Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/1969

Dhruv Narain - Complainant(s)

Versus

Indra Dev Panday - Opp.Party(s)

N C Upadhayay

13 May 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/1969
( Date of Filing : 22 Aug 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Dhruv Narain
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Indra Dev Panday
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 13 May 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1969/2006

ध्रुव नारायण पुत्र श्री चोकट

बनाम

इन्‍द्र देव पाण्‍डेय, निवासी ग्राम व पोस्‍ट हेतिमपुर, जिला कुशीनगर।

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष          

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता        : श्री एन0सी0 उपाध्‍याय

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : श्री अविरल चन्‍द्रा

दिनांक :- 13.5.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, कुशीनगर द्वारा परिवाद सं0-24/2001 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.4.2006 के विरूद्ध योजित की गई है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को निरस्‍त कर दिया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी  को दिनांक 13.10.2000 को बुधार होने पर वह अपने ही गाँव के रामअवध के साथ प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के यहाँ इलाज कराने गया। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा 200.00 रू0 फीस व दवा आदि के अपीलार्थी/परिवादी से लिए गये तथा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा दी गयी

-2-

दवा खाने के 10 मिनट बाद ही अपीलार्थी/परिवादी को चक्‍कर आने लगा। दिनांक 13.10.2000 से 15.10.2000 तक अपीलार्थी/परिवादी प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की दवा का सेवन करता रहा। अपीलार्थी/परिवादी की तबियत अचानक 16.10.2000 की प्रात: ज्यादा बाराब हो गई तब उसने प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्द्र कसया में दिखाया, जहॉ पर डाक्टर ने उसे बताया कि दवा के असर की वजह से उसे बीमारी हुई है तथा दाहिने हाथ की कार्यक्षमता प्रभावित हुई है। तत्पश्चात डाक्टर द्वारा अपीलार्थी/परिवादी को मेडिकल कालेज, गोरखपुर के लिए रेफर कर दिया, जहाँ पर उसका इलाज हुआ एवं बीमारी में सुधार हुआ।

अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की घोर सेवा में कमी के कारण उसे शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षति उठानी पड़ी  है, जिसकी भरपाई हेतु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी उत्‍तरदायी है, अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया है।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इंकार किया गया और यह कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी उसके यहॉ दवा कराने नहीं आया था। उसका घर कसया जनपद कुशीनगर के पास है एवं यदि उसको बुखार था तो उसके द्वारा नजदीकी डॉक्‍टर से दवा करायी गई होती जबकि उसका दवाखाना हेतिमपुर में स्‍थति है जो कि 08 किलोमीटर दूरी पर है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अनुचित लाभ प्राप्‍त

 

-3-

करने के उद्देश्‍य से झूठे तथ्‍यों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍तागण को विस्‍तार से सुना तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुनने के पश्‍चात तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया अपीलार्थी स्‍वयं अपने वाद को साक्ष्‍य के माध्‍यम से सिद्ध करने में भी असफल रहा है और प्रस्‍तुत मामले में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा विधिक सिद्धांतों पर विचार करने के उपरांत जो निष्‍कर्ष अपने निर्णय में अंकित किया गया है, वह पूर्णत: उचित एवं विधि सम्‍मत है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्‍तर पर नहीं पायी गई, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                               (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    

                                          अध्‍यक्ष                                                                                                                                

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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