Rajasthan

Ajmer

CC/268/2013

NITIN MAHESHWARI - Complainant(s)

Versus

INDIAN RAILWAY CATRING AND TOURSIM - Opp.Party(s)

ADV SEKHAR SAIN

16 Dec 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/268/2013
 
1. NITIN MAHESHWARI
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. INDIAN RAILWAY CATRING AND TOURSIM
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 16 Dec 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,     उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

नितिन माहेष्वरी पुत्र श्री कृष्ण गोपाल नवाल, आयु-लगभग 32 वर्ष, साकिन-33 महावीर काॅलोनी, अजमेर । 
                                                -         प्रार्थी
                            बनाम 

1. इण्डियन रेल्वे केटरिंग एव ट्यूरिज्म कारपोरेषन लिमिटेड, इण्डटरनेट टिकटिंग, स्टेट एण्ट्री रोड,आईआरसीए बिल्डिं, नई दिल्ली-110055
2. क्षेत्रीय प्रबन्धक(आर.ओ) इण्डियन रेल्वे केटरिंग एण्ड ट्यूरिज्म कारपोरेषन लि.(वेस्ट जोन) दूसरा तल, नई प्रषासनिक बिल्डिंग सेन्ट्ररेल रेल्वे, सीरएसटी, मुम्बई-400001 
3. डध्े टपं ॅवतसक ;थ्सपहीज त्ंरं ज्तंअमसे च्अजण् स्जकद्ध जीतवनही ैनरपज छंीं ब्म्व् स्मअमस 4ए ठसवबा क्;डंहदवसपंद्धच्सवज  छवण् 116ध्2।ध्2ठए डंदलंजं म्उइंेेल ठनेपदमेे च्ंताए व्नजमत ॅपदह त्वंकए छंहंूंतंए ठंदहसवतम.560045
                                               -       अप्रार्थीगण
                 परिवाद संख्या 268/2013  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
2. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1. प्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं 
                  2. श्री विभौर गौड़,अधिवक्ता अप्रार्थी  संख्या 1 व 2 
                  3. श्री सुनील पारिख, अधिवक्ता अप्रार्थी सं. 3
                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 06.01.2017
 
1.             संक्षिप्त तथ्यानुसार  प्रार्थी द्वारा दिनंाक 10.8.2011 को  ट्रेन संख्या 12958 में अजमेर से अहमदाबाद की यात्रा के लिए  इलेक्ट्रोनिकल आरक्षण  राषि रू. 1045/- अदा कर करवाए जाने के उपरान्त  निजी कार्य हो जाने के कारण रद्द कर टीडीआर फाईल कर दिए जाने व दिनांक 14.2.2012 को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस दिए जाने के बाद भी अप्रार्थीगण द्वारा टिकिट की राषि रिफण्ड नही ंकर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना करते हुए परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है । 
2.       अप्रार्थी संख्या 1 व 2 की ओर से  प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत टिकिट  एजेण्ट के माध्यम से क्रए किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए  दर्षाया है कि  उत्तरदाता का च्तपअपजल व िब्वदजतंबज नहीं होने से  समस्त जिम्मेदारी एजेण्ट की है । उत्तरदाता के रिकार्ड अनुसार प्रार्थी ने रिफण्ड हेतु कोई टीडीआर  प्रस्तुत नहीं की है ।  क्येांकि टीडीआर टिकिट बुक कराने वाला वेबसाईट का यूजर ही टीडीआर फाईल कर सकता है । नियमानुसार ट्रेन रवाना होने से 30 दिवस के भीतर टीडीआर प्रस्तुत किए जाने पर  ट्रेन के गन्तव्य स्टेषन  के क्षेत्रीय रेल्वे द्वारा रिफण्ड की कार्यवाही की जाती है ।  प्रार्थी के द्वारा न तो टिकिट रद्द करवाया गया  है और ना ही संबंधित एजेण्ट द्वारा टिकिट रद्द करवाया गया और ना ही कोई टीडीआर जारी किया गया  है  और ना ही रिफण्ड की कोई मांग नियमानुसार की गई । उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री योगेन्द्र सिंह गुर्जर,  मैनेजर ट्यूरिज्म का ष्षपथपत्र पेष किया है ।   
3.    अप्रार्थी संख्या 3 की ओर से  जवाब प्रस्तुत करते हुए दर्षाया है कि प्रार्थी ने प्रष्नगत ई-टिकिट जम्मू जनवानी, जे.बी. एजेन्सी, फु्रटमण्डी, अजमेर से  कराया था और प्रार्थी ने इस तथ्य को छिपाते हुए परिवाद पेष किया है । प्रार्थी टीडीआर पेष नहीं कर सकता क्योंकि  ई-टिकिट के संबंध में  उक्त  बुकिंग अभिकर्ता  ही वेबसाईट का यूजर होकर टीडीआर फाईल कर सकता है ।  उत्तरदाता ने अप्रार्थी संख्या 1 व 2 द्वारा  जवाब में अंकित कथनों को ही दोहराते हुए  दर्षाया है कि  मामले में टीडीआर  पेष नहीं होने के बावजूद भी विषेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उत्तरदाता द्वारा रू. 500/- की रिफण्ड राषि प्रार्थी के एचडीएफसी बैंक, अजमेर षाखा में दिनंाक 2.3.2013 को जमा करा दी  गई है ।  अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में  नयन जैन, लीगल काउनसल का ष्षपथपत्र पेष किया है ।  
4.    अप्रार्थीगण ने  अपने पक्ष कथन को बहस में तर्क के रूप में दोहराया है । हमने सुना, रिकार्ड देखा । 
5.    हमारे समक्ष विवाद का मात्र बिन्दु यह है कि  क्या अप्रार्थीगण ने प्रार्थी द्वारा निर्धारित यात्रा का रेल टिकिट आरक्षित करवाए जाने के बाद  यात्रा रद्द किए जाने पर रिफण्ड की राषि नहीं देकर सेवा में कमी की है ?
6.    हस्तगत प्रकरण में प्रार्थी की ओर से अंतिम बहस नहीं  की गई जबकि उन्हें न्यायोचित अवसर मिले हैं । यहां तक की  निर्णय से पूर्व  उन्हें  अपनी बहस प्रस्तुत कर मौका दिया गया ।  किन्तु खेद का विषय का है कि  उनकी ओर से कोई बहस नहीं की गई । न्याय हित में उपलब्ध अभिलेख के आधार पर  प्रकरण के गुणावगुण को ध्यान में रख कर यह निर्णय पारित किया जा रहा है । 
7.    प्रार्थी द्वारा दिनांक  10.8.2011 को अजमेर से अहमदाबाद जाने के लिए ट्रेन संख्या  12958  में पीएनआर संख्या  2123888432 के जरिए इलेक्ट्रोनिक आरक्षण करवाए जाने, निर्धारित तिथि को उसके द्वारा प्रस्तावित यात्रा नहीं करना स्वीकृत तथ्य के रूप में सामने आया है । प्रार्थी  पक्ष का कथन रहा है कि उसके द्वारा निजी कार्य हो जाने के कारण टिकिट को रद्द करवा लिया गया था  व  टीडीआर फाईल करके दे दिया गया  था ।  किन्तु  रिफण्ड राषि आज तक  प्राप्त नहीं  हुई  है । अप्रार्थी का तर्क रहा है कि ई-टिकिट  के माध्यम से आरक्षण करवाया गया था तथा यह  एजेण्ट के जरिए खरीदा गया था । टीडीआर  फाईल नहीं की गई है । नियमानुसार क्लेम उक्त एजेण्ट के विरूद्व करना चाहिए था ।  तर्क दिया गया कि जो कथन किए गए है वे  असत्य एवं आधारहीन होने के कारण स्वीकार नहीं किए जा सकते । नियमानुसार ट्रेन रवानगी के 30 दिवस के अन्दर टीडीआर प्रस्तावित है तथा ई-टिकिट  काटे जाने के साथ ही नियमानुसार संबंधित रेल्वे  द्वारा उसके क्षेत्र में ट्रेन के गन्तव्य स्टेषन होता है । रिफण्ड की कार्यवाही की जाती है तो रेल्वे से रिफण्ड राषि प्राप्त होने पर यह यूजर केे खाते में  ट्रान्सफर कर दी जाती है । संबंध्ाित रेल्वे को पक्षकार नहीं बनाया गया है । रिफण्ड के संबंध में प्रचलित नियमों का  भी अधिवक्ता रेल्वे ने हवाला दिया है । 
8.    अप्रार्थी संख्या 3 अभिकर्ता की ओर से इन्हीं तर्को को दोहराया है । उनकी ओर से यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया है कि हालांकि  प्रार्थी द्वारा टीडीआर प्रस्तुत नहीं की गई है  किन्तु उसके द्वारा स्पेषल मामले व व्यावसायिक प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए प्रार्थी को दिनंाक 26.2.2013 को ई-मेल के संबंध में अपना बैंक विवरण प्रस्तुत करने को कहा गया ।  जिस पर प्रार्थी ने जवाब कार्यवाही करते हुए दिनांक  26.2.2013 को अपना  बैंक विवरण जरिए ईमेल प्रस्तुत किया ।  अप्रार्थी संख्या 3 ने दिनंाक 2.3.2013 को  प्रार्थी के बैंक खाते में रिफण्ड राषि रू. 500/- जमा करा दी  और इसकी जानकारी उसे दी गई है । प्राप्ति रसीद के संदर्भ में भी प्रार्थी द्वारा ई-मेल के जरिए उसे सूचित किया गया है । 
9.    परस्पर तर्को के संदर्भ में पत्रावली में  उपलब्ध अभिलेख से स्पष्ट है कि प्रार्थी द्वारा अपनी प्रस्तावित  यात्रा रद्द करने के बाद किस तिथि को टीडीआर फाईल किया गया है , यह उसके द्वारा सिद्व नहीं किया गया है । मात्र  एक सादे कागज पर उसके द्वारा आईआरसीटीसी को ’’ क्मंत ैपतए ज्क्त् ंसतमंकल थ्पसमक ण्ए  प् ींक दवज जतंअमसमकण् ज्ञपदकसल  ंततंदहम जव तमजनतद इंबा ंउवनदज ंजिमत कमकनबजपवद जीम बींतहमेण् डल कमजंपसे ंतम ंे विससवूे ’’ इस लेख से यह नहीं माना जा सकता कि संबंधित टीडीआर निष्चित  समय अवधि में रिफण्ड हेतु प्रस्तुत कर   दी गई थी ।  प्रार्थी  के  लिए यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य सिद्व किए जाने हेतु था किन्तु उसके द्वारा सिद्व नहीं किया गया है  । इसके अलावा  पत्रावली में वेे ई-मेल व पत्र व्यवहार उपलब्ध है जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि प्रार्थी को उक्त प्रस्तावित यात्रा रद्द होने पर रिफण्ड की राषि नियमानुसार कटौती की जाकर रू. 500/-  के रूप में उसे भेजी गई है । यह यह राषि उसके एचडीएफसी बैंक खाते में  जमा हुई है । प्रार्थी ने इस तथ्य की पुष्टि में स्वीकारोक्ति बाबत् पत्र भी लिखें है । अतः स्पष्ट रूप से प्रार्थी ने उक्त यात्रा के संबंध में टिकिट रद्द करवाए जाने एवं टीडीआर  समय पर प्रस्तुत  नहीं किए जाने के बावजूद अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा सद्भाविक रूप से उसकी एवज   के रूप में  लौटाई गई राषि रू. 500/-  प्राप्त कर लिए गए है तथा इसका उसने अपने परिवाद में कोई उल्लेख नहीं कर दुर्भावना  का परिचय दिया है । पत्र व्यवहार के संदर्भ में ई-मेल  दिनंाक 4.3.2013, 26.2.2013, 2.3.2013, 3.3.2013  उल्लेखनीय है । चूंकि प्रार्थी  की ओर से उक्त राषि प्राप्ति के बाद  दिनंाक 17.4.2013 को परिवाद प्रस्तुत किया है  व इस परिवाद में उक्त प्राप्ति के संदर्भ में किसी प्रकार का कोई उल्लेख तक नहीं किया है ।  मंच इस संदर्भ में विद्वान अधिवक्ता रेल्वे  तथा अप्रार्थी संख्या 3 एजेण्ट के तर्को से पूर्ण रूप सहमत है । 
10.                उपरोक्त परिस्थितियों में हमारी राय में प्रार्थी  अप्रार्थीगण के जिम्मे परिवाद में दर्षाई गई सेवा में कमी होना प्रमाणित नहीं कर पाया है बल्कि यह पाया जाता है कि  उसने इस मंच के समक्ष एक तुच्छ (थ्तपअवसवने)  परिवाद प्रस्तुत किया है जो  व्यय सहित खारिज होने योग्य है । 
                           -ःः आदेष:ः-
11.            फलतः  प्रार्थी का परिवाद रू. 1000/- व्यय पर  खारिज किया जाता है । आदेष दिनांक 06.01.2017 को  लिखाया जाकर सुनाया गया

                                
(नवीन कुमार )                                 (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                                                अध्यक्ष    

 

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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