Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/1326

E C G Of India - Complainant(s)

Versus

Indo German Art - Opp.Party(s)

Basant Lal Jaiswal

17 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/1326
( Date of Filing : 10 Aug 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. E C G Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Indo German Art
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 17 Oct 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1326/2009

ब्रांच मैनेजर, एक्‍सपोर्ट क्रेडिट गारण्‍टी कारपोरेशन आफ इंडिया लि0 तथा एक अन्‍य बनाम मैसर्स इंडो जर्मन आर्ट्स तथा एक अन्‍य

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

दिनांक:  17.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.       परिवाद संख्‍या-55/2004, मैसर्स इंडो जर्मन आर्ट्स बनाम ब्रांच मैनेजर, एक्‍सपोर्ट क्रेडिट गारण्‍टी कारपोरेशन आफ इंडिया लि0 तथा दो अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, सन्‍त रविदास नगर भदोही द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.6.2009 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजीव जायसवाल तथा प्रत्‍यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री रामसेवक उपाध्‍याय को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.    विद्वान जिला आयोग ने बीमित सामान विक्रेता द्वारा क्रय न करने के कारण विपक्षी सं0-1 एवं 2 के विरूद्ध अंकन 2,89,569/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।

3.    परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी फर्म ऊनी गलीचा एवं दरियों के बनाने तथा उसको निर्यात करने का कार्य करती है। परिवादी फर्म ने मैसर्स यूनुस ट्रेडिंग हम्‍बर्ग जर्मनी के आदेश पर दिनांक 25.3.1998 एवं दिनांक 31.3.1998 को अंकन 6,66,934/-रू0 का माल निर्यात किया था। प्रथम इनवाइस की कीमत अंकन 1,77,209/-रू0 तथा दूसरी इनवाइस की कीमत  अंकन  4,89,725/-रू0  थी। यह दोनों शिपमेंट 90 दिन के डी.पी.

 

-2-

बेसिस पर दिनांक 30.6.1998 तक नियत थी। सभी दस्‍तावेज विपक्षी सं0-3 द्वारा अग्रसारित किए गए थे तथा विपक्षी सं0-1 द्वारा बुक किए गए थे। परिवादी फर्म को ज्ञात हुआ कि क्रेता ने दोनों बिलों का आदर नहीं किया, इसके बाद एक अन्‍य क्रेता कोरेक्‍स टेपिच को 25 प्रतिशत डिसकाउंट पर माल विक्रय करना पड़ा और कुल 2,89,569/-रू0 की क्षति कारित हुई।

4.    विपक्षी सं0-1 एवं 2 का कथन है कि उनके द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई। बीमा पालिसी के क्‍लाउज सं0-14 के अनुसार यदि क्रेता माल प्राप्‍त नहीं करता तब उस अवस्‍था में वैकल्पिक क्रेता को माल विक्रय करने से पूर्व निगम का पूर्व अनुमोदन आवश्‍यक है। निगम का अनुमोदन प्राप्‍त किए बिना नए क्रेता को माल विक्रय कर दिया गया। इस प्रकार व्‍यापक जोखिम पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया गया है। इसी आधार पर बीमा क्‍लेम निरस्‍त किया गया है, जो विधिसम्‍मत है।

5.    दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग ने निष्‍कर्ष दिया कि चूंकि क्रेता ने माल प्राप्‍त नहीं किया, इसलिए 25 प्रतिशत डिसमाउंट पर माल विक्रय किया गया। अत: जो क्षति कारित हुई है, उसका भुगतान निगम द्वारा किया जाए।

6.    अपील के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि परिवादी फर्म द्वारा नए क्रेता को माल विक्रय करने से पूर्व निगम की अनुमति प्राप्‍त नहीं की गई, इसलिए पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया गया। पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन करने के कारण विपक्षी निगम किसी क्षतिपूर्ति के लिए उत्‍तरदायी नहीं है। बीमा पालिसी की प्रति पत्रावली पर मौजूद है, इस पालिसी के क्रमांक सं0-14 में वर्णित तथ्‍यों का अवलोकन पीठ द्वारा किया गया, इसके क्‍लाउज सं0-14 (b)(III) में साफ व्‍यवस्‍था है कि यदि क्रेता द्वारा माल प्राप्‍त नहीं किया जाता है तब किसी अन्‍य        क्रेता को निगम की पूर्व अनुमति के साथ माल विक्रय किया जा सकता है।

 

-3-

प्रस्‍तुत केस में विपक्षी निगम की अनुमति प्राप्‍त करने का कोई साक्ष्‍य मौजूद नहीं है। परिवादी फर्म की ओर से कभी भी विपक्षी निगम को पत्र नहीं लिखा गया न ही परिवाद पत्र में पत्र लिखने का कथन किया गया है, इसलिए बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया गया है। अत: बीमा क्‍लेम नकारने का निष्‍कर्ष विधिसम्‍मत है। तदनुसार विद्वान जिला आयोग ने बीमा पालिसी के क्‍लाउज सं0-14 के प्रावधानों पर कोई विचार नहीं किया। तदनुसार अवैध निर्णय/आदेश पारित किया है, जो अपास्‍त होने और प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

7.    प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.06.2009 अपास्‍त किया जाता है।

     प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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