राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-2535/2016
(जिला फोरम, फिरोजाबाद द्धारा परिवाद सं0-101/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.8.2016 के विरूद्ध)
Shriram General Insurance Company Limited, E-8, EPIP, RIICO Industrial Area, Sitapura, Jaipur (Rajasthan)- 302022 Branch Office 16, Chintal House, Station Road, Lucknow through its Manager.
........... Appellant/ Opp. Party
Versus
Indira Memorial Senior Secondary Public School situated at 99 Ashok Vihar Kuorara Road, Sirasganj, District-Firozabad under control Ashok Kumar Jaddaun.
…….. Respondent/ Complainant
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री दिनेश कुमार के सहयोगी
श्री आनन्द भार्गव
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :-08/5/2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-101/2013 इन्द्रा मेमोरियल सीनियर सेकिण्डरी पब्लिक स्कूल बनाम श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड में जिला फोरम, फिरोजाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 23.8.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
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आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद अंशत: स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
“परिवादी का परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को प्रश्नगत वाहन में हुयी क्षति की मरम्मत के रूप में 75,000.00 रू0 का भुगतान करें। मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में 10,000.00 रू0 तथा वाद व्यय के रूप में 5,000.00 रू0 का भुगतान करें। उपरोक्त आदेश का पालन एक माह में किया जावे।”
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार के सहयोगी श्री आनन्द भार्गव उपस्थित आये हैं। प्रत्यर्थी की ओर से नोटिस तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/ विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि वह वाहन संख्या–
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यू0पी0 83 टी 1256 का पंजीकृत स्वामी है, जो स्कूल मिनी बस है। यह वाहन अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 01.9.2012 से 31.8.2013 तक की अवधि के लिए बीमित था और बीमा अवधि में ही दिनांक 12.9.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दुर्घटना के समय वाहन में स्कूल के बच्चे सवार थे, परन्तु बच्चों को गम्भीर चोटे नहीं आयी, इस कारण प्रत्यर्थी/परिवादी ने दुर्घटना की रिपोर्ट थाने में नहीं दिया और वाहन को अपने स्कूल इन्द्रा मेमोरियल की फिल्ड में खडा कर लिया।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि दुर्घटना के समय उसके प्रश्नगत वाहन का चालक ओम प्रकाश था। उसने दुर्घटनाग्रस्त वाहन पुलिस थाना सिरसागंज के कहने पर स्कूल में लाकर खडा किया था, परन्तु टी0वी0 चैनल पर दुर्घटना का समाचार आया, तो थाना सिरसागंज की पुसिल ने गाडी को थाने भिजवाने की बात कही। उस समय ड्राइवर ओम प्रकाश स्कूल में मौजूद नहीं था और पुलिस वाले गाड़ी भिजवाने की जिद्द कर रहे थे, ऐसी स्थिति में सोन देव, जो प्रत्यर्थी/परिवादी के कार का ड्राइवर था, से पुलिस बस को चलवाकर थाने ले गयी, परन्तु जब बस के विरूद्ध किसी ने कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी, तो पुलिस ने प्रत्यर्थी/परिवादी का वाहन उसे वापस कर दिया। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने दुर्घटनाग्रस्त वाहन को ड्राइवर ओम प्रकाश से आयशर कम्पनी को प्रेस ओटो प्राइवेट आगरा में बनवाने को भेजा।
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परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दिये जाने पर अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने सर्वेयर श्री धर्मवीर सिंह से वाहन का सर्वे कराया। वाहन का सर्वे वाहन ठीक होने के बाद भी आयशर वर्क शाप कम्पनी में किया गया है। परिवाद पत्र के अनुसार वाहन की मरम्मत में कुल 1,00,000.00 रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी का खर्च हुआ है, जिसकी बिल, रसीद बीमा कम्पनी को दे दी गई और ड्राइवर ओम प्रकाश का ड्राइविंग लाइसेंस भी जमा कराया गया। परन्तु पुन: अपीलार्थी विपक्षी बीमा कम्पनी ने चालक सोन देव का ड्राइविंग लाइसेंस मॉगा और चालक सोन देव का लाइसेंस प्रश्नगत वाहन के चलान हेतु वैध न मानकर प्रत्यर्थी/परिवादी का बीमा दावा निरस्त कर दिया है।
परिवाद पत्र के अनुसार वाहन चालक ओम प्रकाश था, सोन देव नहीं और ओम प्रकाश के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था। अत: अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा निरस्त कर सेवा में कमी की है।
अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने जिला फोरम के समक्ष अपना लिखित कथन प्रस्तुत किया है और कहा है कि प्रश्नगत घटना के समय प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रश्नगत वाहन का चालक सोन देव था, जिसके पास वाहन चलाने हेतु वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। अत: अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा निरस्त
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कर सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन और उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के पश्चात यह माना है कि प्रश्नगत दुर्घटना के समय प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रश्नगत वाहन का चालक ओम प्रकाश था, परन्तु उसके पास वाहन चलाने के लिए वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, क्योंकि उसका ड्राइविंग लाइसेंस एल0एम0वी0 लाइट मोटर व्हीकल चलाने का था, जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी का प्रश्नगत वाहन बस है, जो भारी वाहन है। इसके साथ ही जिला फोरम ने यह माना है कि चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस न होने के आधार पर बीमा कम्पनी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी का पूरा बीमा दावा निरस्त नहीं किया जा सकता है। जिला फोरम ने मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अमलेन्दु साहू बनाम ओरियण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लि0, सिविल अपील सं0-2703/2010 में पारित निर्णय के आधार पर यह माना है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा Non-Standard Basis पर तय किया जाना उचित है। अत: जिला फोरम ने परिवाद अंशत: स्वीकार करते हुए आक्षेपित आदेश पारित किया है, जो ऊपर अंकित है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय साक्ष्य और विधि के विरूद्ध है। प्रश्नगत दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन का चालक सोन देव था और उसके पास वाहन चलाने का वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। जिला फोरम ने
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प्रश्नगत दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन का चालक ड्राइवर ओम प्रकाश को बिना किसी उचित साक्ष्य व आधार के माना है, परन्तु उसके पास भी प्रश्नगत वाहन को चलाने हेतु वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, जैसा कि जिला फोरम के निर्णय से ही स्पष्ट है कि उसके पास लाइट मोटर व्हीकल को चलाने का ड्राइविंग लाइसेंस था। जबकि प्रश्नगत वाहन भारी वाहन है। अत: जिला फोरम के निर्णय से भी स्पष्ट है कि प्रश्नगत दुर्घटना के समय चालक ओम प्रकाश के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था और वैध लाइसेंस के बिना वाहन चलाना बीमा पालिसी का उल्लंघन है। अनाधिकृत चालक द्वारा वाहन चलाने पर दुर्घटना घटित होने पर क्षतिपूर्ति हेतु बीमा कम्पनी कदापि उत्तरदायी नहीं है।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रश्नगत वाहन का प्रश्नगत दुर्घटना के समय चालक सोन देव था, परन्तु जिला फोरम ने दुर्घटना के समय चालक ओम प्रकाश को माना है। जिला फोरम ने चालक ओम प्रकाश को मानने हेतु कोई उचित और युक्ति संगत आधार दर्शित नहीं किया है। इसके साथ ही उल्लेखनीय है कि जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय से स्पष्ट है कि प्रश्नगत दुर्घटना के समय चालक ओम प्रकाश के पास लाइट मोटर व्हीकल को चलाने का ड्राइविंग लाइसेंस था, जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी
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की बस भारी वाहन है। अत: जिला फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय में यह माना है कि प्रश्नगत दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन को चलाने हेतु चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अमलेन्दु साहू बनाम ओरियण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 में दिया गया निर्णय चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस न होने पर घटित दुर्घटना के सम्बन्ध में नहीं है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पप्पू आदि बनाम विनोद कुमार लाम्बा व एक अन्य 2018 (1) सी.पी.आर. 153 एस.सी. के निर्णय में स्पष्ट रूप से माना है कि “If the driver is not authorized or does not have valid licence the insuree will not be liable to pay compensation.”
अत: माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर वर्तमान अपील से सम्बन्धित वाद में अपीलार्थी/बीमा कम्पनी चालक के पास वाहन चालन का वैध ड्राइविंग लाइसेंस न होने के कारण क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु उत्तरदायी नहीं है। अत: जिला फोरम ने अमलेन्दु साहू के निर्णय के आधार पर जो प्रत्यर्थी/परिवादी को नॉन स्टैण्डर्ड बेसिस पर क्लेम दिया है, वह उचित नहीं है और निरस्त किये जाने योग्य है।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर मैं इस मत का हॅू कि जिला फोरम का निर्णय त्रुटिपूर्ण है। अत: अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जाता है।
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अपील में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं बहन करेगें।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनिमय के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को वापस की जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1