Uttar Pradesh

StateCommission

A/2001/1125

Sahara India - Complainant(s)

Versus

Indrajeet - Opp.Party(s)

Pradeep Kumar

08 Sep 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2001/1125
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Sahara India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Indrajeet
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Alok Kumar Bose PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 08 Sep 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-1125/2001

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, लखीमपुर-खीरी द्वारा परिवाद संख्‍या-178/2000 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.04.2001 के विरूद्ध)

 

1. सहारा इण्‍डिया द्वारा मैनेजिंग वर्कर सुब्रत राय कमाण्‍ड आफिस, सहारा इण्डिया भवन, 1-कपूरथला काम्‍प्‍लेक्‍स, अलीगंज, लखनऊ।

2. ब्रांच मैनेजर, सहारा इण्‍डिया लि0, स्थित तिकुनिया, परगना खेरीगढ़, तहसील निघासन, जिला खीरी।

3. डिस्ट्रिक्‍ट हेडक्‍वाटर, सहारा इण्डिया द्वारा हेडक्‍वाटर मैनेजर, लखीमपुर-खीरी।

                                                  अपीलार्थीगण/विपक्षीगण                        

बनाम्      

इन्‍द्रजीत पुत्र जमुना, निवासी क्षेत्रिय परगना खेरीगढ़, तहसील निघासन, जिला लखीमपुर-खीरी।

                                         प्रत्‍यर्थी/परिवादी

                                    

समक्ष:-

1. माननीय श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित     : श्री आलोक श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

दिनांक 29.09.2016

मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

यह अपील, परिवाद सं0-178/2000, इन्‍द्रजीत बनाम प्रबन्‍धक शाखा कार्यालय तिकुनिया सहारा इण्डिया लि0 व अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, लखीमपुर-खीरी द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.04.2001 से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत की गयी है, जिसके अन्‍तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्‍नवत् आदेश पारित किया गया है :-

‘’ अत: यह जिला उपभोक्‍ता संरक्षण फोरम विपक्षीगण को आदेशित करता है कि परिवादी को मु0 4020/- रू0 तथा इस धनराशि पर दि0 13.6.2000 से अदायगी की तिथि तक 12 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज तथा वाद व्‍यय के रूप में मु0 500/- रू0 आज से दो माह के अन्‍दर अदा करें। आदेशों का अनुपालन न किये जाने पर विधि सम्‍मत निष्‍पादन की कार्यवाही की जोयगी। ‘’

उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर विपक्षीगण/अपीलार्थीगण की ओर से वर्तमान अपील योजित की गयी है।

प्रकरण के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षीगण की ख्‍याति के कारण उनसे गोल्‍डेन डेली डिपॉजिट अकाउण्‍ट स्‍कीम के तहत रू0 10/- प्रतिदिन के हिसाब से 39 माह की पॉलिसी ली थी, जो कि विपक्षीगण की शाखा तिकुनिया में अकाउण्‍ट नं0 10/14805002661 पर पंजीकृत की गयी। अत: परिवादी ने स्‍कीम के तहत विभिन्‍न तिथियों में विपक्षीगण के यहां कुल रू0 4020/- जमा किये हैं। परिपक्‍वता अवधि पर परिवादी ने अपनी जमा धनराशि व लाभांश के भुगतान हेतु जब विपक्षीगण के यहां आवेदन किया तो विपक्षीगण ने कोई कार्यवाही नहीं की और न ही कोई भुगतान किया, जिससे क्षुब्‍ध होकर प्रश्‍नगत परिवाद परिवादी को जिला फोरम के समक्ष योजित करना पड़ा।

जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण नोटिस के बावजूद भी उपस्थित नहीं आये और न ही कोई प्रतिवाद पत्र ही प्रस्‍तुत किया गया, अत: उनके विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय चलाया गया। तदनुसार जिला फोरम द्वारा परिवादी के अभिवचनों एवं उपलब्‍ध अभिलेखों पर विचार करने के उपरान्‍त गुणदोष के आधार पर उपरोक्‍त निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जिसके विरूद्ध वर्तमान अपील योजित की गयी है।

अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक श्रीवास्‍तव उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया, जबकि उनकी ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अंशुल मौर्य एवं बाबू लाल का वकालतनामा पत्रावली पर उपलब्‍ध है, परन्‍तु उनकी ओर से अपील के विरूद्ध कोई आपत्‍ति‍ प्रस्‍तुत नहीं की गयी है। वर्तमान अपील वर्ष 2001 से निस्‍तारण हेतु विचाराधीन है, अत: विद्वान अधिवक्‍ता अपीलार्थीगण की बहस को विस्‍तार से सुना गया तथा उपलब्‍ध अभिलेखों का गहनता से परिशीलन किया गया।

अपीलार्थीगण की ओर से यह तर्क लिया गया है कि जिला फोरम ने एकपक्षीय निर्णय/आदेश पारित किया है, जो सही नहीं है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने जिला फोरम के समक्ष पासबुक प्रस्‍तुत की थी, जो ठोस सबूत नहीं माना जा सकता, क्‍योंकि पासबुक में छेड़-छाड़ की जा सकती है, इसलिए पासबुक विश्‍वसनीय साक्ष्‍य नहीं है। लेखा खाता ही विश्‍वसनीय साक्ष्‍य है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी के पुत्र श्‍यामपति ने रू0 2550/- दिनांक 28.07.1999 को ऋण प्राप्‍त किया था तथा कुल जमा धनराशि रू0 3410/- थी। इस प्रकार परिवादी/प्रत्‍यर्थी उक्‍त धनराशि प्राप्‍त करने का दावा नहीं कर सकता है। तदनुसार जिला फोरम द्वारा पारित आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है।

आधार अपील एवं सम्‍पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया, जिससे यह विदित होता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने विपक्षीगण/अपीलार्थीगण की गोल्‍डेन डेली डिपॉजिट अकाउण्‍ट स्‍कीम के अन्‍तर्गत पासबुक संख्‍या-214004 पर खाता संख्‍या 10/14805002661 खोला था, जिसमें कुल रू0 4020/- जमा थे, जो कि पासबुक में अंकित था। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने 39 माह की पॉलिसी ली थी। पॉलिसी की अवधि पूरी हो जाने पर परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने विपक्षीगण/अपीलार्थीगण से परिपक्‍वता धनराशि ब्‍याज सहित प्राप्‍त करने के लिए सम्‍पर्क किया, परन्‍तु विपक्षीगण/अपीलार्थीगण ने परिपक्‍व धनराशि ब्‍याज सहित भुगतान नहीं की। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी के प्रश्‍नगत खाते में मात्र रू0 3410/- ही जमा थे तथा परिवादी/प्रत्‍यर्थी के पुत्र ने रू0 2550/- का ऋण लिया था, जिसका कोई कथन परिवाद पत्र में नहीं किया गया है। जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश सही नहीं है, यह तर्क स्‍वीकार योग्‍य नहीं हैं, क्‍योंकि अपीलार्थीगण ने अपने तर्क के समर्थन में कोई ऐसा साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया है, जिसके आधार पर यह स्‍पष्‍ट हो सके कि परिवादी के खाते में मात्र रू0 3410/- की धनराशि जमा थी तथा परिवादी के पुत्र ने अपीलार्थीगण से रू0 2550/- का ऋण लिया था। अपीलार्थीगण ने लेजर खाता की कोई प्रमाणित प्रति भी प्रस्‍तुत नहीं की है, जिससे उसके कथन की पुष्टि हो सके। तदनुसार अपील आधारहीन होने के कारण निरस्‍त होने योग्‍य है।

 

आदेश

     अपील निरस्‍त की जाती है।

 

 

(आलोक कुमार बोस)                      (संजय कुमार)

          पीठासीन सदस्‍य                              सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0]  कोर्ट-2

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Alok Kumar Bose]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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