जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री महेन्द्र कुमार अग्रवाल - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 988/2012
1. विश्राम रैगर 2. रामवतार रैगर पुत्र श्री पांचूराम, निवासियान ग्राम मेहन्दवास, रैगर बस्ती, तहसील-फागी, जिला - जयपुर Û
परिवादी
ं बनाम
1. इण्डूसइण्ड बैंक लिमिटेड जरिए प्रबंधक, शाखा कार्यालय ए-1/ए-2, द्वितीय फ्लोर, उमदा काॅम्पलेक्स, गवर्नमेंट हाॅस्टल के पीछे, एम.आई.रोड़, जयपुर Û प्रधान कार्यालय पता 115-16, जी.एन.चेट्टी रोड, टी नगर, चैन्नई Û
2. नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड जरिए प्रबंधक, जयपुर कार्यालय - जीवन प्रकाश बिल्डिंग, अम्बेडकर सर्किल, जयपुर Û शाखा कार्यालय ‘‘गोकुल मातृ छाया‘‘ , स्टेशन रोड़, मदनगंज, किशनगढ, जिला-अजमेर (राज0)
विपक्षीगण
अधिवक्तागण :-
श्री प्रेमचन्द मौर्य - परिवादी
श्री अखिल मोदी - विपक्षी सॅंख्या 1
श्री प्रशांत मंत्री - विपक्षी सॅंख्या 2
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 21.08.12
आदेश दिनांक: 26.12.2014
परिवादीगण विश्राम रैगर व रामवतार रैगर पुत्र पांचूराम ने यह परिवाद इण्डूसइण्ड बैंक लिमिटेड एवं नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 1986 के अन्तर्गत पेश किया है । परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी सॅंख्या 1 से वित्तीय सुविधा प्राप्त करके एक हीरोहोण्डा मोटरसाईकिल स्पलेण्डर प्लस रजिस्ट्रेशन नंबर आर.जे.14 बी.सी. 4026 क्रय की थी जिसका बीमा विपक्षी सॅंख्या 2 से दिनांक 29.10.2010 से 28.10.2011 तक की अवधि के लिए करवाया गया था। जिसकी बीमा पाॅलिसी सॅंख्या 370703/31/10/6200005989 है । दिनांक 26.12.2010 को परिवादीगण की मोटरसाईकिल परिवादी सॅंख्या 1 के मकान मालिक ओमप्रकाश वर्मा के प्लाट नंबर 276, सी-ब्लाॅक, महेश नगर, जयपुर से चोरी चली गई जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट सॅंख्या 05/2011 दिनांक 04.01.2011 को पुलिस थाना महेश नगर, जयपुर में दर्ज करवाई गई तथा विपक्षी सॅंख्या 1 व 2 तथा बीमा एजेंट को भी सूचना दे दी गई । विपक्षीगण की ओर से परिवादीगण को आश्वासन दिया गया कि पुलिस कार्यवाही पूर्ण हो जाने पर चोरी गए वाहन का क्लेम दे दिया जाएगा । इस प्रकरण में दिनांक 31.01.2011 को सक्षम न्यायालय में अंतिम प्रतिवेदन पेश कर दिया गया । समस्त दस्तावेजात की एक-एक प्रति रजिस्टर्ड पत्र दिनांक 20.07.2011 के जरिए विपक्षी सॅंख्या 2 को प्रेषित कर दी गई परन्तु विपक्षी सॅंख्या 2 ने क्लेम राशि अदा नहीं की तथा पत्र दिनांक 27.07.2011 प्रेषित कर यह कहतेे हुए परिवादीगण का क्लेम खारिज कर दिया कि मोटरसाईकिल चोरी जाने की सूचना सात दिन की देरी से दी गई है जबकि परिवादीगण ने वाहन चोरी जाने की सूचना तुरन्त दे दी थी परन्तु विपक्षी सॅंख्या 2 ने क्लेम की राशि अदा नहीं की जिससे परिवादीगण को मानसिक संताप पहुॅंचा और आर्थिक हानि हुई । विपक्षी सॅंख्या 2 का कृत्य सेवादोष व अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस की श्रेणी में आता है । दिनांक 21.04.2011 को परिवादी ने विपक्षीगण को कानूनी नोटिस दिया लेकिन इसके बावजूद भी क्लेम राशि अदा नहीं की गई । परिवादीगण ने विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमा पाॅलिसी में वर्णित राशि 39310/- रूपए तथा मानसिक संताप के लिए 50,000/- रूपए, अन्य क्षति के 20,000/- रूपए, परिवाद व्यय 5000/- रूपए व अधिवक्ता फीस के 21000/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी सॅंख्या 1 की ओर से अपने जवाब में कहा गया है कि विपक्षी सॅंख्या 1 ने परिवादीगण को उनके निवेदन पर वित्तीय सुविधा प्रदान की थी जिस पर परिवादीगण ने एक अनुबंध स्थापित किया था ।परिवादी ने वाहन हीरोहोण्डा मोटरसाईकिल स्पलेण्डर प्लस आर जे 14 बी.सी.4026 क्रय की जिसका बीमा विपक्षी सॅंख्या 2 से करवाया था तथा वाहन चोरी होने पर बीमा राशि अदा करने का दायित्व विपक्षी सॅंख्या 2 का है । बीमा क्लेम की राशि प्राप्त करने का एक मात्र अधिकारी विपक्षी सॅंख्या 1 है क्योंकि उसके द्वारा हायर परचेज एग्रीमेंट के तहत वाहन फाईनेन्स किया गया था । विपक्षी सॅंख्या 1 की ओर से आगे अपने जवाब में यह कहा गया है कि यदि परिवादी ने बीमा पाॅलिसी की शर्त का उल्लंधन किया है कि बीमा कम्पनी सम्पूर्ण क्लेम को अस्वीकृत नहीं कर सकती है तथा यदि परिवादीगण द्वारा पाॅलिसी की शर्त का उल्लंधन किया जाता है तो विपक्षी बीमा कम्पनी को 75 प्रतिशत बीमा राशि परिवादी को प्रदान करनी चाहिए क्योंकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपील सॅंख्या 2703/2010 अमलेन्दु साहु बनाम युनाईटेड इण्डिया इंश्योरेंस बैंक लि0 में ऐसा अवधारित किया गया है । विपक्षी सॅंख्या 1 ने अपने विरूद्ध परिवाद खारिज किए जाने तथा विपक्षी सॅंख्या 2 के विरूद्ध आंशिक स्वीकार किए जाने तथा क्लेम विपक्षी सॅंख्या 2 के विरूद्ध स्वीकार करने पर यह राशि विपक्षी सॅंख्या 1 को दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी सॅंख्या 2 ने अपने जवाब में परिवादी द्वारा हीरोहोण्डा मोटरसाईकिल स्पलेण्डर प्लस आर जे 14 बी.सी.4026 का बीमा किया जाना स्वीकार किया है । बीमा अवधि 29.10.2010 से 28.10.2011 तक होना स्वीकार किया है । विपक्षी सॅंख्या 2 की ओर से अपने जवाब में आगे कहा गया है कि परिवादीगण द्वारा वाहन चोरी जाने की सूचना 9 दिन के पश्चात पुलिस में दी गई तथा विपक्षी बीमा कम्पनी को वाहन चोरी जाने की सूचना 7 माह पश्चात दी गई परन्तु परिवादीगण द्वारा विपक्षी सॅंख्या 2 के चाहे जाने पर भी दस्तावेजात उपलब्ध नहीं करवाए गए जिस कारण परिवादी का क्लेम दर्ज नहीं किया गया । इस सम्बन्ध में विपक्षी सॅंख्या 2 द्वारा परिवादीगण को 20.07.2011 व 27.07.2011 को पत्र लिखकर वाहन की कथित चोरी की सूचना दिए जाने बाबत दस्तावेजी सबूत उपलब्ध करवाए जाने के लिए लिखा गया परन्तु उनकी ओर से कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाए गए । चूंकि परिवादीगण ने बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंधन किया है और वाहन चोरी जाने के करीब 7 माह पश्चात बीमा कम्पनी को सूचना दी है और वांछित दस्तावेजात उपलब्ध नहीं करवाए हैं इसलिए परिवादीगण का क्लेम दर्ज नहीं किया गया । अत: परिवादीगण का परिवाद खारिज किया जावे ।
हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ता को सुना एवं पत्रावली पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
इस सम्बन्ध में कोई विवाद नहीं है कि परिवादीगण द्वारा हीरोहोण्डा मोटरसाईकिल स्पलेण्डर प्लस आर जे 14 बी.सी.4026 पर विपक्षी सॅंख्या 1 बैंक से वित्तीय सुविधा प्राप्त की गई थी जिसका बीमा विपक्षी सॅंख्या 2 से करवाया गया था । जिसकी अविध 29.10.2010 से 28.10.2011 तक थी । परिवादीगण की ओर से यह बहस की गई है कि दिनांक 26.12.2010 को परिवादी सॅंख्या 1 के मकान मालिक ओमप्रकाश वर्मा के प्लाट नंबर 276, सी-ब्लाॅक, महेश नगर, जयपुर के सामने वाहन खड़ा किया था जो कोई अज्ञात व्यक्ति वाहन चोरी कर ले गया । जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट 05/2011 दिनंाक 04.01.2011 को पुलिस थाना महेश नगर, जयपुर में दर्ज करवाई गई और इस आशय की सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई । विपक्षी बीमा कम्पनी ने पुलिस कार्यवाही पूर्ण होने पर बीमा क्लेम दिया जाने बाबत कहा । परिवादीगण के अधिवक्ता का यह भी कथन है कि पुलिस ने बाद तपतीश इस मामले मे एफ.आर 31.01.2011 को सम्बन्धित न्यायालय में पेश कर दी । परिवादीगण द्वारा विपक्षी सॅंख्या 2 को समस्त दस्तावेजात की एक-एक प्रति दिनांक 20.07.2011 को प्रेषित कर दी । जिसके बाद भी विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम राशि नहीं दी जाकर सेवा में दोष किया है जिससे परिवादीगण को आर्थिक हानि उठानी पड़ी व मानसिक संताप हुआ इसलिए परिवादीगण को विपक्षी से बीमित राशि 39,310/- रूपए मय ब्याज व क्षतिपूर्ति राशि दिलवाई जावे ।
विपक्षी सॅंख्या 1 बैंक की ओर से केवल यह बहस की गई है कि उनके द्वारा मोटर साईकिल पर वित्तीय सुविधा प्रदान की गई थी जिसका बीमा परिवादी ने विपक्षी सॅंख्या 2 से करवाया था । बीमा कम्पनी द्वारा बीमित राशि का भुगतान किए जाने पर सर्वप्रथम क्लेम विपक्षी सॅंख्या 1 का ही बनता है इसलिए विपक्षी सॅंख्या 1 को मिलने वाली बीमित राशि दिलवाई जावे ।
विपक्षी सॅंख्या 2 बीमा कम्पनी की ओर से मुख्यत: यह बहस की गई है कि घटना की रिपोर्ट करीब 9 दिन की देरी से दर्ज करवाई गई थी तथा विपक्षी सॅंख्या 2 को वाहन चोरी की सूचना 7 माह पश्चात दी गई थी तथा बार-बार पत्र लिखे जाने पर भी वांछित दस्तावेजात उपलब्ध नहीं करवाए गए इसलिए परिवादी द्वारा बीमा शर्त का उल्लंधन किए जाने से उसका कलेम दर्ज नहीं किया गया है । अत: परिवादी का परिवाद खारिज किया जावे ।
विपक्षी सॅंख्या 2 की ओर से निम्न न्यायिक दृष्टांत प्रस्तुत किए गए हैं:-
1. माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का निर्णय रिविजन पिटिशन नंबर 3049/2014 मैसर्स एच डी एफ सी एरगो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम श्री भागचंद सैनी दिनांक 04 दिसम्बर 2014
2. माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का निर्णय फस्ट अपील नं. 141/2009 न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम रामअवतार दिनांक 11 नवम्बर 2013
3. ाा (2013) सी पी जे पृष्ट सॅंख्या 398 (एन सी) न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम राजेश यादव
4. ाा (2014) सी पी जे पृष्ठ सॅंख्या 538 (एन.सी.) अब्दुल रहमान बनाम ओरियंटल इंश्योरंेस कम्पनी लि0
5. ा (2014) सी पी जे पृष्ठ सॅंख्या 321 (एन.सी.) रमेश चन्द्र बनाम आई सी आई सी आई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि. एण्ड अनोदर
6. ा (2014) सी पी जे पृष्ठ सॅंख्या 446 (एन.सी.) तेजबिर सिंह बनाम ओरियंटल इंश्योरेंस कम्पनी लि0
7. ााा (2013) सी पी जे पृष्ठ सॅंख्या 467 (एन.सी.) बजाज एलाईन्स जनरल इंश्योरंेस कम्पनी लि0 बनाम के. ईश्वरम प्रसाद
8. ाा (2013) सी पी जे पृष्ठ सॅंख्या 481 (एन.सी.) सतीश बनाम यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड
9. ााा (2013) सी पी जे पृष्ठ सॅंख्या 497 (एन.सी.) लखनपाल बनाम यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि0
10. ााा (2012) सी पी जे 59 (एन सी) ओम प्रकाश बनाम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0
11. ाा (2012) सी पी जे पृष्ठ सॅंख्या 243 (एन.सी.) राजेश कुमार बनाम न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0
12. ाअ (2011) सी पी जे पृष्ठ सॅंख्या 30 ( एन.सी.) ग्यारसी देवी एण्ड अदर्स बनाम यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि0
13. ाा (2001) सी पी जे पृष्ठ सॅंख्या 453 (एन.सी.) शिवकुमार महरोत्रा बनाम यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0
14. ा (2009) सी पी जे 1 (एस सी) एच पी स्टेट फोरेस्ट कम्पनी लि0 बनाम यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि0
15. (2013) सी पी जे पृष्ठ 1 सुप्रीम कोर्ट एक्सपोर्ट क्रेडिट गांरटी काॅरपोरेशन इण्डिया लि0 बनाम गर्ग सन्स इन्टरनेशनल
16. ा (2013) सी पी जे 38 (एन सी) न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम पंचशील ज्वैलर्स
17. ााा (2003) सी पी जे 86 (एन सी) अशोक कुमार मिश्रा बनाम ब्रांच मैनेजर, न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 एण्ड अदर्स
18. ा (1995) सी पी जे 327 कानू चरण नन्दा बनाम न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0
19. माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा फस्ट अपील सॅंख्या 321/2005 न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम त्रिलोचन जैन
20. ाा (2010) पृष्ठ सॅंख्या 9 अमलेन्दू साहू बनाम ओरियंटल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड
21. ाअ (2008) सी पी जे पृष्ठ सॅंख्या 1 सुप्रीम कोर्ट नेशनल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम नितिन खण्डेलवाल
22. 2009 (1) सी पी आर पृष्ठ सॅंख्या 1 मैसर्स कृष्णा फूड एण्ड बेकिंग इण्डस्ट्री बनाम मैसर्स न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0
उभय पक्षों के तर्को पर हमने गम्भीरतापूर्वक विचार किया एवं उनके द्वारा पेश किए गए न्यायिक दृष्टांतों का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया ।
परिवादी विश्राम रैगर द्वारा वाहन मोटर साईकिल आर.जे. 14 बी सी 4026 के चोरी जोने की रिपोर्ट दिनांक 04.01.2011 को पुलिस थाना महेश नगर पर दर्ज करवाई गई । जिस पर पुलिस ने एफ.आई.आर. सॅंख्या 05/2011 अन्तर्गत धारा 379 आई.पी.सी. में दर्ज कर तपतीश प्रारम्भ की और बाद तपतीश एफ आर सॅंख्या 04/11 महानगर मजिस्ट्रेट कोर्ट सॅंख्या 30 जयपुर, महानगर के समक्ष पेश की जिसे सम्बन्धित न्यायालय द्वारा 01.03.2011 को अदम पता माल मुल्जिमान् में स्वीकार किया गया ।
परिवादी का यह कथन है कि उसके द्वारा वाहन चोरी जाने की सूचना पुलिस थाना महेश नगर में बिना किसी देरी के दे दी गई थी जिस पर पुलिस द्वारा राजनामचे पर रपट डालने के बाद में एफ.आई.आर. दर्ज की । परिवादी द्वारा राजनामचे में रपट दर्ज करवाए जाने का उल्लेख प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 04.01.2011 में अवश्य किया गया है परन्तु ऐसी कोई नकल रपट रोजनामचे की मंच के समक्ष पेश नहीं की गई है जिससे यह पता चल सके कि परिवादी द्वारा घटना की सूचना बिना किसी देरी के पुलिस थाना महेशनगर, जयपुर में दर्ज करवा दी गई थी । इस प्रकार परिवादी द्वारा जो रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी वह 9 दिन की देरी से दर्ज करवाई गई थी इस देरी का कोई स्पष्टीकरण परिवादी द्वारा नहीं दिया गया है।
परिवादी की ओर से यह भी बहस की गई है कि उसके वाहन चोरी जाने की सूचना बिना किसी देरी के विपक्षी सॅंख्या 2 बीमा कम्पनी को दे दी थी परन्तु ऐसी कोई तथाकथित साक्ष्य हमारे समक्ष पेश नहीं की गई है जिससे यह स्पष्ट हो कि परिवादी द्वारा बिना किसी देरी से वाहन चोरी जाने की सूचना विपक्षी सॅंख्या 2 बीमा कम्पनी को दी गई थी । विपक्षी सॅंख्या 2 बीमा कम्पनी का यह कथन है कि परिवादी द्वारा वाहन चोरी जाने की सूचना करीब 7 माह पश्चात दी गई जिस पर परिवादी को बीमा कम्पनी द्वारा रजिस्टर्ड पत्र दिनांक 02.05.2012 सम्बन्धित दस्तावेजात पेश करने के लिए लिखा गया परन्तु परिवावदी द्वारा चाहे गए दस्तावेजात उपलब्ध नहीं करवाए गए इस कारण उसका क्लेम दर्ज नहीं किया गया । परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को घटना के तुरन्त पश्चात सूचना देने के सम्बन्ध में कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई है ।
परिवादी की ओर से यह बहस की गई है कि परिवादी द्वारा बीमा पाॅलिसी की किसी भी शर्त का उल्लंधन नहीं किया गया है और यदि यह मान लिया जावे कि परिवादी द्वारा बीमा पाॅलिसी की किसी शर्त का उल्लंधन किया गया है तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अमलेन्दू साहू बनाम ओरियंटल इंश्योरंेस कम्पनी के मामले में दिए गए निर्णय के अनुसार बीमा कम्पनी परिवादी को 75 प्रतिशत राशि देने के लिए उत्तरदायी है । विपक्षी सॅंख्या 2 के विद्वान अधिवक्ता की ओर से यह बहस की गई है कि माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष ने अपने नवीनतम निर्णय दिनांक 04 दिसम्बर 2014 जो मैसर्स एच डी एफ सी एरगो जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम श्री भागचंद सैनी रिविजन पिटिशन सॅंख्या 3049/2014 में दिया गया है, में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अमलेन्दू साहू बनाम ओरियंटल इंश्योरंेस कम्पनी लिमिटेड तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ओरियंटल इंश्योरेंस कम्पनी बनाम प्रवेश चन्द्र चढ़ा व अन्य न्यायिक निणर्यो को लिखते हुए इस सिद्धान्त को प्रतिपादित किया है कि 4 माह की देरी से वाहन चोरी के मामले में दी गई सूचना के आधार पर बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंधन किए जाने से बीमा कम्पनी नोन स्टेण्डर्ड बेसिस के आधार पर भी किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति राशि अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं है ।
अत: माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वारा जो रिविजन पिटिशन सॅंख्या 3049/2014 मैसर्स एच डी एफ सी एरगो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम श्री भागचंद सैनी के निर्णय दिनांक 04 दिसम्बर 2014 को ध्यान में रखते हुए मंच की राय में घटना की रिपोर्ट 9 दिन की देरी से दर्ज करवाना, उसका कोई स्पष्टीकरण नहीं देना , वाहन चोरी की सूचना बीमा कम्पनी को 7 माह की देरी से दिए जाने के आधार पर परिवादी बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंधन करने के कारण विपक्षी बीमा कम्पनी से कोई क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं पाया जाता है । परिवादी का परिवाद सारहीन होने के कारण खारिज किए जाने योग्य है ।
आदेश
अत: परिवादीगण का यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध सारहीन होने के कारण खारिज किया जाता है । मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्ष प्रकरण का खर्चा अपना-अपना वहन करेंगे ।
निर्णय आज दिनांक 26.12.2014 को लिखाकर सुनाया गया।
(श्रीमती सीमा शर्मा) (महेन्द्र कुमार अग्रवाल)
सदस्य अध्यक्ष