  द्वारा विपक्षीगण को भेजे गऐ कानूनी नोटिस दिनांक 30/1/2014 तथा  विपक्षीगण की ओर से प्राप्‍त जबाव नोटिस की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/9  लगायत 3/19 हैं।
  4.   विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/2 दाखिल हुआ जिसके समर्थन में विपक्षी सं0-2 के शाखा प्रबन्‍धक श्री रोहित जैन ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-12/3 दाखिल किया। प्रतिवाद पत्र में  परिवाद कथनों को असत्‍य और आधारहीन बताते हुऐ उनसे इन्‍कार किया गया। विशेष कथनों में कहा गया है कि तय शर्तों के अनुसार विपक्षीगण को  परिवादी और विपक्षीगण के मध्‍य फारवर्ड बुकिंग की संविदा को निरस्‍त  करने और बैंक को हो रही आर्थिक क्षति की पूर्ति करने का अधिकार था।  इसी अधिकार के तहत विपक्षीगण ने फार्वडिंग बुकिंग को दिनांक 31/03/2014 से पूर्व निरस्‍त कर और परिवादी के पक्ष में बनाई गई 3,00,000/- रूपये की  एफ0डी0आर0 को परिपक्‍वता तिथि से पूर्व निरस्‍त करके बैंक को हो रही आर्थिक क्षति के  अन्‍तर की धनराशि को परिवादी के बैंक खाते से समायोजित किया। विपक्षीगण के अनुसार परिवादी की ओर अभी भी विपक्षीगण का 2,24,848/- 68 पैसा बकाया निकलता है। उपरोक्‍त कथनों के आधार पर तथा यह अभिकथित करते हुऐ  कि  विपक्षीगण पर अनावश्‍यक एवं अनुचित दबाब बनाने के उद्देश्‍य से परिवादी ने असत्‍य कथनों के आधार पर यह परिवाद दायर किया है परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  5.   परिवादी की ओर से मैसर्स पार्थ ओवरसीज के भागीदार राजीव गोयल ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-13/1 लगायत 13/4 दाखिल किया।
  6.   विपक्षीगण की ओर से विपक्षी सं0-2 के शाखा प्रबन्‍धक श्री रोहित जैन  ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/2 दाखिल किया।
  7.   विपक्षीगण ने ई-मेल के माध्‍यम से परिवादी को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 06/9/2013 की प्रति कागज सं0- 22/3 को दाखिल किया जिसकी पुष्टि हेतु श्री वैष्‍णव दत्‍त का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-22/2 दाखिल किया गया। 
  8.   परिवादी की ओर से श्री राजीव गोयल ने प्रत्‍युत्‍तर शपथ पत्र 23/1  लगायत 23/2 दाखिल किया।
  9.   परिवादी ने लिखित बहस दाखिल नहीं की। विपक्षी की ओर से लिखित बहस कागज सं0-25 दाखिल हुई।
  10.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  11.   पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी के अनुरोध पर विपक्षी सं0-2 ने माह जनवरी,2013 में 5 करोड़ रूपये की विदेशी मुद्रा की फारवर्ड कोन्‍ट्रेक्‍ट फेसिलिटी परिवादी को प्रदान की थी जिसके सापेक्ष परिवादी ने दिनांक 28/03/2013 को विपक्षी सं0-2 के यहॉं 50 हजार यू0एस0 डालर बुक कराऐ जिसकी भारतीय म्रदा में राशि 28,40,000/- रूपया होती थी। विपक्षी सं0-2 ने इस धनराशि में से 3,00,000/- रूपये की एक  एफ0डी0आर0 भी परिवादी के नाम बनवाई थी।
  12.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि बिना किसी पूर्व सूचना और बिना कोई नोटिस दिऐ विपक्षीगण ने फारवर्ड कोन्‍ट्रेक्‍ट फैसिलिटी के अनुबन्‍ध को दिनांक 06/09/2013 को समाप्‍त कर दिया और परिवादी के  नाम बनी हुई 3,00,000/- रूपये की एफ0डी0आर0 को भी एनकैश कर दिया और 5,63,500/- रूपया का नुकसान एसेस करते हुऐ कथित नुकसान की यह धनराशि परिवादी के खाते में विधि विरूद्ध तरीके से समायोजित कर दी।  परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विपक्षीगण ने इस प्रकार अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनाई और सेवा में कमी की।
  13.   प्रत्‍युत्‍तर में विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क किया कि विदेशी मुद्रा के क्रय-विक्रय का कारोबार मार्केट-टू-मार्केट बेसिस पर संचालित होता है। कोन्‍ट्रेक्‍ट की शर्तों के अनुसार और नोटिस दिऐ जाने के बावजूद परिवादी  ने बैंक को हो रही आर्थित क्षति के अन्‍तर की पूर्ति नहीं की। अत: मजबूर होकर परिवादी को प्रदान की गई फारवर्ड कोन्‍ट्रेक्‍ट फेसिलिटी को समाप्‍त  करने के लिए बाध्‍य होना पड़ा और बैंक को हो रही आर्थिक क्षति की पूर्ति हेतु परिवादी के नाम बनवाई गई 3,00,000/- रूपये की एफ0डी0आर0 को एनकैश करना पड़ा। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने यह भी तर्क दिया कि 06 सितम्‍बर, 2013 की स्थिति के अनुसार बैंक को 5,63,500/- रूपये का आर्थिक नुकसान था जिसकी पूर्ति हेतु बैंक को दिनांक 11/09/2013 को  परिवादी के नाम बनवाई गई 3,00,000/- रूपये की एफ0डी0आर0 को एनकैश करने को बाध्‍य होना पड़ा। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार अभी  भी बैंक को 2,24,848/- रूपया 68 पैसे का नुकसान है जो 27 प्रतिशत ब्‍याज  सहित परिवादी विपक्षीगण को अदा करने का उत्‍तरदाई है। 
  14.   हम विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता तर्कों से सहमत नहीं हैं। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को भेजे गऐ जबाब नोटिस कागज सं0- 3/17 लगायत 3/10 के पैरा सं0-7 में जिस एग्रीमेन्‍ट और शर्तों का उल्‍लेख है ऐसे  की एग्रीमेन्‍ट एवं शर्तों की प्रतिलिपि विपक्षीगण ने पत्रावली में दाखिल नहीं की। इसके अभाव में यह स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं है कि परिवादी और  बैंक के मध्‍य ऐसा कोई एग्रीमेन्‍ट निष्‍पादित हुआ था जैसा जबाब नोटिस के  पैरा सं0-7 में कहा गया है। किसी एग्रीमेन्‍ट अथवा तयशुदा शर्तों के अभाव में  विपक्षीगण द्वारा परिवादी को प्रदान की गई फारवर्ड कोन्‍ट्रेक्‍ट फैसिलिटी को  समाप्‍त कराना और परिवादी के नाम बनाई गई 3,00,000/- रूपये की  एफ0डी0आर0 को एनकैश करना न्‍यायोचित नहीं कहा जा सकता।
  15.   यहॉं हम इस बात का उल्‍लेख करना भी आवश्‍यक समझते हैं कि  कथित नोटिस दिनांकि 06/09/2013 जिसकी नकल पत्रावली का कागज सं0-22/3 है, के माध्‍यम से विपक्षीगण ने परिवादी से यह अपेक्षा की थी कि वह  नोटिस से अगले दिन अर्थात् 07/09/2013 की पूर्वान्‍ह 11 बजे तक या तो  बैक को हो रहे नुकसान के अन्‍तर की भरपाई कर दे अन्‍यथा परिवादी को  प्रदान की गई फारवर्ड कोन्‍ट्रेक्‍ट सुविधा को समाप्‍त कर दिया जाऐगा, किन्‍तु  आश्‍चर्यजनक है कि विपक्षीगण ने बैंक को हो  रहे कथित आर्थिक नुकसान की धनराशि 5,63,500/- रूपया को परिवादी के  बैंक खाते से दिनांक 06/09/2013 को  ही  डेविट  कर  दिया  और  नोटिस  दिनांकित 06/09/2013  में  परिवादी  को  दिऐ  गऐ  समय की प्रतीक्षा तक नहीं की। ​हमारे विनम्र अभिमत में विपक्षीगण का यह कृत्‍य अनुचित व्‍यापार प्रथा है  और परिवादी को सेवा प्रदान करने में कमी है। नोटिस की अवधि पूरी होने से  पूर्व परिवादी के खाते से कथित नुकसान की धनराशि डेविट कर उसे  समायोजित करने का बैंक को तत्‍समय कोई अधिकार था ऐसा किसी अभिलेख से प्रकट नहीं है। विपक्षीगण ऐसे किसी एग्रीमेन्‍ट अथवा शर्तों को भी रिकार्ड पर नहीं ला पाऐ जिनके अधीन वे परिवादी को स्‍वीकृत फारवर्ड कोन्‍ट्रेक्‍ट फैसिलिटी को समाप्‍त करना बताते हैं।
  16.   उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी को परिवाद के पैरा सं0-11(ब) में अनुरोधित 1,91,310/- रूपये की धनराशि परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु विपक्षीगण से 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज सहित दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा। उक्‍त के अतिरिक्‍त परिवादी को विपक्षीगण से परिवाद व्‍यय की मद में 2,500/-(दो हजार पाँच सौ रूपया) और क्षतिपूर्ति की मद में 10,000/- (दस हजार रूपया) दिलाया जाना भी हम न्‍यायोचित समझते है। तदानुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।
  17.   परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक  की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित 1,91,310/- (एक लाख इक्‍यानवें हजार तीन सो दस रूपये केवल) की धनराशि की वसूली हेतु यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध सव्‍यय स्‍वीकार किया जाता है। परिवादी परिवाद व्‍यय की मद में विपक्षीगण से 2,500/- (दो हजार पाँच सौ रूपये) तथा क्षतिपूर्ति की मद में एकमुश्‍त 10,000/- (दस हजार रूपये) अतिरिक्‍त पाने का  अधिकारी होगा। समस्‍त धनराशि की अदायगी इस आदेश की तिथि से एक माह के अन्‍दर की जाये।

 

 

 (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)   (पवन कुमार जैन)

   सामान्‍य सदस्‍य             सदस्‍य             अध्‍यक्ष

  •  0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     08.01.2016               08.01.2016           08.01.2016

 

 

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक  08.01.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

(श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)   (पवन कुमार जैन)

   सामान्‍य सदस्‍य             सदस्‍य             अध्‍यक्ष

  •  0उ0फो0-।। मुरादाबाद   जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     08.01.2016               08.01.2016           08.01.2016

 

 

 

  

 

 

 

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