Uttar Pradesh

StateCommission

A/626/2015

Poorvanch Vidyut Vitran Nigam - Complainant(s)

Versus

Indrshen Prasad singh - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

26 Aug 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/626/2015
( Date of Filing : 31 Mar 2015 )
(Arisen out of Order Dated 11/02/2015 in Case No. C/253/2007 of District Varanasi)
 
1. Poorvanch Vidyut Vitran Nigam
Varansi
...........Appellant(s)
Versus
1. Indrshen Prasad singh
Varansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 26 Aug 2021
Final Order / Judgement

                                                           (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-626/2015

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या-253/2007 में पारित निणय/आदेश दिनांक 11.02.2015 के विरूद्ध)

                                    

1. प्रबन्‍ध निदेशक, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि0, भिखारीपुर, वाराणसी।

2. अधिशासी अभियन्‍ता, विद्युत वितरण खण्‍ड-II, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि0, भिखारीपुर, वाराणसी।

अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

इन्‍द्रासन प्रसाद सिंह पुत्र श्री कालीशंकर सिंह, निवासी ग्राम तारापुर, पोस्‍ट टिकरी, जिला वाराणसी।

                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित     : श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : श्री इन्‍द्रासन प्रसाद सिंह, स्‍वंय

दिनांक:  28.09.2021  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-253/2007, श्री इन्‍द्रासन प्रसाद सिंह बनाम प्रबन्‍ध निदेशक, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि0 तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग, वाराणसी द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 11.02.2015 के विरूद्ध यह अपील योजित की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया गया है कि विद्युत कनेक्‍शन संख्‍या-1812/299490 पर ग्रामीण क्षेत्र के अनुसार विद्युत बिल की वसूली की जाए।

2.         परिवाद पत्र के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने उपरोक्‍त विद्युत कनेक्‍शन विपक्षीगण से प्राप्‍त करके विद्युत उपभोग किया और नियमित रूप से दिनांक 31.05.2006 तक विद्युत बिल का भुगतान किया है। मई 2006 के पश्‍चात परिवादी को कोई बिल नहीं दिया गया। पूछने पर बताया गया कि मीटर लगने और शहरी दर से विद्युत बिल की गणना किया जाना बताया गया। खराब ट्रांसफार्मर को नहीं बदला गया। देय बिल से अधिक देयक पासबुक पर अंकित किया गया। लिखित शिकायत पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। अधिवक्‍ता के माध्‍यम से नोटिस देने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। सरचार्ज माफ नहीं किया गया। विद्युत बिल संशोधित नहीं किया गया, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.         विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी को विद्युत कनेक्‍शन ग्राम तारापुर पोस्‍ट टिरकी वाराणसी में दिया गया था, जो वर्ष 2006 से शहरी क्षेत्र में आता है, इसलिए परिवादी शहरी क्षेत्र पर देय दर के अनुसार विद्युत शुल्‍क अदा करने के लिए बाध्‍य है।

4.         दोनों पक्षकार की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि शहरी क्षेत्र में आने का कोई प्रमाण पत्र विद्युत विभाग द्वारा प्रस्‍तुत नहीं किया गया, जबकि परिवादी ने इस आशय का सबूत प्रस्‍तुत किया है कि उसका विद्युत कनेक्‍शन ग्रामीण क्षेत्र में आता है। तदनुसार उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

5.         इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध, अवैध तथा मनमाना है। परिवाद संधारणीय नहीं था। मई 2006 से परिवादी के विद्युत कनेक्‍शन वाला एरिया शहरी क्षेत्र में आता है। इस तिथि से पूर्व विद्युत आपूर्ति ग्रामीण क्षेत्र पर देय टैरिफ के अनुसार की जा रही थी। परिवादी जो स्‍वंय एक अधिवक्‍ता है, उसे इस तथ्‍य का ज्ञान होना चाहिए कि उसका गांव शहरी क्षेत्र में आता है। शहरी क्षेत्र के अनुसार ही विद्युत की आपूर्ति की जा रही है, इसलिए परिवादी शहरी क्षेत्र में देय टैरिफ के अनुसार विद्युत बिल अदा करने के लिए बाध्‍य है। उपभोक्‍ता मंच ने इस स्थिति को विचार में लिए बिना निर्णय पारित किया है, जो अपास्‍त होने योग्‍य है।

6.         अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा तथा प्रत्‍यर्थी व्‍यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। अत: उभय पक्ष की बहस सुनी गई तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.         अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि मई 2006 से परिवादी के नाम वाला विद्युत कनेक्‍शन शहरी क्षेत्र में आता है, इसलिए शहरी क्षेत्र के आधार पर विद्युत शुल्‍क देय है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग के समक्ष विचारण के दौरान एडवोकेट कमिश्‍नर की नियुक्ति की गई। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने अपने निर्णय में उल्‍लेख किया है कि एडवोकेट कमि‍श्‍नर ने परिवादी का कनेक्‍शन शहरी क्षेत्र व देहाती क्षेत्र होना पाया है और मौके पर मीटर लगा होना, परन्‍तु खराब होना पाया है। परिवादी के नाम स्‍थापित विद्युत कनेक्‍शन स्‍वीकार्य रूप से प्रारम्‍भ में ग्रामीण क्षेत्र में स्‍थापित किया गया था। अब यह क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में आ गया है तब इस तथ्‍य को साबित करने का भार विद्युत विभाग पर है। विद्युत विभाग द्वारा इस पीठ के समक्ष या विद्वान जिला फोरम के समक्ष इस आशय की कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गई है कि परिवादी के नाम स्‍थापित विद्युत कनेक्‍शन ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में परिवर्तित हो चुका है। यद्यपि अपील के ज्ञापन में उल्‍लेख है कि मई 2006 से यह कनेक्‍शन शहरी क्षेत्र में आ चुका है, परन्‍तु इस क्षेत्र को शहरी क्षेत्र में आने से संबंधित अधिसूचना आदि, इस तथ्‍य को साबित करने के लिए प्रस्‍तुत की जा सकती थी। लिखित कथन में केवल यह उल्‍लेख किया गया है कि ग्राम तारापुर में सभी पम्पिंग सेट विद्युत कनेक्‍शन धारियों या आटा चक्‍की धारियों को शहरी क्षेत्र की दर से विद्युत बिल प्रेषित किया जा रहे हैं। इस तथ्‍य को साबित करने का भार भी विद्युत विभाग पर था, परन्‍तु विद्युत विभाग द्वारा अन्‍य व्‍यक्तियों को जो इस क्षेत्र के रहने वाले हैं, जारी किए गए बिलों की प्रतियां भी अवलोकनार्थ प्रस्‍तुत नहीं की गई, इसलिए इस निष्‍कर्ष पर पहुँचने का कोई आधार नहीं है कि परिवादी के परिसर में स्‍थापित विद्युत कनेक्‍शन ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में आ चुका है, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश में कोइ हस्‍तक्षेप उचित प्रतीत नहीं होता है। अपील तदनुसार खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

 

8.         प्रस्‍तुत अपील खारिज की जाती है।

           पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

  (राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

   सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

                   

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

 सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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