(राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)
सुरक्षित
(जिला मंच लखनऊ प्रथम, द्वारा परिवाद सं0 254/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 16/09/2003 के विरूद्ध)
अपील संख्या 35/2004
1- Unit Trust of India, Gulab Bhawan Rear block V11th, Bahadur Shah Zafar Marg, New Delhi Through Manager.
2- Unit Trust of India, Asset Management Company Pvt. Ltd. ( formerly UTI) Regency Plaza 4 Park Road, Lucknow through its Branch Manager.
3- MCS Limited, Sri Venkatesh Bhawan, 212 A, Shahpur Jat New Delhi through company Secretarys.
…अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
1- Indira Tandon aged about 65 years W/o Late Sri Nand Kishore Tandon r/o 13/54 Indira Nagar Lucknow.
2- Surat People Cooperative Bank Ltd. Surat through Manager.
3- Bank of Rajasthan Limited, Karolbagh New Delhi through Manager.
4- Vasant Lok Post office through Post Master New Delhi.
.........प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:
1. मा0 श्री सी0बी0 श्रीवास्तव, पीठा0 सदस्य।
2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य ।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक- 09/01/2015
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
प्रस्तुत अपील परिवाद सं0 254/99 श्रीमती इन्दिरा टण्डन बनाम यूनिट ट्रस्ट आफ इंडिया व अन्य में जिला पीठ लखनऊ प्रथम, के निर्णय/आदेश दिनांकित 16/09/2003 से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत किया गया है।
प्रश्नगत परिवाद सं0 254/99 में जिला पीठ ने विपक्षीगण को आदेशित किया कि आदेश के तिथि से परिवादिनी इन्दिरा टण्डन को देय परिपक्वता की धनराशि मु0 40,000/ रूपये एवं उस पर दिनांक 28/02/98 से अदायगी होने की तिथि तक की अवधि हेतु 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज की धनराशि बतौर प्रतिकर एवं 1,000/ रूपये वाद व्यय के रूप में अदा करे।
परिवाद सं0 254/99 का संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण की यू.टी.आई. एम.आई.पी.- 94 योजना के दस रूपये प्रति यूनिट के मूल्य के चार हजार यूनिट
2
दिनांक 12/01/94 को क्रय किये गये थे, जिनके संबंध में परिवादिनी को विपक्षीगण द्वारा मासिक लाभांश नियमित रूप से भुगतान किया गया। परिपक्वता तिथि 28/02/99 को विपक्षीगण द्वारा मूल जमा धनराशि रूपया 40,000/ का भुगतान नहीं किया गया तथा पत्राचार करने पर विपक्षी सं0 2 के पत्र दिनांक 15/07/98 के माध्यम से सूचित किया गया कि परिपक्वता धनराशि रू0 40,000/ रूपये चेक पंजीकृत डाक से भेजी गई है किन्तु उसे परिवादी द्वारा प्राप्त न करने एवं डुप्लीकेट चेक भेजे जाने का अनुरोध एवं पत्राचार किये जाने के बावजूद विपक्षीगण द्वारा उसका भुगतान नहीं किया गया जो उनकी सेवा में त्रुटि है।
विपक्षीगण द्वारा अपने लिखित कथन में परिवादिनी को परिपक्वता धनराशि की दो चेक क्रमश: 98 एमआईएम 010472 व 98 एमआईएम 0110473 दिनांक 24/02/98 को परिवादिनी के पते पर पंजीकृत डाक से भेजी गई थी। अतएव उनकी सेवा में कोई त्रुटि नहीं है। उपरोक्त चेकों का भुगतान सूरत प्यूपिल कोआपरेटिव बैंक सूरत द्वारा दिनांक 23/05298 को व बैंक आफ राजस्थान करौलबाग नई दिल्ली से 27/04/99 को चेकों का भुगतान प्राप्त कर लिया गया है। अतएव यह प्रकरण फर्जी व्यक्तियों एवं धोखाधड़ी से भुगतान प्राप्त करने से संबंधित है और दाण्डिक एवं सिविल कोर्ट के क्षेत्राधिकार में है जिसे फोरम को सुनने का अधिकार नहीं है। चेकों का फर्जी भुगतान प्राप्त करने वाले फर्जी व्यक्तियों संबंधित बैंकों व डाकघर आवश्यक पक्षकार है जिनके अभाव मे परिवाद पत्र दूषित है और खंडित किये जाने योग्य है।
जिला पीठ ने दोनों पक्षों के साक्ष्य का अवलोकन करते हुए गुणदोष के आधार पर निर्णय/आदेश पारित किया है जिसके खिलाफ अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
आधार अपील का परिशीलन किया गया। अपीलार्थी ने अपने अपील आधार में यह आधार प्रस्तुत किया है कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा एकमुश्त पेयी चेक बनाकर परिपक्वता की धनराशि परिवादिनी के पता पर रजिस्टर्ड डाक से भेजा गया था जो श्रीमती इंदिरा टण्डन के द्वारा भुगतान प्राप्त कर लिया गया है। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी के पार्ट पर किसी भी प्रकार की सेवा में कमी व लापरवाही नहीं है। जिला पीठ ने जो निर्णय/आदेश पारित किया है वह उचित नहीं है।
3
विचाराधीन वाद के दौरान परिवादिनी ने इन्उमनीटी बाण्ड जमा किया। जिसके फलस्वरूप वह दिनांक 21/05/2002 को मु0 40,000/ रूपये पूर्ण एवं अंतिम रूप से संतुष्टी के साथ प्राप्त किया। इस प्रकार प्रस्तुत प्रकरण में विवाद समाप्त हो गया है।
प्रत्यर्थी की ओर से कोई प्रस्तुत नहीं हुआ है।
संपूर्ण पत्रावली के परिशीलन से यह प्रतीत होता है कि अपीलार्थी/ विपक्षी ने परिवादिनी/प्रत्यर्थी को दिनांक 21/05/2002 को मु0 40,000/ रूपये की धनराशि पूर्ण संतुष्टी के साथ अंतिम रूप से भुगतान कर दिया है जिसकी प्राप्ति की छायाप्रति पत्रावली पर उपलब्ध है जिसमें यह अंकित है कि ‘’मेरा 40,000/ रूपये आपके पास जमा है। मेरा केस उपभोक्ता फोरम
में चल रहा है। अत: मै अपना केस वापस ले रही हूं। केस नं0 सी.डी.आर.एफ. 254199 का चेक आपके द्वारा प्राप्त हो गया है मुझे 029782 नं0 का चेक प्राप्त हो गया है।‘’ इस प्रकार वर्तमान परिवेश में विवादित मुकदमा समाप्त हो गया है। यह अपील विलंब से दाखिल किया गया है। अपील के साथ विलंब प्रार्थना पत्र दिया गया है। विलंब प्रार्थना पत्र का आधार उचित है। विलंब क्षमा किया जाता है। तद्नुसार अपील निस्तारित की जाती है।
आदेश
उपरोक्त विवेचना के आधार पर अपील निस्तारित की जाती है।
उभय पक्ष अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की सत्य प्रमाणित प्रति पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाय।
(सी0बी0 श्रीवास्तव)
पीठासीन सदस्य
(संजय कुमार)
सुभाष चन्द्र आशु0 ग्रेड 2 कोर्ट नं0 2 सदस्य